Dehradun
मजदूरों को ऑनलाइन मिलेगा उनका हक, कर्मकार कल्याण बोर्ड के स्तर से सॉफ्टवेयर हो रहा तैयार।

देहरादून – अब किसी भी नई निर्माण परियोजनाओं से कर्मकार बोर्ड को लेबर सेस तत्काल मिलेगा। इसके लिए उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के स्तर से एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा, ताकि एक प्रतिशत लेबर सेस ऑनलाइन सीधे बोर्ड के खाते में जमा हो जाए।

दरअसल, अभी तक प्रदेश में जितनी भी निर्माण परियोजनाएं शुरू होती हैं, उनका प्रतिशत लेबर सेस कर्मकार बोर्ड के खातों में आते-आते लंबा समय लग जाता है। कई बार तो कई प्रोजेक्ट का करोड़ों रुपये का सेस एक साल तक भी बोर्ड के खातों में नहीं पहुंच पाता। इस वजह से श्रमिकों के कल्याण के लिए चल रही योजनाओं पर भी असर पड़ता है।
बोर्ड ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की कवायद शुरू कर दी है। कर्मकार बोर्ड के अधिकारी ने बताया, इसके लिए एचडीएफसी के सहयोग से निशुल्क सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। जो भी नई निर्माण परियोजना होगी, उसका लेबर सेस इस वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन सीधे बोर्ड के खाते में जाएगा। नए साल में ये शुरुआत होने जा रही है। इससे विकास प्राधिकरणों का झंझट भी कम हो जाएगा।
करोड़ों रुपये जमा होता है लेबर सेस
कर्मकार बोर्ड के पास हर साल करोड़ों रुपये की रकम लेबर सेस के माध्यम से आते हैं। इस पैसे से जहां श्रमिकों की कल्याणकारी योजना चलाने में सहयोग मिलता है तो वहीं, बोर्ड को और आसानी होती है।
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VHP और बजरंग दल ने निकाली विकासनगर में तहसील प्रशासन की शव यात्रा, लगाए गंभीर आरोप

Vikasnagar : विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सेलाकुई से विकासनगर तहसील तक विकासनगर तहसील प्रशासन की शव यात्रा निकाली।
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Vikasnagar में निकाली गई तहसील प्रशासन की शव यात्रा
सेलाकुईं से विकासनगर तहसील तक आज विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विकासनगर तहसील प्रशासन की शव यात्रा निकाली। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि विकासनगर तहसील क्षेत्र में भू-माफिया के हौसले बुलंद हैं और इसमें तहसील प्रशासन की मिलीभगत भी बताई जा रही है।

कई बार महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी होने के आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विकासनगर तहसील वही है जहां से महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। प्रदर्शन के दौरान विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तहसील प्रशासन की शव यात्रा निकाली और तहसील विकासनगर पहुंचकर पुतले आग के हवाले कर दिए। इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया।
20 दिनों बाद चक्का जाम की चेतावनी
कार्यकर्ताओं द्वारा दो पुतले बनाए गए जिसमें एक Vikasnagar तहसील प्रशासन का और दूसरा कथित संरक्षण देने वाले को दर्शाने वाला सफेदपोश का पुतला था। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ऐसे संरक्षण के चलते ही भू-माफिया के हौसले बढ़े हुए हैं। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर तहसील प्रशासन समय रहते जागृत नहीं हुआ और भू-माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो 20 दिनों के बाद चक्का जाम किया जाएगा।
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PRSI राष्ट्रीय अधिवेशन में एआई, साइबर क्राइम और संचार पर अहम् चर्चा

PRSI National Convention: AI के दौर में जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा
देहरादून : पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI National Convention) के राष्ट्रीय अधिवेशन के तीसरे दिन का माहौल खासा विचारशील और गंभीर रहा। इस दिन आयोजित पांचवें सत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर क्राइम और मिसइन्फॉर्मेशन जैसे मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि बदलती तकनीक से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसे समझना और सही तरीके से अपनाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
AI ने बदला साइबर अपराध का चेहरा
सत्र के मुख्य वक्ता उत्तराखण्ड पुलिस के अपर पुलिस अधीक्षक अंकुश मिश्रा ने साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौतियों को बेहद सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि आज के समय में साइबर फ्रॉड के लिए किसी को बाहर निकलने की भी जरूरत नहीं पड़ती, अपराध घर बैठे हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि Artificial Intelligence के जरिए अब आवाज की नकल करना और डीपफेक वीडियो बनाना आसान हो गया है। ऐसे में अगर हम थोड़ी सी लापरवाही बरतें, तो बड़ी परेशानी में पड़ सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि अनजान लिंक पर क्लिक न करें और सोशल मीडिया पर निजी जानकारी साझा करने से बचें।
एएसपी मिश्रा ने ये भी स्पष्ट किया कि डीपफेक वीडियो को आगे शेयर करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। साथ ही उन्होंने अभिभावकों से बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एआई से डरिए मत, लेकिन लापरवाह भी न बनें।
Public Relation में AI बना मजबूत साथी
सत्र की शुरुआत स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के असिस्टेंट जनरल मैनेजर विनय जायसवाल ने की। उन्होंने बताया कि Artificial Intelligence ने जनसंपर्क के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है।
आज मीडिया मॉनिटरिंग हो या ऑडियंस एनालिसिस, हर जगह एआई एक मजबूत सहायक के रूप में सामने आया है। उन्होंने कहा कि जहां एआई ने काम को आसान और तेज बनाया है, वहीं इसके साथ साइबर जोखिम भी बढ़े हैं। ऐसे में संस्थानों को जिम्मेदारी के साथ इसका इस्तेमाल करना चाहिए। सही रणनीति और प्रशिक्षण के जरिए एआई पीआर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
AI इंसान की जगह नहीं ले सकता
ग्राफिक हिल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर ताहा सिद्दिकी ने PRSI पर आधारित अपनी प्रेजेंटेशन के जरिए तकनीक को बेहद आसान अंदाज़ में समझाया। उन्होंने बताया कि वो “अधीरा” नामक प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को एआई के प्रति जागरूक कर रही हैं।

उनका कहना था कि Artificial Intelligence इंसान की जगह नहीं ले सकता, लेकिन यह उसका सबसे अच्छा सहायक जरूर बन सकता है। समय के साथ तकनीक बदलती है और हमें भी अपने कौशल उसी हिसाब से ढालने चाहिए। उन्होंने खास तौर पर युवाओं से अपील की कि Artificial Intelligence को डर की नजर से नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखें।
संगठन की छवि की नींव है कॉरपोरेट कम्युनिकेशन
इसके बाद आयोजित छठवें सत्र में PRSI के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यू.एस. शर्मा ने कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की अहमियत पर बात की। उन्होंने कहा कि किसी भी संगठन की पहचान और भरोसा मजबूत संचार से ही बनता है।
आज के डिजिटल दौर में पारदर्शिता, सही समय पर प्रतिक्रिया और भरोसेमंद कंटेंट बेहद जरूरी हो गया है। पीआर प्रोफेशनल्स को बदलते मीडिया माहौल को समझते हुए नैतिक और रणनीतिक संचार अपनाना होगा।
प्रचार नहीं, संवाद है पीआर: आरईसी
आरईसी के मैनेजर कॉरपोरेट कम्युनिकेशन इरफान रसीद ने बताया कि उनके संगठन में पीआर को केवल प्रचार तक सीमित नहीं रखा गया है। मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए हितधारकों से लगातार संवाद बनाए रखा जाता है। उन्होंने कहा कि मजबूत और ईमानदार संचार ही किसी संगठन की साख को लंबे समय तक बनाए रखता है।
स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में THDC का योगदान
सत्र में डॉ. अमरनाथ त्रिपाठी, चीफ जनरल मैनेजर (एचआर एंड कॉरपोरेट कम्युनिकेशन), टीएचडीसी ने पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि टीएचडीसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा का एक बेहतरीन उदाहरण है।
टिहरी डैम को उन्होंने इंजीनियरिंग की एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह न केवल ऊर्जा उत्पादन में अहम है, बल्कि इको-टूरिज्म और जल क्रीड़ा के लिए भी नए अवसर पैदा कर रहा है।
Uttarakhand
देहरादून के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – जानिए उत्तराखंड की राजधानी की खूबसूरती…

Dehradun Tourist Places 2026 Guide
देहरादून, उत्तराखंड की खूबसूरत राजधानी, हिमालय की गोद में बसा एक शांत और मनमोहक शहर है। यह शहर न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए, बल्कि अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और शैक्षणिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की हरियाली, झरने, मंदिर और शांति भरा वातावरण हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं या शहर की भीड़-भाड़ से दूर कुछ समय बिताना चाहते हैं, तो Dehradun Tourist Places आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं।
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Dehradun का इतिहास और महत्व
देहरादून का नाम “देहरा” (डेरे) और “दून” (घाटी) से मिलकर बना है। यह शहर गुरु राम राय द्वारा स्थापित किया गया था। ब्रिटिश काल में भी यह स्थान अपनी सुंदरता और मौसम के कारण पसंदीदा रहा। देहरादून आज शिक्षा, सेना और आध्यात्मिकता का प्रमुख केंद्र है।
भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक सौंदर्य
देहरादून समुद्र तल से लगभग 450 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे सालभर सुखद बनाता है। यहाँ की हरियाली, झरने और नदियाँ इस शहर को और आकर्षक बनाते हैं।
देहरादून क्यों प्रसिद्ध है?
Dehradun एक ऐसा शहर है जहाँ आधुनिकता और परंपरा का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यहाँ FRI जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएँ हैं, वहीं दूसरी ओर तपकेश्वर मंदिर जैसे प्राचीन धार्मिक स्थल भी हैं। देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी का द्वार भी कहलाता है।
देहरादून के प्रमुख पर्यटन स्थल (Dehradun Tourist Places)
सहस्रधारा – झरनों का स्वर्ग
सहस्रधारा का अर्थ है “हजार धाराएँ”। यह स्थान अपने गंधक युक्त झरनों के लिए प्रसिद्ध है, जिनके बारे में कहा जाता है कि इनका जल त्वचा रोगों में लाभकारी होता है। हरियाली और पहाड़ों के बीच यह एक प्राकृतिक स्पा जैसा अनुभव देता है।

रॉबर्स केव (गुच्चूपानी)
यह एक रहस्यमयी गुफा है जहाँ से नदी बहती है। इसे देखने के लिए गर्मियों में हजारों पर्यटक आते हैं। यहाँ पानी में चलने का अनुभव बेहद रोमांचक होता है।
टपकेश्वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित यह गुफा मंदिर अपने प्राकृतिक शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिस पर लगातार पानी की बूंदें टपकती रहती हैं।

बुद्धा मंदिर (Mindrolling Monastery)
यह विशाल बौद्ध मठ अपने शांत वातावरण और 220 फीट ऊँचे स्तूप के लिए जाना जाता है। यहाँ का बागीचा और रंगीन दीवारें इसे फोटोग्राफी के लिए आदर्श स्थान बनाती हैं।
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI)
यह देहरादून का सबसे प्रसिद्ध संस्थान है, जिसकी भव्य इमारत ब्रिटिश काल की वास्तुकला का उदाहरण है। कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग यहाँ हो चुकी है।

परिवार के साथ घूमने लायक जगहें (Dehradun Tourist Places To Visit With Family)
देहरादून में मालसी डियर पार्क, लच्छीवाला नेचर पार्क और मिसेस हॉल का गार्डन जैसे स्थान परिवारों के लिए बेहतरीन पिकनिक स्पॉट हैं।
देहरादून में धार्मिक स्थल
यहाँ का टपकेश्वर मंदिर, संतला देवी मंदिर और बुद्धा मंदिर धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं। हर साल यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
देहरादून की प्राकृतिक सुंदरता
देहरादून की घाटियाँ, झरने और घने जंगल इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाते हैं। विशेषकर मानसून के दौरान यहाँ की सुंदरता दोगुनी हो जाती है।
देहरादून के आसपास घूमने लायक स्थान
देहरादून से कुछ ही दूरी पर मसूरी, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे प्रसिद्ध स्थल हैं, जिन्हें एक साथ यात्रा में शामिल किया जा सकता है।
Dehradun की स्थानीय संस्कृति और भोजन
पहाड़ी व्यंजन
देहरादून का भोजन उत्तराखंड की पारंपरिक झलक पेश करता है। यहाँ के लोकप्रिय व्यंजन हैं —
- काफुली और झोल – पालक और अन्य हरी सब्जियों से बनी पौष्टिक डिश।
- भट्ट की चुड़कानी – काले सोयाबीन से बना प्रसिद्ध व्यंजन।
- आलू के गुटके – मसालेदार आलू, जो चाय के साथ खाए जाते हैं।
- सिंगोरी – नारियल और खोया से बनी मिठाई, जिसे मालू के पत्ते में लपेटा जाता है।
स्थानीय मेले और त्यौहार
देहरादून में झंडा मेला, बुद्ध पूर्णिमा, और महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाए जाते हैं। यह त्यौहार यहाँ की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं।

Dehradun कैसे पहुँचे
हवाई मार्ग
देहरादून का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है। दिल्ली, मुंबई और लखनऊ से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
रेलमार्ग
देहरादून रेलवे स्टेशन उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा है। “नंदा देवी एक्सप्रेस” और “शताब्दी एक्सप्रेस” जैसी ट्रेनें यहाँ आसानी से पहुंचाती हैं।
सड़क मार्ग
देहरादून, दिल्ली से लगभग 240 किमी दूर है और राष्ट्रीय राजमार्ग NH 7 के माध्यम से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। बसें और निजी कैब आसानी से उपलब्ध रहती हैं।
ठहरने और खरीदारी की जगहें
होटल और रिज़ॉर्ट
देहरादून में हर बजट के लिए ठहरने की व्यवस्था है —
- फोर पॉइंट्स बाय शेरेटन
- लेमन ट्री होटल
- होटल सौरभ पर्वत
- स्थानीय होमस्टे और गेस्ट हाउस
देहरादून के प्रसिद्ध बाजार
अगर आप शॉपिंग के शौकीन हैं, तो पलटन बाजार, राजपुर रोड, और अस्थली बाजार आपको निराश नहीं करेंगे। यहाँ से आप ऊनी कपड़े, हस्तशिल्प और पहाड़ी मसाले खरीद सकते हैं।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
देहरादून में घूमने का सबसे उपयुक्त समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है, और झरनों का आनंद लेने का सबसे अच्छा समय होता है।
सर्दियों (दिसंबर–फरवरी) में यहाँ हल्की ठंड रहती है, जबकि मानसून (जुलाई–अगस्त) में हरी-भरी घाटियाँ अपनी पूरी खूबसूरती में निखर उठती हैं।
देहरादून यात्रा के टिप्स
- हल्के कपड़े और जैकेट साथ रखें क्योंकि रातें ठंडी हो सकती हैं।
- स्थानीय बाजारों में भाव-ताव करें, लेकिन शालीनता बनाए रखें।
- प्लास्टिक का उपयोग न करें, और पर्यावरण की स्वच्छता बनाए रखें।
- पानी की बोतल, रेनकोट और स्नीकर्स साथ रखें, विशेषकर ट्रेकिंग के लिए।
पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता
देहरादून अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, इसलिए पर्यटकों को चाहिए कि वे “जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism)” अपनाएँ।
कचरा खुले में न फेंकें, झरनों या धार्मिक स्थलों में प्लास्टिक का उपयोग न करें, और स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें।
FAQs – देहरादून पर्यटन से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. Dehradun घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर देहरादून यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है। इस दौरान मौसम न तो बहुत ठंडा होता है, न बहुत गर्म।
2. देहरादून में कौन-कौन से पर्यटन स्थल देखने योग्य हैं?
मुख्य आकर्षण हैं – सहस्रधारा, रॉबर्स केव, टपकेश्वर मंदिर, बुद्धा मंदिर, और FRI।
3. देहरादून से मसूरी कितनी दूर है?
देहरादून से मसूरी की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है, जो कार से 1.5 घंटे में तय की जा सकती है।
4. क्या देहरादून में बर्फबारी होती है?
देहरादून शहर में बर्फबारी बहुत कम होती है, लेकिन मसूरी और धनोल्टी में दिसंबर-जनवरी के दौरान बर्फबारी देखी जा सकती है।
5. क्या देहरादून परिवार के लिए सुरक्षित है?
हाँ, देहरादून एक सुरक्षित और शांत शहर है। यहाँ परिवार और बच्चों के लिए कई मनोरंजक स्थल उपलब्ध हैं।
6. देहरादून में कौन से स्थानीय व्यंजन प्रसिद्ध हैं?
काफुली, भट्ट की चुड़कानी, आलू के गुटके और सिंगोरी यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजन हैं।
निष्कर्ष – देहरादून की यात्रा का समग्र अनुभव
Dehradun उत्तराखंड का एक ऐसा शहर है जो हर मौसम, हर उम्र और हर रुचि के लोगों के लिए कुछ खास लेकर आता है। चाहे आप झरनों के बीच रोमांच की तलाश में हों, मंदिरों में शांति चाहते हों, या बस प्रकृति की गोद में कुछ दिन बिताना चाहते हों — Dehradun Tourist Places आपकी हर इच्छा पूरी करेंगे।
यहाँ की हरियाली, सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय आतिथ्य इसे भारत के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं।
🔗 अधिक जानकारी के लिए देखें – उत्तराखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट
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