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उत्तराखंड: प्रसव के बाद महिला की मौत, अस्पताल पर लापरवाही का आरोप !

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काशीपुर (उधम सिंह नगर): काशीपुर में एक निजी अस्पताल में प्रसव के बाद एक महिला की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया है। साथ ही, अस्पताल संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

क्या है पूरा मामला

मुरादाबाद जनपद के सीमावर्ती गांव मुंझरपुरी निवासी सरजीत अपनी गर्भवती पत्नी रेनू को 25 सितंबर को प्रसव के लिए काशीपुर के सरकारी अस्पताल लेकर आए थे। परिजनों के अनुसार, किसी कारणवश सरकारी अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया और कहीं और जाने को कहा।

इसी दौरान एक आशा सेविका ने उन्हें अलीगंज रोड स्थित एक निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी। परिजन रेनू को उसी अस्पताल में ले गए। वहां की महिला चिकित्सक ने “साधारण प्रसव” की बात कहकर भर्ती कर लिया। लेकिन अगले दिन, 26 सितंबर की सुबह करीब 5 बजे ऑपरेशन के जरिए रेनू ने एक बेटे को जन्म दिया।

परिजनों के अनुसार डिलीवरी के कुछ देर बाद रेनू की हालत बिगड़ने लगी और लगातार ब्लीडिंग होने लगी। उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सकों ने गंभीर स्थिति के बावजूद समय पर इलाज नहीं किया और बाद में दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जब रेनू को दो अन्य अस्पतालों में ले जाया गया तो वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद नाराज़ परिजन फिर उसी निजी अस्पताल पहुंचे और हंगामा किया।

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

सूचना मिलने पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमरजीत सिंह साहनी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जांच में पाया गया कि: प्रसूता को भर्ती करने के बाद देखभाल के लिए कोई स्टाफ मौजूद नहीं था। अस्पताल में आंतरिक ब्लीडिंग के बाद भी सही उपचार नहीं हुआ। अस्पताल पहले भी किसी अन्य नाम से संचालित था, जिसे शिकायतों के चलते सील किया जा चुका था। अब उसी अस्पताल को नया नाम देकर दोबारा खोला गया।

डॉ. साहनी ने बताया कि अस्पताल का रजिस्ट्रेशन केवल एलोपैथी क्लिनिक के रूप में है, यानी वे मरीज देख सकते हैं लेकिन भर्ती और ऑपरेशन करने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद वहां डिलीवरी और सर्जरी की जा रही थीं, जो नियमों का उल्लंघन है।

जांच में यह भी सामने आया है कि आशा कार्यकर्ता की भूमिका भी संदिग्ध रही है। उसने परिजनों को निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी, जबकि वह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी है। विभाग ने उसके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए पत्राचार शुरू कर दिया है।

नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने अस्पताल का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर उसे सील कर दिया है। साथ ही, संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

रेनू के पति सरजीत का कहना है कि हमें बताया गया था कि साधारण डिलीवरी होगी। लेकिन ऑपरेशन के बाद अचानक सब चुपचाप हो गया। हमें तब पता चला जब वह हमारे बीच नहीं रही।” परिजन अब न्याय और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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