Haridwar
हरिद्वार लोकसभा सीट का टेढ़ा चुनावी गणित…

हरिद्वार – जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव पास सरकते जा रहे हैं। इस चाल से राजनीतिक दलों में टिकट को लेकर अलग-अलग नाम हवा में तैरने लगे हैं। उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों में से अभी सबसे अधिक कयासबाजी हरिद्वार सीट पर चुनावी बिसात को लेकर हो रही है। इसकी मुख्य वजह यह नहीं कि इस सीट पर भी अन्य सीटों की तरह एक ही दल के टिकट के दावेदारों में कई नाम आ रहे हैं बल्कि विशेष बात यह है कि पांचो लोकसभा सीटों में हरिद्वार सीट अकेली ऐसी सीट है जहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा तीसरा दल भी अपने प्रत्याशियों को लोकसभा भेजने के तर्कसंगत दावे कर सकता है।
विगत लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में भी भाजपा का डंका बजा। यहां की पांचो सीट पर भाजपा प्रत्याशी बड़े अंतर से जीते। हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी रमेश पोखरिया निशंक ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी अंबरीश कुमार को ढाई लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था। परंतु चुनाव के करीब-करीब भाजपा और कांग्रेस के बीच ध्रुवीकृत हो जाने के बावजूद तीसरे स्थान पर रहे भाजपा प्रत्याशी अंतरिक्ष सैनी को 173000 से अधिक वोट पड़े थे। यही नहीं इसके बाद वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने हरिद्वार जिले में मंगलौर और लक्सर दो सीटों पर जीत दर्ज की। खानपुर सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार को जीत का स्वाद मिला। इसी तरह से देखने पर पिछले चुनाव में मतदाताओं का बदलता वोटिंग रुझान बताता है कि हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस महफूज होकर नहीं रह सकते बल्कि बसपा सुप्रीमो मायावती के अकेले चलने की घोषणा ने चुनाव में तीसरी ताकत के साथ भी उन्हें कड़ी टक्कर का आभास दे दिया है।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी भी अपना दावा ठोक रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों इस तरफ इशारा भी किया। सपा के इरादों से सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस को हो रही है। कांग्रेस हरिद्वार सीट पर विपक्षी गठबंधन में शामिल सपा से समर्थन की उम्मीद कर रही है। परंतु सपा का हरिद्वार सीट पर दावे के पीछे यह तर्क बाद में वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर सपा प्रत्याशी राजेंद्र कुमार विजयी हुए थे। हालांकि उसके बाद उत्तराखंड में आज तक सपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में से किसी में भी जीत का स्वाद नहीं मिल पाया है। अब अगर आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन में एनडीए के खिलाफ साझा प्रत्याशी की बात तय होती है तो वैसे में सपा उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों को छोड़ने के बदले कांग्रेस पर उत्तराखंड में कम से कम एक सीट पर समर्थन देने का दबाव बना सकती है।
कांग्रेस से इस वक्त हरिद्वार लोकसभा सीट पर टिकट की दावेदारी में जो नाम आ रहे हैं उनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। हरीश रावत कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और हरिद्वार के सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा मौजूद का समय में हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत कांग्रेस के पांच विधायक हैं। जिनमें हरीश रावत की पुत्री अनुपम रावत हरिद्वार ग्रामीण से विधायक हैं।
कुल मिलाकर हरीश रावत ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए हरिद्वार को अपना कर्मक्षेत्र चुन लिया है। हालाकी टिकट का अंतिम फैसला दिल्ली में होगा किंतु हरीश रावत के कद और विगत समय में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत तेज हुई उनकी सक्रियता से लगता है की हरीश रावत की दावेदारी लगभग तय है। हालांकि बीच में डॉ हरक सिंह रावत ने भी हरिद्वार सीट को लेकर सक्रियता दिखाई थी किंतु कुछ समय बाद वह खामोश हो गए। इसके अलावा आचार्य प्रमोद कृष्णम का भी नाम हवा में तैरता है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर कांग्रेस ने हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को टिकट दिया किंतु उन्हें भाजपा प्रत्याशी रमेश पोखरियाल ने से 177000 से भी अधिक वोटो से हार का मुंह देखना पड़ा। उसके बाद हरीश रावत ने राजनीति में अपनी बेटी को आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित किया। ऐसे में हरिद्वार में कांग्रेस के चुनावी समीकरणों से लगता है कि इस बार हरिद्वार सीट पर टिकट के लिए हरीश रावत की दावेदारी पुख्ता है।
अब बात भाजपा की करें तो उसके मौजूदा हरिद्वार सांसद डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से एक बार फिर टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। निशंक मोदी सरकार के इसी कार्यकाल के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री जैसे बड़े पद पर रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में ही नई शिक्षा नीति 2020 पास न हुई परंतु यह आज तक किसी को समझ में नहीं आया कि प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा नीति में बड़े और भाजपा की सोच के मुताबिक परिवर्तन के मुखिया रहे निशंक को एकदम किनारे क्यों कर दिया।
उत्तराखंड में आज भी निशंक भाजपा के बड़े नेता हैं और उनके कद के पास संभवतः भगत सिंह कोश्यारी के अलावा कोई और नहीं है। परंतु लोकसभा चुनाव के लिए हरिद्वार सीट पर भाजपा से भी टिकट के देनदारों में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और स्वामी यतींद्रानंद गिरी के नाम सामने आ चुके हैं। जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी वर्ष 2009 में भाजपा के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनाव लड़े थे, किंतु कांग्रेस के धुरंधर हरीश रावत से पटखनी खा गए। हरिद्वार के संतों ने कुछ दिन पहले यतींद्रानंद गिरी को टिकट देने की बात उठाई है। खुद यतींद्रानंद गिरी ने कहा कि पार्टी चुनाव लड़ने को रहेगी तो वह इस बार मना नहीं करेंगे। यह भी याद रहे की यतींद्रानंद गिरी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिख उत्तराखंड में चुनावी को प्रबंधन का आरोप लगाया था। हालांकि चुनावी नतीजे आने पर भाजपा के कर्णधारों को जीत की खुशी ज्यादा हुई और कुप्रबंधन की बात में उतना दम नजर नहीं आया। तो भी माना जाता है कि इसकी गाज मदन कौशिक पर गिरी है। उन्हें किनारे करने में पार्टी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसीलिए मदन कौशिक के टिकट के दावे की बात उनके उत्साही समर्थकों की भावना कही जा रही है।
कहा जाता है कि वर्ष 2009 में मदन कौशिक का टिकट लगभग तय हो चुका था लेकिन ऐन मौके पर या यतींद्रानंद गिरी को टिकट दे दिया गया और मदन कौशिक देखते रह गए थे। समग्र तौर पर देखें तो हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनावी गणित काफी उलझा हुआ प्रतीत हो रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अंतिम समय तक यह अंदाजा लगा पाना आसान नहीं है कि चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा। इस सीट पर कई विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, ओबीसी और दलित वर्ग के मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। यहां की सोशल इंजीनियरिंग की चाल पर पड़ोसी उत्तर प्रदेश को चुनावी हवा का भी असर होता है। विपक्षी गठबंधन के साझा उम्मीदवारों की सूरत में मौजूद समीकरणों को देखते हुए हरिद्वार सीट पर कांग्रेस कोई कसर नहीं रखना चाहती है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए इस बार हरिद्वार सीट की लड़ाई काफी कठिन होने वाली है।
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उत्तराखंड: विवाहिता को जिंदा जलाया, रेलवे ट्रैक किनारे मिला नवजात का शव

हरिद्वार: हरिद्वार ज़िले से दो दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आई हैं जिन्होंने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। पहली घटना सिडकुल थाना क्षेत्र की है जहां एक विवाहिता संदिग्ध परिस्थितियों में आग से झुलस गई। पीड़िता की हालत गंभीर बताई जा रही है और उसे देहरादून के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं दूसरी घटना ब्रह्मपुरी इलाके से है, जहां रेलवे ट्रैक के पास एक पॉलिथीन में नवजात का शव मिला है। शव को जानवरों ने क्षत-विक्षत कर दिया था।
ससुराल वालों पर पेट्रोल डालकर आग लगाने का आरोप
सिडकुल थाना क्षेत्र की घटना में पीड़िता भारती के मायके वालों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि भारती के ससुराल वालों ने उस पर पेट्रोल डालकर उसे आग लगा दी। पीड़िता के भाई जयप्रकाश ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि उनकी बहन की शादी 27 अक्टूबर 2024 को आशीष नामक युवक से हुई थी।
शादी के कुछ ही महीनों बाद से भारती को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ हफ्ते पहले ही भारती ने एक बेटी को जन्म दिया था, जिसके बाद ससुराल वालों का रवैया और सख्त हो गया। 11 अक्टूबर की शाम को, जयप्रकाश के अनुसार ससुराल वालों ने मिलकर भारती को पेट्रोल डालकर जिंदा जलाने की कोशिश की। जब मायके वालों को खबर मिली…तो वे तुरंत ससुराल पहुंचे और पुलिस की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया।
पीड़िता 80% झुलसी, केस दर्ज
सिडकुल कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नितेश शर्मा और महिला उपनिरीक्षक मनीषा नेगी मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। पीड़िता के बयान तहसीलदार की मौजूदगी में दर्ज किए गए। पुलिस ने पति आशीष, ससुर विजय पाल, सास, ननद और जेठ के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। राज्य महिला आयोग ने भी इस मामले को संज्ञान में लिया है। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने पुलिस अधिकारियों से बात कर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। एसएसआई देवेंद्र तोमर ने बताया कि आयोग को एफआईआर की प्रति भेज दी गई है और मामले की जांच जारी है।
नवजात का शव मिला, इलाके में सनसनी
हरिद्वार की दूसरी घटना ब्रह्मपुरी क्षेत्र की है…जहां रेलवे ट्रैक के किनारे एक पॉलिथीन में नवजात शिशु का शव मिला। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। बताया जा रहा है कि शव को जानवरों ने नुकसान पहुंचाया है। इस अमानवीय घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है।
पुलिस दोनों मामलों की गंभीरता से जांच कर रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है।
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हरिद्वार में सास की अस्थियां लेकर आई बहू की सीढ़ियों से गिरने के बाद दर्दनाक मौत !
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उत्तराखंड: लक्सर में जेसीबी की गरज, मुंडाखेड़ा कलां से 41 अतिक्रमण हटाए गए

लक्सर(हरिद्वार): लक्सर तहसील के मुंडाखेड़ा कलां गांव में शुक्रवार को प्रशासन ने अवैध कब्जों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए तालाब और सरकारी ज़मीन पर बने 41 अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल की तैनाती रही और पूरे गांव में दिनभर हलचल मची रही।
कार्रवाई का नेतृत्व खुद तहसीलदार प्रताप सिंह चौहान ने किया। उनके साथ प्रशासनिक अमला और जेसीबी मशीनें मौके पर पहुंचीं और अतिक्रमण हटाने का काम शुरू किया गया। सरकारी तालाब और ज़मीन पर सालों से कब्जा जमाए लोगों को पहले भी नोटिस दिया गया था…लेकिन तय समय तक कब्जा नहीं हटाया गया।
तहसीलदार चौहान ने जानकारी दी कि 18 सितंबर को सभी कब्जाधारकों को नोटिस जारी किए गए थे और 2 अक्टूबर तक स्वयं कब्जा हटाने का समय दिया गया था। जब आदेश के बावजूद कब्जे नहीं हटे तो प्रशासन ने बलपूर्वक कार्रवाई की।
इस कार्रवाई में कच्चे-पक्के निर्माण, टीनशेड और दीवारें तोड़ी गईं। साथ ही लोगों को चेताया गया कि भविष्य में सरकारी ज़मीन पर किसी भी तरह का कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि जिन 6 मामलों में डीएम के पास अपील लंबित है…उन पर फिलहाल पुनः जांच की जा रही है और कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कार्रवाई के दौरान माहौल तनावपूर्ण जरूर था…लेकिन पुलिस की मौजूदगी में स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण रही। ग्रामीणों में इस कार्रवाई को लेकर मिलेजुले भाव नजर आए कुछ लोगों ने इसे ज़रूरी कदम बताया तो कुछ ने सवाल भी उठाए।गांव के एक बुजुर्ग निवासी का कहना था अगर तालाब की ज़मीन है तो उसे बचाना ही चाहिए। लेकिन प्रशासन को थोड़ा मानवीय नजरिए से भी सोचना चाहिए।
मुंडाखेड़ा कलां से पहले लाडपुर कलां और भारुवाला गांवों में भी प्रशासन अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रुख अपना चुका है। लाडपुर में 9 और भारुवाला में 6 अवैध निर्माण गिराए गए थे। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में भी सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। जिन स्थानों पर कब्जे चिन्हित हैं…वहां जल्द कार्रवाई हो सकती है।
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