Dehradun
सीएम धामी के ‘विकसित उत्तराखंड’ के संकल्प को साकार करते डीएम सविन बंसल, देहरादून शहर को बना रहे हैं आधुनिक…

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के “विकसित उत्तराखंड” के संकल्प को साकार करने में जिलाधिकारी सविन बंसल ने अहम भूमिका निभाई है। देहरादून शहर को सुगम, सुव्यवस्थित और आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उन्होंने कई कदम उठाए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है ऑटोमेटेड पार्किंग की योजना।
ऑटोमेटेड पार्किंग का निर्माण अब गति पकड़ चुका है और यह जल्द ही शहरवासियों को अपनी सुविधाएं प्रदान करेगा। इस योजना का उद्देश्य बढ़ती हुई वाहनों की संख्या के चलते पार्किंग की समस्या का समाधान करना है। आधुनिक तकनीक से लैस दो ऑटोमेटेड पार्किंग स्थल शहर के प्रमुख क्षेत्रों में बन रहे हैं, जो अब तक के एक “विकसित राज्य” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पार्किंग की समस्या को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी बंसल ने कम जगह में अधिक वाहनों को पार्क करने का एक अभिनव तरीका निकाला है। उन्होंने युद्धस्तर पर इस निर्माण कार्य को तेज किया है और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस कार्य को शीघ्र पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिसंबर में इस परियोजना का शिलान्यास किया था। अब यह परियोजना अंतिम चरण में है और आगामी दिनों में देहरादून के नागरिकों को इसका लाभ मिलने जा रहा है।
सविन बंसल के “brainchild” के रूप में इस ऑटोमेटेड पार्किंग योजना ने शहर को एक नई दिशा दी है। यह पार्किंग सिस्टम मैकेनिकल रैक्स पर आधारित है, जिससे वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और पार्किंग की समस्या हल होती है। इन पार्किंग सिस्टम का निर्माण तिब्बती मार्केट, परेड ग्राउंड आउटर और कोरेनेशन हॉस्पिटल जैसे प्रमुख स्थानों पर चल रहा है।
जिलाधिकारी बंसल का यह आईडिया “गागर में सागर” वाली कहावत को सही साबित कर रहा है। उन्होंने कम लागत और अधिक लाभ की रणनीति अपनाई, जिससे यह प्रोजेक्ट न केवल प्रभावी बल्कि आर्थिक रूप से भी समझदारी भरा साबित हो रहा है। अब देहरादून के वाहन प्रेमी अपनी कारों को ऑटोमेटेड पार्किंग में सुरक्षित तरीके से पार्क कर सकेंगे।
यह योजना न केवल पार्किंग की समस्या का समाधान करेगी, बल्कि शहर को एक स्मार्ट और सुव्यवस्थित रूप में विकसित करेगी। जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस योजना को लागू करने के लिए फंड जुटाने में भी अपनी सक्रियता दिखाई और किसी भी स्रोत से आवश्यक फंड जुटाने के प्रयास किए।
आने वाले समय में देहरादून शहर में ऑटोमेटेड पार्किंग सिस्टम की शुरुआत होने के बाद शहरवासियों को वाहनों के लिए एक सुरक्षित और व्यवस्थित पार्किंग सुविधा मिल सकेगी, जिससे सड़क पर भीड़-भाड़ कम होगी और यातायात की व्यवस्था बेहतर होगी।
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दीवाली से पहले ही चरमराई देहरादून की ट्रैफिक व्यवस्था, घंटों जाम में फंस रहे लोग, पुलिस के दावे हुए हवा-हवाई

त्यौहारी सीजन शुरू हो गया है और ट्रफिक जाम की समस्या लोगों को परेशान करने लगी है। दिवाली में अभी पूरा हफ्ता बचा है लेकिन देहरादून की ट्रैफिक व्यवस्था अभी से चरमरा गई है। पलटन बाजार, मोती बाजार, दर्शन लाल चौक से लेकर रिस्पना तक लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि 15 मिनट के रास्ते को तय करने में 45 मिनट का समय लग रहा है। जिस कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दीवाली से पहले ही चरमराई देहरादून की ट्रैफिक व्यवस्था
राजधानी देहरादून में दीपावली और धनतेरस जैसे बड़े पर्वों से पहले ही ट्रैफिक व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है। पुलिस के दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। पलटन बाजार, मोती बाजार, दर्शन लाल चौक, राजपुर रोड और आस-पास के इलाकों में दिनभर लंबा जाम देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही रिस्पना, आईएसबीटी और अन्य व्यस्त इलाकों में भारी जाम के कारण लोग परेशान हो रहे हैं। सुबह नौ बजे के बाद से ही जाम के झाम से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है। शाम के छह बजते ही सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार देखने को मिल रही है।
अव्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था बन रही परेशानी का सबब
जहां एक ओर त्यौहारी सीजन पर लोग घरों से खरीददारी के लिए निकल रहे हैं और वो ट्रैफिक जाम के कारण परेशान हो रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर अव्यवस्थित पार्किंग और लोडर वाहनों का बेरोक-टोक प्रवेश लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। शहर की सड़कों पर कई जगहों पर रिंग बनाकर अवैध रूप से खड़े किए गए वाहन और ट्रैफिक पुलिस की निष्क्रियता दोनों मिलकर लोगों की परेशानियों को बढ़ा रही है। बाजारों में खरीददारी करने आ रहे लोगों को कई-कई घंटे जाम में फंसना पड़ रहा है। सुबह से लेकर रात तक जाम की समस्या लोगों को परेशान कर रही है।
पुलिस के दावे हुए हवा-हवाई
यूं तो देहरादून पुलिस ने त्यौहारी सीजन के लिए यातायात प्लान भी बनाया है। इसके साथ ही बीते दिनों खुद एसएसपी ने सड़कों पर उतकर ट्रैफिक व्यवस्था का जायजा भी लिया था। लेकिन पुलिस के इंतजाम नाकाफी नजर आ रहे हैं। दिवाली से एक हफ्ते पहले ही शहर की सड़कों पर वाहन रेंग-रेंग कर चल रहे हैं। इस व्यस्त समय में ट्रैफिक प्लानिंग ठीक नहीं है, क्योंकि ना तो पार्किंग के वैकल्पिक इंतजाम किए गए और न ही लोडिंग-अनलोडिंग के समय को नियंत्रित किया गया है। इसी कारण लोग जाम के झाम में फंस रहे हैं।
Dehradun
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में लिया भाग

देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने रविवार को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ सोशल साइंस इंस्टीट्यूशंस के 24वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में प्रतिभाग किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से आए प्रख्यात विद्वानों ने विभिन्न सत्रों में सामाजिक कल्याण, अर्थशास्त्र, रोजगार, उद्योग, कृषि, तकनीकी, पर्यावरण और नगरीकरण जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय असंतुलन और असमान विकास जैसी चुनौतियों के स्थायी समाधान और नई दिशा की तलाश में है। ऐसे समय में यह सम्मेलन केवल एक अकादमिक विमर्श नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना, साझी जिम्मेदारी और पर्यावरणीय जागरूकता का सशक्त आह्वान है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि पूरक बनाना ही सच्चा सतत विकास है।
राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है। अनियोजित शहरीकरण, अंधाधुंध वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अति-दोहन इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने के लिए केवल नीतियाँ या तकनीक पर्याप्त नहीं होंगी, बल्कि हमें जीवनशैली में परिवर्तन, जनसहभागिता और प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहकर नीतियां बनानी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे पर्वतीय राज्यों के लिए पर्यावरणीय चुनौतियाँ और भी संवेदनशील हैं। भूस्खलन, मृदा क्षरण, नदियों का कटाव और वन्य जीवों के आवासों में कमी जैसे मुद्दे अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता से भी जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी, वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान का समन्वय तथा जनजागरूकता और शिक्षा तीनों को एक साथ जोड़ना आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा कि शहरीकरण आर्थिक प्रगति का वाहक है, परंतु अनियोजित शहरीकरण असमानता, प्रदूषण और संसाधनों की कमी का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि हमें “स्मार्ट सिटीज” के साथ-साथ “ग्रीन सिटीज” की भी परिकल्पना करनी होगी, जहाँ भवन ऊर्जा-कुशल हों, परिवहन स्वच्छ हो और हरित आवरण पर्याप्त हो। सतत विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना है।
राज्यपाल ने युवाओं से कहा कि वे केवल भविष्य के विद्यार्थी नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माता हैं। उनके विचार, शोध और संवेदना ही हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत की दिशा तय करेंगे। उन्होंने आयोजन समिति की सराहना करते हुए कहा कि यह सम्मेलन ज्ञान, संवाद और नीति-चिंतन का उत्कृष्ट मंच बना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहाँ हुए मंथन से निकले विचार हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास के लिए नई दिशा प्रदान करेंगे।
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