Uttarakhand
उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत ने 21 साल बाद लोगों को फिर डराया, भूस्खलन की कड़वी यादें हुई ताजा।

उत्तरकाशी – उत्तरकाशी शहर का भूगोल बदलकर रख देने वाले वरुणावत पर्वत ने 21 साल बाद लोगों को फिर डराया है। मंगलवार रात वरुणावत पर्वत से अचानक आवासीय क्षेत्रों के आसपास बोल्डर गिरे तो लोगों में अफरा-तफरी मच गई। इस घटना ने वर्ष 2003 में हुए भूस्खलन की कड़वी यादें ताजा कर दीं। तब काफी लंबे समय तक भूस्खलन सक्रिय रहा था।
असी और वरुणा नदियों के बीच उत्तरकाशी शहर वरुणावत पर्वत की तलहटी में बसा हुआ है। वरुणावत पर्वत पंचकोसी वारुणी यात्रा के साथ इस पर स्थित पौराणिक मंदिराें के लिए तो प्रसिद्ध है ही। यह वर्ष 2003 के विनाशकारी भूस्खलन के लिए याद किया जाता है। साल 2003 में अचानक ही इस पर्वत से जब भूस्खलन शुरू हुआ तो तीन से चार जोन में बोल्डर व मलबा गिरता था।
सबसे मुख्य भटवाड़ी रोड पर वर्तमान सब्जी मंडी के पास वाला क्षेत्र था। इसके बाद मस्जिद मोहल्ले सहित गोफियारा वाले क्षेत्र तक और तांबाखाणी रोड पर भी बोल्डर गिरते हैं। उस भूस्खलन में भटवाड़ी रोड के कई बहुमंजिला भवन जमीदोंज हो गए थे।
तब एक बड़ी आबादी को खतरे वाली जगह से सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था। अब करीब 21 साल बाद दोबारा से वरुणावत पर्वत से बोल्डर गिरने से लोग डर गए हैं। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने करीब 250 करोड़ से अधिक का बजट सुरक्षा कार्यों के लिए दिया था। इससे वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट भी हुआ। हालांकि 21 वर्ष के बीच में कई बार छोटी-मोटी पत्थर गिरने की घटनाएं हुईं, लेकिन मंगलवार रात के समय अचानक काफी देर तक दोबारा बोल्डर व भूस्खलन की घटना से लोग सहम गए हैं। यहां रहने वाले लोगों में भविष्य को लेकर चिंता है।
वहीं, इस घटना ने वरुणावत पर्वत पर हुए ट्रीटमेंट कार्यों पर भी सवाल खड़े किए हैं। एक ओर जहां प्रशासन इसे वी-टॉप यानी वरुणावत टॉप को नेचर और चिल्ड्रन पार्क के रूप में विकसित करने की सोच रहा है, वहीं इस घटना ने सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
Dehradun
उत्तराखंड: मुख्य सचिव ने ऊर्जा विभाग को दिए निर्देश, उपभोक्ताओं को मिले सस्ती और भरोसेमंद बिजली

देहरादून: मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में देहरादून स्थित यूपीसीएल के ऊर्जा भवन में निदेशक मंडल की 124वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक में विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण से संबंधित प्रोजेक्ट के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई तथा ऊर्जा विभाग की उपलब्धियों और समस्याओं के समाधान पर भी मंथन किया गया।
मुख्य सचिव ने ऊर्जा विभाग को निर्देशित किया कि विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण से संबंधित जितनी भी परियोजनाएं गतिमान हैं उनको समय से पूरा करें और उपभोक्ताओं को विश्वसनीय और किफायती बिजली उपलब्ध कराने के लिए सभी कार्यों का बेहतर तरीके से इंप्लीमेंट करें।
उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रोजेक्ट से संबंधित तकनीकी बिंदुओं के बेहतर क्लेरिफिकेशन और स्टडी के लिए निदेशक मंडल में एक तकनीकी मेंबर की नियुक्ति की जाए। उन्होंने निदेशक मंडल की बैठक में UERC (उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग) द्वारा पारित टैरिफ ऑर्डर को भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। कंपनियों के बढ़े हुए ऑथराइजेशन कैपिटल की सूचना सरकार से भी साझा करने को कहा। साथ ही सितंबर 2025 तक ERP (enterprise resource plan, उद्यम संसाधन योजना) को पूरी तरीके से स्थिर करने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि सीमांत जनपदों के ऐसे सीमांत गांव जो अभी तक सोलर विद्युत से आच्छादित हैं उनको ग्रिड आधारित विद्युत आपूर्ति से भी आच्छादित करें।
ट्रांसफार्मर में कैपेसिटर बैंक लगाने का निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदन
वोल्टेज की गुणवत्ता में सुधार के लिए पूरे प्रदेश में ट्रांसफॉमर में 76 हजार से अधिक कैपेसिटर बैंक लगाए जाने हैं जिसका निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदन किया गया।
BESS (बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम) लगाने की सहमति
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन 100 मेगावाट की बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम स्थापित करने जा रहा है जिसका निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदन किया गया। यह परियोजना उत्तराखंड के नवीनीकरण ऊर्जा के एकीकरण को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि प्रोजेक्ट से संबंधित धनराशि सस्ती ब्याज दरों पर उपलब्ध हो सके इसके लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों से प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों का आकलन करने के पश्चात ही निर्णय लिया जाए।
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अपनी उपलब्धियां को साझा करते हुए कहा कि विगत 3 वर्षों से निगम के राजस्व संग्रह में लगातार वृद्धि हुई है। विद्युत उपभोक्ता रैंकिंग में सुधार हुआ है तथा AT & C (एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल लॉसेज) में विगत 3 वर्षों में कमी आई है।
इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, स्वतंत्र निदेशक मंडल से श्री बीपी पांडेय व श्री पराग गुप्ता, प्रबंध निदेशक यूपीसीएल अनिल कुमार, पिटकुल पीसी ध्यानी व यूजेवीएनएल संदीप सिंहल उपस्थित थे।
Almora
18 जुलाई तक अल्मोड़ा हाईवे रात में रहेगा बंद, सफर से पहले जरूर पढ़ें ये खबर

अल्मोड़ा: एनएच-109 पर क्वारब पुल के पास लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। अब 18 जुलाई तक हर रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद रहेगी। इस दौरान केवल जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहन जैसे एम्बुलेंस, क्रेन और अन्य इमरजेंसी वाहन ही चल सकेंगे।
क्वारब के पास हाईवे के लगभग 200 मीटर हिस्से में पहाड़ी से लगातार मलबा और पत्थर गिर रहे हैं। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग द्वारा सुरक्षा कार्य भी किया जा रहा है।जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे ने बताया कि रात के समय इस मार्ग से गुजरना बेहद खतरनाक हो गया है। सुरक्षा को देखते हुए ही यह अस्थायी बंदी का फैसला लिया गया है।
जिलाधिकारी ने साफ किया कि प्रतिबंध के दौरान आदेशों की अनदेखी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, इस दौरान किसी भी दुर्घटना या वाहन संचालन की ज़िम्मेदारी संबंधित थाना और चौकी इंचार्जों की होगी।
Champawat
टनकपुर से पहली बार रवाना हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, मुख्यमंत्री धामी ने दिखाई हरी झंडी

टनकपुर (चंपावत): उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार 5 जुलाई की सुबह अपने तय कार्यक्रम के तहत टनकपुर नगर पहुंचे। विधानसभा क्षेत्र चंपावत के इस दौरे में मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और भाजपा कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उनका भव्य स्वागत किया।
टनकपुर के पर्यटक आवास गृह में मुख्यमंत्री धामी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा में शामिल होने आए श्रद्धालुओं से मुलाकात की और यात्रा से जुड़ी व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने यात्रियों की सुविधा, सुरक्षा और अनुभव को लेकर राज्य सरकार की तैयारियों का विवरण साझा किया।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने टनकपुर से रवाना हो रहे 45 सदस्यीय यात्रियों के जत्थे को हरी झंडी दिखाकर विदा किया। खास बात यह रही कि लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद पहली बार यह यात्रा टनकपुर से शुरू की गई, जिससे श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिला।
इस वर्ष की कैलाश मानसरोवर यात्रा में देश के विभिन्न राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से आए कुल 45 श्रद्धालु शामिल हैं। इनमें 32 पुरुष और 13 महिलाएं हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा राज्य सरकार ने इस यात्रा को भक्ति और शांति से भरपूर बनाने के लिए हर ज़रूरी इंतजाम किए हैं। मैं बाबा महादेव से प्रार्थना करता हूं कि सभी यात्री सुरक्षित और सुखद यात्रा पूरी करें और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों। उन्होंने यह भी कहा कि यह यात्रा मां पूर्णागिरि की पावन भूमि टनकपुर से शुरू हो रही है, जो इसे और अधिक शुभ और पवित्र बनाती है। मुख्यमंत्री ने मां पूर्णागिरि से सभी यात्रियों के मंगलमय सफर की कामना की।
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