Rudraprayag
केदारनाथ धाम पहुंचे मुख्य सचिव, पुनर्निर्माण कार्यों का लिया जायजा

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी प्रतीक जैन से धाम में चल रहे सभी निर्माण कार्यों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी कार्यों में गुणवत्ता, सौंदर्य और धार्मिक आस्था का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि बुधवार, 23 अक्टूबर को बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो रहे हैं, ऐसे में कपाट बंद होने के बाद भी सुरक्षा, सामग्री संरक्षण और बर्फबारी की स्थिति में कार्यों के रखरखाव को लेकर पूरी तैयारी सुनिश्चित की जाए।
मुख्य सचिव बर्द्धन ने कहा कि अब से ही अगले यात्रा सत्र 2026 की तैयारियां शुरू कर दी जानी चाहिए, ताकि आने वाले वर्ष में यात्रियों को और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। उन्होंने संबंधित विभागों को बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, संचार, परिवहन, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में बेहतर समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने धाम क्षेत्र में जारी पुनर्निर्माण कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि केदारनाथ धाम आज पूरे देश में पुनर्निर्माण और पुनरुत्थान का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन का उद्देश्य केवल भौतिक निर्माण नहीं, बल्कि आस्था और सुविधा का संतुलित संगम सुनिश्चित करना है, ताकि श्रद्धालुओं को एक पवित्र, सुरक्षित और दिव्य अनुभव प्राप्त हो सके।
इस अवसर पर जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने बताया कि केदारनाथ यात्रा से जुड़े सभी विभाग आपसी समन्वय और सहयोग से कार्य कर रहे हैं।
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उत्तराखंड: ऊखीमठ में आज से शुरू होगी बाबा केदार की शीतकालीन पूजा

रुद्रप्रयाग: स्थानीय वाद्य यंत्रों की सुरमई धुनों, आर्मी बैंड की तालों और हजारों भक्तों की गूंजती जयकारों के बीच बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शुक्रवार देर सायं अपने द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी पहुंची। बाबा केदार की डोली के आगमन पर गुप्तकाशी में श्रद्धा और उल्लास का माहौल छा गया। श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा और भक्ति गीतों के साथ डोली का भव्य स्वागत किया।
बाबा केदार की यह दिव्य डोली भैया दूज के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ की ओर रवाना हुई थी। पहले दिन डोली का रात्रि प्रवास रामपुर में हुआ…जहां शुक्रवार प्रातः विशेष पूजा-अर्चना और आरती के साथ डोली ने आगे का सफर शुरू किया। यात्रा मार्ग में फाटा, ब्यूंग, नारायणकोटी सहित कई पड़ावों पर भक्तों ने बाबा की आरती उतारी और आशीर्वाद लिया।
गुप्तकाशी पहुंचने पर डोली का स्वागत पुष्प वर्षा, ढोल-दमाऊं और शंखनाद के साथ किया गया। विश्वनाथ मंदिर परिसर में बाबा की डोली की अगवानी के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। गुप्तकाशी की गलियाँ जय बाबा केदार! हर-हर महादेव! के नारों से गूंज उठीं। आज सुबह डोली अपने अंतिम पड़ाव ऊखीमठ के लिए रवाना होगी…जहां ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की भोग मूर्ति विराजमान की जाएगी।
ऊखीमठ पहुंचने के बाद अगले छह माह तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना यहीं की जाएगी। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु अब शीतकाल के दौरान ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में दर्शन कर सकेंगे। यह मंदिर न केवल केदारनाथ धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल है, बल्कि इसे पंचकेदारों के संयुक्त दर्शन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
शीतकालीन यात्रा के चलते ऊखीमठ और आसपास के क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिल रहा है। ओंकारेश्वर मंदिर के पास स्थित प्रसिद्ध स्थल चोपता और चंद्रशिला ट्रेक के कारण श्रद्धालु और पर्यटक दोनों बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल बाबा केदार के दर्शन करते हैं, बल्कि रुद्रप्रयाग जनपद के अन्य मठ-मंदिरों और प्राकृतिक स्थलों का भी आनंद लेते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त पंचकेदारों के दर्शन नहीं कर पाते वे ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में एक साथ सभी के दर्शन कर सकते हैं। इसी आस्था के कारण शीतकाल के दौरान यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से सराबोर रहता है। भक्तों की आस्था, भक्ति और उत्साह से केदारघाटी इन दिनों पूरी तरह केदारमय हो गई है। हर तरफ सिर्फ एक ही स्वर गूंज रहा है।
Kedarnath
केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद, अब शीतकालीन गद्दीस्थल पर होंगे दर्शन

केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत विधि-विधान के साथ केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुभ मुहूर्त में बाबा केदार के धाम केदारनाथ के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। सुबह 8:30 बजे बाबा की पंचमुखी डोली जैसे ही मंदिर से बाहर निकली तो पूरी केदारपुरी “हर हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान सीएम धामी के साथ ही हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।
शुभ मुहूर्त में यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद
आज भाईदूज के पावन पर्व पर मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं। धाम के कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की डोली खरसाली गांव के लिए रवाना हो गई है। शीतकाल में अगले छह महीने मां यमुना खरसाली गांव में दर्शन देंगी।
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रुद्रप्रयाग की प्रतिभा नेगी ने बढ़ाया उत्तराखंड का मान, IOCL में मिली बड़ी सफलता l

रुद्रप्रयाग- “जहां चाह, वहां राह”—इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की होनहार बेटी प्रतिभा नेगी ने। सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बीच पढ़ाई कर प्रतिभा ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) में असिस्टेंट क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर पद पर चयनित होकर पूरे जनपद को गौरवान्वित किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे पहाड़ के लिए गर्व का विषय बन गई है।
अगस्त्यमुनि की बेटी, देश का नाम रोशन
प्रतिभा रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के जयकंडी गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता वीरेंद्र नेगी एक इलेक्ट्रिकल दुकान चलाते हैं, जबकि माता विजया नेगी चिल्ड्रेन एकेडमी इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि में अध्यापक हैं। प्रतिभा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी विद्यालय से प्राप्त की है।
शैक्षणिक यात्रा
प्रतिभा की शैक्षणिक यात्रा हमेशा से अनुकरणीय रही है:
2019: एमएससी (रसायन विज्ञान) में उत्कृष्ट प्रदर्शन
2019: सीएसआईआर-नेट परीक्षा उत्तीर्ण
2020: GATE परीक्षा पास
वर्तमान में CSIR-Indian Institute of Petroleum, देहरादून से पीएचडी कर रही हैं।
IOCL में चयन, महाराष्ट्र में देंगी सेवाएं
प्रतिभा का चयन महाराष्ट्र के लिए हुआ है, जहां वे अब IOCL में असिस्टेंट क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर के पद पर कार्यभार संभालेंगी। यह पद भारत की अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में है, जो उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि है।
परिवार और समाज की प्रतिक्रिया
प्रतिभा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है। उन्होंने कहा,
“मेरी इस यात्रा में परिवार और गुरुओं का सहयोग हमेशा मेरे साथ रहा। यही मेरी ताकत बनी।”
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। विद्यालय परिवार, सामाजिक संगठन और युवा प्रतिभाओं ने उन्हें बधाइयां दी हैं।
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ऐश्वर्या रावत ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा:
“प्रतिभा नेगी की सफलता पहाड़ की हर बेटी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित किया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।”
पहाड़ की बेटियों के लिए मिसाल
प्रतिभा की सफलता उन सभी लड़कियों के लिए उदाहरण है जो पहाड़ों में रहकर भी बड़े सपने देखती हैं। यह कहानी यह दिखाती है कि अगर मेहनत सच्चे मन से की जाए, तो पहाड़ जैसी मुश्किलें भी छोटी लगती हैं।
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