Rudraprayag
बधाणीताल झील को संवारेगी सरकार, सीएम धामी की घोषणा पर मिली 3.36 करोड़ की मंजूरी…

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के विकासखण्ड जखोली के अंतर्गत आने वाली प्राकृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बधाणीताल झील के सौंदर्यीकरण एवं विकास को लेकर बड़ी पहल की गई है। शासन ने इसके लिए ₹3.36 करोड़ की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है, जिससे क्षेत्रीय पर्यटन को नया जीवन और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
बधाणीताल को पर्यटन मानचित्र पर उभारने की दिशा में 14 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बधाणीताल पर्यटन एवं विकास मेला के दौरान इस झील को एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के तहत पर्यटन विभाग और ग्रामीण निर्माण विभाग ने मिलकर विकास योजना तैयार की और डीपीआर शासन को भेजी गई। अब शासन स्तर से इसकी स्वीकृति मिल गई है।
शासन ने बधाणीताल के सौंदर्यीकरण के लिए कुल ₹3.36 करोड़ की स्वीकृति के साथ ही वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹1.34 करोड़ (134.60 लाख रुपये) की पहली किश्त भी जारी कर दी है। इस परियोजना को ग्रामीण निर्माण विभाग कार्यदायी संस्था के रूप में क्रियान्वित करेगा।
स्थानीय विधायक भरत सिंह चौधरी ने इस स्वीकृति को क्षेत्र की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताते हुए कहा कि बधाणीताल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। उन्होंने कहा कि इसके विकसित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा।
विधायक ने जानकारी दी कि बरसीर-बधाणीताल मार्ग के डामरीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए भी ₹26 करोड़ की लागत से कार्य जारी है, जिससे भविष्य में पर्यटकों को झील तक पहुंचने में सुविधा होगी।
बधाणीताल झील समुद्र तल से करीब 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और रुद्रप्रयाग से लगभग 60-62 किलोमीटर की दूरी पर है। अंतिम 200 मीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है जो गांव के बीच से होकर झील तक पहुंचता है। यह झील भगवान विष्णु को समर्पित है और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति, पंचमी, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे विशेष पर्वों पर इस झील में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। हर वर्ष यहां भव्य मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें देशभर से श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं।
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रुद्रप्रयाग: जखोली में फिर गुलदार का कहर, महिला की मौत से दहशत, वन विभाग के खिलाफ ग्रामीणों में आक्रोश….

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। विकासखंड जखोली के जयंती गांव में बीती रात गुलदार ने एक 59 वर्षीय महिला रूपा देवी, पत्नी रमेश थपलियाल पर हमला कर दिया, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। यह घटना क्षेत्र में भय और आक्रोश दोनों का कारण बन गई है।
जानकारी के अनुसार, शाम करीब 6 बजे रूपा देवी अपने घर से लगभग 25 मीटर की दूरी पर खेत में काम कर रही थीं, तभी घात लगाए गुलदार ने उन पर हमला कर दिया। महिला की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले एक साल से जखोली क्षेत्र में गुलदार का आतंक लगातार बना हुआ है। इससे पहले देवल गांव में भी एक महिला को गुलदार ने मार डाला था, वहीं चार अन्य महिलाओं पर भी वह जानलेवा हमला कर चुका है। इसके बावजूद वन विभाग की निष्क्रियता को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने चेताया
क्षेत्र पंचायत सदस्य भूपेंद्र भंडारी ने कहा कि वन विभाग की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने साफ तौर पर चेतावनी दी है कि जब तक गुलदार को आदमखोर घोषित नहीं किया जाएगा, तब तक ग्रामीण महिला का शव नहीं उठाएंगे। उन्होंने यह भी मांग की कि वन विभाग तुरंत प्रभाव से गुलदार को पकड़ने की कार्रवाई शुरू करे।
ग्रामीणों ने कहा कि बार-बार हो रही घटनाओं के बावजूद वन विभाग केवल कागजों में सक्रिय है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
अलर्ट की ज़रूरत
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में गश्त बढ़ाई जाए, सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और बच्चों व महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
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केदारनाथ धाम यात्रा: सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद केदारनाथ यात्रा मार्ग पर नहीं होगा घोड़े-खच्चरों का संचालन….

रुद्रप्रयाग: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के आदेश के बाद केदारनाथ यात्रा मार्ग पर सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किसी भी घोड़े-खच्चर का संचालन प्रतिबंधित कर दिया गया है। नियम तोड़ने वाले संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। तहसील प्रशासन ऊखीमठ और पशुपालन विभाग इस बात पर सख्ती से नजर रखे हुए हैं।
केदारनाथ यात्रा में लगभग पांच हजार घोड़े-खच्चर यात्रियों और सामग्री ढोने में मदद करते हैं। कुछ समय पहले संक्रमण फैलने के कारण इनकी आवाजाही रोकनी पड़ी थी, लेकिन पशुपालन विभाग द्वारा क्वारंटीन और स्वास्थ्य जांच के बाद अब केवल स्वस्थ और फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त घोड़े-खच्चरों को ही यात्रा मार्ग पर चलने की अनुमति दी जा रही है। इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए सात पशु चिकित्सकों की टीमें अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं।
हाईकोर्ट ने घोड़े-खच्चरों के पंजीकरण और स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य कर दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों का संचालन केवल पंजीकृत और स्वस्थ्य जानवरों द्वारा ही किया जा सकता है और आधे रास्ते में आवाजाही बंद करना प्रतिबंधित है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा।
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क्रोंच पर्वत से बद्रीनाथ के लिए रवाना हुई भगवान कार्तिकेय स्वामी जी की पावन यात्रा, जयकारों से गूंजा धाम…

रुद्रप्रयाग: जनपद रुद्रप्रयाग में क्रोंच पर्वत चोटी पर स्थित भगवान कार्तिकेय स्वामी जी की चल विग्रह मूर्ति व देव निशान अपने कार्तिकेय मन्दिर से 7 दिवसीय बद्रीनाथ धाम यात्रा के लिए निकल चुकी है। इस अवसर पर कार्तिक स्वामी मंदिर समिति एंव बड़ी संख्या में क्षेत्रीय जनता ने कार्तिकेय भगवान के जयकारे लगाए।
कार्तिकेय मन्दिर समिति के अध्यक्ष विक्रम सिंह नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज सुबह 9 बजे भगवान कार्तिकेय स्वामी जी अपने मन्दिर से पूजा अर्चना के बाद भक्तों के जयकारों के साथ श्री बद्रीनाथ धाम एंव बसुधारा स्नान हेतु निकल चुके हैं। श्री कार्तिकेय भगवान जी विभिन्न पड़ावों से होते हुए 3 जून को रात्रि विश्राम हेतु बद्रीनाथ धाम पहुचेंगे, जबकि 4 जून को पवित्र बसुधारा में स्नान करने के बाद वापस कार्तिक स्वामी धाम पहुचेंगे।
वहीं 5 जून से 15 जून तक कार्तिक स्वामी मंदिर में पूर्व की भांति 11 दिवसीय भव्य महायज्ञ, हवन-पूजा पाठ का आयोजन होगा।
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