देहरादून: उत्तराखंड सरकार अब राज्य में कृषि भूमि को बाहरी लोगों द्वारा अधिग्रहण से बचाने के लिए एक कठोर कानून बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। राज्य सरकार के इस कदम के बीच, बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी की अल्मोड़ा में खरीदी गई संपत्ति अब जांच के दायरे में आ गई है। वह उत्तर प्रदेश के नेता राजा भैया की पत्नी के बाद दूसरी प्रमुख हस्ती हैं जिनकी संपत्ति की जांच की जा रही है।
मनोज बाजपेयी ने 2021 में खरीदी थी लमगड़ा ब्लॉक में जमीन: मनोज बाजपेयी ने 2021 में उत्तराखंड के लमगड़ा ब्लॉक में करोड़ों रुपये की जमीन खरीदी थी। हालांकि, अब यह बात सामने आई है कि उनकी यह संपत्ति राज्य के भू-कानून के तहत खरीदी गई मानकों के अनुरूप नहीं है। इस मामले में अल्मोड़ा जिला प्रशासन ने कहा है कि किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले राज्य सरकार और न्यायालय से अनुमति लेना आवश्यक होगा।
पहले भी भूमि अधिग्रहण पर हो चुकी है कार्रवाई: उत्तराखंड में पहले भी भूमि खरीद से संबंधित मामलों में कानून का उल्लंघन पाया जा चुका है। एक उदाहरण के रूप में, चितई क्षेत्र में एक उद्योगपति द्वारा जमीन खरीदने के मामले में भी कानून का उल्लंघन पाया गया था, जिसके बाद प्रशासन ने उस भूमि की खरीद को अमान्य कर दिया और भूमि जब्त कर ली थी।
डीएम आलोक पांडे का बयान: अल्मोड़ा के डीएम आलोक पांडे ने बताया कि मनोज बाजपेयी द्वारा की गई भूमि अधिग्रहण सहित अन्य मामलों की गहन जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विशेष रूप से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सख्त भूमि उपयोग कानूनों को लागू करने के लिए एक अभियान शुरू किया है।
सख्त भू-कानून लागू करने के आदेश: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 सितंबर को एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत नगर निकाय क्षेत्रों के बाहर बाहरी लोगों द्वारा 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि बिना अनुमति के खरीदने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस आदेश का उद्देश्य राज्य में कृषि भूमि और पर्यावरण की रक्षा करना है।
मनोज बाजपेयी की संपत्ति पर तेज हुई जांच: अब राज्य सरकार यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मनोज बाजपेयी का अधिग्रहण स्थानीय भूमि नियमों का पालन कर रहा है या नहीं। 2021 में, अभिनेता ने कपकोट क्षेत्र में ध्यान और योग केंद्र के विकास के लिए लगभग 15 बिस्वा यानी 2,160 वर्ग फीट के बराबर की जमीन खरीदी थी। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी तक इस पर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है, जिससे संदेह उत्पन्न हो रहा है कि कहीं नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ है।
राज्य सरकार अब इस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाहरी व्यक्तियों द्वारा राज्य में भूमि अधिग्रहण के संबंध में कोई कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है। इस तरह के मामलों में कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है, खासकर अगर यह पाया जाता है कि भूमि अधिग्रहण स्थानीय पर्यावरणीय सुरक्षा के खिलाफ है।
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