रुद्रप्रयाग : देवभूमि उत्तराखंड के जनपद चमोली और रुद्रप्रयाग के 360 गांवों के आराध्य भगवान कार्तिकेय का कार्तिक स्वामी मंदिर श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रियता में बढ़ोतरी देख रहा है। यह मंदिर उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र प्राचीन मंदिर है और यहां बारह महीने श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
शीतकाल में, बीते छह महीनों में यहां 30,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं, और यात्रा में साल दर साल श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। वन विभाग और स्थानीय ग्रामीणों ने मिलकर मंदिर मार्ग के संरक्षण के लिए इको विकास समिति का गठन किया है।
मंदिर समुद्र तल से 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहाँ से हिमालय पर्वत की सुंदर पर्वत श्रृंखलाओं के दृश्य देखने को मिलते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 4.5 किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग है, जिस पर कई प्राकृतिक धरोहरें हैं जो यात्रियों को आकर्षित करती हैं।
बीते वर्ष पांच लाख से अधिक श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। अब मंदिर मार्ग की साफ-सफाई और यात्री सुविधाओं के लिए कार्तिकेय-कनकचौरी पर्यावरण विकास समिति द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इसमें शौचालयों की व्यवस्था, प्रकाश व्यवस्था, और कूड़ेदान रखना शामिल है।
इसके अलावा, यात्रा शुल्क भी लिया जा रहा है। कनकचौंरी-कार्तिक स्वामी मंदिर तक पहुंचने वाले यात्रियों से 10 से 50 रुपये तक शुल्क लिया जा रहा है। हालांकि, मंदिर से जुड़े गांवों के लोग इस शुल्क से मुक्त हैं।
समिति के अध्यक्ष विक्रम सिंह नेगी ने बताया कि कुछ औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है, और आने वाले समय में और सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के एसडीओ, डीएस पुंडीर ने कहा कि इस विकास कार्य में हरसंभव सहयोग दिया जा रहा है, और उम्मीद है कि आने वाले समय में यहां यात्री और पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि होगी।
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