Rajasthan
देश में पहली बार ब्लड प्रेशर पर काबू पाने के लिए आयुर्वेदिक दवा तैयार, 10 साल की मेहनत लाई रंग, अब पेटेंट का इंतजार !

राजस्थान: अगर आप सोचते हैं कि ब्लड प्रेशर एक सामान्य बीमारी है तो यह खबर आपके लिए है। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर ने ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए एक नई दवा तैयार की है, जो न केवल प्रभावी है बल्कि इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। इस दवा का विकास वर्षों की रिसर्च और क्लिनिकल ट्रायल के बाद किया गया है और यह खास 9 प्रकार की जड़ी-बूटियों से तैयार की गई है।
नेशनल आयुर्वेद संस्थान के द्रव्यगुण डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. सुदीप्त रथ ने बताया कि उनकी टीम ने ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए 10 साल तक रिसर्च की और इसके बाद इस आयुर्वेदिक कैप्सूल का निर्माण किया। उनका कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान यह कैप्सूल न केवल प्रभावी रहा, बल्कि इसके किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स का भी पता नहीं चला।
डॉ. रथ के अनुसार, “ब्लड प्रेशर एक सामान्य बीमारी दिखाई देती है, लेकिन लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करने से यह शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों पर असर डाल सकता है, जैसे कि दिल, किडनी और दिमाग।” इस दवा को पेटेंट करने के बाद, इसमें इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की इस दवा के लिए हुए रिसर्च और ट्रायल के बाद, अब इसे पेटेंट कराया जाएगा और फिर आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
आयुर्वेदिक दवाओं की इस नई खोज से न केवल ब्लड प्रेशर के मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि यह एक प्रभावी विकल्प के रूप में सामने आएगी। डॉ. रथ ने यह भी कहा कि इस दवा को लेकर सभी क्लिनिकल ट्रायल और प्री-क्लिनिकल अध्ययन सफल रहे हैं, और अब इसे पेटेंट प्राप्त करने के लिए आवेदन किया गया है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हाई ब्लड प्रेशर का प्रसार लगभग 22.6 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों की दर महिलाओं से अधिक है। शहरी क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक पाई जाती है, और विशेष रूप से डिप्रेशन के कारण लोग इससे अधिक प्रभावित हो रहे हैं, जिससे दिल का दौरा, चेस्ट पेन और अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
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आसाराम को मिली अंतरिम जमानत, 31 मार्च 2025 तक रहेंगे जेल से बाहर…

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने जोधपुर रेप केस के दोषी आसाराम को 75 दिन की अंतरिम जमानत दी है। मंगलवार को जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बेंच ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि आसाराम 31 मार्च 2025 तक जेल से बाहर रहकर अपना इलाज करवा सकेंगे। इस दौरान, उन्हें किसी भी अनुयायी से मिलने की अनुमति नहीं होगी, और न ही वे मीडिया में कोई बयान जारी कर सकेंगे। इसके अलावा, उन्हें 24 घंटे तीन पुलिसकर्मियों की निगरानी में रहकर इलाज करवाने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की शर्तों पर मिली जमानत
आसाराम के वकील आर. एस. सलूजा ने 8 जनवरी को हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर 6 दिन बाद यह फैसला आया। आसाराम की उम्र 86 वर्ष है, और उन्हें हृदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन स्वास्थ्य कारणों को ध्यान में रखते हुए उन्हें अंतरिम जमानत मंजूर की थी, और अब राजस्थान हाईकोर्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के अनुसार यह जमानत प्रदान की है।
सजा और मामला
आसाराम को अप्रैल 2018 में जोधपुर की निचली अदालत ने नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में आसाराम के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे थे, और अब उन्हें इलाज के लिए यह अंतरिम जमानत दी गई है।
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स्वदेशी नाग Mk 2 मिसाइल के अचूक निशाने से दुश्मन होगा बेबस, जानें इसकी खासियत…

जयपुर: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 13 जनवरी को पोखरण फील्ड रेंज में स्वदेशी नाग मिसाइल Mk 2 का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक मिसाइल है, जो ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक का मतलब है कि एक बार निशाना लगाने के बाद मिसाइल खुद ही लक्ष्य को नष्ट कर देती है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, परीक्षणों के दौरान नाग मिसाइल प्रणालियों ने अधिकतम और न्यूनतम सीमा के सभी लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट कर दिया। इससे मिसाइल की लक्ष्य भेदन क्षमता की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही नाग मिसाइल वाहक संस्करण-2 का भी वास्तविक स्थिति में परीक्षण किया गया, और अब यह पूरी हथियार प्रणाली भारतीय सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है।
नाग मिसाइल को DRDO ने 300 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया है। इसका पहला सफल परीक्षण 1990 में किया गया था। इसके बाद 2017, 2018 और 2019 में भी इसके विभिन्न परीक्षण किए गए, जिनमें हर बार नई तकनीक जोड़ी गई। नाग मिसाइल भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार साबित होगी, जो दुश्मन के टैंकों के खिलाफ भारत की सैन्य ताकत को कई गुना बढ़ा देगी।
नाग मिसाइल डीआरडीओ के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा है और यह सेना को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस स्वदेशी मिसाइल प्रणाली के सफल परीक्षण से भारत की रक्षा क्षमताओं में नया मुकाम हासिल हुआ है।
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चांद बावड़ी का रहस्य: एक रात में बन गई थी बावड़ी, फिर गायब हो गई पूरी बारात !

राजस्थान: देश में कई ऐसी जगहें हैं, जो अपनी रहस्यमयता और अनसुलझे रहस्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी जगह राजस्थान के दौसा जिले के आभानेरी गांव में स्थित चांद बावड़ी है। यह बावड़ी न केवल अपनी वास्तुकला के लिए जानी जाती है, बल्कि इसके साथ जुड़ी कहानी और रहस्यमय घटनाएं भी इसे बेहद आकर्षक और अनोखा बनाती हैं।
चांद बावड़ी का निर्माण
चांद बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार वंश के राजा मिहिर भोज उर्फ चांद ने करवाया था। इस बावड़ी का नाम राजा के नाम पर रखा गया था और इसे जल प्रबंधन और शहरी स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण माना जाता है। यह बावड़ी 35 मीटर चौड़ी और 100 फीट से ज्यादा गहरी है। इसकी संरचना 13 मंजिला है, जिसमें करीब 3500 सीढ़ियां बनी हुई हैं। इस बावड़ी को भूलभुलैया भी कहा जाता है क्योंकि इसके अंदर एक जटिल संरचना और कई घुमावदार रास्ते हैं।
रहस्यमय निर्माण की कहानी
चांद बावड़ी के बारे में एक बहुत ही रहस्यमय कहानी जुड़ी हुई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस बावड़ी का निर्माण इंसानों ने नहीं, बल्कि भूतों ने किया था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कहा जाता है कि चांद बावड़ी सिर्फ एक रात में बनकर तैयार हो गई थी। ऐसा दावा किया जाता है कि यह और आसपास की अन्य बावड़ियां, जैसे अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी, सभी एक ही रात में बनी थीं। यह कहानी इस जगह को और भी रहस्यमयी बना देती है।
गायब हो गई बारात
चांद बावड़ी के साथ जुड़ी एक और चौंकाने वाली घटना है, जो आज भी एक रहस्य बनी हुई है। बताया जाता है कि एक बार एक बारात चांद बावड़ी में आई और वहां मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में चली गई। लेकिन इसके बाद दूल्हा और बाकी बारात के लोग वहां से बाहर नहीं निकले। आज तक यह नहीं पता चला कि वह पूरी बारात कहां गायब हो गई। इस गुफा की लंबाई 17 किलोमीटर है और यह भांडारेज गांव में जाकर समाप्त होती है। क्या सच में इस गुफा में कोई रहस्यमय शक्ति है या फिर यह एक डरावनी घटना थी, यह आज भी रहस्य बना हुआ है।
अविश्वसनीय घटनाएं और मिथक
चांद बावड़ी को लेकर कई अविश्वसनीय घटनाओं का भी जिक्र किया जाता है। कहा जाता है कि इस बावड़ी में मौजूद सीढ़ियों का उपयोग करने के बाद कोई भी व्यक्ति उसी रास्ते से वापस ऊपर नहीं आ सकता। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति एक ही सीढ़ी पर दो बार कदम नहीं रख सकता। इन सभी मिथकों और रहस्यों ने इस स्थान को और भी दिलचस्प और रहस्यमय बना दिया है।
दुनिया की सबसे पुरानी सीढ़ीदार बावड़ी
चांद बावड़ी दुनिया की सबसे पुराने और सबसे बड़े सीढ़ीदार कुओं में से एक मानी जाती है। हालांकि इसके अलावा भी इसमें कई रहस्य और अनोखी बातें हैं, जो इसे भारत की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर बनाती हैं। चाहे वह इसके निर्माण का रहस्य हो या फिर इसमें घटने वाली अनोखी घटनाएं, चांद बावड़ी आज भी एक रहस्यमय आकर्षण के रूप में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
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