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भारी सुरक्षा बल होने के बावजूद मासूम बच्चे ने उपराष्ट्रपति के साथ ली सेल्फी।

उत्तरकाशी – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बृहस्पतिवार को गंगोत्री धाम दौरे के लिए पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए थे। सुरक्षाकर्मी किसी को मोबाइल से फोटो तक नहीं खींचने दे रहे थे, लेकिन एक बच्चे ने उपराष्ट्रपति का हाथ पकड़ लिया और बोला पापा, फोटो खींच लो जल्दी।
इसके बाद उपराष्ट्रपति ने बच्चे के साथ फोटो खिंचवाई और आशीर्वाद भी दिया। उपराष्ट्रपति धाम के दर्शन कर लोगों का अभिवादन कर ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी) से जा रहे थे। इसी बीच भीड़ में एक बच्चा किनारे खड़ा होकर उपराष्ट्रपति के पास आने का इंतजार कर रहा था।
जैसे ही वह बच्चे के पास पहुंचे तो बच्चे ने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला, पापा जल्दी फोटो खींच लो। बच्चे की मासूमियत को देखकर उपराष्ट्रपति भी वहां रुक गए और बोले हां भाई फोटो खींचो जल्दी। इसके बाद सभी के चेहरे पर मुस्कान छा गई, वहीं बच्चा भी काफी खुश नजर आया।
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मुख्यमंत्री धामी ने मसूरी गोलीकांड की बरसी पर शहीद आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि, परिजनों को किया सम्मानित

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में शहीद राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवारजनों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश सरकार राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए कृतसंकल्प होकर कार्य कर रही है।
मंगलवार को मसूरी स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान मसूरी में शहीद हुए आंदोलनकारी बलबीर सिंह नेगी, बेलमती चौहान, हंसा धनाई, धनपत सिंह, राय सिंह बंगारी और मदन मोहन ममगई को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने हमारे बेहतर भविष्य के लिए अपना वर्तमान दांव पर लगाकर उत्तराखंड के निर्माण में अपना अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने कहा कि 2 सितंबर 1994 का दिन राज्य के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में अंकित रहेगा। इस दिन मसूरी की वीरभूमि पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों को पुलिस की गोलियों का सामना करना पड़ा। यह घटना उस समय के सत्ताधारी दलों के दमनकारी रवैये का प्रतीक थी, जिन्होंने एक शांतिपूर्ण आंदोलन को निर्दयता के साथ कुचलने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए उनके और उनके आश्रितों के लिए सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया गया है। साथ ही शहीद आंदोलनकारियों के परिवारों के लिए 3000 रुपये मासिक पेंशन की सुविधा भी प्रारंभ की गई है। घायल और जेल गए आंदोलनकारियों को 6000 रुपये तथा सक्रिय आंदोलनकारियों को 4500 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पूर्व की सरकारों के समय में राज्य आंदोलनकारियों के केवल एक आश्रित के लिए क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था थी, परंतु अब नए कानून के अंतर्गत चिह्नित आंदोलनकारियों की परित्यक्ता, विधवा और तलाकशुदा पुत्रियों को भी इस आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। यही नहीं, राज्य सरकार ने चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को पहचान पत्र जारी करने के साथ ही 93 आंदोलनकारियों को राजकीय सेवा में सेवायोजित भी किया है। इसी के साथ राज्य आंदोलनकारियों के बच्चों को स्कूलों और कॉलेजों में निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था और आंदोलनकारियों को सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण भी लागू किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों का सपना था कि एक ऐसा उत्तराखंड बने जहां हमारी संस्कृति, भाषा और परंपराओं का संरक्षण हो। इसी उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने “समान नागरिक संहिता” लागू कर राज्य में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और कर्तव्य सुनिश्चित कर दिए हैं। वहीं, प्रदेश के युवाओं को पारदर्शिता के साथ रोजगार के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए देश का सबसे प्रभावी नकल विरोधी कानून लागू किया गया और 100 से अधिक नकल माफियाओं को जेल भेजा गया। इसके बाद उत्तराखंड में 25 हजार से अधिक युवाओं ने सरकारी नौकरियां पाने में सफलता प्राप्त की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार देवभूमि उत्तराखंड की डेमोग्राफी को बचाए रखने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इसके लिए जहां एक ओर प्रदेश में सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया, वहीं 9 हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने दंगाइयों को सबक सिखाने के लिए सख्त दंगारोधी कानून बनाकर दंगों में होने वाले नुकसान की भरपाई भी उनसे ही करने का कार्य किया है। हाल ही में सरकार ने नया कानून लागू कर राज्य में मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस कानून के लागू होने के बाद एक जुलाई 2026 के बाद उत्तराखंड में केवल वही मदरसे संचालित हो पाएंगे, जिनमें सरकारी बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। राज्य में अवैध रूप से संचालित ढाई सौ से अधिक मदरसों को भी बंद करवाया गया है। प्रदेश सरकार राज्य में सनातन संस्कृति को बदनाम करने वाले पाखंडियों के विरुद्ध ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के माध्यम से भी सख्त कार्रवाई कर रही है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने गढ़वाल सभा भवन जल्द बनाने और सिफन कोर्ट का मामला जल्द हल करने की बात कही तथा मसूरी में वेंडर जोन की घोषणा सहित अन्य मांगों पर भी शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे स्वर्गीय इंद्रमणि बड़ोनी के जन्मशताब्दी समारोह को भी भव्य तरीके से मनाएगी।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने मसूरी तहसील बनाने के लिए सीएम का आभार व्यक्त करने के साथ ही मसूरी की विभिन्न मांगों को मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में पालिकाध्यक्ष मीरा सकलानी, दर्जाधारी सुभाष बड़थ्वाल, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन मल्ल सहित राज्य आंदोलनकारियों एवं बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी शामिल हुए।
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मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी, आंदोलनकारियों ने सुनाई खूनी याद की आंखों देखी

मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी पर जिंदा बचे आंदोलनकारियों ने फिर याद किया लहूलुहान मंजर
मसूरी (janmanchTV): आज से ठीक 31 साल पहले, 2 सितंबर 1994 को मसूरी की शांत वादियों में एक ऐसा मंजर सामने आया था, जिसने उत्तराखंड राज्य आंदोलन को एक निर्णायक मोड़ दे दिया था। उत्तराखंड की मांग को लेकर शांतिपूर्ण रैली निकाल रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने अचानक फायरिंग कर दी। इस दर्दनाक गोलीकांड में 6 आंदोलनकारी शहीद हो गए थे, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल थीं। एक पुलिसकर्मी की भी जान गई थी।
इस घटना ने राज्य आंदोलन की चिंगारी को ज्वाला में बदल दिया, लेकिन तीन दशक बाद भी आंदोलनकारियों की पीड़ा और मांगें जस की तस बनी हुई हैं।
खटीमा से मसूरी तक बहा संघर्ष का लहू
1 सितंबर 1994 को खटीमा में पुलिस फायरिंग में 7 आंदोलनकारी शहीद हुए थे। और अगले ही दिन, मसूरी की शांत गलियों में, झूलाघर कार्यालय के पास जब शांतिपूर्ण रैली निकाली जा रही थी, तब अचानक गोलियों की आवाज गूंजने लगी।
इस फायरिंग में मदन मोहन ममगाईं, हंसा धनाई, बेलमती चौहान, बलवीर नेगी, धनपत सिंह, और राय सिंह बंगारी शहीद हुए।
राज्य तो मिला, पर सपने नहीं
उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा 9 नवंबर 2000 को मिला, लेकिन आंदोलनकारी आज भी मानते हैं कि उनके शहीद साथियों के सपनों का उत्तराखंड अभी अधूरा है।
पलायन जारी है, गांव खाली हो रहे हैं
बेरोजगारी चरम पर है
स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं
शिक्षण संस्थान बंद हो रहे हैं
खनन माफिया और भूमि कारोबारियों का बोलबाला है
भ्रष्टाचार बेलगाम है
राज्य आंदोलनकारियों को अब तक न सही सम्मान मिला, न न्याय। चिन्हीकरण अधूरा है, पेंशन वितरण असमान है, और कई आंदोलनकारी अब भी केस-मुकदमों की मार झेल रहे हैं।
स्थानीयों की नाराज़गी: “हमने राज्य मांगा था, माफिया राज नहीं”
मसूरी निवासी अनिल सिंह अन्नू कहते हैं,
“आज मसूरी कंक्रीट का जंगल बन चुका है। सरकारें केवल घोषणाएं करती हैं, धरातल पर कुछ नहीं होता।”
व्यापार मंडल के महामंत्री जगजीत कुकरेजा का कहना है,
“होमस्टे योजना का लाभ बाहरी लोग ले रहे हैं। स्थानीयों को लाइसेंस तक नहीं मिल रहे।”
आंदोलनकारी मनमोहन मल्ल, श्रीपति कंडारी और भगवती सकलानी याद करते हैं,
“उस दिन हर घर से लोग बाहर निकले थे। मसूरी का हर नागरिक आंदोलनकारी था। लेकिन आज शहीदों के सपनों को दरकिनार कर दिया गया है।”
जन-जंगल-जमीन की अवधारणा धुंधली
देवी गोदियाल और पूरण जुयाल जैसे वरिष्ठ आंदोलनकारी कहते हैं,
“आज न जंगल बचे हैं, न ज़मीन और न जनता को प्रतिनिधित्व। उत्तराखंड अब संवेदनशील राज्य नहीं, बस एक प्रशासनिक इकाई बनकर रह गया है।”
श्रद्धांजलि या प्रतीकवाद?
हर साल 2 सितंबर को मसूरी में शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि दी जाती है। नेता आते हैं, भाषण होते हैं, माला चढ़ाई जाती है। लेकिन आंदोलनकारियों का कहना है कि यह सब प्रतीकात्मक है।
“श्रद्धांजलि तो ठीक है, लेकिन बदलाव कहां है?”……यह सवाल आज भी गूंज रहा है।
आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें
चिन्हीकरण प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए
क्षैतिज आरक्षण पर प्रभावी पैरवी हो और कोर्ट की बाधा हटे
पेंशन असमानता को खत्म किया जाए
स्थानीयों को योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए
गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के ठोस साधन स्थापित किए जाएं
शहीदों को सिर्फ याद मत करो, उनके सपनों को जियो
मसूरी गोलीकांड को 31 साल हो गए हैं, लेकिन यह सिर्फ एक तारीख नहीं, एक चेतावनी भी है – कि जिन सपनों के लिए कुर्बानी दी गई थी, वे अब भी अधूरे हैं।
उत्तराखंड के उन वीर सपूतों को आज श्रद्धांजलि देने का असली तरीका यही होगा कि उनके अधूरे सपनों को पूरा किया जाए। वरना हर साल 2 सितंबर को मोमबत्ती जलाकर, फूल चढ़ाकर हम केवल अपने कर्तव्यों से बच रहे होंगे
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उत्तराखंड में बारिश का कहर, यूपीसीएल हाई अलर्ट पर…बिजली विभाग ने जारी की चेतावनी, डिजास्टर टीमें तैनात

देहरादून: लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने पूरे उत्तराखंड में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। वहीं, इस चुनौतीपूर्ण हालात में उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) पूरी तरह हाई अलर्ट पर है। राज्यभर में डिजास्टर रिस्पॉन्स टीमें तैनात कर दी गई हैं और आम लोगों से भी खास सतर्कता बरतने की अपील की गई है।
UPCL के एमडी अनिल कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि भारी वर्षा और बिगड़ते मौसम को देखते हुए पूरे बिजली विभाग को उच्चतम सतर्कता मोड पर रखा गया है। सभी फील्ड स्टाफ, लाइनमैन, इंजीनियर और कंट्रोल रूम टीमें अपने-अपने क्षेत्रों में मुस्तैदी से काम कर रही हैं।
खतरे की घड़ी में भी रोशनी बनाए रखना एक चुनौती
एमडी अनिल कुमार ने कहा कि राज्य में आपदा जैसी परिस्थितियों में विद्युत आपूर्ति बनाए रखना किसी युद्ध से कम नहीं है। लेकि न हमारी टीम दिन-रात काम कर रही है ताकि लोगों को अंधेरे में न रहना पड़े।
उन्होंने बताया कि सभी अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता और अवर अभियंता अपने क्षेत्रों में लगातार गश्त कर रहे हैं। पोल गिरने, तार टूटने या बिजली बंद होने जैसी कोई भी सूचना तुरंत नियंत्रण कक्ष और मुख्यालय तक पहुंचाई जा रही है।
फील्ड स्टाफ को मिले खास निर्देश
सभी लाइन स्टाफ को अनिवार्य रूप से सेफ्टी गियर पहनने के निर्देश।
बारिश, आंधी या भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बिजली सप्लाई बहाल करते समय अत्यधिक सावधानी बरतने को कहा गया है।
UPCL ने उपभोक्ताओं से की अपील — सावधानी ही सुरक्षा है
बिजली विभाग ने आम जनता से सहयोग की अपील करते हुए कहा है:
टूटे तार या गिरे हुए पोल को छूने या हटाने की कोशिश न करें।
गीले हाथों से कोई भी इलेक्ट्रिक उपकरण न चलाएं।
किसी भी बिजली से जुड़ी इमरजेंसी में तुरंत संपर्क करें — टोल फ्री नंबर: 1912
हर जिले में तैनात हैं डिजास्टर रिस्पॉन्स टीमें
UPCL ने राज्य के सभी जिलों में आपातकालीन टीमें तैनात की हैं, जो किसी भी तरह की बाधा या दुर्घटना की स्थिति में तुरंत मौके पर पहुंच कर कार्रवाई करेंगी। साथ ही सभी उप-स्टेशनों और नियंत्रण कक्षों को भी चौकस रहने के निर्देश दिए गए हैं।
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