Dehradun
देहरादून में ‘डबल डेकर’ बस हवा में दौड़ेगी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया बड़ा प्लान तैयार !

देहरादून: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को देहरादून में एक अनोखे परिवहन साधन की कल्पना साझा की। उन्होंने कहा कि उनका सपना है कि देहरादून में हवा में चलने वाली डबल डेकर बस शुरू की जाए…जो ऊपर ही ऊपर उड़ती हुई शहर के भीड़-भाड़ वाले ट्रैफिक से ऊपर होकर लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाएगी।
गडकरी यह बात एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कही जहां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि देहरादून में यातायात जाम की समस्या बहुत बड़ी है। वे अक्सर हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर से आते हैं क्योंकि सड़क मार्ग से आने पर जाम की वजह से समय बहुत लग जाता है। उन्होंने कहा मेरा सपना है कि देहरादून में ऐसी डबल डेकर बस चले जो हवा में ऊपर ही ऊपर सफर करे…और एक साथ सवा सौ से डेढ़ सौ लोग इसके जरिए सफर कर सकें।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह किया कि वे इस संबंध में एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजें ताकि इस सपने को साकार किया जा सके। उन्होंने कहा सब कुछ संभव है। यदि हम समस्याओं को अवसर में बदलने का नजरिया अपनाएं तो कोई भी काम असंभव नहीं है।
साथ ही गडकरी ने राज्य में चल रही रोपवे परियोजनाओं की समीक्षा भी की। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि देहरादून में उनके नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत और राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नए रोपवे प्रोजेक्ट्स पर विस्तार से चर्चा हुई।
धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार तीर्थाटन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के धार्मिक और पर्यटन स्थलों को रोपवे कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। ये परियोजनाएं न केवल यात्रा को सुगम बनाएंगी बल्कि स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को भी मजबूती देंगी।
नितिन गडकरी का यह सपना और राज्य सरकार की योजनाएं उत्तराखंड को तकनीकी नवाचार के जरिए यातायात समस्या से निजात दिलाने और पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का संकेत हैं।
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मसूरी में जिंदगी फंसी जाम में: इलाज से पहले टूटी सांसें, नहीं पहुंच पाया वक्त पर अस्पताल

मसूरी: दिल्ली से मसूरी घूमने आए छह पर्यटकों के दल में शामिल 62 वर्षीय बुजुर्ग की इलाज से पहले ही मौत हो गई। बताया गया कि अचानक तबीयत बिगड़ने पर जब परिजन उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे, तब पौन घंटे तक सड़क जाम में फंसे रहे। समय पर इलाज न मिलने से उनकी मौत हो गई।
मृतक की पहचान दिल्ली निवासी कमल किशोर टंडन के रूप में हुई है, जो अपने रिश्तेदारों के साथ लाइब्रेरी क्षेत्र में ठहरे थे। परिवार के सदस्य अर्जुन कपूर ने बताया कि बृहस्पतिवार को बारिश और ठंड के कारण कमल किशोर की तबीयत अचानक बिगड़ गई — संभवतः हार्ट अटैक आया था।
परिवार ने तत्काल एंबुलेंस के लिए कॉल किया, लेकिन देहरादून से एंबुलेंस आने में समय लगने के कारण वे खुद उन्हें वाहन में लेकर अस्पताल के लिए रवाना हुए। लेकिन किंग्रेग मार्ग, गांधी चौक और मोतीलाल नेहरू रोड पर भारी ट्रैफिक जाम में पौन घंटे तक फंसे रहे। जब तक वे अस्पताल पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
परिजनों का आरोप है कि मसूरी जैसे पर्यटन स्थल पर आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल सुविधा का अभाव है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी होटलों में बेसिक मेडिकल किट उपलब्ध होनी चाहिए और प्रशासन को स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
परिजनों ने यह भी बताया कि पुलिस ने उनकी मदद की, लेकिन जाम इतना ज़्यादा था कि स्थिति नियंत्रण में नहीं आई। स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटन सीज़न में भारी वाहनों को किंग्रेग से ऊपर नहीं आने देना चाहिए। कोतवाल संतोष कुंवर का कहना है कि सभी चौराहों पर पुलिसकर्मी तैनात हैं, लेकिन उन्हें इस विशेष घटना की जानकारी नहीं है
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उत्तराखंड बना बारिश का पसंदीदा ठिकाना, हिमाचल, कश्मीर और दिल्ली से ज्यादा होती है वर्षा

देहरादून: ऐसा लगता है कि मेघों को उत्तराखंड बेहद पसंद है। मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तुलना में हर साल अधिक बारिश दर्ज की जाती है।
राज्य में वार्षिक औसत वर्षा 1477.6 मिमी है, जो कि हिमाचल (1245.1 मिमी), जम्मू-कश्मीर व लद्दाख (1232.3 मिमी), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (765.3 मिमी), पंजाब (565.5 मिमी) और दिल्ली-हरियाणा-चंडीगढ़ क्षेत्र (527.1 मिमी) से कहीं अधिक है।
राज्य की राजधानी देहरादून में तीन जून को 23.2 मिमी, चार को 7.8 मिमी और पांच जून को 0.4 मिमी बारिश दर्ज की गई। इस लगातार हो रही बारिश के कारण गर्मी से कुछ हद तक राहत महसूस की गई है।
मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, उत्तराखंड में मानसून के दौरान औसतन 1162.7 मिमी बारिश होती है, जिसमें जुलाई और अगस्त सबसे ज्यादा भीगे हुए महीने रहते हैं। उन्होंने बताया कि बंगाल की खाड़ी की शाखा उत्तराखंड में अधिक प्रभावी होती है, जिससे यहां अधिक बारिश होती है।
मौसम विभाग ने 1989 से 2018 के बीच दैनिक वर्षा आंकड़ों का विश्लेषण कर बताया कि कई जिलों में वर्षा के पैटर्न में बदलाव आया है।
नैनीताल, रुद्रप्रयाग, चमोली और बागेश्वर में वार्षिक वर्षा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है।
वहीं पौड़ी जिले में मानसून और वार्षिक वर्षा में कमी दर्ज की गई है।
पिछले 26 वर्षों में उत्तराखंड में केवल तीन बार औसत से अधिक बारिश हुई है वर्ष 2000, 2007 और 2010 में। वहीं छह बार न्यूनतम और 18 बार सामान्य बारिश रिकॉर्ड की गई।
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चारधाम और वैष्णो देवी यात्रा से लौटे श्रद्धालु निकले कोरोना पॉजिटिव, एक ही दिन में सात नए मामले, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर

देहरादून: अब प्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। वर्तमान में सभी सात सक्रिय मरीज घर पर ही आइसोलेट किए गए हैं। उत्तराखंड में कोरोना एक बार फिर से पैर पसारने लगा है। शुक्रवार को कोरोना वायरस के इस सीजन के सबसे अधिक मामले सामने आए। एक ही दिन में सात मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हरकत में आ गए हैं।
शुक्रवार को सामने आए कोरोना के सात मरीजों में तीन ऐसे हैं, जो चारधाम और वैष्णो देवी की यात्रा कर लौटे थे। जानकारी के मुताबिक देहरादून के रायपुर क्षेत्र में सामने आया कोरोना का मरीज हाल ही में बदरीनाथ धाम की यात्रा कर लौटा था। सहसपुर निवासी मरीज केदारनाथ धाम से वापस आया था।
इन मरीजों में कोरोना के लक्षण मिलने पर आरटीपीसीआर जांच कराई गई थी। इसके अलावा चकराता रोड निवासी एक मरीज 25 मई को वैष्णो देवी से वापस आया था। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। उधर, चार अन्य मरीज भी कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं।
डॉ. आर राजेश कुमार स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड :अब तक सामने आए कोरोना के ज्यादातर मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। मौजूदा समय में कोरोना के सिर्फ सात मरीज ही सक्रिय हैं। अभी तक किसी भी मरीज में वायरस के गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिले हैं। लोगों से सावधानी बरतने की अपील की जा रही है।
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