Rudraprayag
श्री केदारनाथ धाम की यात्रा पर आ रहे है तो जनपद के अन्य तीर्थ स्थलों के भी करें दर्शन।

रुद्रप्रयाग – श्री केदारनाथ धाम की यात्रा सुव्यवस्थित ढंग से संचालित हो रही है। भगवान शिव के प्रिय निवास स्थान 11वें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के दर्शनों को धाम में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। दो सप्ताह की यात्रा ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। जिसमें 3,57,875 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर लिए हैं। केदारनाथ पहुँच रहे श्रद्धालु रुद्रप्रयाग जनपद के अन्य तीर्थ स्थलों एवं मंदिरों के भी दर्शन कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
मध्यमहेश्वर मंदिर- चैखंभा की गोद में समुद्रतल से 9700 फीट की ऊंचाई पर यह मंदिर अवस्थित है, जो ऊखीमठ से 30 किमी की दूरी पर अवस्थित है। यहां अन्य मंदिरों में बूढ़ा मध्यमहेश्वर क्षेत्रपाल मंदिर, हिंवाली देवी मंदिर हैं। यहां की पहाड़ियों में अनेक गुफाएं हैं। पंचकेदार के नाम से विख्यात शिव के पांच पावन धामों में से मध्यमहेश्वर दूसरा धाम है। यहां भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है।
तुंगनाथ मंदिर- पंचकेदारों में तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर समुद्रतल से 12070 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ऊखीमठ सड़क से 30 किमी की दूरी पर चोपता पर्यटक स्थल से 3.50 किमी की पैदल मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। यहां के अन्य मंदिरों में भूतनी देवी एवं भैरोनाथ मंदिर हैं। मंदिर से कुछ ही दूरी पर चंद्रशिला मंदिर है। मंदिर के निकट ही रावण शिला भी है। यह मान्यता है कि लंकापति रावण ने इस शिला पर तपस्या की थी। इस स्थान से नंदा देवी, पंचाशूली, गंधमादन, द्रोणांचल, केदारनाथ, बद्रीनाथ और गंगोत्री की हिमाच्छादित हिम श्रृंखलाएं अनुपम छटा बिखेरती हुई श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करती है। यहां भगवान शिव की भुजाओं की पूजा की जाती है।
ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ- रुद्रप्रयाग से 42 किमी दूर ओंकारेश्वर शिव का प्रसिद्ध मंदिर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मंदिर का निर्माण आदि गुरू शंकराचार्य के द्वारा कराया गया। यह मंदिर ऊषामठ परिसर में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि बाणासुर की पुत्री ऊषा का विवाह इसी स्थान पर हुआ था। मंदिर के नीचे विवाह स्थल की बेदी अभी भी है। शीतकाल में भगवान केदारनाथ तथा द्वितीय केदारनाथ मध्यमहेश्वर यहीं विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं।
गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर- विश्वनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग गुप्तकाशी में स्थित है। प्रचलित मान्यता के अनुसार (गुप्त वाराणसी) तीन काशियों-वाराणसी (काशी) उत्तरकाशी और गुप्तकाशी में से एक है। मंदिर नागर शैली में निर्मित है। किंवदती के अनुसार भगवान शिव ने यहां पर गुप्तवास किया था। मंदिर के पास ही अर्द्धनारेश्वर मंदिर, चंद्रशेखर महोदव मंदिर और पांडवों की मूर्तियां दर्शनीय हैं।
रुद्रनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग- अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम स्थल पर प्राचीन रुद्रनाथ मंदिर स्थित है। पास ही देवी पार्वती की प्राचीन मूर्ति है। मंदिर परिसर में शिव और लक्ष्मी नारायण मंदिर भी हैं। स्कंद पुराण केदारखंड के अनुसार इस स्थान पर एक पाद होकर महर्षि नारद की तपस्या से प्रसन्न होकर रुद्र ने उन्हें दर्शन देकर संगीत के रागों का ज्ञान दिया था।
कोटेश्वर महादेव मंदिर- रुद्रप्रयाग मुख्यालय से 2 किमी उत्तर-पूर्व की ओर अलकनंदा तट पर कोटेश्वर नामक अति प्राचीन मंदिर अवस्थित है। मंदिर के समीप प्राचीन गुफा है जिसके भीतर स्फटिक के कई शिवलिंग विराजमान हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार विद्या प्राप्ति, ऐश्वर्य प्राप्ति, सन्तति की कामना लेकर शिवरात्रि और श्रावण मास में इस मंदिर में शिवार्चन सकल मनोरथ पूर्ण करने वाला है। कोटि शिवलिंग की उत्पत्ति के कारण इस स्थान का नाम कोटेश्वर पड़ा।
कार्तिक स्वामी मंदिर- रुद्रप्रयाग-दशज्यूला-कांडई मोटर मार्ग पर कनकचैरी से 3 किमी ऊंचाई पहाड़ी पर शिवपुत्र कार्तिकेय का भव्य मंदिर है। यहां पर कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर, भैरोंनाथ, हनुमान तथा ऐड़ी आछरियों के मंदिर हैं। यहां से चैखंभा पर्वत श्रृंखला केदारनाथ, सुमेरू पर्वत श्रृंखला, नंदा देवी, गंगोत्री पर्वत श्रृंखला का दृश्य दर्शनीय है।
त्रियुगीनारायण मंदिर- सोनप्रयाग-त्रियुगीनारायण मोटर मार्ग पर त्रियुगीनारायण का मंदिर है। यह शैव और वैष्णव दोनों सम्प्रदायों की आस्था का केंद्र है। स्थानीय मान्यता के अनुसार सतयुग में यहां शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, तब से प्रज्वलित अग्नि (धूनी) अभी तक निरंतर जल रही है।
जाख देवता मंदिर- रुद्रप्रयाग-गुप्तकाशी मोटर मार्ग पर नारायणकोटि से लगभग 3 किमी की दूरी पर जाख देवता का मंदिर स्थित है। जाख यानि यक्ष देवता के मंदिर में वैशाख माह में मेला लगता है। जिसमें देवता का अवतारी (पश्वा) व्यक्ति दहकते अंगारों के ऊपर चलता है।
अगस्त्यमुनि मंदिर-रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर मंदाकिनी नदी के तट पर अगस्त्यमुनि में महर्षि अगस्त्य का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में महर्षि की प्रतिमा पाये के नीचे स्थित है। मंदिर के पास ही अगस्त्य धोंधा जी की प्रतिमा भी है।
वसुकेदार- वसुकेदार अगस्त्यमुनि-डडोली-गुप्तकाशी मोटर मार्ग पर बसा है। कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान शंकर ने एक रात्रि निवास किया था, इसीलिए इस स्थान को वसुकेदार कहते हैं। यहां पर शंकर भगवान का विशाल मंदिर है तथा केदारनाथ के दर्शनों का फल भक्तों को मिलता है। यह अत्यंत रमणीक स्थान है।
काली शिला मंदिर-रुद्रप्रयाग-कालीमठ मोटर मार्ग पर काली शिला मंदिर कालीमठ से लगभग 06 किमी पूरब की ओर खड़ी चढ़ाई चढ़कर व्यूंखी गांव के ऊपर है। प्रचलित मान्यता के अनुसार इस शिला पर 64 यंत्र हैं जिनमें शक्ति पुंज पैदा होते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी से वरदान पाकर गर्वित असुर रक्त बीज के विनाश के लिए देवी दुर्गा इसी शिला पर महाकाली के रूप में अवतरित हुई थी तथा महाकाली के रूप में उन्होंने अपना विशाल आकृति का मुंह फैलाकर रक्त बीज के रक्त को चाटना शुरू किया ताकि अन्य रक्त बीज पैदा न हो, इस तरह रक्तबीज का अंत हुआ था।
कालीमठ सिद्धपीठ-उत्तराखंड के प्रमुख सिद्धपीठ में कालीमठ प्रसिद्ध है। रुद्रप्रयाग-गुप्तकाशी मोटर मार्ग पर गुप्तकाशी से 10 किमी की दूरी पर नागर शैली में निर्मितहै। यहां पर महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती के मंदिर के अलावा हर गौरी मंदिर, भैरव मंदिर, मातंग शिला प्रमुख है। कालीमठ मंदिर से डेढ किमी दूरी पर महाकवि कालीदास का जन्म स्थान कविल्ठा भी स्थित है।
हरियाली देवी- नगरासू-डांडाखाल मोटर मार्ग पर जसोली गांव में हरियाली देवी मंदिर प्रसिद्ध सिद्धपीठों में एक है। जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से लगभग 39 किमी0 पर अवस्थित इस सिद्धपीठ के विषय में प्राचीन मान्यता है कि इस मंदिर में श्रद्धापूर्वक मां की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मैठाणा देवी- तिलवाड़ा-सौंराखाल मोटर मार्ग पर भरदार पट्टी में घेंघड़खाल से 5 किमी दूरी पर मैठाणा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। दशहरे के अवसर पर यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
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कार खाई में गिरने से बैंक मैनेजर की मौत !

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में एक और दर्दनाक सड़क हादसा सामने आया है। बुधवार देर रात जिले के सन बैंड क्षेत्र के पास एक कार अनियंत्रित होकर करीब 200 मीटर गहरी खाई में गिर गई, जिसमें कार सवार व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई।
मृतक की पहचान चमोली जिला सहकारी बैंक सतेराखाल शाखा के मैनेजर के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि वह गोपेश्वर में बैंक की बैठक में शामिल होने के बाद घर लौट रहे थे। लौटते समय यह दर्दनाक हादसा हो गया।
हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को खाई से बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दुर्घटना में कार के परखच्चे उड़ गए, जिससे हादसे की भयावहता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
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रुद्रप्रयाग हादसा: अलकनंदा नदी में गिरी टेंपो ट्रैवलर, एक ही परिवार के 20 लोग थे सवार, 2 की मौत !

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जनपद में आज गुरुवार सुबह ऐसा मंजर देखने को मिला जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। सुबह-सुबह जब लोग अपनी दिनचर्या की ओर बढ़ ही रहे थे, तभी ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर घोलतीर के समीप एक टेंपो-ट्रेवलर अनियंत्रित होकर सीधे अलकनंदा नदी में जा गिरा। हादसा इतना भयावह था कि कुछ समय के लिए चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
हादसे में जो सबसे दर्दनाक बात सामने आई है…वो ये कि वाहन में सवार 17 लोग एक ही परिवार के थे जो राजस्थान के उदयपुर से तीर्थ यात्रा पर निकले थे। वाहन में कुल 19 लोग सवार थे। बताया जा रहा है कि सभी लोग बदरीनाथ धाम की ओर जा रहे थे। मगर किसी को क्या पता था कि रास्ते में ही उनकी जिंदगी यूं ठहर जाएगी।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस, SDRF, और जिला प्रशासन की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। घटनास्थल बेहद दुर्गम था और अलकनंदा की तेज धारा राहत कार्य में बाधा बन रही है…लेकिन इसके बावजूद टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार के मुताबिक अब तक 9 लोगों को रेस्क्यू किया गया है…जिनमें दो लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में एक महिला भी शामिल है। 8 घायलों को जिला चिकित्सालय भेजा गया है जिनमें कई छोटे बच्चे भी हैं।
मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हादसे के वक्त तीन लोग गाड़ी से बाहर छिटककर गिर गए, जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया है। बाकी यात्री नदी की तेज धारा में बह गए।
रेस्क्यू टीम ने बताया कि घटनास्थल से एक शव बहकर शिवपुरी तक पहुंचा…जिसे कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। यह दृश्य जितना दुखद था…उतना ही भयावह भी।
इस हादसे से पूरे इलाके में शोक और दहशत का माहौल है। स्थानीय लोग और प्रशासनिक टीमें मिलकर राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। लोगों की आंखों में आंसू हैं और हर कोई यही दुआ कर रहा है कि बाकी लापता लोग सुरक्षित मिल जाएं।
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बड़ी खबर : रुद्रप्रयाग में बड़ा हादसा — यात्रियों से भरी बस अलकनंदा नदी में गिरी

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर घोलतीर के समीप एक बड़ा सड़क हादसा सामने आया है। यात्रियों से भरी एक बस अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिरने के बाद सीधे अलकनंदा नदी में समा गई।
हादसे की सूचना मिलते ही रुद्रप्रयाग पुलिस, एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) सहित अन्य एजेंसियों की टीमें मौके पर पहुंचकर सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गई हैं। राहत कार्य में स्थानीय लोग भी प्रशासन की मदद कर रहे हैं।
प्राथमिक जानकारी के अनुसार, यह बस ऋषिकेश से बद्रीनाथ जा रही थी। बस में करीब 15 से 18 यात्री सवार बताए जा रहे हैं।
अब तक 6 घायलों को रेस्क्यू कर अस्पताल भेजा गया है, जबकि 1 व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है।
हालांकि, अभी तक बस का मलबा नदी में नजर नहीं आया है, जिससे आशंका जताई जा रही है कि बस में अब भी 7 से 8 लोग फंसे हो सकते हैं।
रेस्क्यू टीमें नदी के तेज बहाव में बस को खोजने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। मौके पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
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