Rudraprayag
चारधाम यात्रा नए आयाम कर रही स्थापित, एक महीने में 7.66 लाख श्रद्धालुओं ने केदार बाबा किये दर्शन।

रुद्रप्रयाग/उत्तरकाशी – भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक केदारनाथ की यात्रा को एक महीना हो गया है। कपाट खुलने वाले दिन से ही यात्रा नए आयाम स्थापित करते आ रही है। बीते एक महीने में धाम में 7,66,818 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, जो यात्रा के इतिहास में नया रिकार्ड है।

पूरे माह औसतन प्रतिदिन 25 हजार से अधिक श्रद्धालु धाम पहुंचे हैं। एक दिन में 21 मई को सर्वाधिक 38,682 श्रद्धालु धाम में दर्शन के लिए पहुंचे थे। 10 मई से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस बाद उम्मीद से कई अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भले ही बीते कुछ दिनों से यात्रा की रफ्तार धीमी हुई है लेकिन, कपाट खुलने के बाद से पहले पखवाड़े में श्रद्धा, भक्ति और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
यात्रा की रफ्तार से जो रिकाॅर्ड बनने शुरू हुए, वह अब भी जारी है। कपाट खुलने के दिन धाम में 29,030 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो बाबा केदार की यात्रा में नया अध्याय है। इससे पूर्व वर्ष 2022 में 25 हजार से अधिक और 2023 में 23516 शिव भक्तों ने कपाट खुलने पर बाबा केदार के दर्शन किए थे।
कपाट खुलने के बाद चौथे दिन 13 मई को ही दर्शनार्थियों का आंकड़ा 1 लाख के पार हो गया था। जबकि आठवें दिन दर्शनार्थियों का आंकड़ा 2 लाख, 12वेें दिन 3 लाख पार हो गया था। कपाट खुलने के बाद से 9 जून तक 31 दिन की यात्रा में धाम में 7,66,818 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इस वर्ष कपाट खुलने के बाद दूसरे सप्ताह में प्रतिदिन 30 हजार से अधिक श्रद्धालु धाम पहुंचे, जिस कारण प्रशासन, पुलिस और श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
कोरोनाकाल के बाद इस वर्ष केदारनाथ में भगवान केदारनाथ के बाल भोग का समय बदला गया। बाबा केदार को दोपहर 12 बजे बाल भोग लगाया जा रहा है। जबकि दोपहर बाद एक बजे से बाबा केदार के शृंगार दर्शन हो रहे हैं, जिसमें श्रद्धालुओं को सभामंडप से दर्शन कराए जा रहे हैं। ऐसे में जहां श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को भीड़ प्रबंधन में मदद मिल रही है। वहीं, ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु भी धाम पहुंचकर दर्शन कर रहे हैं।
केदारनाथ यात्रा में यह पहला मौका है, जब कपाट खुलने के बाद से एक माह में किसी भी प्रकार के वीआईपी, वीवीआईपी दर्शन नहीं हो रहे हैं। शासन से लगी रोक के कारण आम श्रद्धालुओं को घंटों इंतजार के बाद भी अच्छे से दर्शन हो रहे हैं।
केदारनाथ धाम में 24 मई को शेरसी से यात्रियों को लेकर आए क्रिस्टल कंपनी के हेलिकाॅप्टर को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी। हेलिकॉप्टर ने धैर्य से अनियंत्रित हेलिकॉप्टर को नियंत्रित कर स्वयं के साथ छह यात्रियों की जान बचाई।
केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी और हेलिकॉप्टर कारोबार को पंख लग रहे हैं। घोड़ा-खच्चर और दंडी-कंडी से अभी तक 70 करोड़ से अधिक का करोबार हो चुका है। जबकि हेलिकॉप्टर से लगभग 45 करोड़ का कारोबार हो चुका है। पैदल मार्ग पर संचालित दुकानों से भी संचालकों को अच्छी आय हो रही है।
गंगोत्री-यमुनोत्री धाम की यात्रा को एक माह पूरा हो चुका है। दोनों धामों में इस एक महीने में 7.26 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। यह यात्रा के इतिहास में दोनों धामों में अब तक आए श्रद्धालुओं की सर्वाधिक संख्या है। हालांकि शुरुआत में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के धामों में पहुंचने के कारण यात्रा व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई थीं, लेकिन बाद में शासन-प्रशासन के प्रयासों से यात्रा व्यवस्था फिर पटरी पार लौट आई।इस साल गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट 10 मई को खोले गए थे। पहले दिन जहां यमुनोत्री धाम में 12 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं गंगोत्री धाम में यह आंकड़ा 2500 श्रद्धालु रहा था। तब से लेकर अब तक दोनों धामों में हर दिन रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। 19 मई को यमुनोत्री धाम में 14,135 श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं गंगोत्री में 11,067 यात्रियों ने दर्शन किए। यह दोनों धामों की यात्रा के इतिहास में एक दिन में पहुंचे सर्वाधिक श्रद्धालुओं का आंकड़ा है।
शुरुआती दिनों में यमुनोत्री पैदल मार्ग के श्रद्धालुओं की भीड़ से मानव जाम लगने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। वहीं जगह-जगह जाम से श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ी थी। कई जगह पर यात्रियों ने हंगामा भी किया था। जिसे देखते हुए सीएम से लेकर मुख्य सचिव और अन्य अफसर मैदान में उतरे।
वहीं जिला व पुलिस प्रशासन ने गेट व वन-वे सिस्टम व्यवस्था में सुधार किया। जिसके बाद धीरे-धीरे यात्रा व्यवस्था पटरी पर लौट आई। यात्रा कंट्रोल रूम की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक एक माह में यमुनोत्री धाम में 3,65,292 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। वहीं गंगोत्री धाम में भी यह आंकड़ा 3,61,056 तक पहुंच गया है।
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उत्तराखंड: ऊखीमठ में आज से शुरू होगी बाबा केदार की शीतकालीन पूजा

रुद्रप्रयाग: स्थानीय वाद्य यंत्रों की सुरमई धुनों, आर्मी बैंड की तालों और हजारों भक्तों की गूंजती जयकारों के बीच बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शुक्रवार देर सायं अपने द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी पहुंची। बाबा केदार की डोली के आगमन पर गुप्तकाशी में श्रद्धा और उल्लास का माहौल छा गया। श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा और भक्ति गीतों के साथ डोली का भव्य स्वागत किया।
बाबा केदार की यह दिव्य डोली भैया दूज के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ की ओर रवाना हुई थी। पहले दिन डोली का रात्रि प्रवास रामपुर में हुआ…जहां शुक्रवार प्रातः विशेष पूजा-अर्चना और आरती के साथ डोली ने आगे का सफर शुरू किया। यात्रा मार्ग में फाटा, ब्यूंग, नारायणकोटी सहित कई पड़ावों पर भक्तों ने बाबा की आरती उतारी और आशीर्वाद लिया।
गुप्तकाशी पहुंचने पर डोली का स्वागत पुष्प वर्षा, ढोल-दमाऊं और शंखनाद के साथ किया गया। विश्वनाथ मंदिर परिसर में बाबा की डोली की अगवानी के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। गुप्तकाशी की गलियाँ जय बाबा केदार! हर-हर महादेव! के नारों से गूंज उठीं। आज सुबह डोली अपने अंतिम पड़ाव ऊखीमठ के लिए रवाना होगी…जहां ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की भोग मूर्ति विराजमान की जाएगी।
ऊखीमठ पहुंचने के बाद अगले छह माह तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना यहीं की जाएगी। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु अब शीतकाल के दौरान ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में दर्शन कर सकेंगे। यह मंदिर न केवल केदारनाथ धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल है, बल्कि इसे पंचकेदारों के संयुक्त दर्शन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
शीतकालीन यात्रा के चलते ऊखीमठ और आसपास के क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिल रहा है। ओंकारेश्वर मंदिर के पास स्थित प्रसिद्ध स्थल चोपता और चंद्रशिला ट्रेक के कारण श्रद्धालु और पर्यटक दोनों बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल बाबा केदार के दर्शन करते हैं, बल्कि रुद्रप्रयाग जनपद के अन्य मठ-मंदिरों और प्राकृतिक स्थलों का भी आनंद लेते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त पंचकेदारों के दर्शन नहीं कर पाते वे ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में एक साथ सभी के दर्शन कर सकते हैं। इसी आस्था के कारण शीतकाल के दौरान यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से सराबोर रहता है। भक्तों की आस्था, भक्ति और उत्साह से केदारघाटी इन दिनों पूरी तरह केदारमय हो गई है। हर तरफ सिर्फ एक ही स्वर गूंज रहा है।
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केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद, अब शीतकालीन गद्दीस्थल पर होंगे दर्शन

केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत विधि-विधान के साथ केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुभ मुहूर्त में बाबा केदार के धाम केदारनाथ के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। सुबह 8:30 बजे बाबा की पंचमुखी डोली जैसे ही मंदिर से बाहर निकली तो पूरी केदारपुरी “हर हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान सीएम धामी के साथ ही हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।
शुभ मुहूर्त में यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद
आज भाईदूज के पावन पर्व पर मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं। धाम के कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की डोली खरसाली गांव के लिए रवाना हो गई है। शीतकाल में अगले छह महीने मां यमुना खरसाली गांव में दर्शन देंगी।
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रुद्रप्रयाग की प्रतिभा नेगी ने बढ़ाया उत्तराखंड का मान, IOCL में मिली बड़ी सफलता l

रुद्रप्रयाग- “जहां चाह, वहां राह”—इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की होनहार बेटी प्रतिभा नेगी ने। सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बीच पढ़ाई कर प्रतिभा ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) में असिस्टेंट क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर पद पर चयनित होकर पूरे जनपद को गौरवान्वित किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे पहाड़ के लिए गर्व का विषय बन गई है।
अगस्त्यमुनि की बेटी, देश का नाम रोशन
प्रतिभा रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के जयकंडी गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता वीरेंद्र नेगी एक इलेक्ट्रिकल दुकान चलाते हैं, जबकि माता विजया नेगी चिल्ड्रेन एकेडमी इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि में अध्यापक हैं। प्रतिभा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी विद्यालय से प्राप्त की है।
शैक्षणिक यात्रा
प्रतिभा की शैक्षणिक यात्रा हमेशा से अनुकरणीय रही है:
2019: एमएससी (रसायन विज्ञान) में उत्कृष्ट प्रदर्शन
2019: सीएसआईआर-नेट परीक्षा उत्तीर्ण
2020: GATE परीक्षा पास
वर्तमान में CSIR-Indian Institute of Petroleum, देहरादून से पीएचडी कर रही हैं।
IOCL में चयन, महाराष्ट्र में देंगी सेवाएं
प्रतिभा का चयन महाराष्ट्र के लिए हुआ है, जहां वे अब IOCL में असिस्टेंट क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर के पद पर कार्यभार संभालेंगी। यह पद भारत की अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में है, जो उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि है।
परिवार और समाज की प्रतिक्रिया
प्रतिभा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है। उन्होंने कहा,
“मेरी इस यात्रा में परिवार और गुरुओं का सहयोग हमेशा मेरे साथ रहा। यही मेरी ताकत बनी।”
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। विद्यालय परिवार, सामाजिक संगठन और युवा प्रतिभाओं ने उन्हें बधाइयां दी हैं।
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ऐश्वर्या रावत ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा:
“प्रतिभा नेगी की सफलता पहाड़ की हर बेटी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित किया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।”
पहाड़ की बेटियों के लिए मिसाल
प्रतिभा की सफलता उन सभी लड़कियों के लिए उदाहरण है जो पहाड़ों में रहकर भी बड़े सपने देखती हैं। यह कहानी यह दिखाती है कि अगर मेहनत सच्चे मन से की जाए, तो पहाड़ जैसी मुश्किलें भी छोटी लगती हैं।
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