Uttarakhand

उत्तरकाशी: झील का खतरा बना छात्राओं की मुसीबत, कस्तूरबा विद्यालय की 150 छात्राएं दो दिन में दो बार शिफ्ट

Published

on

उत्तरकाशी: स्यानाचट्टी में बनी अस्थायी झील का संकट स्थानीय लोगों के साथ अब स्कूली छात्राओं पर भी भारी पड़ रहा है। गंगनानी स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्राओं को सुरक्षा के दृष्टिकोण से दो दिन में दो बार जगह बदलनी पड़ी। पहले उन्हें पास के होटल में ठहराया गया, और अब उन्हें एसडीआरएफ द्वारा अधिग्रहित मिनी सचिवालय भवन में शिफ्ट कर दिया गया है।

लगातार हो रहे इस बदलाव और अस्थायी व्यवस्थाओं के चलते करीब 150 छात्राओं को कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। छात्राएं न तो स्थायी ठिकाने पर हैं, न ही शिक्षा की कोई व्यवस्थित सुविधा मिल पा रही है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है।

स्यानाचट्टी की झील बनी शिक्षा में बाधा

गंगनानी से सटे क्षेत्र में स्यानाचट्टी में बनी झील ने कई शैक्षिक संस्थानों को भी प्रभावित किया है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और जूनियर हाईस्कूल के भवनों में भी झील का पानी भर चुका है, जिससे विद्यालयों का संचालन पूरी तरह ठप हो गया है। कुपड़ा खड्ड में मलबा और बोल्डर आने के चलते पहले से ही छात्र-छात्राएं स्कूल आने में असमर्थ थे, अब झील के कारण स्कूलों को पूरी तरह बंद करना पड़ा है।

शिक्षा विभाग ऑनलाइन पढ़ाई पर कर रहा विचार

इस आपदा के बीच बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए शिक्षा विभाग अब ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने पर विचार कर रहा है। खंड शिक्षा अधिकारी बी.एस. चौहान ने बताया कि जलस्तर सामान्य होने के बाद स्यानाचट्टी क्षेत्र के विद्यालयों का निरीक्षण किया जाएगा। यदि भवनों का उपयोग सुरक्षित नहीं पाया गया तो छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जाएगा। गंगनानी और आस-पास के तीन-चार गांवों के करीब 50 से अधिक छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर इसका सीधा असर पड़ा है। अधिकांश छात्र अस्थायी रूप से विस्थापित हैं या शिक्षा से पूरी तरह कट चुके हैं।

सवाल उठ रहे हैं व्यवस्थाओं पर

स्थानीय लोगों का कहना है कि छात्राओं को बार-बार अस्थायी स्थानों पर शिफ्ट करना न सिर्फ असुविधाजनक है, बल्कि मानसिक रूप से भी कष्टदायक है। छात्राएं और उनके अभिभावक चाहते हैं कि उन्हें किसी स्थायी और सुरक्षित स्थान पर उचित व्यवस्थाओं के साथ रखा जाए, जहां उनकी पढ़ाई और दैनिक जीवन पर असर न पड़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version