नई दिल्ली: भारत और फ्रांस ने सोमवार को 63,000 करोड़ रुपये की लागत से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा भारत की समुद्री शक्ति को मजबूत करने और पुराने हो चुके मिग-29के बेड़े की जगह लेने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
समारोह में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल के. स्वामीनाथन मौजूद रहे। फ्रांस के रक्षा मंत्री की व्यक्तिगत कारणों से अनुपस्थिति के बावजूद, दोनों देशों के बीच यह डील रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करती है।
राफेल मरीन लड़ाकू विमान डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए हैं और इन्हें विशेष रूप से विमानवाहक युद्धपोतों से संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। ये विमान INS विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे और वायुसेना के पहले से चालू 36 राफेल जेट्स के साथ भारत की हवाई शक्ति को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। इस सौदे से देश में राफेल जेट्स की कुल संख्या बढ़कर 62 हो जाएगी।
जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने इस मेगा सौदे के लिए प्रारंभिक स्वीकृति दी थी, जिसके बाद 9 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने इसे अंतिम मंजूरी दी। यह सौदा 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर जेट्स के साथ-साथ रखरखाव, प्रशिक्षण, रसद सहायता और स्वदेशी निर्माण को भी कवर करता है।
राफेल मरीन की खासियतें:
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18,000 मीटर ऊंचाई तक एक मिनट में पहुंचने की क्षमता
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3,700 किलोमीटर दूर तक हमला करने की मारक क्षमता
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दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम
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अत्यधिक ठंड में हिमालय क्षेत्र में भी संचालन योग्य
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मुड़ने वाले विंग्स से एयरक्राफ्ट कैरियर पर आसान तैनाती
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वजन: लगभग 10,300 किलोग्राम
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