Dehradun
सीएम धामी ने प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट के डिजिटल डिपॉजिट रिफन्ड सिस्टम का किया शुभारंभ, सीएम ने खुद स्कैन कर निकाला डिजिटल पेमेंट।

देहरादून – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट के डिजिटल डिपॉजिट रिफन्ड सिस्टम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वयं प्लास्टिक की बोतल को बार कोड से स्कैन कर डिजिटल पेमेंट प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक की खपत को कम करने एवं अधिक से अधिक प्लास्टिक को रिसाइकल कर, उसे इस्तेमाल में लाने के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफन्ड सिस्टम का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा डिजिटल डिपॉजिट रिफन्ड सिस्टम को धरातल में उतारने के लिए समन्वय से कार्य किये जाएं। यह पहल चार धाम यात्रा एवं अन्य पर्यटन स्थलो में भी कूड़े की खपत को कम करते हुए स्वच्छता का वातावरण बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक की समस्या संपूर्ण विश्व के लिए चुनौती बन गई है। धार्मिक और पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक की बड़ी समस्या के तौर पर सामने आती है। इसके समाधान हेतु राज्य सरकार ठोस कदम उठा रही है। राज्य में स्वच्छता का वातावरण बनाते हुए क्लीन उत्तराखंड, ग्रीन उत्तराखंड पर सरकार विशेष फोकस कर रही है। राज्य की प्राकृतिक संपदा हम सभी के जीवन का अभिन्न अंग है , इसको सुरक्षित रखना भी हम सभी की सामुहिक जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल डिपोजिट रिफन्ड सिस्टम को 2 साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उत्तराखंड में लाया गया था। जिसके सफल संचालन के लिए उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले को डिजिटल इंडिया अवॉर्ड 2022 से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा नदियां, जंगल, पहाड़ राज्य की धरोहर और पहचान है। प्लास्टिक हमारी इन धरोहरों को खतरे में डाल रही है। जिसके निस्तारण के लिए राज्य सरकार विज्ञान एवं आधुनिक तकनीक के प्रयोग से कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई थी। जिससे भारत में स्वच्छता के क्षेत्र में नई क्रांति का संचार हुआ था। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की स्वच्छता के लिए अनेक कार्य हो रहे हैं।
इस अवसर पर जानकारी दी गई कि डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे का एकत्रीकरण सरल हो जाएगा। डी.डी.आर.एस के तहत प्लास्टिक बोतल / प्लास्टिक पदार्थों का उत्पादन करने वाली ईकाईयों द्वारा ’क्यूआर कोड सिस्टम’ जनित किया जायेगा, जिससे उपभोगताओं द्वारा प्लास्टिक पैकेजिंग में भण्डारित पदार्थों का प्रयोग करने के पश्चात् प्लास्टिक अपशिष्ट को नज़दीकी डी.डी.आर.एस सेंटर को वापस किया जायेगा व बार कोड स्कैन करने के पश्चात् उपभोगता को प्रत्येक प्लास्टिक अपशिष्ट पर एक निश्चित धनराशि वापस की जायेगी। डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम के लागू होने से प्लास्टिक कचरे को सरकुलर इकोनॉमी में वापस लाया जा सकेगा, जिससे संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण समिति विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ धनंजय मोहन, विशेष सचिव / मेंबर सेक्रेटरी, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव युगल किशोर पंत, आलोक कुमार पाण्डेय, एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी मौजूद रहे।
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10 जुलाई को नहीं खुलेंगे स्कूल! मौसम विभाग की चेतावनी के बाद प्रशासन अलर्ट

देहरादून: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) देहरादून और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की चेतावनी के बाद देहरादून जिला प्रशासन ने एहतियातन बड़ा फैसला लिया है। मौसम विभाग के मुताबिक, 10 जुलाई को देहरादून जनपद में कहीं-कहीं भारी से अत्यंत भारी वर्षा के साथ गर्जन, आकाशीय बिजली और तेज हवाओं की संभावना जताई गई है। इसे ध्यान में रखते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
क्या रहेगा बंद?
प्रशासन ने आपदा न्यूनीकरण को ध्यान में रखते हुए आदेश जारी किया है कि: जनपद में संचालित कक्षा 1 से 12 तक के सभी शासकीय, अशासकीय और निजी विद्यालय और सभी आंगनबाड़ी केंद्र 10 जुलाई 2025 को बंद रहेंगे।
भूस्खलन की संभावना बढ़ी
वर्तमान में जिले के कई क्षेत्रों में मध्यम से भारी वर्षा जारी है। ऐसे में संवेदनशील इलाकों में भूस्खलन (Landslide) की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन का कहना है कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
अधिकारियों को दिए निर्देश
मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून और जिला कार्यक्रम अधिकारी को आदेश जारी किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें और बंद रहें।
लोगों से अपील
प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि: अत्यधिक जरूरी होने पर ही घर से निकलें। पहाड़ी और ढलान वाले क्षेत्रों से दूरी बनाए रखें। बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें।
सतर्क रहें सुरक्षित रहें। मौसम विभाग के अपडेट्स और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें।
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वन निगम के लौगिंग प्रबंधक आन सिंह कांदली को मिलेगी डॉक्टरेट की मानध उपाधि

कर्णप्रयाग: वन निगम मे तैनात प्रभागीय लौगिंक प्रबंधक (डीएलएम) आन सिंह कांदली को डॉक्टरेट की मानध उपाधि दी जाएगी। विश्व मानवधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सामाजिक क्षेत्र, पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण के लिए यह उपाधि दी जाएगी। आगामी 31 जुलाई को देहरादून में आयोजित कार्यक्रम मे उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा।
प्रभागीय लौगिंक प्रबंधक (डीएलएम) ने बताया कि पिछले 15 सालों से अधिक समय से वे प्रशासनिक कार्याे के साथ सामाजिक कार्य भी कर रहे है। जिसमें की उन्होने कई जरूरतमंदो को शिक्षा, चिकित्सा रोजगार आदि क्षेत्रों में आर्थिक सहायता प्रदान की है। साथ ही विभागीय कार्यों के दौरान उन्होनें अपने कर्मचारियों के साथ मिलकर पौधरोपण, अतिक्रमण सहित अन्य कई ठोस कार्रवाई की है। उन्होनें बताया कि वर्ल्ड ह्ययूमन राइट प्रोटेक्शन कमीशन की ओर से हर साल यह उपाधि दी जाती है। इस मौके पर लौंगिक सहायक दीपक बिष्ट, स्केलर ओम प्रकाश रावत, पुरण चंद्र डिमरी, दीपक पंत, लक्ष्मण, सूरज फर्रस्वाण आदि ने खुशी जताई है।
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बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की पहली बैठक में 127 करोड़ का बजट पारित

देहरादून: बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के गठन के बाद पहली बार बोर्ड की बैठक बुधवार को सम्पन्न हुई। इस अहम बैठक की शुरुआत समिति अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी की अध्यक्षता में भगवान बदरी विशाल और बाबा केदार की विधिवत आरती के साथ की गई।
बैठक में वित्त अधिकारी मनीष कुमार उप्रेती ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित बजट बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जिसे चर्चा के उपरांत अनुमोदित कर दिया गया। इस दौरान कुल 127 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई है…जिसमें बदरीनाथ धाम के लिए 64.22 करोड़ रुपये और केदारनाथ धाम के लिए 62.87 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
समिति अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि आय के अनुमान के आधार पर बदरीनाथ धाम में 56 करोड़ रुपये और केदारनाथ धाम में करीब 40 करोड़ रुपये व्यय प्रस्तावित किया गया है। बजट में धामों की सुविधाओं तीर्थयात्रियों की सेवा तथा संरचनात्मक विकास पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है।
वहीं तीर्थयात्रियों की संख्या पर नजर डालें तो 8 जुलाई 2025 तक दोनों धामों में कुल 24,78,963 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इनमें से 11,37,628 यात्रियों ने बदरीनाथ और 13,41,335 ने केदारनाथ धाम में दर्शन किए। पंजीकरण की बात करें तो अब तक बदरीनाथ के लिए 14,32,983 और केदारनाथ के लिए 15,49,930 श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं।
बैठक में धामों में सुविधाओं को और बेहतर बनाने, तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए नवाचारों को अपनाने और व्यवस्थाओं को पारदर्शी व प्रभावी बनाने पर भी चर्चा हुई।
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