देहरादून : भारत में मकर संक्रांति का पर्व खास महत्व रखता है, और इस अवसर पर देशभर के विभिन्न प्रांतों में खिचड़ी का प्रसाद बड़े श्रद्धा भाव से खाया जाता है। इसे कहीं ताई पोंगल, कहीं खेचड़ा, कहीं माथल तो कहीं बीसी बेले भात के नाम से जाना जाता है। हालांकि, नाम चाहे जो भी हो, खिचड़ी का असली स्वाद दही, घी, पापड़ और अचार के साथ ही आता है। भारत की सांस्कृतिक विविधता में खिचड़ी एक ऐसा व्यंजन है जिसे हर राज्य और समुदाय में अपने-अपने तरीके से तैयार किया जाता है।
खिचड़ी का ऐतिहासिक महत्व
खिचड़ी का इतिहास बहुत पुराना है और इसका उल्लेख कई ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलता है। दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित किताब ‘पोषण उत्सव’ में इस पर विस्तार से जानकारी दी गई है। किताब में बताया गया है कि खिचड़ी का इतिहास 15वीं शताब्दी तक फैला हुआ है। यूनानी राजदूत सेल्यूकस और मोरक्को के यात्री इब्नबतूता ने भी भारतीय उपमहाद्वीप में चावल और दाल से बने इस व्यंजन का जिक्र किया है। मुग़ल साम्राज्य के समय में खिचड़ी की खास पहचान थी, विशेष तौर पर जहांगीर और औरंगजेब के समय में।
खिचड़ी के चार यार
खिचड़ी के चार यार कहे जाते हैं – दही, घी, पापड़ और अचार। इसे जब चम्मच की बजाय हाथ से खाया जाता है, तब इसका असली स्वाद मिलता है। इसके अलावा, खिचड़ी का नाम भी विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग होता है। तमिलनाडु में इसे ताई पोंगल कहा जाता है, जबकि असम में इसे भोगाली बिहु, पंजाब में लोहड़ी, और उत्तराखंड में उत्तरायण पर्व पर खिचड़ी को प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है।
राज्यवार खिचड़ी की विशेषताएँ
‘पोषण उत्सव’ किताब के अनुसार, हर राज्य में खिचड़ी बनाने के तरीके में कुछ अलग बदलाव होते हैं। हिमाचल प्रदेश में आल/बाला खिचड़ी चना, भुना हुआ धनिया और छाछ के साथ बनती है, जबकि उत्तराखंड के गढ़वाल में यह उड़द की दाल, तिल और गर्म मसालों के साथ तैयार की जाती है। उत्तर प्रदेश में आंवला खिचड़ी और ओडिशा में खेचड़ा के नाम से खिचड़ी बनती है, जिसमें अदरक और हींग का इस्तेमाल होता है। वहीं, आंध्र प्रदेश में काजू डालकर खिचड़ी को गरिष्ठ बनाया जाता है।
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केरल में इस व्यंजन को माथन कहा जाता है, जिसमें लाल कद्दू की प्रमुखता होती है। इस खिचड़ी में इमली, नारियल और करी पत्ते भी डाले जाते हैं, जो इसकी पौष्टिकता को और बढ़ा देते हैं।
समाप्ति
खिचड़ी का स्वाद और इसकी संस्कृति न केवल भारत की विविधता को दर्शाती है, बल्कि यह हमारी प्राचीन खाद्य परंपराओं का भी अहम हिस्सा है। मकर संक्रांति पर देशभर में खिचड़ी के साथ जुड़े विविध त्यौहारों और परंपराओं को मनाना हमारे सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक बेहतरीन तरीका है।