Uttarakhand

राम भक्त : अयोध्या में रामलला के विराजमान होने तक एक रूपये में कटिंग करेगे मनीष सजवाण, सेवा की शुरू लोगों को जागरूक करना है मकशद।

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ऋषिकेश – अयोध्या में रामलला 22 जनवरी को विराजमान होंगे। इस खुशी में ऋषिकेश में रामभक्त मनीष सजवाण अपने सैलून में 22 जनवरी तक महज एक रुपये में हेयर कटिंग करेंगे। उन्होंने दो दिन से सेवा देना भी शुरू कर दिया है।


दुर्गा चौक ऋषिकेश रोड स्थित एक सैलून के संचालक मनीष सजवाण ने अपने सैलून में अयोध्या में श्रीराम के विराजमान होने तक लोगों की कटिंग एक रुपये में करना शुरू कर दिया है। मनीष श्री हनुमान चालीसा संगठन के अध्यक्ष भी हैं। दो दिन पहले उन्होंने सेवा शुरू की।

प्रतिदिन 20 से 25 लोग सैलून में कटिंग कराने के लिए आ रहे हैं। मनीष सजवाण का कहना है कि भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा होने पर उन्होंने सेवा शुरू की। उनका मकसद समाज को जागरूक करना है। बता दें कि पुरुषों की हेयर कटिंग 40 से 100 रुपये में होती है। कई संगठनों ने मनीष के कार्यों की सराहना की है।

ऋषिकेश भगवान राम की तपस्थली के नाम से भी जानी जाती है। यहां ब्रह्मपुरी स्थित राम तपस्थली के गंगा तट पर बनी एक गुफा में भगवान राम ने वर्षों तक तपस्या की थी। आज भी वह गुफा यहां बनी है, जिसके दर्शन के लिए अनेक श्रद्धालु आते हैं। स्कंदपुराण के अनुसार रावण वध करने के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था।

ब्रह्म हत्या का पाप उतारने के लिए वह तीर्थनगरी में तपस्या के लिए आए थे। ऋषिकेश से आठ किमी दूर ब्रह्मपुरी है। यहां राम तपस्थली आश्रम है। आश्रम की तलहटी और गंगा के किनारे एक गुफा है, जिसमें भगवान राम तपस्या में लीन हुए थे। आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास ने बताया कि गंगा की तलहटी होने के कारण गंगा नदी का शोर उनकी तपस्या में बाधा उत्पन्न कर रही थी।

तपस्या में बाधा न पड़े, इसके लिए एक बार भगवान राम वहां से उठकर आगे की ओर चलने लगे। तभी वहां मां गंगा प्रकट हुईं और भगवान राम से बोलीं, हे प्रभु आप मेरे किनारे को छोड़कर कहां जा रहे हैं। तब भगवान राम ने कहा, हे गंगे तुम्हारा शोर मेरी तपस्या में बाधा उत्पन्न कर रहा है।

तब गंगा ने भगवान राम को वचन दिया कि आपकी तपस्या में कोई रुकावट नहीं होगी। इसके लिए वह यहां से कई मीटर दूर तक बिना शोर करते हुए बहेंगी। उसके बाद भगवान राम यहां एक गुफा के अंदर साधना में लीन हो गए। तब से लेकर अब तक यहां करीब 200 मीटर तक गंगा नदी बिना शोरगुल के प्रवाहित हो रही हैं।

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