Rudraprayag
तृतीय भगवान तुंगनाथ के दर्शन के लिए प्रतिदिन पहुँच रहे सैकड़ों श्रद्धालु, कपाट खुलने से अब तक किए 18 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन।

रुद्रप्रयाग – पंच केदार में तृतीय भगवान तुंगनाथ के दर्शन के लिए प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कपाट खुलने के बाद से अभी तक 13 दिन में यहां 18 हजार से अधिक भक्त दर्शन कर चुके हैं। इस बार, मंदिर में यात्रियों की सुरक्षा व बेहतर यात्रा प्रबंधन के लिए प्रशासन द्वारा दो सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए हैं। साथ ही बीकेटीसी का चार सदस्यीय दल भी धाम में मौजूद है।

समुद्रतल से 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार तुंगनाथ एशिया महाद्वीप का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिवालय है। यहां भगवान शिव के बाह भाग की पूजा होती है। कुंड-ऊखीमठ-चोपता-मंडल-गोपेश्वर हाईवे पर चोपता से लगभग साढ़े तीन किमी की चढ़ाई तय कर मंदिर में पहुंचा जाता है। बीते 10 मई को तृतीय केदार के कपाट खुलने के बाद से यहां दर्शनों के लिए भक्तों की खूब भीड़ उमड़ रही है।
कपाटोद्घाटन के बाद से अब तक यहां 18 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। यहां प्रतिदिन 1200 से 1500 श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मंदिर के प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि बीते वर्ष की तरह इस बार भी काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शनों को पहुंच रहे हैं। दिन में कई बार लंबी लाइन लग रही है। पूरे दिन तुंगनाथ क्षेत्र बाबा के जयकारों से गूंज रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष प्रशासन द्वारा दो सुरक्षाकर्मी भी यहां तैनात किए गए हैं, जिससे यात्रा व्यवस्थित करने में मदद मिल रही है।
इधर, तुंगनाथ मंदिर के मठाधिपति रामप्रसाद मैठाणी ने बताया कि श्रद्धालुओं की अच्छी संख्या में पहुंचने से चोपता से तुंगनाथ तक व्यवसायियों की आजीविका को भी बल मिल रहा है। बता दें कि वर्ष 2023 में तृतीय केदार तुंगनाथ में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे।
तृतीय केदार के कपाट खुलने के बाद से चोपता-तुंगनाथ-चंद्रशिला पैदल मार्ग पर रौनक बनी हुई है। यहां प्रतिदिन सैड़कों यात्री व पर्यटक आवाजाही कर रहे हैं। चोपता से मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के अलावा कई ऐसे पर्यटक भी हैं, जो सीधे चंद्रशिला पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि बीते 12 दिनों में लगभग 10 हजार पर्यटक चंद्रशिला ट्रैक पर ट्रैकिंग कर चुके हैं।
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उत्तराखंड: ऊखीमठ में आज से शुरू होगी बाबा केदार की शीतकालीन पूजा

रुद्रप्रयाग: स्थानीय वाद्य यंत्रों की सुरमई धुनों, आर्मी बैंड की तालों और हजारों भक्तों की गूंजती जयकारों के बीच बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शुक्रवार देर सायं अपने द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी पहुंची। बाबा केदार की डोली के आगमन पर गुप्तकाशी में श्रद्धा और उल्लास का माहौल छा गया। श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा और भक्ति गीतों के साथ डोली का भव्य स्वागत किया।
बाबा केदार की यह दिव्य डोली भैया दूज के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ की ओर रवाना हुई थी। पहले दिन डोली का रात्रि प्रवास रामपुर में हुआ…जहां शुक्रवार प्रातः विशेष पूजा-अर्चना और आरती के साथ डोली ने आगे का सफर शुरू किया। यात्रा मार्ग में फाटा, ब्यूंग, नारायणकोटी सहित कई पड़ावों पर भक्तों ने बाबा की आरती उतारी और आशीर्वाद लिया।
गुप्तकाशी पहुंचने पर डोली का स्वागत पुष्प वर्षा, ढोल-दमाऊं और शंखनाद के साथ किया गया। विश्वनाथ मंदिर परिसर में बाबा की डोली की अगवानी के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। गुप्तकाशी की गलियाँ जय बाबा केदार! हर-हर महादेव! के नारों से गूंज उठीं। आज सुबह डोली अपने अंतिम पड़ाव ऊखीमठ के लिए रवाना होगी…जहां ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की भोग मूर्ति विराजमान की जाएगी।
ऊखीमठ पहुंचने के बाद अगले छह माह तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना यहीं की जाएगी। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु अब शीतकाल के दौरान ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में दर्शन कर सकेंगे। यह मंदिर न केवल केदारनाथ धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल है, बल्कि इसे पंचकेदारों के संयुक्त दर्शन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
शीतकालीन यात्रा के चलते ऊखीमठ और आसपास के क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिल रहा है। ओंकारेश्वर मंदिर के पास स्थित प्रसिद्ध स्थल चोपता और चंद्रशिला ट्रेक के कारण श्रद्धालु और पर्यटक दोनों बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल बाबा केदार के दर्शन करते हैं, बल्कि रुद्रप्रयाग जनपद के अन्य मठ-मंदिरों और प्राकृतिक स्थलों का भी आनंद लेते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त पंचकेदारों के दर्शन नहीं कर पाते वे ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में एक साथ सभी के दर्शन कर सकते हैं। इसी आस्था के कारण शीतकाल के दौरान यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से सराबोर रहता है। भक्तों की आस्था, भक्ति और उत्साह से केदारघाटी इन दिनों पूरी तरह केदारमय हो गई है। हर तरफ सिर्फ एक ही स्वर गूंज रहा है।
Kedarnath
केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद, अब शीतकालीन गद्दीस्थल पर होंगे दर्शन

केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत विधि-विधान के साथ केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुभ मुहूर्त में बाबा केदार के धाम केदारनाथ के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। सुबह 8:30 बजे बाबा की पंचमुखी डोली जैसे ही मंदिर से बाहर निकली तो पूरी केदारपुरी “हर हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान सीएम धामी के साथ ही हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।
शुभ मुहूर्त में यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद
आज भाईदूज के पावन पर्व पर मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं। धाम के कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की डोली खरसाली गांव के लिए रवाना हो गई है। शीतकाल में अगले छह महीने मां यमुना खरसाली गांव में दर्शन देंगी।
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रुद्रप्रयाग की प्रतिभा नेगी ने बढ़ाया उत्तराखंड का मान, IOCL में मिली बड़ी सफलता l

रुद्रप्रयाग- “जहां चाह, वहां राह”—इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की होनहार बेटी प्रतिभा नेगी ने। सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बीच पढ़ाई कर प्रतिभा ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) में असिस्टेंट क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर पद पर चयनित होकर पूरे जनपद को गौरवान्वित किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे पहाड़ के लिए गर्व का विषय बन गई है।
अगस्त्यमुनि की बेटी, देश का नाम रोशन
प्रतिभा रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के जयकंडी गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता वीरेंद्र नेगी एक इलेक्ट्रिकल दुकान चलाते हैं, जबकि माता विजया नेगी चिल्ड्रेन एकेडमी इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि में अध्यापक हैं। प्रतिभा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी विद्यालय से प्राप्त की है।
शैक्षणिक यात्रा
प्रतिभा की शैक्षणिक यात्रा हमेशा से अनुकरणीय रही है:
2019: एमएससी (रसायन विज्ञान) में उत्कृष्ट प्रदर्शन
2019: सीएसआईआर-नेट परीक्षा उत्तीर्ण
2020: GATE परीक्षा पास
वर्तमान में CSIR-Indian Institute of Petroleum, देहरादून से पीएचडी कर रही हैं।
IOCL में चयन, महाराष्ट्र में देंगी सेवाएं
प्रतिभा का चयन महाराष्ट्र के लिए हुआ है, जहां वे अब IOCL में असिस्टेंट क्वालिटी कंट्रोल ऑफिसर के पद पर कार्यभार संभालेंगी। यह पद भारत की अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में है, जो उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि है।
परिवार और समाज की प्रतिक्रिया
प्रतिभा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है। उन्होंने कहा,
“मेरी इस यात्रा में परिवार और गुरुओं का सहयोग हमेशा मेरे साथ रहा। यही मेरी ताकत बनी।”
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। विद्यालय परिवार, सामाजिक संगठन और युवा प्रतिभाओं ने उन्हें बधाइयां दी हैं।
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ऐश्वर्या रावत ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा:
“प्रतिभा नेगी की सफलता पहाड़ की हर बेटी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित किया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।”
पहाड़ की बेटियों के लिए मिसाल
प्रतिभा की सफलता उन सभी लड़कियों के लिए उदाहरण है जो पहाड़ों में रहकर भी बड़े सपने देखती हैं। यह कहानी यह दिखाती है कि अगर मेहनत सच्चे मन से की जाए, तो पहाड़ जैसी मुश्किलें भी छोटी लगती हैं।
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