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नेत्र दान (Eye Donation) कर हमेशा याद रहेगा जगदीश, पीआरडी जवान का समाज को सन्देश
पिथौरागढ़: नेत्र दान ( Eye Donation ) मरने के बाद भी आंखों का दान करने से किसी की अंधेरी जिंदगी को रोशन हो सकती है। ऐसा ही एक मामला पिथौरागढ़ के बेरीनाग से सामने आया है। बेरीनाग नगर मुख्यालय में रहने वाले 46 वर्षीय पीआरडी जवान जगदीश सिंह डोबाल ने अपनी जिंदगी के अंतिम क्षणों में नेत्र दान का फैसला लिया।
कौन थे जगदीश सिंह डोभाल
जगदीश सिंह डोभाल पिथौरागढ़ के बेरीनाग नगर मुख्यालय में रहता था। जो प्रान्तीय रक्षक दल का जवान था। जगदीश सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेरीनाग में एम्बुलेंस चालक के पद पर तैनात था। जगदीश स्वास्थ्य कर्मी होने के साथ ही बेहतरीन रंगकर्मी और पशु प्रेमी था। जगदीश ने बेरीनाग में आयोजित रामलीला में 5 वर्षों तक सुग्रीव का अभिनय किया। मृतक जगदीश के साथी बताते हैं कि जगदीश सेवा के दौरान से ही अपने शरीर के अंग दान करने कि बातें करता था।
लगातार स्वास्थ्य खराब होने के चलते लिया फैसला
बेरीनाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात 46 वर्षीय जगदीश का अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर परिजन उसे देहरादून के एक निजी अस्पताल में ले गए। जहां उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया, जिसे देखते हुए जगदीश ने अपनी आंखों को दान ( Eye Donation ) करने का निर्णय लिया। लेकिन जगदीश के इस फैसले से परिजन भी हैरान हो गए। जगदीश के नेत्र दान करने के फैसले की अनेक संगठनों ने सराहना की।
क्या होता है नेत्रदान ( Eye Donation )
नेत्रदान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी आँखों से कॉर्निया निकालकर आई बैंक में संरक्षित किया जाता है। और बाद में जिनकी दृष्टि कॉर्निया खराब हो जाती है सर्जरी के माधयम से उनकी कॉर्निया को बदल दिया जाता है। एक व्यक्ति के नेत्र दान करने से दो व्यक्तियों की आँखों को रोशनी मिल सकती है।

कैसे पूरी होती है प्रक्रिया
- मृत्यु के 6 घंटे के अंदर आंखें निकाली जाती हैं
- मृत्यु के बाद परिजन आई बैंक को सूचना देते हैं।
- आई बैंक की टीम घर/अस्पताल पहुँचती है।
- मृतक की आँखों से केवल कॉर्निया निकाला जाता है (15–20 मिनट)।
- कॉर्निया आई बैंक में परीक्षण व संरक्षण किया जाता है।
- उपयुक्त मरीज को कॉर्निया प्रतिरोपित किया जाता है।
- एक दाता से दो लोगों को रोशनी मिलती है।
FAQs on Eye Donation (Netra Dan)
- 1. नेत्रदान (Eye Donation) क्या है?
- नेत्रदान वह प्रक्रिया है जिसमें मृत्यु के बाद दाता के कॉर्निया को निकालकर किसी अंधे व्यक्ति को दृष्टि देने के लिए प्रतिरोपित किया जाता है।
- 2. नेत्रदान कब और कैसे किया जाता है?
- मृत्यु के 6–8 घंटे के भीतर आई बैंक को कॉल किया जाता है, और उनकी टीम घर/अस्पताल आकर कॉर्निया सुरक्षित रूप से निकालती है।
- 3. क्या नेत्रदान से शरीर के रूप में बदलाव आता है?
- नहीं, केवल कॉर्निया निकाला जाता है, जिससे चेहरे पर कोई बदलाव नहीं होता।
- 4. कौन नेत्रदान कर सकता है?
- लगभग हर आयु और अधिकांश स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोग नेत्रदान कर सकते हैं।
- 5. नेत्रदान से कितने लोगों को लाभ मिलता है?
- एक दाता के कॉर्निया से दो लोगों की दृष्टि वापस लाई जा सकती है।
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उत्तराखंड शासन से आज की बड़ी खबर, आईपीएस अधिकारियों के हुए बंपर तबादले, देखें लिस्ट

IPS Transfers Uttarakhand : उत्तराखंड शासन से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। कई आईपीएस अधिकारियों के बंपर तबादले किए गए हैं।
आईपीएस अधिकारियों के हुए बंपर तबादले
उत्तराखंड की आज की बड़ी खबर उत्तराखंड शासन से सामने आ रही है। जहां कई आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए हैं। कई को इधर से उधर किया गया है। आपको बता दें कि 15 आईपीएस अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव किया गया है।


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उत्तराखंड में दर्दनाक सड़क हादसा, पर्यटकों की कार खाई में गिरी, हादसे में दो की मौत 6 घायल

Uttarakhand Accident News: नैनीताल में सड़क दुर्घटना, दो की मौत 6 लोग घायल
नैनीताल : नैनीताल जिले में रामगढ़ के गागर इलाके से मंगलवार देर रात एक दर्दनाक सड़क हादसे की खबर सामने आई। जहाँ पर्यटकों की कार खाई में गिरने से दो लोगों की मौत हो गई है।

Ramgarh पर्यटकों की कार खाई में गिरी
Ramgarh के गागर क्षेत्र में कल मंगलवार देर रात को पर्यटकों की एक कार खाई में गिरी। जिसमें दो लोगों की मौत और 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की खबर मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर रेस्क्यू अभियान चलाया।
पुलिस ने घायलों को खाई से बाहर निकालकर सीएचसी भवाली पहुँचाया। हादसे में घायल हुए छः लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी के सुशीला तिवारी हॉस्पिटल रेफर किया गया। हादसे का शिकार होने वाले सभी लोग गाजियाबाद के निवासी हैं।

Uttarakhand Accident News: दुर्घटना का शिकार हुए घायलों की पहचान
- नितिन (32) पुत्र विजेंद्र चौधरी निवासी गाजियाबाद,
- रुचि (39) पुत्री विजेंद्र चौधरी निवासी गाजियाबाद
- निस्ता (14) पुत्री विखास निवासी गाजियाबाद
- शामा पुत्री नितिन निवासी गाजियाबाद
- कंचन (26) पत्नी नितिन निवासी गाजियाबाद
- लवे (11) पुत्र विकास निवासी गाजियाबाद
- सचिन (32) पुत्र विजेंद्र चौधरी निवासी गाजियाबाद
- लक्शी (12) पुत्र विकास निवासी गाजियाबाद
Uttarakhand Accident News: हादसे में दो की मौत
अस्पताल में डॉक्टरों ने सचिन और लक्ष्य को मृत घोषित कर दिया। कोतवाल प्रकाश सिंह मेहरा ने बताया कि मृतकों के शव भवाली में रखे गए हैं। जबकि सभी घायलों का एसटीएच हल्द्वानी में उपचार चल रहा है। और हादसे का शिकार होने वाले सभी पर्यटक गाजियाबाद के हैं।
FAQs
यह सड़क हादसा कहाँ हुआ?
यह दुर्घटना नैनीताल जिले के रामगढ़ के गागर क्षेत्र में देर रात हुई।
हादसे में कितने लोगों की मौत हुई?
हादसे में दो पर्यटकों की मौत हुई, जिनकी पहचान सचिन (32) और लक्ष्य (12) के रूप में हुई
मृतकों के शव कहाँ रखे गए हैं?
पुलिस के अनुसार, मृतकों के शव भवाली में सुरक्षित रखे गए हैं।
घायल और मृतक किस स्थान के रहने वाले हैं?
सभी मृतक और घायल गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं।
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हरक सिंह का विवादित बयान भाजपा के लिए बना संजीवनी, कांग्रेस के लिए डैमेज कंट्रोल करना मुश्किल

देहरादून : उत्तराखंड में भले ही इन दिनों तापमान तेज़ी से गिर रहा हो, ऐसे मे आम जनता हो या राजनेता हर कोई गर्म तपिश का सहारा लें रहा है। लेकिन बीते दिनों अधिवक्ताओ की हड़ताल में समर्थन देने पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के एक विवादित बयान ने सियासी तपिश को एकाएक बढ़ा दिया है। दरअसल, उन्होंने सिख समुदाय पर जाने अनजाने मे एक अमर्यादित टिप्पणी कर दी। जिसके बाद जहाँ इस मुद्दे को भाजपा ने लपका तो वहीं सिख समुदाय ने भी हरक सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूरे प्रदेशभर मे जोरदार प्रदर्शन किया।
हरक सिंह रावत के बयान से कांग्रेस बैक फुट पर
इसके बाद मामले को बढ़ता देख हरक सिंह रावत ने सिख समुदाय से माफ़ी मांगी और पोंटा साहिब गुरूद्वारे जाकर लंगर मे हाथ बंटाकर प्रायश्चित किया। मीडिया से बातचीत मे भले ही रावत ने कई बार कहा हो कि उन्होंने सिर्फ मज़ाकिया अंदाज मे वो बात कही थी लेकिन कहीं ना कहीं सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को बैठे बिठाये मुद्दा मिल गया।
कांग्रेस को डैमेज कंट्रोल करना हुआ मुश्किल
हरक सिंह रावत के बयान से पहले जो कांग्रेस पार्टी लगातार भाजपा सरकार को अलग -अलग मुद्दों पर घेरने का काम कर रही थी। उनके विवादित बयान के बाद वही पार्टी बैक फुट पर नजर आई। दरअसल,धराली आपदा मे 147 लोगों के मलबे मे दबे होने के भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल के बयान के बाद अचानक से सियासी हलचल तेज हो गई थी। भाजपा सरकार के लिए कर्नल कोठियाल का धराली आपदा पर दिया गया बयान गले की हड्डी बन गया था। ऐसे मे भाजपा ने जहाँ उनसे स्क्रिप्टड बयान दिलवाया तो कॉंग्रेस के तमाम नेताओं ने सरकार को फिर से घेरना शुरू किया।

कांग्रेस के गले की हड्डी बना हरक का बयान
वहीं हरक सिंह रावत के बयान के बाद अब कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी गुरुद्वारा पहुंचकर लंगर सेवा के साथ ही जूता सेवा की। उन्होंने कहा की हमसे यदि जाने अनजाने कोई गलती हुई हो तो उसका प्रायश्चित करने में कोई हर्ज नहीं है। हरक सिंह रावत से अनजाने में गलती हुईं जिसकी उन्होंने उसी वक्त माफ़ी भी मांगी। बाद में मामले को बढ़ता देख उन्होंने पोंटा साहिब गुरुद्वारा जाकर मत्था टेकने के साथ सेवा की।
भले ही हरक सिंह रावत के बयान के बाद कॉंग्रेस नेतागण तमाम तरह के तर्क दे रहे है लेकिन इतना जरूर है की रावत के बयान के बाद डैमेज कंट्रोल करने मे कांग्रेस पार्टी को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।
कांग्रेस के तमाम नेताओं को शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली से भी तलब किया। भले ही कांग्रेस के नेता इसे 14 दिसंबर को दिल्ली मे होने जा रहे कार्यक्रम की बात कह रहे हो लेकिन इतना तो तय है कि हरक कथा की बात दिल्ली दरबार मे भी सुनी जाएगी।
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