Chhattisgarh
व्यापक जनहित व प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर राज्य सरकार विचार कर भू-कानून में करेगी संशोधन: सीएम धामी
देहरादून – राज्य में भू – कानून के अध्ययन व परीक्षण के लिए गठित समिति ने आज प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति ने प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित क्रय – विक्रय के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी 23 संस्तुतियां सरकार को दी हैं।

आज मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में समिति के अध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार, समिति के सदस्य व बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के सदस्य अजेंद्र अजय, पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण ढौंडियाल व डी.एस.गर्व्याल और समिति के पदेन सदस्य सचिव के रूप में हाल तक सचिव राजस्व का कार्यभार संभाल रहे दीपेंद्र कुमार चौधरी ने मुख्यमंत्री श्री धामी से भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार शीघ्र ही समिति की रिपोर्ट का गहन अध्ययन कर व्यापक जनहित व प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार करेगी और भू – कानून में संशोधन करेगी।
जुलाई 2021 में सीएम धामी ने उच्च स्तरीय समिति गठित की थी
उल्लेखनीय है कि धामी ने जुलाई 2021 में प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद उसी वर्ष अगस्त माह में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। समिति को राज्य में औद्योगिक विकास कार्यों हेतु भूमि की आवश्यकता तथा राज्य में उपलब्ध भूमि के संरक्षण के मध्य संतुलन को ध्यान में रख कर विकास कार्य प्रभावित न हों, इसको दृष्टिगत रखते हुए विचार – विमर्श कर अपनी संस्तुति सरकार को सौंपनी थी।
सभी हितधारकों से सुझाव लेकर गहन विचार विमर्श कर 80 पृष्ठ में तैयार की रिपोर्ट
समिति ने राज्य के हितबद्ध पक्षकारों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं से सुझाव आमंत्रित कर गहन विचार – विमर्श कर लगभग 80 पृष्ठों में अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इसके अलावा समिति ने सभी जिलाधिकारियों से प्रदेश में अब तक दी गई भूमि क्रय की स्वीकृतियों का विवरण मांग कर उनका परीक्षण भी किया।
राज्य में निवेश और रोजगार बढ़ाने के साथ भूमि के दुरुपयोग को रोकने पर फोकस
समिति ने अपनी संस्तुतियों में ऐसे बिंदुओं को सम्मिलित किया है जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो। साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरूपयोग रोकने की भी अनुशंसा की है।
समिति ने वर्तमान में प्रदेश में प्रचलित उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) यथा संशोधित और यथा प्रवृत्त में जन भावनाओं के अनुरूप हिमाचल प्रदेश की तरह कतिपय प्रावधानों की संस्तुति की है।
समिति की प्रमुख संस्तुतियां
वर्तमान में जिलाधिकारी द्वारा कृषि अथवा औद्यानिक प्रयोजन हेतु कृषि भूमि क्रय करने की अनुमति दी जाती है। कतिपय प्रकरणों में ऐसी अनुमति का उपयोग कृषि/औद्यानिक प्रयोजन न करके रिसोर्ट/ निजी बंगले बनाकर दुरुपयोग हो रहा है। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में लोग भूमिहीन हो रहें और रोजगार सृजन भी नहीं हो रहा है।
समिति ने संस्तुति की है कि ऐसी अनुमतियां जिलाधिकारी स्तर से ना दी जाऐं। शासन से ही अनुमति का प्रावधान हो।
वर्तमान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों हेतु भूमि क्रय करने की अनुमति जिलाधिकारी द्वारा प्रदान की जा रही है। हिमाचल प्रदेश की भाँति ही ये अनुमतियाँ, शासन स्तर से न्यूनतम भूमि की आवश्यकता के आधार पर, प्राप्त की जाएं।
वर्तमान में राज्य सरकार पर्वतीय एवं मैदानी में औद्योगिक प्रयोजनों, आयुष, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, उद्यान एवं विभिन्न प्रसंस्करण, पर्यटन, कृषि के लिए 12.05 एकड़ से ज्यादा भूमि आवेदक संस्था/फर्म/ कम्पनी/ व्यक्ति को उसके आवेदन पर दे सकती है।
उपरोक्त प्रचलित व्यवस्था को समाप्त करते हुए हिमाचल प्रदेश की भांति न्यूनतम भूमि आवश्यकता (Essentiality Certificate) के आधार पर दिया जाना उचित होगा।
केवल बड़े उद्योगों के अतिरिक्त 4-5 सितारा होटल / रिसॉर्ट, मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वोकेशनल/प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट आदि को ही Essentiality Certificate के आधार भूमि क्रय करने की अनुमति शासन स्तर से दी जाए। अन्य प्रयोजनों हेतु लीज पर ही भूमि उपलब्ध कराने की व्यवस्था लाने की समिति संस्तुति करती है।
वर्तमान में, गैर कृषि प्रयोजन हेतु खरीदी गई भूमि को 10 दिन में S.D.M. धारा- 143 के अंतर्गत गैर कृषि घोषित करते हुए खतौनी में दर्ज करेगा।
परन्तु क्रय अनुमति आदेश में 2 वर्ष में भूमि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन में करने की शर्त रहती है। यदि निर्धारित अवधि में उपयोग न करने पर या किसी अन्य उपयोग में लाने/विक्रय करने पर राज्य सरकार में भूमि निहित की जाएगी, यह भी शर्त में उल्लेखित रहता है।
यदि 10 दिन में गैर कृषि प्रयोजन हेतु क्रय की गई कृषि भूमि को “गैर कृषि” घोषित कर दिया जाता है, तो फिर यह धारा-167 के अंतर्गत राज्य सरकार में (उल्लंघन की स्थिति में) निहित नहीं की जा सकती है।
अतः नई उपधारा जोङते हुए उक्त भूमि को पुनः कृषि भूमि घोषित करना होगा तत्पश्चात उसे राज्य सरकार में निहित किया जा सकता है।
कोई व्यक्ति स्वयं या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के नाम बिना अनुमति के अपने जीवनकाल में अधिकतम 250 वर्ग मीटर भूमि आवासीय प्रयोजन हेतु खरीद सकता है ।
समिति की संस्तुति है कि परिवार के सभी सदस्यों के नाम से अलग अलग भूमि खरीद पर रोक लगाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों के आधार कार्ड राजस्व अभिलेख से लिंक कर दिया जाए।
राज्य सरकार ‘भूमिहीन’ को अधिनियम में परिभाषित करे। समिति का सुझाव है कि पर्वतीय क्षेत्र में न्यूनतम 5 नाली एवं मैदानी क्षेत्र में 0.5 एकड़ न्यूनतम भूमि मानक भूमिहीन’ की परिभाषा हेतु औचित्यपूर्ण होगा।
भूमि जिस प्रयोजन के लिए क्रय की गई, उसका उललंघन रोकने के लिए एक जिला / मण्डल / शासन स्तर पर एक टास्क फ़ोर्स बनायीं जाए। ताकि ऐसी भूमि को राज्य सरकार में निहित किया जा सके।
सरकारी विभाग अपनी खाली पड़ी भूमि पर साइनबोर्ड लगाएं।
कतिपय प्रकरणों में कुछ व्यक्तियों द्वारा एक साथ भूमि क्रय कर ली जाती है तथा भूमि के बीच में किसी अन्य व्यक्ति की भूमि पड़ती है तो उसका रास्ता रोक दिया जाता है। इसके लिए Right of Way की व्यवस्था।
विभिन्न प्रयोजनों हेतु जो भूमि खरीदी जायेगी उसमें समूह ग व समूह ‘घ’ श्रेणीयो में स्थानीय लोगों को 70% रोजगार आरक्षण सुनिश्चित हो। उच्चतर पदों पर योग्यता अनुसार वरीयता दी जाए।
विभिन्न अधिसूचित प्रयोजनों हेतु प्रदान की गयी अनुमतियों के सापेक्ष आवेदक इकाइयों/ संस्थाओं द्वारा कितने स्थानीय लोगों को रोजगार दिए गए, इसकी सूचना अनिवार्य रूप से शासन को उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो
वर्तमान में भूमि क्रय करने के पश्चात भूमि का सदुपयोग करने के लिए दो वर्ष की अवधि निर्धारित है और राज्य सरकार को अपने विवेक के अनुसार इसे बढ़ाने का अधिकार दिया गया है। इसमें संशोधन कर विशेष परिस्थितयों में यह अवधि तीन वर्ष (2 + 1 = 3) से अधिक नहीं होनी चाहिए।
पारदर्शिता हेतु क्रय- विक्रय, भूमि हस्तांतरण एवं स्वामित्व संबंधी समस्त प्रक्रिया Online हो। समस्त प्रक्रिया एक वेबसाइट के माध्यम से पब्लिक डोमेन में हो।
प्राथमिकता के आधार पर सिडकुल/ औद्योगिक आस्थानों में खाली पड़े औौद्योगिक प्लाट्स/ बंद पड़ी फैक्ट्रियों की भूमि का आबंटन औद्योगिक प्रयोजन हेतु किया जाए।
प्रदेश में वर्ष बन्दोबस्त हुआ है। जनहित/ राज्य हित में भूमि बंदोबस्त की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए।
भूमि क्रय की अनुमतियों का जनपद एवं शासन स्तर पर नियमित अंकन एवं इन अभिलेखों का रख-रखाव ।
– धार्मिक प्रयोजन हेतु कोई भूमि क्रय/ निर्माण किया जाता है तो अनिवार्य रूप से जिलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर शासन स्तर से निर्णय लिया जाए।
राज्य में भूमि व्यवस्था को लेकर जब भी कोई नया अधिनियम/ नीति / भूमि सुधार कार्यक्रम चलाये जायें तो राज्य हितबद्ध पक्षकारों / राज्य की जनता से सुझाव अवश्य प्राप्त कर लिए जाएँ।
नदी – नालों, वन क्षेत्रों, चारागाहों, सार्वजनिक भूमि आदि पर अतिक्रमण कर अवैध कब्जे /निर्माण / धार्मिक स्थल बनाने वालों के विरुद्ध कठोर दंड का प्रावधान हो। संबंधित विभागों के अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई का प्रावधान हो। ऐसे अवैध कब्जों के विरुद्ध प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाए।
Chhattisgarh
अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों की बड़ी जीत: 27 नक्सली ढेर, इनामी बसवराजू का खात्मा, पीएम मोदी ने जवानों को दी बधाई…

नारायणपुर/बस्तर – छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में बुधवार सुबह एक ऐतिहासिक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने अबूझमाड़ के घने जंगलों में 27 खूंखार नक्सलियों को ढेर कर दिया। यह ऑपरेशन ‘ब्लैक फॉरेस्ट’ के नाम से जाना जा रहा है, जिसमें सीपीआई (माओवादी) के महासचिव और सबसे बड़े नक्सली सरगना नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को भी मार गिराया गया। बसवराजू पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था। मुठभेड़ के दौरान डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) का एक जवान भी शहीद हुआ है, जबकि कुछ अन्य घायल हुए हैं।
19 मई को नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोण्डागांव से डीआरजी की संयुक्त टीमें अबूझमाड़ रवाना हुई थीं। 21 मई की सुबह माओवादियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया, जिसके जवाब में बहादुर जवानों ने न केवल मुकाबला किया, बल्कि 27 नक्सलियों को ढेर कर decisive बढ़त हासिल की।
इस अभियान में बसवराजू जैसे टॉप नक्सली लीडर को मार गिराना सुरक्षा बलों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि 30 वर्षों में पहली बार किसी महासचिव स्तर के नक्सली को खत्म किया गया है। इस कार्रवाई से सुरक्षाबलों का मनोबल उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
मुठभेड़ के बाद चलाए गए तलाशी अभियान में AK-47, SLR, INSAS, कार्बाइन सहित भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और अन्य सामग्री बरामद की गई है। जंगल में अभी भी तलाशी अभियान जारी है और घायल अथवा फरार माओवादियों की तलाश की जा रही है।
कौन था बसवराजू ?
उम्र: लगभग 70 वर्ष
शिक्षा: B.Tech, वारंगल
निवासी: जियान्नापेटा गांव, श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश
उपनाम: प्रकाश, विजय, कमलू, कृष्णा आदि
भूमिका: माओवादी पोलित ब्यूरो का प्रमुख रणनीतिकार
इनाम: 1.5 करोड़
इतिहास: 1970 के दशक से नक्सली आंदोलन से जुड़ा, छत्तीसगढ़ में कई हमलों का मास्टरमाइंड
नेताओं और सरकार की प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी – छत्तीसगढ़ में 27 माओवादियों को मार गिराने वाले सुरक्षा बलों पर गर्व है। यह सफलता हमारे बहादुर जवानों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
गृह मंत्री अमित शाह – तीन दशकों की लड़ाई में यह पहली बार है जब महासचिव रैंक के नक्सली को मारा गया है। यह नक्सलवाद के खिलाफ हमारी निर्णायक विजय है।
सीएम विष्णुदेव साय – जवानों ने दुर्गम परिस्थितियों में साहस दिखाते हुए बसवराजू जैसे खतरनाक माओवादी को मार गिराया। मैं उनकी वीरता को नमन करता हूं।
डिप्टी सीएम विजय शर्मा – 30 वर्षों में पहली बार महासचिव स्तर का नक्सली मारा गया है। यह जवानों के अद्भुत शौर्य का परिणाम है।
डिप्टी सीएम अरुण साव – यह ऐतिहासिक सफलता केंद्र सरकार की रणनीति और हमारे जवानों की बहादुरी का परिणाम है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल – यह बड़ी ऑपरेशनल सफलता है। हमारी सरकार के दौरान 600 गांव नक्सलियों से मुक्त कराए गए। अब वे सीमित क्षेत्र में सिमट गए हैं।
इस मुठभेड़ में एक डीआरजी जवान शहीद हुआ है और कुछ जवान घायल हुए हैं। घायल जवानों को समय पर चिकित्सा सुविधा दी गई है और सभी खतरे से बाहर हैं। शहीद जवान को पूरे राज्य ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।
इस ऑपरेशन के साथ ही छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ एक निर्णायक मोड़ आया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर नक्सली हमला: IED ब्लास्ट में तीन जवान शहीद, तीन घायल…

सुकमा(छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर एक बार फिर नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया है। सूत्रों के अनुसार, तेलंगाना के वेंकटपुरम और ईडमिली की पहाड़ियों में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ जारी है। इसी दौरान मूलगु जिले के वाजेडु गांव के पास हुए आईईडी ब्लास्ट में तीन जवान शहीद हो गए हैं, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हालांकि, इस घटना की अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
जिस क्षेत्र में यह धमाका हुआ है, वह छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की सीमा से सटा हुआ है और नक्सली गतिविधियों के लिहाज से यह इलाका अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। ब्लास्ट के तुरंत बाद इलाके में अतिरिक्त सुरक्षाबलों को रवाना किया गया है और संभावित नक्सली ठिकानों की घेराबंदी की जा रही है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी 7 मई को बीजापुर जिले के जंगलों में एक भीषण मुठभेड़ हुई थी, जिसमें कई नक्सली मारे गए थे। यह घटना उसी सिलसिले की अगली कड़ी मानी जा रही है।
फिलहाल, घायल जवानों को एवैक्यूएट कर नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है और पूरे घटनाक्रम पर सुरक्षा एजेंसियां और खुफिया विभाग नजर बनाए हुए हैं।
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इंटरनेशनल मास्टर लीग में भारत की शानदार जीत , वेस्टइंडीज मास्टर्स को हराकर बना चैंपियन……

रायपुर : इंटरनेशनल मास्टर लीग के फाइनल में अंबाती रायुडू की शानदार 74 रनों की पारी के दम पर इंडिया मास्टर्स ने वेस्टइंडीज मास्टर्स को 6 विकेट से हराकर शानदार जीत दर्ज की। इस रोमांचक मुकाबले में ब्रायन लारा की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज मास्टर्स ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 148 रन बनाए थे। इसके जवाब में, इंडिया मास्टर्स ने रायुडू की तूफानी पारी और सचिन तेंदुलकर के योगदान से 17.1 ओवर में 149 रन बनाकर मैच जीत लिया।
इंडिया मास्टर्स ने पहले गेंदबाजी करते हुए वेस्टइंडीज मास्टर्स को 148/7 के स्कोर पर रोक दिया था। इसके बाद सचिन तेंदुलकर (25) और अंबाती रायुडू (74) की शानदार साझेदारी ने लक्ष्य का पीछा करने की दिशा तय की। तेंदुलकर और रायुडू ने अपनी बल्लेबाजी से स्टेडियम में मौजूद करीब 50,000 दर्शकों का दिल जीत लिया। तेंदुलकर ने अपनी खास कवर ड्राइव और फ्लिक से मैदान को हिला दिया, जबकि रायुडू ने आक्रामक खेल खेलते हुए वेस्टइंडीज के गेंदबाजों पर जमकर प्रहार किए।
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रायुडू ने अपनी 50 गेंदों की पारी में नौ चौके और तीन छक्के लगाए। हालांकि, टीनो बेस्ट की तेज गेंद पर उन्हें आउट होना पड़ा, लेकिन तब तक इंडिया मास्टर्स के जीत की ओर बढ़ने की राह पक्की हो चुकी थी। रायुडू ने अपना अर्धशतक महज 34 गेंदों में पूरा किया। गुरकीरत सिंह मान (14) के साथ उनकी दूसरे विकेट की साझेदारी ने भारत के स्कोर में 28 रन और जोड़े।
वेस्टइंडीज मास्टर्स के स्पिनरों ने रायुडू का विकेट लिया और उसे आउट करने के बाद भारत को 17 रन की जरूरत थी। इस मौके पर स्टुअर्ट बिन्नी (नाबाद 16) ने दो छक्के लगाकर इंडिया मास्टर्स को जीत दिलाई।

इससे पहले, वेस्टइंडीज मास्टर्स ने पहले बल्लेबाजी करते हुए लेंडल सिमंस के अर्धशतक की बदौलत कुछ मजबूत स्कोर की नींव रखी। ब्रायन लारा (6) और ड्वेन स्मिथ (45) ने आक्रमण की शुरुआत की, लेकिन इंडिया मास्टर्स के गेंदबाज विनय कुमार ने लारा को आउट कर वेस्टइंडीज के आक्रमण को रोका।
इस मैच के दौरान दर्शकों ने एक बार फिर क्रिकेट के स्वर्णिम युग के जादू का अनुभव किया। सचिन तेंदुलकर और अंबाती रायुडू की बल्लेबाजी से यह मैच भारत के पक्ष में जा सका, और इंडिया मास्टर्स ने शानदार जीत दर्ज करते हुए फाइनल को यादगार बना दिया।
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