Bageshwar
अच्छी खबर : 4 करोड़ 34 लाख से होगा गरुड़ बागेश्वर मोटर मार्ग का सुधारीकरण

अच्छी खबर : 4 करोड़ 34 लाख से होगा गरुड़ बागेश्वर मोटर मार्ग का सुधारीकरण
बागेश्वर : लम्बे समय से गरुड़ बागेश्वर मोटर मार्ग के सुधारीकरण की बात जोह रहे क्षेत्रीय लोगो के लिए राहत भरी खगबर है। विधायक पार्वती दास जी ने बताया कि जनपद बागेश्वर के विधानसभा क्षेत्र बागेश्वर में मानसखण्ड(राज्य योजना) के अन्तर्गत बागेश्वर प्रभाग के (चै0 52.200 से चै0 68.425) का 1.50 लेन मार्ग का सुधारीकरण का कार्य की शासन द्वारा वित्तीय स्वीकृति दी गयी है। कहा कि बागेश्वर प्रभाग के अन्तर्गत 17.425 किमी0 में 434.71 लाख की धनराशि से 1.50 लेन मार्ग का सुधारीकरण का कार्य किया जाएगा, जिसमे डिफेक्ट कटिंग, ब्लैक स्पॉट का निस्तारण, डामरीकरण व मोटर मार्ग का सुधारीकरण किया जाना है।विधायक ने धनराशि की स्वीकृति पर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी का समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से धन्यवाद व आभार व्यक्त किया है।


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SC ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक हटाई, 29 पट्टाधारकों को दी राहत

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में खड़िया खनन पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट ने 29 वैध खनन पट्टा धारकों को तुरंत खनन शुरू करने की मंजूरी देते हुए कहा कि हाई कोर्ट कानूनी रूप से संचालित पट्टों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा सकता है।
SC ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक हटाई
सुप्रीम कोर्ट ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक को गलत बताते हुए हटा दिया। हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक को गलत बताया। दअसल मामला एसएलपी (C) 23540/2025 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था जिसमें 17 फरवरी 2025 को उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बागेश्वर जिले में सोपस्टोन खनन गतिविधियों पर रोक जारी रखी गई थी। सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ -जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि सिर्फ नौ पट्टों में ही अनियमितताएं मिली थीं जबकि 29 पट्टाधारक पूरी तरह कानूनी रूप से खनन कर रहे थे। ऐसे में सभी पर एक समान रोक लगाना उचित नहीं है।

खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा: SC
कोर्ट ने ये भी माना कि खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से राज्य की अर्थव्यवस्था और स्थानियों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 29 पट्टाधारकों को अपने माइनिंग प्लान और पर्यावरण मंजूरी के अनुसार मशीनों के उपयोग की भी अनुमति दी ।
कोर्ट ने अपने पुराने आदेश (16 सितंबर 2025) का उल्लेख करते हुए याद दिलाया कि वह पहले ही पट्टाधारकों को पहले से निकाले और जमा किए गए सोपस्टोन को बेचने की अनुमति दे चुका है। बशर्ते वे पूरा रिकॉर्ड दें और तय रॉयल्टी का भुगतान करें।
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जनता दरबार में डीएम का सख्त रुख, अनुपस्थित अधिकारियों पर गिरी गाज – जारी हुए नोटिस!

बागेश्वर: जिलाधिकारी आकांक्षा कोंडे ने सोमवार को कलक्ट्रेट सभागार में जनता दरबार का आयोजन कर आम लोगों की समस्याएं सुनीं। जनता दरबार में कुल 15 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से अधिकांश का निस्तारण मौके पर ही कर दिया गया, जबकि बाकी शिकायतों को संबंधित विभागों को शीघ्र समाधान के लिए भेजा गया।
ग्राम बहेड़ी के मदन मोहन जोशी ने विकास कार्य से जुड़ी आरटीआई जांच की शिकायत दर्ज कराई, जिस पर डीएम ने डीपीआरओ को निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। ग्राम प्रधान सैमतोली ने सड़क निर्माण का अनुरोध किया वहीं बी.एस. कपकोटी ने जल संस्थान की पाइपलाइन अपने खेत से हटाने की मांग रखी।

हेमचंद ने भू-अधिग्रहण एवं विस्थापन की मांग की जबकि अनिल कुमार (ग्राम छौना) ने आवासीय भवन ध्वस्त होने पर मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता मांगी। पूरण सिंह रावत ने प्रधानमंत्री आवास योजना पर लगी रोक का मुद्दा उठाया, जिस पर डीएम ने ईओ नगर पालिका व एसडीएम बागेश्वर को संयुक्त समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
देवेश सिंह खेतवाल ने सड़क के ऊपर लटकी दरारयुक्त चट्टान हटाने की मांग रखी ताकि संभावित दुर्घटना से बचा जा सके। डीएम ने इस पर त्वरित तकनीकी रिपोर्ट प्राप्त कर कार्रवाई करने को कहा। बंसी देवी ने जलापूर्ति की समस्या रखी, जबकि आपदाग्रस्त पौंसरी गांव के ग्रामीणों ने रोजगार की मांग उठाई। डीएम आकांक्षा कोंडे ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी प्रकार की लापरवाही सार्वजनिक कार्यों को प्रभावित न करे। उन्होंने कहा कि सभी विभाग लंबित मामलों के निस्तारण को प्राथमिकता दें।
उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन शिकायतों की समीक्षा करते हुए सभी विभागों को 100% कॉलिंग और समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही UCC पंजीकरण की प्रगति की समीक्षा कर महिला एवं बाल विकास, सहकारिता और स्वास्थ्य विभाग को मिशन मोड में काम करने को कहा।
डीएम ने कहा कि उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने समाचार पत्रों में प्रकाशित नकारात्मक खबरों पर संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों को सुधारात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। वहींआबकारी विभाग और यूपीसीएल अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताते हुए शो कॉज नोटिस जारी करने के आदेश दिए गए।
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बागेश्वर: पतौंजा गांव को दहशत में रखने वाली मादा गुलदार पिंजरे में कैद, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

बागेश्वर: कांडा तहसील के पतौंजा गांव में एक साल से लोगों के सिर पर मंडरा रहा खतरा आखिरकार खत्म हो गया। ग्रामीणों के लिए आतंक का पर्याय बन चुका गुलदार गुरुवार देर शाम पिंजरे में कैद हो गया। पांच साल की मादा गुलदार उसी स्थान पर फंसी, जहां कुछ दिन पहले उसने एक महिला पर हमला कर दिया था।
गुलदार के पकड़े जाने की खबर फैलते ही गांव में जैसे सुकून लौट आया हो। कई महीनों से जो लोग शाम ढलते ही घरों में कैद हो जाते थे, अब उन्होंने राहत की सांस ली है। वन विभाग की टीम अब गुलदार को रेस्क्यू सेंटर भेजने की प्रक्रिया में जुटी है और इसके लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति ली जा रही है।
पतौंजा गांव और आसपास के इलाकों में यह गुलदार बीते एक साल से सक्रिय था। कुछ ही दिन पहले गुलदार ने गांव की एक महिला पर झपटा मारा था, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गई थी। महिला का इलाज पहले सीएचसी कांडा और फिर जिला अस्पताल में चला। इसके बाद से ही गांव में डर और दहशत का माहौल बन गया था।
गौरतलब है कि पिछले साल माणा कभड़ा क्षेत्र में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी, जब एक मासूम बच्चे को गुलदार ने अपना शिकार बना लिया था। तब वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद गुलदार को पिंजरे में नहीं डाला जा सका था। इस बार पतौंजा में हुई घटना के बाद वन विभाग ने सतर्कता बढ़ाई ट्रैप कैमरे लगाए गए और गुलदार की गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी।
13 सितंबर को गांव में पिंजरा लगाया गया था, और गुरुवार की देर शाम आखिरकार गुलदार उसी में फंस गया। रेंजर दीप चंद्र जोशी ने जानकारी दी कि गुलदार को फिलहाल कांडा लीसा डिपो में रखा गया है। पशु चिकित्सकों की टीम ने उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया है, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाई गई है।
करीब पांच साल की इस मादा गुलदार को अब रेस्क्यू सेंटर भेजने की प्रक्रिया चल रही है। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब उन्हें रातें चैन से काटने को मिलेंगी और मवेशियों को भी गुलदार से राहत मिलेगी।
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