Uttarakhand
धराली आपदा: विधानसभा अध्यक्ष ने दिया एक माह का वेतन, कर्मचारियों ने भी बढ़ाया मदद का हाथ l

त्रासदी के समय एकजुटता की मिसाल – विधानसभा अध्यक्ष और कर्मियों का सराहनीय योगदान।
देहरादून: धराली, उत्तरकाशी में हाल ही में आई भीषण आपदा ने अनेक परिवारों को असहनीय दुःख और भारी क्षति पहुँचाई है। इस त्रासदी की घड़ी में उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खण्डूडी भूषण ने मानवीय संवेदनाओं और कर्तव्यबोध का परिचय देते हुए अपना एक माह का वेतन माननीय मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का पत्र विधानसभा सचिव को सौंपा।
आपदा पीड़ितों की मदद के इस अभियान में विधानसभा के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने एक स्वर में निर्णय लेते हुए एक दिन का वेतन राहत कार्यों के लिए समर्पित किया। यह कदम केवल आर्थिक योगदान नहीं, बल्कि संकट के समय सामूहिक जिम्मेदारी और एकजुटता का सशक्त संदेश है।
विधानसभा अध्यक्ष ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “धराली के प्रत्येक पीड़ित परिवार तक राहत, सहयोग और उम्मीद पहुँचाना हम सभी का साझा संकल्प है। यह समय केवल शब्दों का नहीं, बल्कि कर्म के माध्यम से साथ खड़े होने का है।”
श्रीमती ऋतु खण्डूडी भूषण ने प्रदेशवासियों से भी आह्वान किया कि वे अपनी क्षमता अनुसार इस मानवीय प्रयास में भागीदार बनें, ताकि धराली के प्रभावित परिवार शीघ्र अपने जीवन को पुनः संवार सकें।
Nainital
ऊधमसिंह नगर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, जानिए किस वजह से थमा परिणाम?

नैनीताल: उत्तराखंड में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर आरक्षण को लेकर विवाद गर्माता जा रहा है। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है और ऊधमसिंह नगर जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है।
हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन ऊधमसिंह नगर का अंतिम परिणाम याचिका के निस्तारण तक घोषित नहीं किया जाएगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।
क्या है मामला?
यह याचिका ऊधमसिंह नगर के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार जीतेंद्र शर्मा द्वारा दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों में आरक्षण तय करने में आरक्षण नियमावली का पालन नहीं किया, बल्कि 2011 की जनगणना को आधार बनाया।
जीतेंद्र शर्मा का कहना है कि ओबीसी जनसंख्या के लिहाज से हरिद्वार पहले, उत्तरकाशी दूसरे, ऊधमसिंह नगर तीसरे और देहरादून चौथे स्थान पर आता है। ऐसे में यदि नियमों के अनुसार आरक्षण तय किया जाता, तो सीट हरिद्वार या उत्तरकाशी को जाती।
लेकिन सरकार ने हरिद्वार जैसे सबसे अधिक ओबीसी जनसंख्या वाले जिले में चुनाव ही नहीं कराए, जबकि अन्य जिलों में कम जनसंख्या के बावजूद आरक्षण तय कर दिया गया।
कोर्ट की टिप्पणी और अगली कार्रवाई
मुख्य न्यायाधीश श्री नरेन्द्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि जब हरिद्वार में चुनाव नहीं कराए गए, तो वहां की गणना कैसे की गई? साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आरक्षण निर्धारण का आधार नियमावली होनी चाहिए, न कि केवल 2011 की जनगणना।
याचिकाकर्ता की मांग है कि आरक्षण रोस्टर को नए सिरे से नियमों के अनुसार जारी किया जाए और तब तक चुनाव परिणाम पर रोक रहे।
Dehradun
उत्तराखंड कैबिनेट की बड़ी घोषणाएं: अग्निवीरों को मिलेगा सरकारी नौकरियों में आरक्षण

देहरादून: उत्तराखंड में युवाओं, सुरक्षा बलों और सामाजिक मुद्दों से जुड़े मामलों पर सरकार ने अहम फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई, जिसमें कुल 26 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें से कई फैसले राज्य की सामाजिक, सुरक्षा और प्रशासनिक दिशा को प्रभावित करने वाले हैं।
अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण
राज्य सरकार ने केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत चार साल की सेवा पूरी करने वाले अग्निवीरों को समूह ‘ग’ की वर्दीधारी नौकरियों में 10% क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला किया है। यह आरक्षण सीधी भर्ती में लागू होगा और केवल उन्हीं अग्निवीरों को मिलेगा जो उत्तराखंड के मूल निवासी या स्थायी निवासी होंगे।
सरकार का अनुमान है कि अगले वर्ष तक पहले बैच के अग्निवीर सेवा पूरी करेंगे, जिसके बाद करीब 850 पदों पर भर्ती की जाएगी।
यह आरक्षण निम्न विभागों में लागू होगा:
अग्निशमन एवं नागरिक पुलिस (कांस्टेबल/उपनिरीक्षक)
कारागार विभाग (बंदी रक्षक)
वन विभाग (वन रक्षक)
राजस्व पुलिस (पटवारी)
आबकारी विभाग (पुलिस बल)
परिवहन विभाग (पर्वतन दल)
धर्मांतरण कानून हुआ और सख्त
बैठक में धर्मांतरण कानून में सख्ती लाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। अब यदि कोई व्यक्ति बलपूर्वक, छलपूर्वक या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराता है, तो उसे:
अब 14 साल तक की सजा हो सकती है (कुछ विशेष मामलों में 20 साल तक)
जुर्माने की राशि भी 50 हजार से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है।
सरकार का कहना है कि यह बदलाव राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया गया है।
लखवाड़ परियोजना के प्रभावितों को बढ़ा मुआवजा
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि लखवाड़ जल विद्युत परियोजना से प्रभावित परिवारों को नैनबाग क्षेत्र के सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। इससे स्थानीय लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
Nainital
उत्तराखंड के युवाओं के हाथ में अब पैराशूट! सरकार दे रही लाइसेंस और ट्रेनिंग…जानिए कैसे

नैनीताल: अब उत्तराखंड के युवा अपने सपनों को पंख दे सकेंगे…वो भी अपने ही पहाड़ी गांवों में। प्रदेश सरकार ने पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए एक बड़ी पहल की है। सितंबर से राज्य में जिलेवार पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है।
इस योजना की सबसे खास बात यह है कि युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए स्विट्जरलैंड और तुर्किए से पैराग्लाइडिंग के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ उत्तराखंड आएंगे। ये विशेषज्ञ एपीपीआई (Association of Paragliding Pilots and Instructors) से जुड़े होंगे।
युवाओं को मिलेगा स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण
पर्यटन सचिव धीराज सिंह गर्ब्याल ने जानकारी दी कि पहले चरण में 141 युवाओं को चुना जाएगा, जो पहले से पैराग्लाइडिंग में प्रशिक्षित हैं या इसका अनुभव रखते हैं। इन्हें दो चरणों में 20-20 दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी। पहली ट्रेनिंग चंपावत जिले में आयोजित होगी।
अब तक राज्य के युवाओं को पैराग्लाइडिंग सीखने के लिए हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों का रुख करना पड़ता था, लेकिन अब यह सुविधा उन्हें अपने ही जिले में मिलने जा रही है।
मिलेगा लाइसेंस, खुलेगा रोजगार का आसमान
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद पर्यटन विकास विभाग युवाओं को लाइसेंस देगा, जिससे वे टेंडम पायलट बन सकेंगे और अपने क्षेत्र में ही पैराग्लाइडिंग पर्यटन केंद्र स्थापित कर पाएंगे। इससे राज्य के दूरस्थ गांवों में भी एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
सरकार इस योजना पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है, ताकि युवाओं को हर संभव मदद मिल सके।
लाइसेंस की थी अब तक सबसे बड़ी बाधा
अब तक राज्य में कमर्शियल पैराग्लाइडिंग लाइसेंस न मिल पाने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि P1 और P2 के बाद अनिवार्य SIV कोर्स और 100 घंटे की उड़ान पूरी नहीं हो पाती थी। साथ ही, एपीपीआई के मानकों के अनुसार, 50 सफल उड़ानों और परीक्षा पास करने के बाद ही लाइसेंस मिलता है। यह पूरी व्यवस्था अब उत्तराखंड में लागू की जा रही है।
पर्यटन और पलायन रोकने की दोहरी योजना
धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि गांवों से हो रहे पलायन को रोकना भी है। जब युवाओं को घर के पास ही रोजगार मिलेगा, तो वे वहीं रुकेंगे, अपने गांव को संवारेंगे और पर्यटकों को रोमांच का नया अनुभव देंगे।
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