देहरादून: धामी सरकार ने गरीबों के लिए आवास का सपना पूरा करने के उद्देश्य से नई आवास नीति का ऐलान किया है। इस नीति के तहत, ईडब्ल्यूएस श्रेणी में 9 लाख रुपये तक के आवास पर राज्य और केंद्र सरकार मिलकर 3.5 से 4.5 लाख रुपये की सहायता प्रदान करेगी। इसके बाद, लाभार्थियों को केवल 4.5 से 5.5 लाख रुपये का भुगतान करना होगा, और इसके लिए बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया भी अब आसान कर दी गई है।
नई नीति में, मैदानी क्षेत्रों के लिए प्रति आवास 9 लाख रुपये की अधिकतम सीमा तय की गई है। इसमें से 5.5 लाख रुपये लाभार्थियों को वहन करने होंगे, जबकि 2 लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार और 1.5 लाख रुपये का अनुदान केंद्र सरकार देगी। बाखली शैली में भवन बनाने पर अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
नई नीति के तहत, ईडब्ल्यूएस श्रेणी के आवासों पर स्टाम्प शुल्क में भी भारी छूट दी गई है। अब ईडब्ल्यूएस के लिए 1000 रुपये, एलआईजी के लिए 5000 रुपये और एलएमआईजी के लिए 10,000 रुपये का स्टाम्प शुल्क निर्धारित किया गया है। पहले 10 लाख रुपये के घर पर 80,000 रुपये का शुल्क लगता था, लेकिन अब यह महज 1500 रुपये (500 रुपये पंजीकरण शुल्क) में होगा। इसके साथ ही, बैंक से लोन लेने पर अनुबंध पर कोई स्टाम्प शुल्क नहीं लगेगा।
ईडब्ल्यूएस आवासों के लिए भू-उपयोग परिवर्तन को अब तीन माह के भीतर प्राधिकरण से मंजूरी मिल जाएगी। इसके अलावा, बिल्डरों को स्टाम्प शुल्क में भी छूट दी जाएगी और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। परियोजना में कॉमर्शियल फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत और पर्वतीय क्षेत्रों में 30 प्रतिशत होगा।
अब से, मैदानी क्षेत्रों में ईडब्ल्यूएस आवास के तहत 8 मंजिला या 30 मीटर तक ऊंची इमारतें बनाई जा सकेंगी। इनमें लिफ्ट का प्रावधान होगा, और बिल्डरों को 10 साल तक इनका रखरखाव करना होगा।