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Google Pay–PhonePe यूजर्स सावधान! बैंक अकाउंट से पैसे उड़ाने का नया तरीका आया सामने , जानिए बचाव के तरीके…

Jumped Deposit Scam: बिना OTP, बिना ऐप डाउनलोड कैसे खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट?
डिजिटल इंडिया के इस दौर में जहां ऑनलाइन पेमेंट ने जिंदगी आसान बना दी है, वहीं साइबर अपराधियों ने ठगी के नए-नए तरीके भी ईजाद कर लिए हैं। अब तक हम सभी यही मानते आए हैं कि जब तक OTP शेयर न किया जाए, बैंक डिटेल न दी जाए या किसी संदिग्ध ऐप को डाउनलोड न किया जाए, तब तक पैसे सुरक्षित हैं। लेकिन Jumped Deposit Scam ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है।
यह एक ऐसा नया ऑनलाइन फ्रॉड है जिसमें आपकी ईमानदारी और जल्दबाजी को हथियार बनाकर आपका बैंक अकाउंट मिनटों में खाली किया जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि इसमें न तो OTP मांगा जाता है और न ही कोई ऐप डाउनलोड करवाया जाता है।
Table of Contents
Jumped Deposit Scam क्या है?
Jumped Deposit Scam एक चालाक साइबर ठगी है, जिसमें अपराधी आपके अकाउंट में थोड़ी रकम डालने का भ्रम पैदा करते हैं और फिर उसी बहाने आपसे बड़ी रकम निकलवा लेते हैं।
कल्पना कीजिए, अचानक आपके मोबाइल पर एक SMS आता है कि आपके बैंक अकाउंट में 5,000 रुपये जमा हो गए हैं। आप सोच में पड़ जाते हैं कि यह पैसा कहां से आया। कुछ ही देर में आपको कॉल या मैसेज मिलता है:
“सर, गलती से पैसे आपके अकाउंट में चले गए हैं, कृपया चेक करके वापस कर दीजिए।”
यहीं से Jumped Deposit Scam की असली कहानी शुरू होती है।

कैसे काम करता है Jumped Deposit Scam?
इस स्कैम की सबसे खतरनाक बात यह है कि यह पूरी तरह आपकी आदतों और मनोविज्ञान पर आधारित है।
- फर्जी क्रेडिट मैसेज
स्कैमर पहले आपको बैंक या UPI जैसा दिखने वाला मैसेज भेजते हैं, जिसमें बताया जाता है कि आपके अकाउंट में पैसे जमा हुए हैं। - इमोशनल दबाव
इसके तुरंत बाद कॉल या मैसेज आता है कि पैसे गलती से ट्रांसफर हो गए हैं और तुरंत वापस चाहिए। - फर्जी लिंक भेजना
आपको एक लिंक भेजा जाता है, जिसे “बैलेंस चेक” या “रिफंड प्रोसेस” का नाम दिया जाता है। - UPI ऐप पर रीडायरेक्ट
जैसे ही आप लिंक पर क्लिक करते हैं, वह आपको Google Pay, PhonePe या किसी अन्य UPI ऐप पर ले जाता है। - PIN डालते ही खेल खत्म
आप जैसे ही बैलेंस चेक करने के लिए UPI PIN डालते हैं, 5,000 की जगह 50,000 या उससे ज्यादा रुपये आपके अकाउंट से कट जाते हैं।
यानी आपने खुद अनजाने में बड़ी रकम की मंजूरी दे दी।
रिवर्सल रिक्वेस्ट का कैसे हो रहा है दुरुपयोग?
इस पूरे Jumped Deposit Scam के पीछे एक तकनीकी चाल है, जिसे आम यूजर समझ नहीं पाता।
असल में, अगर किसी से गलती से पैसे ट्रांसफर हो जाएं, तो UPI सिस्टम में “रिवर्सल रिक्वेस्ट” का ऑप्शन होता है। इसी नियम का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं।
- अपराधी पहले से एक बड़ी रकम की रिवर्सल रिक्वेस्ट तैयार रखते हैं
- उस रिक्वेस्ट को एक सामान्य बैलेंस चेक लिंक के पीछे छिपा देते हैं
- जैसे ही यूजर PIN डालता है, वह अनजाने में उसी बड़ी रकम की रिवर्सल रिक्वेस्ट को अप्रूव कर देता है
यूजर को लगता है कि वह सिर्फ अपना बैलेंस देख रहा है, जबकि हकीकत में पैसे ट्रांसफर की मंजूरी दे चुका होता है।
क्यों फंस जाते हैं लोग Jumped Deposit Scam में?
इस स्कैम की सफलता की वजहें बहुत सामान्य हैं:
- अचानक पैसे आने पर घबराहट
- सामने वाले की बात पर भरोसा
- जल्दी में बैलेंस चेक करने की आदत
- UPI स्क्रीन पर ठीक से ध्यान न देना
अपराधी जानते हैं कि जैसे ही किसी को पैसे क्रेडिट होने का मैसेज दिखेगा, वह तुरंत ऐप खोलेगा।
Jumped Deposit Scam से कैसे बचें?
अगर आप थोड़ी सी सावधानी बरत लें, तो इस स्कैम से पूरी तरह बचा जा सकता है।
1. घबराएं नहीं, इंतजार करें
अगर अकाउंट में अचानक पैसे क्रेडिट होने का मैसेज आए, तो तुरंत कोई एक्शन न लें। कम से कम 30 मिनट तक UPI ऐप न खोलें।
2. किसी के भेजे लिंक पर क्लिक न करें
बैलेंस चेक करने या पैसे वापस करने के लिए कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति के लिंक का इस्तेमाल न करें। हमेशा सीधे अपने UPI ऐप से ही लॉगिन करें।
3. बिना समझे PIN न डालें
अगर किसी भी स्क्रीन पर आपको जरा सा भी शक हो, तो PIN डालने से पहले रुक जाएं। याद रखें, PIN डालना मतलब भुगतान की मंजूरी देना।
4. पैसे वापस करने की जिम्मेदारी बैंक की है
अगर कोई दावा करता है कि पैसे गलती से आपके अकाउंट में आ गए हैं, तो उनसे कहें कि बैंक या UPI ऐप के जरिए शिकायत दर्ज करें।
आपको खुद से ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं है।
5. संदिग्ध कॉल या मैसेज की शिकायत करें
ऐसे किसी भी कॉल या लिंक की शिकायत तुरंत साइबर हेल्पलाइन या अपने बैंक में करें।
क्या करें अगर आप Jumped Deposit Scam का शिकार हो जाएं?
अगर गलती से आपके अकाउंट से पैसे कट जाएं, तो समय बर्बाद न करें।
- तुरंत अपने बैंक कस्टमर केयर से संपर्क करें
- UPI ऐप में ट्रांजैक्शन की शिकायत दर्ज करें
- साइबर क्राइम पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत करें
- नजदीकी पुलिस स्टेशन में भी जानकारी दें
जल्दी शिकायत करने से पैसे वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
निष्कर्ष
Jumped Deposit Scam आज के समय का बेहद खतरनाक साइबर फ्रॉड बन चुका है क्योंकि इसमें न तो OTP की जरूरत होती है और न ही किसी ऐप डाउनलोड की। बस एक लिंक और आपकी एक गलती, और सालों की कमाई चंद सेकंड में उड़ सकती है।
डिजिटल लेन-देन जितना आसान है, उतनी ही सावधानी भी जरूरी है। याद रखें, कोई भी असली बैंक या UPI सर्विस आपसे लिंक पर क्लिक कराकर बैलेंस चेक नहीं करवाती।
सतर्क रहें, समझदारी से काम लें और अपने पैसे को सुरक्षित रखें।
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FAQs
❓ Jumped Deposit Scam क्या है?
Jumped Deposit Scam एक नया साइबर फ्रॉड है, जिसमें ठग आपके अकाउंट में पैसे आने का भ्रम पैदा करते हैं और उसी बहाने आपसे UPI PIN डलवाकर बड़ी रकम ट्रांसफर करवा लेते हैं। इसमें OTP या कोई ऐप डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती।
❓ क्या सच में बिना OTP के बैंक अकाउंट से पैसे निकल सकते हैं?
हां। Jumped Deposit Scam में जैसे ही आप UPI ऐप पर PIN डालते हैं, वही भुगतान की मंजूरी मानी जाती है। OTP की कोई जरूरत नहीं होती।
❓ अगर अकाउंट में गलती से पैसे आ जाएं तो क्या करें?
घबराएं नहीं। पैसे अपने आप वापस न भेजें। सामने वाले व्यक्ति से कहें कि वह बैंक या UPI ऐप में आधिकारिक रिवर्सल रिक्वेस्ट डाले। पैसे केवल बैंक की प्रक्रिया से ही वापस होने दें।
❓ बैलेंस चेक करने के लिए भेजे गए लिंक पर क्लिक करना कितना खतरनाक है?
बहुत खतरनाक। ऐसे लिंक अक्सर फर्जी होते हैं और Jumped Deposit Scam का हिस्सा होते हैं। हमेशा सीधे अपने UPI ऐप से ही बैलेंस चेक करें।
❓ अगर मैंने लिंक खोल लिया लेकिन PIN नहीं डाला, तो क्या नुकसान होगा?
नहीं। जब तक आप अपना UPI PIN नहीं डालते, तब तक कोई ट्रांजैक्शन पूरा नहीं होता। शक होने पर तुरंत ऐप बंद कर दें।
❓ क्या यह स्कैम Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे ऐप्स पर भी होता है?
हां। Jumped Deposit Scam किसी एक ऐप तक सीमित नहीं है। यह सभी UPI आधारित ऐप्स पर संभव है।
❓ Jumped Deposit Scam से बचने का सबसे आसान तरीका क्या है?
किसी भी अनजान कॉल, मैसेज या लिंक पर भरोसा न करें। अचानक पैसे आने पर तुरंत UPI ऐप न खोलें और बिना समझे कभी भी PIN न डालें।
Cricket
कौन है रोहित शर्मा को 0 पर आउट करने वाले Devendra Singh Bora , जानिए उनकी पूरी जीवनी…

Devendra Singh Bora : संघर्ष से सुर्खियों तक, उत्तराखंड के तेज़ गेंदबाज़ की पूरी कहानी
भारतीय घरेलू क्रिकेट में हर साल कई खिलाड़ी आते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जिनका एक पल उन्हें पहचान दिला देता है। Devendra Singh Bora उन्हीं नामों में से एक हैं। विजय हज़ारे ट्रॉफी में मुंबई के खिलाफ मैच के दौरान रोहित शर्मा को पहली ही गेंद पर आउट कर देना केवल एक विकेट नहीं था, बल्कि यह उस मेहनत, धैर्य और सपने का नतीजा था, जो वर्षों से एक युवा गेंदबाज़ के भीतर पल रहा था।
यह लेख Devendra Singh Bora की पूरी जीवनी है। इसमें उनका शुरुआती जीवन, क्रिकेट सफर, घरेलू करियर, खेल शैली, उपलब्धियां और भविष्य की संभावनाएं विस्तार से बताई गई हैं।
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Devendra Singh Bora का शुरुआती जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
उत्तराखंड की टीम की ओर से विजय हज़ारे ट्रॉफी में खेल रहे Devendra Singh Bora मूल रूप से एक पहाड़ी खिलाड़ी हैं। Devendra Singh Bora उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के रहने वाले हैं और बीते दो वर्षों से राज्य की सीनियर टीम का हिस्सा बने हुए हैं।

उन्होंने साल 2024 में अपने घरेलू करियर की एक अहम शुरुआत की, जब उन्होंने देहरादून में पुडुचेरी के खिलाफ अपना पहला रणजी ट्रॉफी मैच खेला। यह मुकाबला उनके लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में प्रवेश का बड़ा मौका साबित हुआ।
अगर लिस्ट-ए क्रिकेट की बात करें, तो देवेंद्र सिंह बोरा अब तक उत्तराखंड के लिए दो मैच खेल चुके हैं, जिसमें उन्होंने चार अहम विकेट अपने नाम किए हैं। सीमित मौकों के बावजूद उनका प्रदर्शन यह दिखाता है कि वे टीम के लिए उपयोगी और भरोसेमंद गेंदबाज़ बनकर उभर रहे हैं।
देवेंद्र सिंह बोरा का जन्म 6 दिसंबर 2000 को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में हुआ। पहाड़ी राज्य से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना आसान नहीं होता, क्योंकि यहां न तो बड़े क्रिकेट मैदान हैं और न ही सुविधाओं की भरमार। फिर भी, देवेंद्र के परिवार ने उनके सपनों को सीमित नहीं होने दिया।
शिक्षा और क्रिकेट की शुरुआत
Devendra Singh Bora ने अपनी शुरुआती पढ़ाई उत्तराखंड से ही पूरी की। पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट को संतुलन में रखना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी खेल को बोझ नहीं बनने दिया।
- स्कूल स्तर पर तेज़ गेंदबाज़ के रूप में पहचान
- स्थानीय टूर्नामेंटों में लगातार विकेट
- जिला और फिर राज्य टीम तक चयन
यहीं से उनका सफर धीरे-धीरे गंभीर होता गया। उत्तराखंड की घरेलू क्रिकेट संरचना में जगह बनाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि थी।

घरेलू क्रिकेट में एंट्री
Devendra Singh Bora ने उत्तराखंड के लिए फर्स्ट क्लास और लिस्ट-ए क्रिकेट खेलना शुरू किया। शुरुआत में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन जब भी गेंद थमाई गई, उन्होंने खुद को साबित किया।
फर्स्ट क्लास करियर
- सीम और स्विंग पर भरोसा
- लंबी स्पेल डालने की क्षमता
- दबाव में विकेट निकालने का माद्दा
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 15 मैचों में 3.5 की इकॉनमी से 30 विकेट लेकर यह दिखा दिया कि वे सिर्फ फिलर खिलाड़ी नहीं हैं, बल्कि मैच जिताने की क्षमता रखते हैं।
लिस्ट-ए और विजय हज़ारे ट्रॉफी
विजय हज़ारे ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट युवा खिलाड़ियों के लिए बड़ा मंच होते हैं। यहां प्रदर्शन सीधे चर्चा में आ जाता है। देवेंद्र के साथ भी यही हुआ। लिस्ट – ए मे Devendra Singh Bora ने इस मुक़ाबले से पहले 2 मैच ही खेले थे जिसमे उन्हे 4 विकेट प्राप्त है ।
रोहित शर्मा का ऐतिहासिक विकेट
जयपुर में खेले गए उत्तराखंड बनाम मुंबई मैच में Devendra Singh Bora को नई गेंद सौंपी गई। सामने थे भारतीय टीम के कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज़ रोहित शर्मा।
पहली ही गेंद…
- सटीक लाइन
- हल्की मूवमेंट
- रोहित शर्मा का कैच आउट
गोल्डन डक।
यह पल Devendra Singh Bora के करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया। सोशल मीडिया से लेकर क्रिकेट विशेषज्ञों तक, हर कोई पूछने लगा – ये देवेंद्र सिंह बोरा कौन हैं?
गेंदबाज़ी शैली और ताकत
Devendra Singh Bora को सिर्फ एक विकेट से आंकना गलत होगा। उनकी गेंदबाज़ी में कई खास बातें हैं।
गेंदबाज़ी की मुख्य विशेषताएं
- राइट आर्म फास्ट-मीडियम
- नई गेंद से स्विंग कराने की क्षमता
- अनुशासित लाइन-लेंथ
- डेथ ओवर्स में नियंत्रण
वह बहुत ज्यादा आक्रामक दिखने की कोशिश नहीं करते। उनकी ताकत सादगी और निरंतरता है।
मानसिक मजबूती और मैदान पर सोच
Devendra Singh Bora की सबसे बड़ी ताकत उनकी मानसिकता है। बड़े नामों के सामने गेंदबाज़ी करते वक्त घबराहट नहीं, बल्कि आत्मविश्वास दिखता है।
- विकेट के बाद जश्न सीमित
- अगली गेंद पर पूरा फोकस
- कप्तान की योजना के अनुसार गेंदबाज़ी
यही गुण उन्हें एक भरोसेमंद घरेलू गेंदबाज़ बनाते हैं।
उत्तराखंड क्रिकेट के लिए अहम नाम
उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए Devendra Singh Bora का उभरना प्रेरणादायक है। उनका प्रदर्शन यह साबित करता है कि सही मेहनत और धैर्य से छोटे क्रिकेटिंग सिस्टम से भी बड़े खिलाड़ी निकल सकते हैं।
आज वे सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि उत्तराखंड के युवा क्रिकेटरों के लिए रोल मॉडल बनते जा रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएं
देवेंद्र सिंह बोरा अभी अपने करियर की शुरुआती अवस्था में हैं। उम्र उनके पक्ष में है और अनुभव लगातार बढ़ रहा है।
आने वाले वर्षों में संभावनाएं
- घरेलू क्रिकेट में नियमित स्थान
- आईपीएल ट्रायल और चयन की उम्मीद
- इंडिया ए या राष्ट्रीय चयन की दौड़
अगर फिटनेस और निरंतर प्रदर्शन बना रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब देवेंद्र बड़े मंच पर नजर आएंगे।
व्यक्तिगत जीवन
देवेंद्र अपने निजी जीवन को सुर्खियों से दूर रखते हैं।
- साधारण जीवनशैली
- परिवार से गहरा जुड़ाव
- सोशल मीडिया पर सीमित लेकिन सकारात्मक मौजूदगी
वे मैदान पर अपने खेल से बात करना पसंद करते हैं।
निष्कर्ष
देवेंद्र सिंह बोरा की कहानी सिर्फ एक विकेट की कहानी नहीं है। यह कहानी है संघर्ष, धैर्य और सही मौके पर सही प्रदर्शन की। रोहित शर्मा को गोल्डन डक पर आउट करना भले ही सुर्खियों में रहा हो, लेकिन उनकी असली पहचान उनकी निरंतर मेहनत और क्रिकेटिंग समझ है।
उत्तराखंड क्रिकेट को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं, और भारतीय घरेलू क्रिकेट को एक ऐसा गेंदबाज़ मिला है, जो चुपचाप काम करता है और सही वक्त पर असर छोड़ता है।
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FAQs: देवेंद्र सिंह बोरा से जुड़े सवाल
Q1. देवेंद्र सिंह बोरा कौन हैं?
देवेंद्र सिंह बोरा उत्तराखंड के लिए खेलने वाले भारतीय घरेलू क्रिकेटर और तेज़ गेंदबाज़ हैं।
Q2. देवेंद्र सिंह बोरा ने रोहित शर्मा को कब आउट किया?
विजय हज़ारे ट्रॉफी में उत्तराखंड बनाम मुंबई मैच के दौरान उन्होंने रोहित शर्मा को पहली ही गेंद पर आउट किया।
Q3. देवेंद्र सिंह बोरा की गेंदबाज़ी शैली क्या है?
वे राइट आर्म फास्ट-मीडियम गेंदबाज़ हैं, जो स्विंग और लाइन-लेंथ पर भरोसा करते हैं।
Q4. क्या देवेंद्र सिंह बोरा आईपीएल खेल चुके हैं?
अब तक उन्होंने आईपीएल नहीं खेला है, लेकिन भविष्य में उनके चयन की संभावना है।
Q5. देवेंद्र सिंह बोरा का जन्म कब हुआ?
उनका जन्म 6 दिसंबर 2000 को हुआ।
Uttarakhand
उत्तराखंड का गौरवशाली इतिहास: पढ़िए ऋषि-मुनियों से लेकर आज तक की पूरी यात्रा..

उत्तराखंड का इतिहास: देवभूमि की गौरवशाली यात्रा और अनछुए रहस्य (History of Uttarakhand in Hindi)
उत्तराखंड, जिसे हम प्यार से ‘देवभूमि’ (ब्रह्मांड के देवताओं की भूमि) कहते हैं, केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बर्फीली चोटियों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने हज़ारों साल पुराने गौरवशाली इतिहास के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। यदि आप History of Uttarakhand को गहराई से समझना चाहते हैं, तो आपको इसके पौराणिक काल से लेकर आधुनिक राज्य गठन के संघर्ष तक की यात्रा करनी होगी।
2025-26 के नए डिजिटल युग में, जहाँ पर्यटक और इतिहास प्रेमी प्रामाणिक जानकारी खोज रहे हैं, यह लेख आपको उत्तराखंड के उन पन्नों से रूबरू कराएगा जो आज भी हिमालय की कंदराओं में जीवंत हैं।
Table of Contents
History of Uttarakhand & Dynasty
1. पौराणिक काल: वेदों और पुराणों में उत्तराखंड
उत्तराखंड का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मानव सभ्यता। हिंदू धर्मग्रंथों में इस क्षेत्र का वर्णन ‘केदारखंड’ (वर्तमान गढ़वाल) और ‘मानसखंड’ (वर्तमान कुमाऊं) के रूप में मिलता है।
- महाभारत काल: माना जाता है कि महर्षि व्यास ने इसी भूमि पर महाभारत की रचना की थी। पांडवों ने अपने स्वर्गारोहण के लिए इसी हिमालयी मार्ग को चुना था।
- ऋषियों की तपोभूमि: सप्तऋषियों से लेकर आदि शंकराचार्य तक, यह भूमि आध्यात्मिक चेतना का केंद्र रही है। ऋषिकेश और हरिद्वार को ‘मोक्ष के द्वार’ के रूप में प्राचीन काल से ही मान्यता प्राप्त है।
2. प्राचीन राजवंश: उत्तराखंड के पहले शासक
उत्तराखंड की राजनीतिक नींव प्राचीन राजवंशों द्वारा रखी गई थी। यहाँ के प्रमुख ऐतिहासिक शासनकाल निम्नलिखित हैं:
कुणिन्द राजवंश (Kuninda Dynasty)
यह उत्तराखंड पर शासन करने वाला पहला महत्वपूर्ण राजवंश माना जाता है। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में कुणिन्द शासकों का दबदबा था। उनके द्वारा जारी किए गए तांबे और चांदी के सिक्के आज भी इतिहासकारों के लिए शोध का विषय हैं।
कत्यूरी राजवंश (Katyuri Dynasty)
मध्यकाल के दौरान, कत्यूरी राजाओं ने उत्तराखंड को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। इन्होंने अपनी राजधानी जोशीमठ से बाद में बैजनाथ (बागेश्वर) स्थानांतरित की।
- योगदान: उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर समूह, जैसे जागेश्वर और बैजनाथ, कत्यूरी वास्तुकला के बेजोड़ उदाहरण हैं।
3. मध्यकालीन इतिहास: चंद और पंवार वंश का उदय
मध्यकाल में उत्तराखंड दो प्रमुख हिस्सों में विभाजित हो गया: कुमाऊं में चंद वंश और गढ़वाल में पंवार (परमार) वंश।
| कालखंड | क्षेत्र | राजवंश | प्रमुख शासक |
| 700 – 1790 ई. | कुमाऊं | चंद राजवंश | सोम चंद, रुद्र चंद, बाज बहादुर चंद |
| 888 – 1949 ई. | गढ़वाल | पंवार राजवंश | कनकपाल, अजयपाल, सुदर्शन शाह |
अजयपाल का गढ़वाल एकीकरण
पंवार वंश के राजा अजयपाल को ‘गढ़वाल का अशोक’ कहा जाता है। उन्होंने 52 अलग-अलग गढ़ों (किलों) को जीतकर एक विशाल गढ़वाल राज्य की स्थापना की और श्रीनगर को अपनी राजधानी बनाया।
4. गोरखा शासन और ब्रिटिश काल: एक कठिन दौर
18वीं शताब्दी के अंत में, नेपाल के गोरखाओं ने कुमाऊं (1790) और फिर गढ़वाल (1804) पर आक्रमण कर अपना क्रूर शासन स्थापित किया, जिसे स्थानीय भाषा में ‘गोरख्याणी’ कहा जाता है।
संगौली की संधि (Treaty of Sagauli)
गोरखाओं के अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए राजा सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों से मदद मांगी। 1815 में ब्रिटिश सेना और गोरखाओं के बीच युद्ध हुआ, जिसके बाद संगौली की संधि हुई। इसके परिणामस्वरूप:
- कुमाऊं और पूर्वी गढ़वाल अंग्रेजों के अधीन (ब्रिटिश गढ़वाल) आ गया।
- पश्चिमी गढ़वाल ‘टिहरी रियासत’ के रूप में राजा के पास रहा।
5. उत्तराखंड राज्य आंदोलन: बलिदान की गाथा
स्वतंत्रता के बाद, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा बना। लेकिन भौगोलिक विषमताओं और विकास की अनदेखी के कारण एक अलग राज्य की मांग उठने लगी।
- 1994 के आंदोलन: खटीमा, मसूरी और मुजफ्फरनगर (रामपुर तिराहा) कांड ने इस आंदोलन को और तेज कर दिया। महिलाओं और युवाओं ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
- 9 नवंबर 2000: लंबे संघर्ष के बाद भारत के 27वें राज्य के रूप में ‘उत्तरांचल’ का गठन हुआ, जिसे 2007 में आधिकारिक रूप से ‘उत्तराखंड’ नाम दिया गया।
6. ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जो आपको जरूर देखने चाहिए
यदि आप उत्तराखंड के इतिहास को करीब से देखना चाहते हैं, तो इन स्थानों की यात्रा अवश्य करें:
- कालसी (देहरादून): यहाँ सम्राट अशोक का शिलालेख है जो पाली भाषा में लिखा गया है।
- जागेश्वर धाम (अल्मोड़ा): 100 से अधिक मंदिरों का समूह जो कत्यूरी काल की याद दिलाता है।
- टिहरी बांध: पुरानी टिहरी का गौरवशाली इतिहास अब इस झील के नीचे समाहित है।
- बद्रिकाश्रम और केदारनाथ: आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्जीवित किए गए सनातन धर्म के स्तंभ।
क्यों खास है उत्तराखंड का इतिहास?
उत्तराखंड का इतिहास केवल राजाओं और युद्धों की कहानी नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के साथ मनुष्य के सामंजस्य और अपनी पहचान के लिए किए गए संघर्ष की मिसाल है। History of Uttarakhand in Hindi को पढ़ना हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है।
2025 में, जब हम एक विकसित उत्तराखंड की ओर बढ़ रहे हैं, हमें अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने की आवश्यकता है। यह भूमि न केवल तीर्थयात्रियों के लिए है, बल्कि उन शोधकर्ताओं के लिए भी है जो प्राचीन वास्तुकला और हिमालयी संस्कृति को समझना चाहते हैं।
2025-26 अपडेटेड : उत्तराखंड के इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण FAQs
1. उत्तराखंड का प्राचीन नाम क्या है?
पौराणिक ग्रंथों और वेदों में उत्तराखंड के दो प्रमुख भाग बताए गए हैं। गढ़वाल क्षेत्र को ‘केदारखंड’ और कुमाऊं क्षेत्र को ‘मानसखंड’ के नाम से जाना जाता था। पूरे क्षेत्र को संयुक्त रूप से ‘ब्रह्मपुर’ या ‘खसदेश’ भी कहा गया है।
2. उत्तराखंड राज्य का गठन कब हुआ?
उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था। यह भारत का 27वां राज्य बना। शुरुआत में इसका नाम ‘उत्तरांचल’ था, जिसे 1 जनवरी 2007 को बदलकर ‘उत्तराखंड’ कर दिया गया।
3. गढ़वाल के 52 गढ़ों को किसने एकीकृत किया था?
गढ़वाल के छोटे-छोटे 52 गढ़ों (किलों) को पंवार वंश के 37वें राजा अजयपाल ने 14वीं शताब्दी के अंत में जीतकर एक अखंड गढ़वाल राज्य की स्थापना की थी। इसी कारण उन्हें ‘गढ़वाल का अशोक’ कहा जाता है।
4. उत्तराखंड में ‘गोरख्याणी’ शासन क्या था?
1790 (कुमाऊं) और 1804 (गढ़वाल) में नेपाल के गोरखाओं ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था। उनके शासनकाल को स्थानीय लोग ‘गोरख्याणी’ कहते हैं, जो अपने कठोर करों और दमनकारी नीतियों के कारण अत्यंत क्रूर माना जाता था।
5. चिपको आंदोलन (Chipko Movement) का इतिहास क्या है?
यह उत्तराखंड का एक विश्व प्रसिद्ध पर्यावरण संरक्षण आंदोलन है। इसकी शुरुआत 1973 में चमोली जिले के ‘रेणी गांव’ से हुई थी। गौरा देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उनसे चिपक कर विरोध प्रदर्शन किया था।
6. उत्तराखंड की पहली राजधानी कहाँ थी?
प्राचीन काल में कत्यूरी राजवंश की राजधानी जोशीमठ थी, जिसे बाद में कत्यूर घाटी (बैजनाथ) स्थानांतरित किया गया। मध्यकाल में कुमाऊं की राजधानी अल्मोड़ा और गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर रही। वर्तमान में देहरादून इसकी शीतकालीन और गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी है।
7. कुमाऊं में चंद राजवंश की स्थापना किसने की थी?
इतिहासकारों के अनुसार, कुमाऊं में चंद वंश की नींव सोम चंद ने रखी थी। इस राजवंश ने कुमाऊं में कला, संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
8. संगौली की संधि (Treaty of Sagauli) क्या थी?
यह संधि 1815 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के गोरखा राजा के बीच हुई थी। इस संधि के बाद गोरखाओं को उत्तराखंड छोड़ना पड़ा और यहाँ ब्रिटिश शासन (ब्रिटिश गढ़वाल/कुमाऊं) व टिहरी रियासत का उदय हुआ।
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कौन हैं Payal Gaming ? क्यू आज हो रही है गूगल पर ट्रेंड , जाने उनके बारे मे सबकुछ…

Payal Gaming सोशल मीडिया पर वायरल ‘वीडियो विवाद’ का पूरा सच
भारतीय ई-स्पोर्ट्स और गेमिंग की दुनिया में पायल धारे, जिन्हें दुनिया ‘Payal Gaming’ के नाम से जानती है, एक बड़ा नाम बन चुकी हैं। आज यानी 17 दिसंबर 2025 को पायल गेमिंग गूगल और सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में बनी हुई हैं। इसका कारण उनकी कोई नई उपलब्धि नहीं, बल्कि एक दुर्भाग्यपूर्ण वीडियो विवाद (Deepfake Controversy) है।
इस लेख में हम जानेंगे पायल गेमिंग के संघर्ष की कहानी और उस वायरल वीडियो का सच जो इंटरनेट पर तहलका मचा रहा है।
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पायल गेमिंग की बायोग्राफी (Biography of Payal Gaming)
पायल धारे का जन्म 18 सितंबर 1999 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुआ था। एक छोटे शहर से निकलकर भारत की सबसे सफल महिला गेमर बनने तक का उनका सफर बेहद प्रेरणादायक है।
करियर की शुरुआत
पायल ने अपने गेमिंग सफर की शुरुआत 2019 में की थी। उस समय भारत में PUBG Mobile (अब BGMI) का क्रेज चरम पर था। उन्होंने रूढ़ियों को तोड़ते हुए गेमिंग को एक करियर के रूप में चुना।
- YouTube की शुरुआत: उन्होंने “Payal Gaming” नाम से अपना चैनल शुरू किया और अपनी बेहतरीन गेमिंग स्किल्स और मजेदार कमेंट्री से लोगों का दिल जीत लिया।
- S8UL का हिस्सा: पायल भारत के सबसे बड़े गेमिंग संगठन S8UL की एक प्रमुख सदस्य हैं। उन्हें नमन माथुर (Mortal) और ठग (Thug) जैसे दिग्गजों का साथ मिला, जिसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया।
उपलब्धियां और रिकॉर्ड
- 3 मिलियन सब्सक्राइबर: वह 3 मिलियन सब्सक्राइबर्स का आंकड़ा पार करने वाली भारत की पहली महिला गेमर बनीं। वर्तमान में उनके 4.5 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं।
- अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार: 2024 में उन्होंने MOBIES (Mobile Gaming Awards) में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीता।
- पीएम मोदी से मुलाकात: भारत सरकार के गेमिंग को बढ़ावा देने के अभियान के तहत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की है।
क्यों ट्रेंड कर रही हैं पायल गेमिंग? (The Video Controversy)
आज गूगल पर पायल गेमिंग के ट्रेंड होने की मुख्य वजह एक वायरल वीडियो है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी गलत जानकारी फैलाई जा रही है।
वीडियो विवाद का सच क्या है?
पिछले कुछ दिनों से ‘X’ (Twitter), टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर एक छोटा वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। कुछ शरारती तत्व इसे “पायल गेमिंग का लीक वीडियो” बताकर शेयर कर रहे हैं।

लेकिन इस वीडियो का सच कुछ और है:
- डीपफेक (Deepfake) तकनीक: साइबर विशेषज्ञों और प्रशंसकों के अनुसार, यह वीडियो पूरी तरह से फर्जी है। यह AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा बनाया गया एक Deepfake वीडियो है, जिसमें किसी और के शरीर पर पायल का चेहरा लगाया गया है।
- दुबई ट्रिप का गलत फायदा: पायल फिलहाल दुबई की यात्रा पर हैं। ट्रोल्स ने इसी बात का फायदा उठाकर इसे “Dubai MMS” का नाम दे दिया ताकि यह सच लगे।
- फैंस का समर्थन: उनके लाखों फैंस इस समय उनके समर्थन में खड़े हैं और लोगों से इस फर्जी वीडियो को रिपोर्ट करने की अपील कर रहे हैं।
पायल गेमिंग की नेट वर्थ (Net Worth 2025)
पायल गेमिंग की कमाई का मुख्य जरिया यूट्यूब विज्ञापन, ब्रांड एंडोर्समेंट और ई-स्पोर्ट्स टूर्नामेंट हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 1 करोड़ से 9 करोड़ रुपये के बीच आंकी गई है।
निष्कर्ष
Payal Gaming ने अपनी मेहनत से जो मुकाम हासिल किया है, उसे नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ लोग तकनीक का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह विवाद एक बार फिर इंटरनेट पर महिलाओं की सुरक्षा और AI Deepfake के खतरों को सामने लाता है। पायल एक फाइटर हैं और उनके फैंस को उम्मीद है कि वह जल्द ही इस विवाद पर अपनी बात रखेंगी और कानूनी कार्रवाई करेंगी।
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