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नैनीताल हाई कोर्ट ने यूसीसी पर राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का दिया आदेश…

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या वह यूसीसी के विवादास्पद प्रावधानों में संशोधन पर विचार कर सकती है।
सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या राज्य सरकार नए सुझावों पर विचार कर सकती है और जरूरत पड़ने पर कानून में संशोधन कर सकती है। मेहता ने जवाब दिया कि राज्य सरकार सभी सुझावों का स्वागत करती है और इस पर विचार करने को तैयार है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने भी अदालत को बताया कि कोर्ट ने सालिसिटर जनरल से विधानसभा से आवश्यक संशोधनों को लागू करने का अनुरोध किया है।
सुनवाई के दौरान नैनीताल निवासी प्रो. उमा भट्ट और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं और एक लिव-इन जोड़े द्वारा दाखिल याचिका पर भी चर्चा हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की अनिवार्यता निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने इस पर कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप समाज में तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी भी पूरी तरह से स्वीकृत नहीं हैं। कानून का उद्देश्य सिर्फ बदलते समय के साथ समायोजन करना और ऐसे रिश्तों से जन्मे बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना है।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि यूसीसी सरकार को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले व्यक्तियों की जांच, प्राधिकरण और दंड की कठोर व्यवस्था प्रदान करता है। इसे महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया जा रहा है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह महिलाओं और जोड़ों के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा को बढ़ावा दे सकता है, जो पारंपरिक समाज के प्रतिबंधों का पालन नहीं करते हैं।
इसके अलावा, कानून के तहत माता-पिता और अन्य बाहरी हस्तक्षेप करने वालों को पंजीकरणकर्ताओं के व्यक्तिगत विवरण तक पहुंच प्रदान की जाती है, जिससे सतर्कता बढ़ सकती है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह किसी भी व्यक्ति को लिव-इन रिलेशनशिप की वैधता पर सवाल उठाने और शिकायत दर्ज करने का अधिकार देता है, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर खतरा बढ़ सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आधार विवरण की अनिवार्यता सुप्रीम कोर्ट के पुट्टुस्वामी फैसले का उल्लंघन है, जिसमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया गया था। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार इस मामले को गंभीरता से देख रही है और किसी भी व्यक्ति के खिलाफ इस कानून के तहत दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
वृंदा ग्रोवर के अनुरोध पर, हाई कोर्ट ने आदेश में यह दर्ज करने पर सहमति जताई कि यदि किसी व्यक्ति पर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है, तो उसे कोर्ट में जाने की पूरी स्वतंत्रता होगी। इसके बाद, राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर यूसीसी के प्रावधानों पर अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा। यह मामला उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता की संवैधानिक वैधता और इसके प्रभावों पर व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।
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Nainital high court ने ADGP को क्यों दिया डिप्टी जेलर और कांस्टेबल को सस्पेंड करने का आदेश? जानिए वजह

Why did Nainital High Court order suspension of Deputy Jailer and constable? Shocking reason inside!
नैनीताल। पोक्सो के एक आरोपी कैदी के साथ जेल में कथित मारपीट का मामला हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंचा तो कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। nainital high court की मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सितारगंज केंद्रीय कारागार के डिप्टी जेलर नवीन चौहान और कांस्टेबल राम सिंह कपकोटी को निलंबित करने के आदेश दे दिए हैं।
मामला उस वक्त उजागर हुआ जब डीएलएसए ऊधमसिंह नगर के सचिव ने आरोपी कैदी सुभान से बातचीत के बाद अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। इसी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने 15 जुलाई को दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।
आरोप है कि जेल के भीतर पोक्सो के आरोपी कैदी सुभान के साथ बुरी तरह मारपीट की गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। कोर्ट ने सिर्फ यही नहीं, बल्कि जेल अधीक्षक को भी आदेश दिया है कि वह उन सभी अधिकारियों और कर्मियों के नाम कोर्ट के सामने पेश करें, जो डीएलएसए सचिव के सुभान से बातचीत के वक्त वहां मौजूद थे।
इसके अलावा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) को कोर्ट के आदेश का तत्काल अनुपालन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए घटना से जुड़ी सभी रिपोर्ट और फोटो को रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल के पास सुरक्षित रखने को कहा है।
यह कार्रवाई साफ संदेश देती है कि जेलों में कैदियों के साथ किसी भी तरह की ज्यादती को अदालत बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी।
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Nainital High Court का बड़ा फैसला: पंचायत चुनाव पर आयोग को नहीं मिली राहत

नैनीताल। उत्तराखंड पंचायत चुनाव को लेकर Nainital High Court से एक बार फिर बड़ी खबर सामने आई है। राज्य निर्वाचन आयोग को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि आयोग को पंचायत चुनाव पंचायतीराज एक्ट के मुताबिक ही कराना होगा।
मामला उस समय से जुड़ा है जब 11 जुलाई के आदेश के खिलाफ चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। इस आदेश में हाईकोर्ट ने दो जगह वोटर बने लोगों के नामांकन को गलत ठहराया था। आयोग की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखा है।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य के पंचायत चुनावों को लेकर फिर से हलचल मच गई है। हालांकि कोर्ट ने चुनाव पर कोई रोक नहीं लगाई है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर किसी भी उम्मीदवार को नामांकन या अन्य किसी बात पर आपत्ति हो, तो वह चुनाव के बाद इलेक्शन पिटिशन दाखिल कर सकता है।
इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग को पंचायत चुनाव पूरी तरह से पंचायतीराज अधिनियम के अनुरूप ही कराने होंगे और इसमें कोई छूट नहीं मिलेगी।
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Chief Justice G. Narendran की गाड़ी का भीषण हादसा! जानिए कैसे बची जान

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र (Chief Justice G. Narendran) रविवार शाम दिल्ली से नैनीताल लौट रहे थे, तभी रास्ते में उनकी गाड़ी एक सड़क हादसे का शिकार हो गई। यह हादसा मोरादाबाद के रामगंगा पुल के पास राष्ट्रीय राजमार्ग (एन.एच.) पर हुआ।
मिली जानकारी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश के काफिले में आगे चल रही स्कॉर्ट की गाड़ी ने अचानक इमरजेंसी ब्रेक लगाया। बारिश के कारण सड़क पर फिसलन होने से पीछे से आ रही मुख्य न्यायाधीश की टोयोटा कैमरी गाड़ी अनियंत्रित होकर स्कॉर्ट की गाड़ी से जा टकराई। इसी दौरान पीछे सुरक्षा कर्मियों की गाड़ी भी फिसल कर मुख्य न्यायाधीश की गाड़ी से भिड़ गई।
इस दुर्घटना में मुख्य न्यायाधीश को हल्के झटके आए हैं, जबकि उनके सुरक्षा दस्ते में शामिल कुछ जवानों को मामूली चोटें लगी हैं। घायल दरोगा को मोरादाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसे में मुख्य न्यायाधीश की गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट से तुरंत एक अतिरिक्त वाहन भेजा गया। क्षतिग्रस्त कैमरी गाड़ी को मोरादाबाद में ही मरम्मत के लिए छोड़ दिया गया है।
घटना की सूचना मिलते ही मोरादाबाद जिला प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए और हालात का जायज़ा लिया। राहत की बात यह है कि मुख्य न्यायाधीश श्री जी. नरेंद्र देर रात सुरक्षित नैनीताल पहुंच गए हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र का प्रोफ़ाइल
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