Pithauragarh
पर्वत की चोटी पर छिपा एक रहस्य: क्या ओम पर्वत में है कोई अदृश्य शक्ति? जानिए….

आज हम बात करने जा रहे हैं एक बेहद खास और रहस्यमय स्थान के बारे में—ओम पर्वत।ॐ पर्वत, जिसे भारत के हिमालय में स्थित एक अद्भुत स्थल माना जाता है, अपनी अनोखी आकृति और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्वत अपने आकार के कारण ओम (ॐ) के प्रतीक के समान दिखाई देता है, जो इसे एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान करता है।
ओम पर्वत का रहस्य
ओम पर्वत को श्रद्धालुओं और पर्वत प्रेमियों के बीच एक पवित्र स्थल माना जाता है। यह माना जाता है कि इस पर्वत की यात्रा करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। यह स्थान उन लोगों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है जो आध्यात्मिकता और प्रकृति की सुंदरता के प्रति आकर्षित होते हैं।
रहस्य और मान्यताएँ
- आध्यात्मिक ऊर्जा: कहा जाता है कि ॐ पर्वत पर चढ़ाई करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि इस स्थान पर ध्यान करने से आत्मा को शांति मिलती है।
- अनसुलझे सवाल: पर्वत के चारों ओर कई कहानियाँ और मान्यताएँ प्रचलित हैं। क्या वास्तव में यहाँ पर किसी प्रकार की अलौकिक शक्ति है? कई लोग यहाँ आए हैं, लेकिन कुछ रहस्यमय अनुभवों के बाद लौटे हैं।
- प्राकृतिक चमत्कार: ॐ पर्वत की अद्भुत संरचना और प्राकृतिक सौंदर्य इस जगह को और भी रहस्यमय बनाते हैं। कहते हैं कि पर्वत की चोटी पर चढ़ते समय वातावरण में एक अलग ही प्रकार की ऊर्जा महसूस होती है।
- अज्ञात मार्ग: कई यात्रियों ने रिपोर्ट किया है कि चढ़ाई के दौरान उन्हें ऐसे रास्तों का सामना करना पड़ा जो अचानक ही बदल जाते थे। क्या यह केवल प्राकृतिक घटना है या इसमें कुछ और छिपा है?
- असाधारण अनुभव: कुछ श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्होंने वहाँ पर अदृश्य शक्तियों के संकेत महसूस किए हैं। क्या ये सिर्फ मन की उपज हैं, या वास्तव में कुछ असाधारण घटित हो रहा है?
यात्रा का अनुभव
यात्रा की शुरुआत होती है बद्रीनाथ से। यहाँ से आपको एक सुंदर ट्रैकिंग रूट पर चलना होगा। रास्ते में आपको बर्फ से ढके पहाड़, हरे-भरे मैदान और ताज़ी हवा का अनुभव होगा। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, पर्वत की सुंदरता और भी बढ़ती जाती है।
ओम पर्वत के दर्शन
ओम पर्वत की चोटी पर पहुंचकर आपको जो दृश्य दिखाई देगा, वह अविस्मरणीय होगा। वहाँ से दूर-दूर तक फैले हिमालय की चोटियाँ, घाटियाँ और बादलों का खेल एक जादुई अनुभव प्रदान करता है। यहाँ से देखने पर ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने अपनी पूरी खूबसूरती को एक जगह समेट लिया हो।
ध्यान और साधना
ओम पर्वत पर कई श्रद्धालु ध्यान और साधना करते हैं। यहाँ की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य व्यक्ति को ध्यान में गहरे उतरने के लिए प्रेरित करता है। यह स्थान उन लोगों के लिए आदर्श है जो अपने मन को शांत करना चाहते हैं और आंतरिक शांति की खोज में हैं।
Pithauragarh
सीमा की शेरनी बनीं नेहा भंडारी, ऑपरेशन सिंदूर में निभाई बड़ी भूमिका, सेना ने किया सम्मानित…

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड): राज्य का नाम एक बार फिर गर्व से ऊंचा हुआ है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की रहने वाली और तीसरी पीढ़ी की अधिकारी नेहा भंडारी ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) की अग्रिम चौकी की कमान संभालते हुए ऑपरेशन सिंदूर में अपनी वीरता का ऐसा परिचय दिया…जो आज पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन गया है।
नेहा को जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर के परगवाल क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अग्रिम चौकी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस दौरान पाकिस्तान द्वारा की गई गोलाबारी का उन्होंने ना सिर्फ़ मुंहतोड़ जवाब दिया…बल्कि पाकिस्तान सेना को खदेड़ने में भी अग्रणी भूमिका निभाई। बता दें कि नेहा भंडारी तीसरी पीढ़ी की अधिकारी हैं। उनके दादा भारतीय सेना में सेवारत थे, वहीं माता-पिता दोनों केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में कार्यरत हैं। ऐसे माहौल में पली-बढ़ी नेहा ने बचपन से ही वर्दी पहनने का सपना देखा था…जो साल 2022 में BSF की असिस्टेंट कमांडेंट बनकर उन्होंने साकार किया।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नेहा के पास बटालियन मुख्यालय में जाने का विकल्प था…लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया और सीमा की सबसे आगे की चौकी पर तैनात रहना चुना। तीन दिनों तक चले इस ऑपरेशन में नेहा ने अपनी टीम के साथ मिलकर दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाया। इस दौरान पाकिस्तान की ओर से भारी गोलाबारी हुई…लेकिन नेहा ने सीमा पर डटकर मोर्चा संभाला। उन्होंने दिखा दिया कि महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। नेहा भंडारी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अग्रिम चौकी की कमान संभालने वाली BSF की एकमात्र महिला अधिकारी थीं। उन्होंने ना सिर्फ रणनीति में हिस्सा लिया बल्कि गोलाबारी में भी अपनी भूमिका निभाई।
कांस्टेबल शंकरी दास ने बताया कि उन्हें लगातार सतर्क रहने के आदेश थे…और जैसे ही गोलाबारी शुरू हुई, उन्होंने मोर्चा संभाल लिया। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र त्रिवेदी ने बीते शुक्रवार को नेहा भंडारी को एक प्रतिष्ठित पत्र प्रदान किया। यह सम्मान उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साहस और नेतृत्व के लिए दिया गया। इस दौरान नेहा बताती हैं कि यह मेरे लिए सिर्फ ड्यूटी नहीं, गर्व और कर्तव्य दोनों का विषय है। मैंने जो सीखा है…वही अब देश के लिए लौटा रही हूं।
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पिथौरागढ़ में मूसलाधार बारिश से जनजीवन प्रभावित, कई घरों में घुसा मलबा, सड़कें बंद|

पिथौरागढ़ : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। मुनस्यारी क्षेत्र में शनिवार दोपहर के बाद मौसम ने अचानक करवट ली और शाम होते-होते तल्ला जोहार क्षेत्र के तेजम तहसील अंतर्गत गांव कोटयूड़ा के दुलियाबगड़ तोक में तीन परिवारों के घरों में बारिश का पानी और मलबा घुस गया, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
रात में मौसम सामान्य रहा, लेकिन रविवार तड़के से मुनस्यारी सहित आस-पास के इलाकों में लगातार बारिश जारी है। बारिश के कारण कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ है और सड़कों पर बड़े-बड़े बोल्डर आ गए हैं। तन्यू, सुफला और केदार जैसे इलाकों में भारी मलबा आने की खबर है।
थल-मुनस्यारी मोटर मार्ग पर स्थित हरडिया में भी मलबा आने से सड़क बंद हो गई थी, जिसे प्रशासन द्वारा सुचारु किया जा रहा है। फिलहाल पूरे क्षेत्र में बारिश का सिलसिला जारी है, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन अलर्ट पर है और स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
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आदि कैलाश जा रहे यात्री रास्ते में फंसे, भारी चट्टान गिरने से यात्रा मार्ग बाधित…

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भारी भूस्खलन के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग बाधित हो गया है। सोमवार देर रात ऐलागाड़ और कुलागाड़ के बीच एक विशालकाय चट्टान सड़क पर आ गिरी, जिससे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है।
इस वजह से आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन को जा रहे और लौट रहे सैकड़ों तीर्थयात्री मार्ग में ही फंस गए हैं।
सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सड़क को साफ करने और यातायात बहाल करने का काम शुरू कर दिया है। प्रशासन के मुताबिक, बोल्डर और मलबा हटाने का काम तेजी से चल रहा है और अगर मौसम सहयोगी रहा तो आज देर शाम तक मार्ग खोल दिए जाने की संभावना है।
धारचूला के एसडीएम मंजीत सिंह ने जानकारी दी कि भूस्खलन की वजह से सड़क पर भारी चट्टान और मलबा जमा है, जिसे हटाने में समय लग रहा है।
स्थानीय प्रशासन मौके पर मौजूद है और फंसे यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोकने और आवश्यक सहायता पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।
मार्ग अवरुद्ध होने से न केवल तीर्थयात्री बल्कि स्थानीय लोग और व्यापारी भी प्रभावित हुए हैं। खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्थाओं को लेकर दिक्कतें सामने आ रही हैं।
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