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भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त: अल्मोड़ा-बागेश्वर में सड़कों पर मलबा, कई मार्ग बंद

अल्मोड़ा-बागेश्वर में सड़कों पर मलबा, मार्ग बंद
अल्मोड़ा : कुमाऊं क्षेत्र में बीती रात से जारी भारी बारिश ने अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लगातार हो रही तेज बारिश के चलते पहाड़ियों से गिर रहे बोल्डर और मलबे ने कई सड़कों को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है। सड़कें बंद होने से न केवल स्थानीय लोगों का आवागमन प्रभावित हुआ है, बल्कि प्रशासन को भी राहत और बचाव कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
लाइफलाइन एनएच-109 बंद
अल्मोड़ा की लाइफलाइन मानी जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 109 क्वारब पुल के पास मलबा आने से पूरी तरह बंद हो गया है। यह मार्ग न केवल पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय आवागमन का प्रमुख जरिया भी है। प्रशासन ने वैकल्पिक मार्ग से यातायात बहाल करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
जिले की 9 सड़कें ठप
अल्मोड़ा जिले में दो राष्ट्रीय राजमार्ग, दो मुख्य जिला मार्ग और चार ग्रामीण सड़कें बंद पड़ी हैं। मासी-जालली मोटर मार्ग पर तो स्थिति और भी खराब है, जहां गोजाशीष के पास सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इस क्षेत्र में आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है और 16 अगस्त तक लोगों को वैकल्पिक रास्तों से ही गुजरना होगा।
हर तरफ मलबा और बोल्डर
राजमार्ग 52 (जैनल-मानिला-डोटियाल मोटर मार्ग), वालमारा स्याल्दे केदार मार्ग, भिकियासैंण बासोट घट्टी मार्ग, देघाट-चिन्तोली मार्ग, मंगलता-त्रिनेली मार्ग, सिमलधार-सेलापानी मार्ग और राजमार्ग 58 (बागेश्वर-गिरिछीना मार्ग) भी मलबा और पत्थरों की चपेट में आ गए हैं। इन सभी मार्गों पर आवाजाही ठप है और सड़क किनारे फंसे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन ने उठाए राहत कदम
जिला आपदा नियंत्रण कक्ष ने संबंधित विभागों को अलर्ट कर दिया है। लोनिवि, प्रांतीय खंड, और पीएमजीएसवाई विभाग की ओर से जगह-जगह JCB मशीनें तैनात कर मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी विनीत पाल ने जानकारी दी कि “सभी आवश्यक संसाधन तैनात किए जा चुके हैं, जल्द ही मार्गों को सामान्य स्थिति में लाने का प्रयास किया जा रहा है।”
चंपावत में भी हालात खराब
चंपावत जिले में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। स्वाला डेंजर जोन में एक बार फिर राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित हो गया है। पिछले एक साल से इस क्षेत्र में पहाड़ी ट्रीटमेंट का कार्य चल रहा है, लेकिन बार-बार हो रहे भू-स्खलनों के कारण यह जोन यात्रियों के लिए सिरदर्द बन गया है। पिछले वर्ष भी स्वाला में भारी भू-स्खलन से सड़क पूरी तरह से टूट गई थी, जिससे महीनों तक मार्ग ठप रहा था।
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उत्तराखंड: बेकाबू कार खाई में गिरी, बुजुर्ग की मौत, महिला गंभीर रूप से घायल

रानीखेत: ताड़ीखेत-रामनगर स्टेट हाईवे पर एक कार के खाई में गिर जाने से 87 वर्षीय बुजुर्ग की मौके पर ही मौत हो गई…जबकि कार में सवार एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। हादसा शनिवार को हाइडिल कॉलोनी के पास उस वक्त हुआ जब ढलान पर कार का चालक नियंत्रण खो बैठा और गाड़ी करीब 100 मीटर गहरी खाई में जा गिरी।
हादसे का शिकार हुई कार (नंबर UK 19 4895) को ऐराड़ी निवासी लाखन सिंह बिष्ट चला रहे थे। वह सुबह ताड़ीखेत की ओर रवाना हुए थे। कार में उनके साथ गांव के ही 87 वर्षीय कुशाल सिंह रौतेला भी बैठे थे। रास्ते में एक अन्य युवक करन रजौरिया और तौड़ा में सिलाई प्रशिक्षण केंद्र की प्रशिक्षक अनुराधा (पत्नी कुलदीप बिष्ट) ने भी लिफ्ट ली। जैसे ही कार हाइडिल कॉलोनी से पहले एक तीखे मोड़ पर पहुंची चालक लाखन सिंह कार पर नियंत्रण खो बैठा और वाहन सीधे गहरी खाई में गिर गयी।
हादसे के बाद चालक लाखन सिंह और सवार करन रजौरिया को कोई गंभीर चोट नहीं आई। दोनों किसी तरह बाहर निकलकर सड़क तक पहुंचे और स्थानीय लोगों को सूचना दी। आस-पास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और घायलों को खाई से निकालने में मदद की। साथ ही 108 आपातकालीन सेवा को बुलाया गया।
सभी घायलों को सीएचसी ताड़ीखेत ले जाया गया….जहां चिकित्सकों ने बुजुर्ग कुशाल सिंह को मृत घोषित कर दिया। घायल महिला अनुराधा को प्राथमिक उपचार के बाद गोविंद सिंह माहरा नागरिक चिकित्सालय रानीखेत रेफर किया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस की प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि कार के ब्रेक फेल हो गए, जिससे चालक ढलान पर नियंत्रण नहीं रख सका और हादसा हो गया। 87 वर्षीय कुशाल सिंह की मृत्यु की खबर से गांव में शोक की लहर फैल गई। स्थानीय लोगों ने घटना को बेहद दुखद बताते हुए, सड़क सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।
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बारिश के बीच फिसलकर तड़ाग ताल में गिरी मैक्स, चारों सवारों की सूझबूझ से टली बड़ी दुर्घटना

अल्मोड़ा (चौखुटिया)। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में भारी बारिश के बीच एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। चौखुटिया क्षेत्र में एक मैक्स वाहन अचानक अनियंत्रित होकर तड़ाग ताल में जा गिरा। राहत की बात यह रही कि वाहन में सवार चारों लोग समय रहते बाहर निकल आए, वरना यह घटना एक दर्दनाक दुर्घटना में बदल सकती थी।
बारिश बना हादसे की वजह
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा उस वक्त हुआ जब मैक्स वाहन तालाब के पास की सड़क से गुजर रहा था। लगातार बारिश के चलते सड़क पर पानी भरा हुआ था और जैसे ही चालक ने पानी पार करने की कोशिश की, गाड़ी फिसल गई और सीधे तालाब में जा गिरी। कुछ ही पलों में वाहन पूरी तरह पानी में समा गया।
साहस और सूझबूझ से बची जान
गाड़ी के भीतर सवार यात्रियों ने हिम्मत और सूझबूझ से काम लिया। चालक ने किसी तरह दरवाजा खोला और सभी चार लोग बाहर निकलने में सफल रहे। तैरकर तालाब के किनारे पहुंचे यात्रियों को देख मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली और उनकी मदद भी की।
ग्रामीणों और ट्रैक्टर की मदद से निकाली गई गाड़ी
घटना की सूचना मिलते ही आसपास के लोग मौके पर जुट गए। तालाब में डूबी गाड़ी को बाहर निकालने के लिए ग्रामीणों ने ट्रैक्टर और अन्य संसाधनों की मदद ली। काफी मशक्कत के बाद वाहन को तालाब से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। चालक का कहना है कि तेज बारिश के कारण सड़क पर पानी भर गया था और गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया।
बारिश में बढ़ा खतरा, प्रशासन अलर्ट मोड पर
स्थानीय लोगों का कहना है कि तड़ाग ताल के आसपास की सड़कें बारिश के समय बेहद खतरनाक हो जाती हैं। फिसलन और जलभराव के चलते ऐसे हादसों की आशंका बनी रहती है।
गौरतलब है कि इन दिनों उत्तराखंड में भारी बारिश का दौर जारी है। पहाड़ी क्षेत्रों में कई जगहों पर सड़कें टूट चुकी हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुआ है। प्रशासन और संबंधित विभाग रास्तों को सुचारु करने में जुटे हुए हैं, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।
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बोल्डर की चपेट में आया ग्रामीण, रामनगर में मरीज को लेकर फंसी एंबुलेंस

बोल्डर की चपेट में आया ग्रामीण
रामनगर/भिकियासैंण: उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलधार बारिश अब लोगों की ज़िंदगी पर भारी पड़ने लगी है। एक ओर पहाड़ी से गिरते पत्थर लोगों की जान पर बन आए हैं, वहीं दूसरी ओर बरसाती नाले और गदेरे जिंदगी के रास्ते रोक रहे हैं। मंगलवार की शाम अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण-बासोट मोटर मार्ग पर एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब पीपलगांव निवासी फकीर सिंह बाजार से घर लौटते समय अचानक गिरते बोल्डरों की चपेट में आ गए।
बस एक पल की देर थी…
करीब डेढ़ किलोमीटर दूर फकीर सिंह जैसे ही भिकियासैंण बाजार से आगे बढ़े, अचानक पहाड़ी से भारी पत्थर और बोल्डर टूटकर सड़क पर गिरने लगे। फकीर सिंह इनका शिकार हो गए। उनके सिर और पैरों में गंभीर चोटें आईं। राह चलते लोगों ने तुरंत उन्हें संभाला और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिकियासैंण पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया।
हर साल बारिश आती है, लेकिन सुरक्षा इंतज़ाम नहीं…
स्थानीय ग्रामीणों में इस घटना को लेकर ग़ुस्सा है। उनका कहना है कि भिकियासैंण-बासोट रोड पर हर बरसात में यही हाल होता है। न कहीं चेतावनी बोर्ड हैं, न सुरक्षात्मक दीवारें। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस मार्ग पर जालीदार बैरिकेड, चेतावनी संकेत और निगरानी टीम की व्यवस्था की जाए, ताकि जान-माल का नुकसान रोका जा सके।
रामनगर: गदेरे ने रोकी एंबुलेंस, मरीज घंटों परेशान
उधर, रामनगर-भंडारपानी मार्ग पर टेड़ा गांव के पास मंगलवार को एक और बड़ी परेशानी सामने आई, जब तेज बारिश के कारण बरसाती नाला उफान पर आ गया। नाले का पानी सड़क पर फैल गया और ट्रैफिक पूरी तरह जाम हो गया।
इस बीच, अमगढ़ी पाटकोट क्षेत्र से एक मरीज को ले जा रही 108 एंबुलेंस भी नाले के किनारे फंस गई। घंटों तक मरीज, परिजन और स्वास्थ्यकर्मी परेशान रहे, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं थी। हालात ये थे कि कोई न आगे जा सकता था, न पीछे लौट सकता था।
लापरवाही की तस्वीर: बहाव में डगमगाई पिकअप
सबको रोकने की चेतावनी दी जा रही थी, लेकिन जैसे ही नाले का बहाव थोड़ा कम हुआ, एक पिकअप चालक ने रिस्क लेते हुए गाड़ी गदेरे में उतार दी। तेज बहाव में गाड़ी लड़खड़ाई, डिसबैलेंस हुई, लेकिन चालक ने किसी तरह संतुलन बना लिया। यह देख कई अन्य वाहनों ने भी पीछे-पीछे नाले को पार करने की कोशिश की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
स्थानीय लोग बोले – हर साल यही होता है, लेकिन सुनवाई नहीं
टेड़ा गांव के निवासी नमित अग्रवाल कहते हैं कि हर साल यह नाला लोगों के लिए मुसीबत बनता है। “प्रशासन मुनादी तो करता है, लेकिन नाले को पार करने से रोकने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाता। लोग भी जान जोखिम में डालते हैं, और कई बार इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।”
प्रशासन अलर्ट मोड पर, लेकिन ज़मीन पर तैयारी अधूरी
रामनगर सहित कई इलाकों में सड़कें बंद, रास्ते कटे और जलभराव जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। मौसम विभाग ने भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, और प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने की अपील की है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में बुनियादी इंतज़ामों की कमी, हर बरसात को हादसे में बदल रही है।
सावधानी ही सुरक्षा है
प्रशासन का कहना है कि लोग यदि सतर्क रहें और जोखिम भरे रास्तों पर न जाएं, तो हादसों से बचा जा सकता है। लेकिन जमीनी हकीकत यही है — जब सुरक्षा इंतज़ाम अधूरे हों, तो आम जनता के पास लापरवाही और मजबूरी के बीच कोई विकल्प नहीं बचता।
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