Dehradun
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में होगी वर्चुअल क्लासेस, सीएम धामी करेंगे शुरुआत

देहरादून: प्रदेश के 840 सरकारी स्कूल अब डिजिटल वर्चुअल क्लास नेटवर्क से जुड़ेंगे। राज्य सरकार ने शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाने के लिए यह बड़ी पहल की है। इस योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 11 अक्टूबर को देहरादून में करेंगे।
इस नई व्यवस्था के तहत स्कूलों में हाइब्रिड मोड में वर्चुअल और स्मार्ट क्लासेस का संचालन होगा…जिससे छात्रों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि सरकार शिक्षकों की कमी दूर करने और शिक्षा के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है।
इस योजना में शामिल स्कूलों में पढ़ाई का लाइव प्रसारण होगा…जो दो केंद्रीय स्टूडियो से होगा। इससे छात्र और शिक्षक के बीच दो-तरफा संवाद भी संभव होगा। इससे दूर-दराज के इलाकों के छात्र भी आधुनिक शिक्षण सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
राज्य के विभिन्न जिलों से कुल 840 स्कूल इस नेटवर्क से जुड़ेंगे। इनमें टिहरी के 120, पौड़ी के 103, पिथौरागढ़ के 80, चमोली के 68 और अल्मोड़ा के 71 स्कूल शामिल हैं। अन्य जिलों के स्कूल भी इस योजना का हिस्सा होंगे।
शुभारंभ के मौके पर सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर सहित सभी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
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1 क्लिक…18 काम ! उत्तराखंड में घर बैठे मिलेंगी नगर निकाय की सभी जरूरी सेवाएं

देहरादून: उत्तराखंड के नगर निकायों में नागरिकों को अब लंबी कतारों और फाइलों के चक्कर से राहत मिलने जा रही है। जल्द ही प्रदेश के सभी नगर निकायों में 18 नागरिक सेवाएं पूरी तरह डिजिटल हो जाएंगी। घर बैठे ही आप पानी का टैंकर मंगा सकेंगे…पालतू कुत्तों का पंजीकरण करा सकेंगे और फायर एनओसी जैसी अहम सेवाएं भी महज एक क्लिक पर उपलब्ध होंगी। इसके लिए शहरी विकास विभाग द्वारा तैयार म्युनिसिपल शेयर्ड सर्विस सेंटर (MSSC) प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल गई है।
इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत उत्तराखंड को 22.8 करोड़ रुपये की धनराशि भी मंजूर हुई है। यह योजना राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (NUDM) के तहत चलाई जा रही है और गौर करने वाली बात यह है कि देशभर के केवल 10 राज्यों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है…जिनमें उत्तराखंड भी एक है।
क्या है MSSC प्रोजेक्ट?
आईटीडीए (सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी) के सहयोग से तैयार इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के सभी नगर निकायों के लिए एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। इसके ज़रिए आम नागरिकों को कई सेवाएं मोबाइल या कंप्यूटर से घर बैठे उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही नगर निकायों में IT इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया जाएगा और कर्मचारियों को तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इस योजना के तहत देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी और रुद्रपुर में पासपोर्ट सेवा केंद्र की तर्ज पर आधुनिक नगर सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। यहां एक ही छत के नीचे सभी डिजिटल सेवाएं आम लोगों को उपलब्ध कराई जाएंगी।
ये 18 सेवाएं होंगी डिजिटल…
प्रॉपर्टी टैक्स का आकलन और भुगतान
विविध शुल्क संग्रहण
पानी व सीवरेज कनेक्शन प्रबंधन
ट्रेड लाइसेंस और उसका भुगतान
जन शिकायत निवारण प्रणाली
फायर एनओसी जारी करना
वित्त और लेखा प्रबंधन मॉड्यूल
सेप्टिक टैंक और स्लज प्रबंधन
पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन
ई-वेस्ट मैनेजमेंट
कम्युनिटी हॉल बुकिंग
नगर परिसंपत्तियों का प्रबंधन
रेहड़ी-ठेली वालों का रिकॉर्ड और प्रबंधन
विज्ञापन और होर्डिंग परमिशन
निर्माण और ध्वस्तीकरण कचरा प्रबंधन
पेयजल टैंकर/मोबाइल टॉयलेट जैसी नागरिक सेवाएं
नगर सेवा केंद्र सेवाएं
जीआईएस आधारित सेवाएं
पहले से संचालित जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र और ऑनलाइन बिल्डिंग प्लान अप्रूवल को भी इस सिस्टम में जोड़ा जाएगा।
सचिव नितेश झा शहरी विकास एवं आईटी ने कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण पहल है। MSSC प्रोजेक्ट से ना सिर्फ नगर निकायों की कार्यक्षमता बढ़ेगी…बल्कि नागरिकों को पारदर्शी, तेज और सरल सेवाएं मिलेंगी। ITDA की मदद से एकीकृत मंच तैयार किया जा रहा है…जिससे सभी सेवाएं एक क्लिक पर उपलब्ध होंगी।
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उत्तराखंड में वायरल फीवर से मौतें, स्वास्थ्य विभाग ने जांच के दिए निर्देश

देहरादून: अल्मोड़ा के धौलादेवी ब्लॉक में पिछले पखवाड़े से रहस्यमय वायरल फीवर का प्रकोप जारी है जिससे अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच रुड़की में भी बुखार से तीन मौतें हुई हैं…जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लिया है।
सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सीएमओ अल्मोड़ा और सीएमओ हरिद्वार को प्रभावित इलाकों में जाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। सीएमओ अल्मोड़ा को धौलादेवी ब्लॉक में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजने और मरीजों के सैंपल लेकर जांच करवाने का आदेश भी दिया गया है।
धौलादेवी में वायरल फीवर से पीड़ित मरीजों के प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं। मरीजों के परिजन और स्थानीय जनप्रतिनिधि स्वास्थ्य विभाग की धीमी कार्रवाई को लेकर नाराजगी जता चुके हैं।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा है कि टीम मौके पर जाकर इलाज करेगी और सैंपल लैब में जांच के लिए भेजे जाएंगे। साथ ही रुड़की में भी बुखार से हुई मौतों की जांच के लिए सीएमओ हरिद्वार को विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
स्वास्थ्य विभाग की यह पहल इस गंभीर स्थिति पर जल्द नियंत्रण पाने की कोशिश है।
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देहरादून चिंतन शिविर में उच्च शिक्षा के भविष्य को लेकर हुआ मंथन

देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरुवार को राजपुर रोड़ स्थित एक होटल में आयोजित उच्च शिक्षा विभाग के दो दिवसीय “चिंतन शिविर” के समापन सत्र में प्रतिभाग किया। इस शिविर में देशभर के विभिन्न राज्यों से उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं प्रख्यात शिक्षाविद शामिल हुए। राज्यपाल ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस चिंतन शिविर ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माण, सुधार और नवाचार के लिए एक सार्थक मंच प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का प्रसार नहीं…बल्कि चरित्र निर्माण, दृष्टिकोण और राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत के पास युवा शक्ति के रूप में अपार क्षमता है, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। इस युवा शक्ति को सही दिशा देने, उसके कौशल को निखारने और उसकी क्षमता को राष्ट्र निर्माण में लगाने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने छात्रों को न केवल ज्ञान दें, बल्कि उन्हें जीवन के प्रति दृष्टिकोण मूल्यों और उत्तरादायित्व की भावना को भी विकसित करें।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापरक शिक्षा, नवाचार और शोध पर विशेष ध्यान देना होगा यह वर्तमान समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें 21वीं सदी को भारत की सदी बनाना है, जिसके लिए विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा के अनुरूप अपने विश्वविद्यालयों को तैयार करना होगा। उन्होंने उच्च शिक्षा में भारतीयता, संस्कृति और नैतिक मूल्यों के समावेश की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जिससे शिक्षा केवल रोजगार का साधन न होकर जीवन मूल्यों का संवाहक बने।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को कौशल आधारित शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाय, ताकि वे रोजगार खोजने वाले नहीं…बल्कि रोजगार सृजक बनें। विश्वविद्यालयों को ऐसे युवाओं का निर्माण करना चाहिए जो आत्मनिर्भर, नवोन्मेषी और समाज के प्रति उत्तरदायी हों।
राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालयों से “नशा मुक्त कैंपस” की दिशा में ठोस कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक अनुशासित, स्वस्थ और प्रेरणादायी परिसर ही श्रेष्ठ शिक्षा का आधार बन सकता है। राज्यपाल ने कहा कि यह चिंतन शिविर उच्च शिक्षा में नई सोच, नई दृष्टि और नई ऊर्जा का संचार करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस शिविर से निकले विचार और संकल्प उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, प्रासंगिकता और प्रभावशीलता को एक नई ऊँचाई देंगे।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी उच्च शिक्षा में किए जा रहे प्रयासों और आगामी रोडमैप के बारे में बताया। सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने दो दिवसीय चिंतन शिविर में आयोजित हुए सत्रों और परिचर्चा के बारे में जानकारी दी। अपर सचिव मनुज गोयल ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति डॉ. देवेन्द्र भसीन, डॉ. जयपाल सिंह चौहान सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और उच्च शिक्षा से जुडे़ अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
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