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चमोली में बड़ा हादसा: गधेरे में डूबे पांच बच्चों में से दो की मौत, तीन को बचाया गया

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के गौचर क्षेत्र में शनिवार को बड़ा हादसा हो गया। पनाई के पास लोडिया गधेरे में नहाते समय पांच बच्चे अचानक डूब गए। स्थानीय लोगों और रेस्क्यू टीम की मदद से तीन बच्चों को तो बचा लिया गया, लेकिन दो बच्चों की मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, सभी बच्चे घर से ट्यूशन के लिए निकले थे। रास्ते में उन्होंने गधेरे में नहाने का फैसला किया। इस दौरान एक बच्चा पानी में डूबने लगा, जिसे बचाने के लिए चार और बच्चे भी गधेरे में कूद पड़े। मगर तेज बहाव और भंवर में फंसने से दो बच्चों की जान नहीं बच पाई।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और सर्च ऑपरेशन चलाकर दोनों बच्चों को बाहर निकाला। अस्पताल पहुंचाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृत बच्चों की पहचान गौरव गोसाई (निवासी डूंगरी गांव, नारायणबगड़) और दिव्यांशु बिष्ट (निवासी श्रीकोर्ट, गौचर) के रूप में हुई है। इस दर्दनाक हादसे के बाद गांव में शोक का माहौल है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
पुलिस और प्रशासन की अपील: प्रशासन ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि बरसात के मौसम में नदी-नालों और गधेरों के आसपास न जाएं, क्योंकि अचानक जल स्तर बढ़ने से इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं।
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हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर हादसा: श्रद्धालु की खाई में गिरकर मौत

चमोली: हेमकुंड साहिब की पवित्र यात्रा पर रविवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया। पंजाब के अमृतसर जिले से आए 18 वर्षीय सिख श्रद्धालु गुरप्रीत सिंह की खाई में गिरने से मौत हो गई। हादसा पुलना से करीब दो किलोमीटर आगे जंगल चट्टी के पास हुआ।
गोविंदघाट थाना प्रभारी विनोद रावत ने बताया कि गुरप्रीत सिंह अपने 90 सदस्यों के जत्थे के साथ हेमकुंड साहिब की यात्रा पर निकले थे। यात्रा मार्ग पर गुरप्रीत सिंह ने मुख्य पैदल रास्ता छोड़कर एक पुराना और क्षतिग्रस्त शॉर्टकट रास्ता चुन लिया, जिसे सुरक्षा कारणों से पहले ही बंद कर दिया गया था। उन्होंने उस रास्ते पर जाने के लिए रेलिंग भी पार की। इसी दौरान वह फिसलकर गहरी खाई में जा गिरा।
सूचना मिलते ही गोविंदघाट पुलिस, एसडीआरएफ और अन्य राहत दल मौके पर पहुंचे। अत्यंत दुर्गम और खतरनाक ढलान के बावजूद टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाकर शव को बाहर निकाला और मुख्य मार्ग तक लाने में कड़ी मशक्कत की। इसके बाद उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने शव का पंचायतनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए जोशीमठ मोर्चरी भेज दिया है। इस घटना के बाद श्रद्धालुओं और प्रशासन के बीच शोक की लहर है, साथ ही यात्रियों को बार-बार अपील की जा रही है कि वे यात्रा मार्ग पर तय रास्ते का ही इस्तेमाल करें और किसी भी शॉर्टकट या प्रतिबंधित मार्ग पर न जाएं, जिससे हादसों को रोका जा सके।
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चमोली से दुखद खबर: प्रधान पद के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह का निधन, चुनाव स्थगित

चमोली: चमोली ज़िले के विकासखंड देवलग्वाड़ ग्राम पंचायत में प्रधान पद के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह (38) का शनिवार को निधन हो गया। राजेंद्र सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें थराली अस्पताल ले जाया गया, जहां से हालत गंभीर होने पर हायर सेंटर रेफर किया गया। लेकिन उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
राजेंद्र सिंह के निधन की खबर से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। वे अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं।
इस घटना के बाद विकासखंड के निर्वाचन अधिकारी अश्विनी गौतम ने तत्काल पत्र जारी कर देवलग्वाड़ में प्रधान पद का चुनाव स्थगित करने की घोषणा की है। हालांकि, अन्य पदों पर चुनाव की प्रक्रिया पहले की तरह जारी रहेगी।
ग्रामीणों ने बताया कि राजेंद्र सिंह बेहद मिलनसार और समाजसेवी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे, जिनकी कमी गांव लंबे समय तक महसूस करेगा।
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Earthquake: अचानक जोर का झटका! चमोली में देर रात कांपी धरती, लोग सहमे

चमोली: Earthquakev – उत्तराखंड के चमोली जिले में शुक्रवार देर रात अचानक जमीन हिली तो लोग घबराकर अपने घरों और दुकानों से बाहर निकल आए। सड़कों पर खड़े लोग सहमे हुए एक-दूसरे से हालचाल पूछते नजर आए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रात को आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.3 मापी गई, जिसकी गहराई करीब 10 किलोमीटर थी।
गनीमत रही कि इस हल्के भूकंप से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं आई। इससे कुछ दिन पहले, 8 जुलाई को भी उत्तरकाशी में दोपहर 1:07 बजे 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई करीब 5 किलोमीटर थी।
भूकंप आखिर क्यों आता है?
पृथ्वी के भीतर सात बड़ी प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो उस जगह को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। टकराव के कारण प्लेट्स के किनारे मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव बनने पर अचानक टूट जाते हैं। इसके चलते भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती है और धरती हिल उठती है, जिसे हम भूकंप के झटकों के रूप में महसूस करते हैं।
क्या होता है भूकंप का केंद्र?
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है, जिसके नीचे प्लेट्स में खिंचाव के कारण सबसे पहले हलचल होती है। यहीं से ऊर्जा बाहर निकलती है, इसलिए इसी जगह झटके सबसे ज्यादा महसूस होते हैं। जैसे-जैसे इस केंद्र से दूरी बढ़ती जाती है, कंपन कम महसूस होता है।
कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता?
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल से मापी जाती है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहते हैं। इस पैमाने पर भूकंप को 1 से 9 के बीच मापा जाता है। इसका आधार एपीसेंटर यानी भूकंप के केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा की ताकत होती है। यही ताकत बताती है कि झटका कितना तेज और कितना खतरनाक है।
भले ही चमोली में आए इस भूकंप की तीव्रता ज्यादा नहीं थी, लेकिन यह याद दिलाता है कि उत्तराखंड भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, जहां कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है। जागरूक रहना और सतर्क रहना ही सबसे अच्छा उपाय है।
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