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कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने भरा नामांकन, कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल….

अगस्त्यमुनि/रुद्रप्रयाग – केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व विधायक मनोज रावत ने अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। सोमवार को पार्टी के दिग्गज नेताओं की उपस्थिति में उन्होंने यह प्रक्रिया पूरी की। इस अवसर पर पार्टीजनों ने उन्हें भारी बहुमत से विजयी बनाने का संकल्प लिया।
देहरादून से अगस्त्यमुनि पहुंचे मनोज रावत का पार्टी कार्यकर्ताओं ने फूलों और मालाओं से स्वागत किया। नामांकन के बाद उन्होंने कहा, “यह कार्यकर्ताओं की मेहनत का फल है। पार्टी हाईकमान ने जो विश्वास मुझ पर जताया है, उस पर खरा उतरने के लिए मैं हरसंभव प्रयास करूंगा।” उन्होंने पार्टी हाईकमान और कार्यकर्ताओं का आभार भी व्यक्त किया।
इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, वरिष्ठ नेता यशपाल रावत, गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह भी मौजूद थे। नामांकन के बाद, कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में विजयनगर-अगस्त्यमुनि में रोड शो और रामलीला मैदान में एक जनसभा का आयोजन किया जाएगा।
कांग्रेस ने मनोज रावत पर तीसरी बार विश्वास जताया है, जो उनके लिए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक बड़ी जीत है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह जनता के बीच कैसे अपनी बात रखते हैं। राज्य गठन के बाद, 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों को छोड़कर, कांग्रेस ने लगातार अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच हमेशा सीधी टक्कर होती रही है। वर्ष 2012 में कांग्रेस ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को स्थापित किया और वोट बैंक बढ़ाने में सफल रही। हालांकि, 2022 में उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
मनोज रावत के सामने अब अपनी योग्यता साबित करने और पार्टी के वोट बैंक को बढ़ाने की चुनौती है। उन्होंने अपने कार्यकाल में जनता से संवाद बढ़ाने, ग्राम स्तर पर पुस्तकालय स्थापित करने और केदारनाथ क्षेत्र के शहीदों की मूर्तियों की स्थापना करने जैसे अनूठे प्रयास किए हैं।
कांग्रेस से 12 लोगों ने दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने पुनः मनोज रावत को प्रत्याशी बनाया है। अब उनके लिए केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की जन समस्याओं का समाधान और जन उम्मीदों पर खरा उतरना सबसे बड़ी चुनौती है।
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पूर्व सीएम हरीश रावत ने बीजेपी को बताया ‘रावण का वंशज’, हरदा के बयान से उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल

Uttarakhand : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री Harish Rawat ने बीजेपी के लोगों को ‘रावण का वंशज’ बताया है। उनके इस बयान के बाद से उत्तराखंड में सियासी भूचाल आ गया है। भारतीय जनता पार्टी औ कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
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पूर्व सीएम Harish Rawat ने बीजेपी को बताया ‘रावण का वंशज’
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने मसूरी में भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए बीजेपी के लोगों को ‘रावण का वंशज’ बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में प्रशासनिक फैसले अधिकारियों के विवेक से नहीं, बल्कि भाजपा के इशारे पर लिए जा रहे हैं। रावत ने भाजपा को पूंजीपतियों की पार्टी बताते हुए कहा कि उसने गरीबों, बेरोजगारों और आम जनता के हितों की अनदेखी की है।
BJP पर अहंकार और अलंकार की राजनीति करने का आरोप
हरदा ने भाजपा नेताओं को “रावण के भी रावण” बताते हुए उन पर अहंकार और अलंकार की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि जैसे आज युवा बेरोजगार है, वैसे ही भविष्य में जनता भाजपा को भी “बेरोजगार” बना देगी। उत्तराखंड को खोखला करने का आरोप लगाते हुए रावत ने कहा कि राज्य की जमीन, संसाधन और पर्यटन स्थल चहेतों और बाहरी लोगों को सौंपे जा रहे हैं, जिससे राज्य की आत्मा कमजोर की जा रही है।
योजना का नाम बदलकर उसकी आत्मा खत्म कर रही भाजपा
मनरेगा को लेकर भी पूर्व सीएम Harish Rawat ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा योजना का नाम बदलकर उसकी आत्मा खत्म कर रही है। उन्होंने मनरेगा को गरीबों के लिए “कानूनी क्रांति” बताया और कहा कि यह ग्राम विकास और सीधे रोजगार का मजबूत माध्यम था।
Harish Rawat ने ऐलान किया कि महात्मा गांधी के नाम को हटाने के प्रयासों के खिलाफ कांग्रेस देशव्यापी जन-जागरण अभियान चलाएगी और सत्ता में आने पर गांधीजी के नाम पर कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की जाएंगी। राम और गांधी को अलग न किए जाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भगवान राम के सच्चे भक्त थे और भाजपा राम को पूंजीपतियों का प्रतीक बनाने की कोशिश कर रही है, जिसे कांग्रेस स्वीकार नहीं करेगी।
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मनरेगा का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस में आक्रोश, गणेश गोदियाल ने कह बड़ी बात

MNREGA का नाम बदले जाने को लेकर देशभर में कांग्रेस का विरोध देखने को मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदले जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा सरकार जोर-जोर से ढोल पीट कर इस बात का प्रचार कर रही है कि भाजपा सरकार ने मनरेगा योजना का नाम बदल दिया है।
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MNREGA का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस में आक्रोश
गणेश गोदियाल ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट के इस बयान का कि कांग्रेस पार्टी इस नाम का विरोध कर रही है। उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि भाजपा केवल नाम बदलने का खेल, खेल रही है और गरीबों के लिए बनाई गई रोजगार गारंटी की योजना को भी धार्मिक चोला पहनाने का काम कर रही है।
मनरेगा जैसी दूसरी योजना लाती तो होता अच्छा – गोदियाल
गोदियाल ने कहा कि अच्छा होता अगर केंद्र की भाजपा सरकार नाम बदलने के स्थान पर गरीबों के लिए MNREGA जैसी दूसरी योजना लाती तो हम उसका स्वागत करते परन्तु भाजपा केवल पुरानी योजनाओं का नाम बदल कर अपने दायित्वों की इतिश्री कर रही है।
अपनी सरकार की 12 साल की उपलब्धियों के नाम पर उनके पास जनता को बताने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को ऐतराज किसी नाम पर नहीं है परन्तु भाजपा सरकार जिस प्रकार केवल नाम बदलने का खतरनाक खेल खेल रही है उस पर कांग्रेस पार्टी को ऐतराज है।
MNREGA का नाम बदलना एक सोची-समझी साजिश
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मनरेगा योजना देश के करोड़ों लोगों के रोजगार का कानूनी अधिकार है और भाजपा सरकार का यह निर्णय रोजगार के अधिकार कानून को कमजोर करने और भारत के सबसे जाने-माने कल्याणकारी कानून से महात्मा गांधी का नाम और उनके मूल्यों को मिटाने की एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि जिस योजना को भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कांग्रेस पार्टी की विफलताओं का स्मारक बता रहे हैं, उनकी केन्द्र सरकार उसी योजना का नाम बदल कर जी राम जी रख कर योजना का श्रेय भी लेना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक जीवन में सुचित आवश्यक है परन्तु राज्य के लिए यह शर्म की बात है कि जो योजना तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने गरीबों के लिए बनाई थी, उसी मनरेगा योजना का पैसा भाजपा के एक विधायक ने सालों तक डकारा है ये राज्य में भ्रष्टाचार की एक बानगी है। इस पर भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट को पार्टी की ओर से स्पष्टीकरण देना चाहिए।
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देहरादून के दो भाजपा विधायकों में रार, पुल निर्माण को लेकर आमने-सामने आए काऊ और चमोली

DEHRADUN NEWS : देहरादून के दो भाजपा विधायकों में आपस में ठनती नजर आ रही हैं। रायपुर से विधायक उमेश काऊ और धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली एक पुल के निर्माण पर आमने सामने हैं।
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देहरादून के दो भाजपा विधायकों में रार
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव अभी दूर है लेकिन विधायकों में अस्तित्व की लड़ाई को लेकर अभी से रस्साकशी शुरू हो गई है। खबर राजधानी देहरादून (DEHRADUN NEWS) से है जहां दो विधायकों में तनातनी देखने को मिल रही है। हैरानी की बात ये है कि विधायकों की लड़ाई सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में नहीं बल्कि सत्ता पक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी के ही दो विधायकों के बीच में देखने को मिल रही है।
पुल निर्माण को लेकर आमने-सामने आए काऊ और चमोली
राजधानी देहरादून की दो पड़ोसी विधानसभा में रायपुर और धर्मपुर विधानसभा को जोड़ने वाले हरे पुल को लेकर दोनों विधायकों के बीच में ये तनातनी देखने को मिल रही है। दरअसल धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने अपनी विधानसभा धरमपुर के अंतर्गत आने वाले दीप नगर मोहल्ले से केदारपुरम मोहल्ला जो की रायपुर विधानसभा में पड़ता है उसे जोड़ने के लिए पुराने जीर्णशीर्ण हो चुके हरे पुल के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पास किया। दीपनगर मोहल्ले से केदारपुरम स्टेट हाईवे से जुड़ने वाले इस पुल का निर्माणकार्य रायपुर विधायक उमेश काऊ ने मौके पर जाकर रोक दिया इसके बाद ये मामला भड़क गया।

रायपुर विधायक के काम रूकवाने से हर कोई हैरान
स्थानीय पार्षद दिनेश प्रसाद सती का कहना है कि विधायक उमेश द्वारा रूकवाये गए पुल निर्माण के कदम को देखकर वो भी हैरान है और जिस तरह से रायपुर विधायक उमेश काऊ को विकास कार्यों के लिए जाना जाता है यहां बिल्कुल उसके विपरीत है। उन्होंने बताया कि धर्मपुर और रायपुर विधानसभा को जोड़ने के लिए ये ऐतिहासिक कार्य होने जा रहा था और लंबे समय से स्थानीय जनता की मांग इस हरे पुल को लेकर चली आ रही थी और पिछले तीन से चार महीना से दीपनगर से केदारपुरम को जोड़ने वाले इस हरे पुल के निर्माण का कार्य चल रहा था लेकिन कल जिस तरह से अचानक विधायक के द्वारा मौके पर आकर अपना उग्र रूप दिखाया गया और निर्माण कार्य रोका गया ये देख कर वो भी हैरान है।
पार्षद सती ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है कि बिना विधायक के संज्ञान के ये निर्माण कार्य हो रहा हो लेकिन कल अचानक से उनके द्वारा निर्माण कार्य रुकवाया गया। जबकि उन्हें इस निर्माण की पूरी जानकारी पहले ही दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इस पुल की जरूरत इस इलाके में बहुत ज्यादा है और जिस तरह से लगातार भीड़ और ट्रैफिक बढ़ रही है यह पुल निश्चित तौर से लोगों के लिए राहत देने वाला है।

रायपुर विधायक हैं इस निर्माण कार्य के खिलाफ – विनोद चमोली
धर्मपुर विधायक विनोद चमोली का इस मामले पर कहना है कि उन्हें नहीं लगता है कि पड़ोसी विधानसभा रायपुर के विधायक उमेश काऊ इस पुल निर्माण के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर से विधायक के कुछ संदेह रहे होंगे जिस पर उन्हें जानकारी नहीं होगी यही वजह है कि उनके द्वारा अपनी कोई बात रखी गई है और निश्चित तौर से उनकी जो बात है या फिर उनका जो संदेह है उसका समाधान कर दिया जाएगा वो हमारे अपने विधायक हैं। उन्होंने कहा कि विधायक उमेश को क्या संदेह है ये वही स्पष्ट तौर पर बता सकते हैं
विकास के लिए नहीं होने देंगे विनाश – उमेश शर्मा काऊ
दीपनगर हरे पुल का काम रुकवाने वाले रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ से जब हमारी टीम ने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इस पर बोलने से इंकार कर दिया। जबकि फोन पर उन्होंने कहा कि वो विकास के लिए विनाश नहीं होने देंगे। उनका कहना है कि ये पुल 2013-14 में रायपुर विधानसभा के लिए स्वीकृत हुआ था और उसमें इसका बजट एक करोड़ 90 लाख था लेकिन आज इस पुल का निर्माण 3.5 तीन करोड रुपए खर्च करके किया जा रहा है।

12 फुट का रास्ते में इतना बड़ा पुल बनाने की क्या जरूरत ?
रायपुर विधायक का कहना है कि दीपनगर से इसे केदारपुरम उनकी विधानसभा से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है तो क्या उन्हें नहीं पूछा जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी जेब से 10 लख रुपए खर्च करके पहले का पुल बनवाया था और निर्माण एजेंसी द्वारा उस लोहे को पुल को उठा ले गए बिना उनकी संस्तुति के।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि निर्माण एजेंसी द्वारा सारा गंदा पानी मंदिर में छोड़ा गया है, उन्होंने कहा कि PWD द्वारा बनाए गए पुश्तों की वजह से बहुत नुकसान हो गया हैं। इसके अलावा पुल से आगे 12 फुट का रास्ता है और इतना बड़ा पुल बनाने की क्या जरूरत है। देहरादून के दो विधायकों की इस खबर (DEHRADUN NEWS) से राजनितिक गलियारों में चर्चाओं के बाजार गर्म हैं।
3.50 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है पुल
पुल को बना रही कार्यदाई एजेंसी देहरादून निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता नीरज त्रिपाठी ने बताया कि दीपनगर से धर्मपुर विधानसभा से केदारपुरम रायपुर विधानसभा को जोड़ने वाले ये एक डेढ़ लेन का हरा मोटर पुल का निर्माण किया जा रहा हैं। जिसकी लागत 355.64 लाख यानी करीबन 3.50 करोड़ है। इसके अलावा उन्होंने पूर्व में यहां पर बने लोहे के हरे रंग के पुल के बारे में कुछ भी जानकारी न होने की बात कही।
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