उत्तरकाशी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहाड़ों के प्रति प्रेम हमेशा से ही विशेष रहा है। हर बार जब वह इन क्षेत्रों का दौरा करते हैं, तो कुछ नया और अद्वितीय करने की कोशिश करते हैं। आज वह उत्तरकाशी के सीमांत गांव मुखबा पहुंचे, जहां उन्होंने मां गंगा की पूजा की और इसके बाद स्थानीय पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद लिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने मुखबा में स्थानीय उत्पादों से बने व्यंजनों का आनंद लिया, जिनमें चीणा का भात, फाफरे के पोले, क्षेत्रीय राजमा, और बद्री गाय की दही मठ्ठा शामिल थे। यह सभी व्यंजन हर्षिल घाटी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। मुखबा की स्थानीय महिलाओं ने इन्हें तैयार कर प्रधानमंत्री को परोसा, जो कि इस क्षेत्र की पारंपरिक कुकिंग विधियों को प्रदर्शित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए मुखबा में खास माहौल था। शीतकाल में भी यह गांव रोशनी से चकाचौंध हो रहा था, और यहां के स्थानीय सांस्कृतिक समारोहों ने इस दिन को और भी खास बना दिया। मोदी जी ने मां गंगा के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया और इसके बाद उन्होंने सीमांत क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं से भी जुड़ने का अवसर प्राप्त किया।
पूजा अर्चना के बाद, मोदी को फाफरे के भोग के साथ चीणा के भात, हर्षिल घाटी की स्वादिष्ट राजमा, और बद्री गाय की दही और मठ्ठा परोसी गई। इस खास पकवान का जिम्मा गांव की चार महिलाओं ने संभाला। इसके बाद, मुखबा की 22 महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी को स्थानीय लोकनृत्य ‘रासों तांदी’ से भी परिचित कराया, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अद्भुत अनुभव का आनंद लिया और स्थानीय समुदाय की संस्कृति और परंपराओं की सराहना की, जो यहां के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
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