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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ी संख्या, वन विभाग अब इस तकनीक का ले रहा सहारा।

रामनगर – कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की तादाद लगातार बढ़ रही है। ऐसे में विभाग के सामने मुश्किलें भी बढ़ रही है। मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। कॉर्बेट पार्क प्रशासन इसे कम करने के लिए एआई तकनीक का सहारा ले रहा है। निजी संस्था एआई तकनीक के कैमरे लगा रही है।

कॉर्बेट पार्क में बाघों के संरक्षण की कवायद रंग ला रही है। बीते वर्षों में प्रदेश में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कॉर्बेट पार्क 150-160 बाघों के वास के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऐसे में बढ़ती संख्या से बाघों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है। उनका आबादी की ओर रुख करना भी वन्यजीव विशेषज्ञों को चिंता में डाल रहा है।
बाघों की बढ़ती संख्या के बेहतर प्रबंधन के लिए वन्यजीव विशेषज्ञों और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने मंथन शुरू कर दिया है। इसमें इनके लिए नए ठिकाने तैयार करने की चुनौती है। बता दें कि बफर जोन में बाघिन के साथ तीन से चार साल के बाघ घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए कॉर्बेट पार्क की ओर से निजी संस्था की मदद ली जा रही है। नोएडा की बैलियंस एनालिटिक्स प्रा. लि. संस्था मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने का कार्य कर रही है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक दिगांथ नायक ने बताया निजी संस्था की ओर से बासीटीला, ढिकुली में एआई कैमरे लगाए जा रहे है। एआई कैमरे से बाघ, हाथी की मौजूदगी होने पर वन अधिकारियों के पास ई-मेल और संदेशों के रूप में अलर्ट आता है। अलर्ट आते ही वन कर्मी मौके पर पहुंचकर मानव-वन्यजीव के बीच होने वाले संघर्ष को रोकने का काम करेंगे। यदि यह तकनीक कारगर हुई तो अन्य स्थानों पर भी एआई कैमरे लगाए जाएंगे।
कॉर्बेट पार्क की ओर से बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर धारण क्षमता को जांचने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पत्र को लिखा गया था। डब्ल्यूआईआई की टीम कॉर्बेट पार्क आ सकती है। टीम कॉर्बेट पार्क में बाघों की धारण क्षमता को जांचेगी और यदि क्षमता से अधिक बाघ हुए तो उन्हें शिफ्ट करने की भी कवायद की जाएगी। वहीं वन क्षेत्रों को इस लिहाज से तैयार करना होगा, जहां इन्हें पर्याप्त भोजन के साथ सुरक्षा भी मिल सके।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को बाघों का गढ़ कहा जाता है। कॉर्बेट की जैव विविधता बाघों के वास के लिए मुफीद है। यहां हर चार साल में 10 से 20 बाघों की बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2022 में हुई गणना के आधार पर कॉर्बेट पार्क में 262 बाघ रिकॉर्ड किए गए थे। दूसरी ओर मौजूदा समय में देश में बाघों की आबादी सालाना छह फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है। इससे बाघों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है।
निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व,डाॅ. साकेत बडोला ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यह अच्छा संकेत है कि बाघों के संरक्षण का कार्य बेहतर हो रहा है। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की चुनौती है। पार्क की ओर से एआई तकनीक सहित लिविंद विद टाइगर के तहत भी कार्य किया जा रहा है।
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नैनीताल के मल्लीताल में ओल्ड लंदन हाउस में फिर लगी आग, 3 दुकानें जलकर राख, दमकल ने बमुश्किल पाया काबू l

एक माह पहले भी आग की चपेट में आ चुका ऐतिहासिक भवन, इस बार भी पुराने हिस्से में आग से हुआ बड़ा नुकसान l
नैनीताल: मल्लीताल क्षेत्र में स्थित ओल्ड लंदन हाउस नामक ऐतिहासिक भवन में देर रात आग लगने से हड़कंप मच गया। यह आग रात करीब 3 बजे लगी और स्थानीय लोगों ने तुरंत दमकल और पुलिस को सूचना दी।
मौके पर पहुंचे दमकलकर्मी और स्थानीय लोगों की मदद से आग पर बमुश्किल काबू पाया गया। आग की चपेट में आने से 3 दुकानें पूरी तरह जलकर राख हो गईं।
एसपी सिटी डॉ. जगदीश चंद्र ने बताया कि फिलहाल आग पर नियंत्रण पाया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर दमकल की टीम को मौके पर तैनात रखा गया है। आग लकड़ी से बने पुराने हिस्से में लगी थी और प्रारंभिक जांच में आतिशबाजी के कारण आग लगने की संभावना जताई जा रही है।
गौरतलब है कि 27 अगस्त 2025 की रात भी इस ऐतिहासिक भवन के एक हिस्से में आग लगी थी, जिसमें लगभग 70% हिस्सा जलकर राख हो गया था और एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि आग लगने के समय दमकल कर्मी मौके पर समय पर पहुंचे, लेकिन पानी की कमी के कारण आग पर काबू पाने में देर हुई।
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कैंची धाम में हुआ खौफनाक हादसा: कर्मचारी की कान के नीचे लगी गोली, मौत!
Haldwani
कुमाऊँ द्वार महोत्सव सिर्फ संस्कृति नहीं, हमारी पहचान – मुख्यमंत्री धामी

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित पांच दिवसीय कुमाऊं द्वार महोत्सव में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुमाऊँ द्वार महोत्सव यह केवल एक संस्कृति का उत्सव नहीं है बल्कि यह महोत्सव हमारी अस्मिता हमारी पहचान हमारी जड़ों से जुड़ाव रखता है। हर वर्ष यहां पर प्रतिभाग करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव हमारे कलाकारों को भी एक मंच प्रदान करता है उनकी कला का प्रदर्शन का अवसर देता है और उनको सम्मानित करने का काम भी इस कुमाऊं द्वार महोत्सव के माध्यम से होता है। मुख्यमंत्री ने आयोजन की बधाई देते हुए महोत्सव में प्रस्तुति देने वाले सभी लोक कलाकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा सभी कलाकार हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। यह आयोजन स्पष्ट प्रमाण है कि टेक्नोलॉजी और ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में भी हमारे आने वाली पीढ़ी को हमारी जड़ों से जोड़ने का सुंदर कार्य यह महोत्सव कर रहा है, यहॉ के लोक कलाकारों ने भी अपने परिश्रम निष्ठा से उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के बीच लाने का कार्य किया है। यहॉं के लोक कलाकार उत्तराखंड की सीमाओं को लांघ कर विदेशों में भी जाकर उत्तराखंड की संस्कृति को दुनिया के बड़े मंच पर प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2026 में प्रधानमंत्री जी द्वारा हमारे राज्य की जो ब्रह्म कमल की टोपी पहनी थी और उसके बाद पूरे देश और दुनिया में हमारी टोपी आज हमारी पहचान बन गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य की लोक भाषा और संस्कृति के संरक्षण और समर्थन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य में लोक कलाकारों की सूची भी तैयार की जा रही है जिससे लोक कलाकारों को सत्यापित करने में सहायता भी मिल रही है ताकि उन्हें समय पर सहायता मिल सके | कोरोना काल के दौरान लगभग 3200 सूचीबद्ध कलाकारों को प्रतिमाह ₹2000 की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई थी, इसके अलावा लोक कला के क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित करने वाले कलाकारों को प्रतिमाह की पेंशन भी प्रदान की जा रही है। गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत 6 माह का लोक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जा रहा है, इन्हीं कार्यशालाओं के माध्यम से युवा पीढ़ी को हमारी पौराणिक संस्कृति की महत्व के प्रति जागरूक किया जा रहा है | राज्य सरकार लोक कलाकारों को आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही हैं जिससे संस्कृति को सुरक्षित और विकसित करने में सहायता मिल रही है। सरकार उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान, साहित्य भूषण, लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का दशक है | माननीय प्रधानमंत्री जी के इस कथन ने हमारे अंदर ऊर्जा और प्रोत्साहन भरने का काम किया है | प्रधानमंत्री जी के इस कथन को आगे ले जाने वाला अग्रदूत कोई बनेगा तो वे हमारी माता बहने होगी।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी के स्वदेशी अपनाओ देश को मजबूत बनाओ के मंत्र को आत्मसात करते हेतु भी सभी से अपील की और कहा कि अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें स्वदेशी का प्रयोग करें। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कुमाऊं द्वार महोत्सव हमारी संस्कृति परंपराओं को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण आयोजन साबित होगा।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए स्थानीय उत्पादों के स्टॉल का भी अवलोकन किया, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने “लखपति दीदी योजना” के तहत महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने की भी बात कही, जिससे प्रदेश की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
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