Dehradun
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया विश्व मधुमक्खी दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन, मौन पालकों को किया सम्मानित…

देहरादून: विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर मंगलवार को राजभवन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के विभिन्न मौन पालकों एवं गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा राजभवन परिसर में मौन पालन उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया और प्रदर्शनी का अवलोकन कर मौन पालकों से जानकारी ली। राज्यपाल ने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें प्रोत्साहित भी किया।
कार्यक्रम में राज्यपाल ने प्रगतिशील मौन पालकों को उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया। सम्मानित किए जाने वाले मौन पालकों में बागेश्वर की श्रीमती हेमा तिवारी, पिथौरागढ़ की श्रीमती भावना कार्की, अल्मोड़ा की श्रीमती चंपा देवी, देहरादून की श्रीमती रेखा चौधरी, हरिद्वार के श्री उज्ज्वल सैनी एवं नैनीताल के श्री शेखर चंद्र भट्ट को सम्मानित किया गया। इसके अलावा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया जिनमें गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ. अजीत सिंह नैन, प्रसार एवं शिक्षा निदेशक डॉ. जितेंद्र क्वात्रा, मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र संयुक्त निदेशक डॉ. प्रमोद मल्ल शामिल रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड को मौन पालन के क्षेत्र में प्रकृति का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है, जो राज्य की आर्थिकी को सशक्त बनाने में सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि शहद उत्पादन को बढ़ावा देकर आर्थिक क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है, जिससे न केवल आय में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि स्थानीय लोगों केे लिए स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में पैदा होने वाले शहद के औषधीय गुण अलग हैं। हमें यहां के शहद को लोकल से ग्लोबल तक ले जाने के प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में शहद उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें व्यावसायिक रूप से विकसित कर वैश्विक मांग को पूरा किया जा सकता है।
राज्यपाल ने गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा ‘वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च’ कार्यक्रम के अंतर्गत किए गए शोध कार्यों की सराहना की, जिसमें बताया गया कि राज्य में शहद उत्पादन की वर्तमान क्षमता की कई गुना वृद्धि संभव है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने मुख्य परिसर में 92 एकड़ भूमि पर मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की है, जो देश के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए प्रेरणा बन रहा है। साथ ही, विश्वविद्यालय द्वारा विश्व के प्रमुख शहद उत्पादक देश स्लोवेनिया के साथ एक समझौता एमओयू भी किया गया है।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि राज्यपाल के मार्गदर्शन में पहली बार विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया गया। उन्होंने बताया कि ‘‘वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च’’ पहल के तहत अब तक 750 किसानों को मौन पालन का प्रशिक्षण दिया गया है, जो आगे 100-100 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाओं को साकार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मधुमक्खी पालन केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परागण के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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सीएम धामी का पूर्व सैनिकों संग संवाद, 2047 के उत्तराखंड के लिए मांगे सुझाव

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी देहरादून में आयोजित ‘विकसित उत्तराखंड @2047 सामूहिक संवाद’ कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों के साथ संवाद किया। यह आयोजन प्रदेश के भावी विकास के रोडमैप के तहत पूर्व सैनिकों के अनुभव और सुझावों को शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों का सदैव सम्मान देने की भावना दोहराते हुए कहा कि वे स्वयं एक सैनिक पुत्र हैं और सैनिकों का जीवन, अनुशासन और राष्ट्र के प्रति समर्पण उन्होंने घर से ही सीखा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे सैन्य परंपरा वाले राज्य के विकास में पूर्व सैनिकों की भागीदारी अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने सैनिकों और उनके परिजनों के हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। इसमें अनुग्रह राशि में अभूतपूर्व वृद्धि सहित कई योजनाएं शामिल हैं, जिनसे राज्य के हजारों सैनिक परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों की पेंशन, पुनर्वास, स्वास्थ्य सेवाओं और बच्चों की शिक्षा को लेकर लगातार नीति आधारित निर्णय लिए जा रहे हैं, जिससे उनका जीवन अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक बन सके।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पूर्व सैनिकों से सीधा संवाद किया और उनके विचारों को गंभीरता से सुना। उन्होंने कहा कि ‘विकसित उत्तराखंड @2047’ एक ऐसा साझा सपना है, जिसमें हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है, और सैनिकों की दृष्टि से प्राप्त सुझाव राज्य की नीतियों को और अधिक मजबूत आधार देंगे।
सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप उत्तराखंड 2047 तक एक सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। इसके लिए सरकार हर स्तर पर संवाद स्थापित कर रही है…युवाओं से लेकर पूर्व सैनिकों तक।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में शिक्षाविद् व चिन्तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी एक कुशल राजनीतिज्ञ, विद्वान और स्पष्टवादी नेता थे। राष्ट्र निर्माण में उनका अमूल्य योगदान अविस्मरणीय है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार हमें सदैव राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
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अब बिना रजिस्ट्रेशन मसूरी में नहीं मिल पाएगी एंट्री, सरकार का नया नियम लागू

मसूरी (उत्तराखंड): अगर आप इस सीजन में मसूरी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो अब आपको एक जरूरी सरकारी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। उत्तराखंड सरकार ने मसूरी के लिए टूरिस्ट रजिस्ट्रेशन सिस्टम लागू कर दिया है…जिसके तहत यहां आने वाले हर पर्यटक को अपनी जानकारी पहले से पोर्टल पर दर्ज करानी होगी।
यह फैसला पर्यटन सीजन में होने वाले भारी ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था से निपटने के लिए लिया गया है। हर वीकेंड पर मसूरी में लगने वाला जाम न केवल पर्यटकों…बल्कि स्थानीय प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती बनता रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (UTDB) ने यह कदम उठाया है।
सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल पर पर्यटकों को अपना नाम, मोबाइल नंबर, वाहन संख्या, पता, और मसूरी में कितने दिन रुकना है इसकी जानकारी देनी होगी। इससे प्रशासन को पता रहेगा कि शहर में एक समय में कितने पर्यटक मौजूद हैं…और जरूरत पड़ने पर उनकी मदद कैसे की जा सकती है।
वीकेंड और छुट्टियों पर भारी ट्रैफिक की वजह से स्थानीय लोगों और टूरिस्टों को भारी परेशानी होती है। किसी आपात स्थिति…जैसे मौसम बिगड़ना या रास्ते बंद होना में टूरिस्टों का डेटा प्रशासन को मदद पहुंचाने में मदद करेगा। पर्यटन का अनुभव बेहतर हो सके, इसके लिए यह कदम जरूरी माना जा रहा है। स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही इस फैसले को सरकार की एक सकारात्मक पहल मान रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इसका मकसद किसी को रोकना नहीं बल्कि व्यवस्था को बेहतर बनाना है। हालांकि यह रजिस्ट्रेशन सिस्टम अभी सिर्फ मसूरी में शुरू हुआ है…लेकिन जिस तरह की भीड़ ऋषिकेश, नैनीताल और अन्य हिल स्टेशनों पर देखने को मिलती है आने वाले समय में वहां भी ऐसी व्यवस्था लागू की जा सकती है।
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