Dehradun
छात्रों को संरचना विहीन संस्थान में रखना पड़ा भारी, सुभारती कॉलेज को 87.50 करोड़ का वसूली वारंट जारी

DEHRADUN NEWS : जिले के बड़े बकायेदारों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत जिला प्रशासन ने सुभारती समूह पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशों के अनुपालन में लंबित बकाया वसूली के तहत रू 87.50 करोड़ की कुर्की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
छात्रों को संरचना विहीन संस्थान में रखना पड़ा भारी
देहरादून के जिलाधिकारी ने सुभारती समूह से बकाया राजस्व वसूली सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि भविष्य में भी किसी बड़े या छोटे बकायेदार को बकाया राशि न जमा करने पर कानूनी कार्रवाई से नहीं बख्शा जाएगा। जनपद में राजस्व वसूली को गति देने तथा सरकारी धन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह कार्यवाही कर कड़ा संदेश दिया है। जिलाधिकारी ने द्वारा जारी कुर्की वारंट से स्पष्ट किया गया है कि बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद भुगतान न होने पर यह कठोर कदम उठाया गया है।
सुभारती कॉलेज को 87.50 करोड़ का वसूली वारंट जारी
जिलाधिकारी ने कहा कि ‘जनता के धन की लूट करने वालों को किसी भी स्थिति में छोड़ा नहीं जाएगा।” उन्होंने निर्देशित किया है कि समस्त उप जिलाधिकारी अपने-अपने तहसील क्षेत्रों में ऐसे सभी छोटे एवं बड़े बकायेदारों की सूची तैयार करें, जिन्होंने लंबे समय से देय राशि जमा नहीं की है या जानबूझकर भुगतान से बच रहे हैं। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि इनके विरुद्ध विशेष वसूली अभियान चलाकर तत्परता से वसूली सुनिश्चित की जाए।
संस्थान को 6 वर्षों से 300 छात्रों से पूर्ण शुल्क वसूलने के बावजूद संरचना विहीन संस्थान में रखना भारी पड़ गया है, जिला प्रशासन ने वसूली वारंट जारी कर दिया है, अगले कुछ ही दिवसों में संस्थान का बैंक खाता सीज संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जा सकती है।चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने डीएम से की सिफारिशचिकित्सा शिक्षा निदेशक ने संस्थान से पूर्ण वसूली के जाने के सिफारिश जिलाधिकारी को की थी।

छह सालों में 300 बच्चों से ले चुके थे फीस
शैक्षिणक सत्र 2017-18 में प्रवेश पाए द्वितीय बैच के कुल 74 छात्रों द्वारा उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका (सिविल) योजित की गई थी। जिसमें में छात्रों की ओर से संस्थान में संरचना उपलब्ध नहीं है, और वो संस्थान से लगतार शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते हैं। याचिका में एमसीआई द्वारा अपने तथ्य रखे गए थे और याचिका में ये प्रश्न था कि छात्रों को अन्य संस्थान में प्रवेश देकर अन्तरित किया जाएं। वर्ष 2019 में उच्चतम न्यायालय ने ये निर्देश दिया गया था कि 300 छात्राओं को राज्य के तीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अन्तरित किया जाए।
उच्चतम न्यायालय ने ये भी आदेश दिया गया था कि ये छात्र केवल राजकीय मेडिकल कॉलेज में लागू फीस का ही भुगतान करेंगे। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश को 12 अप्रैल 2019 के आदेश में पुनः पुष्ट किया गया था। श्रीदेव सूमन सुभारती मेडिकल कॉलेज में इन सभी 300 छात्राओं को राजकीय मेडिकल कॉलेजों में समयोजित किए जाने हेतु लगभग एक नये मेडिकल कॉलेज को खोलने के अनुरूप अपेक्षित संरचना स्थापित करने की आवश्यकता थी, जिसमें राज्य सरकार पर अनापेक्षित वित्तीय भार आ गया था, जबकि उक्त संस्था द्वारा इन छात्रों से शुल्क बिना किसी काम के संग्रहित किया गया था।
राजस्व की हानि किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं
जिलाधिकारी सविन बंसल ने निर्देश दिए कि राजस्व की हानि किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है। बकायेदारों द्वारा देरी या भुगतान से बचने की प्रवृत्ति पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि बकायेदारों की विस्तृत रिपोर्ट तत्काल तैयार करें। इसके साथ ही प्राथमिकता के आधार पर बड़े बकायेदारों पर कार्रवाई करें, लगातार फॉलोअप करते हुए वसूली की दैनिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें, आवश्यक होने पर कुर्की, नोटिस, बैंक खाता कुर्की या अन्य विधिक कार्रवाई भी अमल में लाई जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों के लिए जनता की कमाई से जुटाया गया धन अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही या लूट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देशित किया कि अभियान को पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ चलाया जाए ताकि जनपद में राजस्व वसूली की स्थिति मजबूत हो सके।
Uttarakhand
देहरादून के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – जानिए उत्तराखंड की राजधानी की खूबसूरती…

Dehradun Tourist Places 2026 Guide
देहरादून, उत्तराखंड की खूबसूरत राजधानी, हिमालय की गोद में बसा एक शांत और मनमोहक शहर है। यह शहर न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए, बल्कि अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और शैक्षणिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की हरियाली, झरने, मंदिर और शांति भरा वातावरण हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं या शहर की भीड़-भाड़ से दूर कुछ समय बिताना चाहते हैं, तो Dehradun Tourist Places आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं।
Table of Contents
Dehradun का इतिहास और महत्व
देहरादून का नाम “देहरा” (डेरे) और “दून” (घाटी) से मिलकर बना है। यह शहर गुरु राम राय द्वारा स्थापित किया गया था। ब्रिटिश काल में भी यह स्थान अपनी सुंदरता और मौसम के कारण पसंदीदा रहा। देहरादून आज शिक्षा, सेना और आध्यात्मिकता का प्रमुख केंद्र है।
भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक सौंदर्य
देहरादून समुद्र तल से लगभग 450 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे सालभर सुखद बनाता है। यहाँ की हरियाली, झरने और नदियाँ इस शहर को और आकर्षक बनाते हैं।
देहरादून क्यों प्रसिद्ध है?
Dehradun एक ऐसा शहर है जहाँ आधुनिकता और परंपरा का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यहाँ FRI जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएँ हैं, वहीं दूसरी ओर तपकेश्वर मंदिर जैसे प्राचीन धार्मिक स्थल भी हैं। देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी का द्वार भी कहलाता है।
देहरादून के प्रमुख पर्यटन स्थल (Dehradun Tourist Places)
सहस्रधारा – झरनों का स्वर्ग
सहस्रधारा का अर्थ है “हजार धाराएँ”। यह स्थान अपने गंधक युक्त झरनों के लिए प्रसिद्ध है, जिनके बारे में कहा जाता है कि इनका जल त्वचा रोगों में लाभकारी होता है। हरियाली और पहाड़ों के बीच यह एक प्राकृतिक स्पा जैसा अनुभव देता है।

रॉबर्स केव (गुच्चूपानी)
यह एक रहस्यमयी गुफा है जहाँ से नदी बहती है। इसे देखने के लिए गर्मियों में हजारों पर्यटक आते हैं। यहाँ पानी में चलने का अनुभव बेहद रोमांचक होता है।
टपकेश्वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित यह गुफा मंदिर अपने प्राकृतिक शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिस पर लगातार पानी की बूंदें टपकती रहती हैं।

बुद्धा मंदिर (Mindrolling Monastery)
यह विशाल बौद्ध मठ अपने शांत वातावरण और 220 फीट ऊँचे स्तूप के लिए जाना जाता है। यहाँ का बागीचा और रंगीन दीवारें इसे फोटोग्राफी के लिए आदर्श स्थान बनाती हैं।
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI)
यह देहरादून का सबसे प्रसिद्ध संस्थान है, जिसकी भव्य इमारत ब्रिटिश काल की वास्तुकला का उदाहरण है। कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग यहाँ हो चुकी है।

परिवार के साथ घूमने लायक जगहें (Dehradun Tourist Places To Visit With Family)
देहरादून में मालसी डियर पार्क, लच्छीवाला नेचर पार्क और मिसेस हॉल का गार्डन जैसे स्थान परिवारों के लिए बेहतरीन पिकनिक स्पॉट हैं।
देहरादून में धार्मिक स्थल
यहाँ का टपकेश्वर मंदिर, संतला देवी मंदिर और बुद्धा मंदिर धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं। हर साल यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
देहरादून की प्राकृतिक सुंदरता
देहरादून की घाटियाँ, झरने और घने जंगल इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाते हैं। विशेषकर मानसून के दौरान यहाँ की सुंदरता दोगुनी हो जाती है।
देहरादून के आसपास घूमने लायक स्थान
देहरादून से कुछ ही दूरी पर मसूरी, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे प्रसिद्ध स्थल हैं, जिन्हें एक साथ यात्रा में शामिल किया जा सकता है।
Dehradun की स्थानीय संस्कृति और भोजन
पहाड़ी व्यंजन
देहरादून का भोजन उत्तराखंड की पारंपरिक झलक पेश करता है। यहाँ के लोकप्रिय व्यंजन हैं —
- काफुली और झोल – पालक और अन्य हरी सब्जियों से बनी पौष्टिक डिश।
- भट्ट की चुड़कानी – काले सोयाबीन से बना प्रसिद्ध व्यंजन।
- आलू के गुटके – मसालेदार आलू, जो चाय के साथ खाए जाते हैं।
- सिंगोरी – नारियल और खोया से बनी मिठाई, जिसे मालू के पत्ते में लपेटा जाता है।
स्थानीय मेले और त्यौहार
देहरादून में झंडा मेला, बुद्ध पूर्णिमा, और महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाए जाते हैं। यह त्यौहार यहाँ की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं।

Dehradun कैसे पहुँचे
हवाई मार्ग
देहरादून का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है। दिल्ली, मुंबई और लखनऊ से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
रेलमार्ग
देहरादून रेलवे स्टेशन उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा है। “नंदा देवी एक्सप्रेस” और “शताब्दी एक्सप्रेस” जैसी ट्रेनें यहाँ आसानी से पहुंचाती हैं।
सड़क मार्ग
देहरादून, दिल्ली से लगभग 240 किमी दूर है और राष्ट्रीय राजमार्ग NH 7 के माध्यम से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। बसें और निजी कैब आसानी से उपलब्ध रहती हैं।
ठहरने और खरीदारी की जगहें
होटल और रिज़ॉर्ट
देहरादून में हर बजट के लिए ठहरने की व्यवस्था है —
- फोर पॉइंट्स बाय शेरेटन
- लेमन ट्री होटल
- होटल सौरभ पर्वत
- स्थानीय होमस्टे और गेस्ट हाउस
देहरादून के प्रसिद्ध बाजार
अगर आप शॉपिंग के शौकीन हैं, तो पलटन बाजार, राजपुर रोड, और अस्थली बाजार आपको निराश नहीं करेंगे। यहाँ से आप ऊनी कपड़े, हस्तशिल्प और पहाड़ी मसाले खरीद सकते हैं।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
देहरादून में घूमने का सबसे उपयुक्त समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है, और झरनों का आनंद लेने का सबसे अच्छा समय होता है।
सर्दियों (दिसंबर–फरवरी) में यहाँ हल्की ठंड रहती है, जबकि मानसून (जुलाई–अगस्त) में हरी-भरी घाटियाँ अपनी पूरी खूबसूरती में निखर उठती हैं।
देहरादून यात्रा के टिप्स
- हल्के कपड़े और जैकेट साथ रखें क्योंकि रातें ठंडी हो सकती हैं।
- स्थानीय बाजारों में भाव-ताव करें, लेकिन शालीनता बनाए रखें।
- प्लास्टिक का उपयोग न करें, और पर्यावरण की स्वच्छता बनाए रखें।
- पानी की बोतल, रेनकोट और स्नीकर्स साथ रखें, विशेषकर ट्रेकिंग के लिए।
पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता
देहरादून अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, इसलिए पर्यटकों को चाहिए कि वे “जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism)” अपनाएँ।
कचरा खुले में न फेंकें, झरनों या धार्मिक स्थलों में प्लास्टिक का उपयोग न करें, और स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें।
FAQs – देहरादून पर्यटन से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. Dehradun घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर देहरादून यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है। इस दौरान मौसम न तो बहुत ठंडा होता है, न बहुत गर्म।
2. देहरादून में कौन-कौन से पर्यटन स्थल देखने योग्य हैं?
मुख्य आकर्षण हैं – सहस्रधारा, रॉबर्स केव, टपकेश्वर मंदिर, बुद्धा मंदिर, और FRI।
3. देहरादून से मसूरी कितनी दूर है?
देहरादून से मसूरी की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है, जो कार से 1.5 घंटे में तय की जा सकती है।
4. क्या देहरादून में बर्फबारी होती है?
देहरादून शहर में बर्फबारी बहुत कम होती है, लेकिन मसूरी और धनोल्टी में दिसंबर-जनवरी के दौरान बर्फबारी देखी जा सकती है।
5. क्या देहरादून परिवार के लिए सुरक्षित है?
हाँ, देहरादून एक सुरक्षित और शांत शहर है। यहाँ परिवार और बच्चों के लिए कई मनोरंजक स्थल उपलब्ध हैं।
6. देहरादून में कौन से स्थानीय व्यंजन प्रसिद्ध हैं?
काफुली, भट्ट की चुड़कानी, आलू के गुटके और सिंगोरी यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजन हैं।
निष्कर्ष – देहरादून की यात्रा का समग्र अनुभव
Dehradun उत्तराखंड का एक ऐसा शहर है जो हर मौसम, हर उम्र और हर रुचि के लोगों के लिए कुछ खास लेकर आता है। चाहे आप झरनों के बीच रोमांच की तलाश में हों, मंदिरों में शांति चाहते हों, या बस प्रकृति की गोद में कुछ दिन बिताना चाहते हों — Dehradun Tourist Places आपकी हर इच्छा पूरी करेंगे।
यहाँ की हरियाली, सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय आतिथ्य इसे भारत के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं।
🔗 अधिक जानकारी के लिए देखें – उत्तराखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट
Dehradun
ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन्स कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ, DG सूचना बंशीधर तिवारी को मिला ये बड़ा सम्मान

देहरादून में आयोजित ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुभारंभ किया इस अवसर पर सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी को सम्मानित भी किया गया।
ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन्स कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ
तीन दिवसीय ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस का देहरादून में शुभारंभ हो गया है। तीन दिवसीय इस राष्ट्रीय आयोजन देश-विदेश के जनसंपर्क पेशेवरों, नीति-निर्माताओं और संचार विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर सुशासन, तकनीकी समावेश और संचार की बदलती भूमिका पर गहन विमर्श का अवसर प्रदान कर रहा है। बता दें कि ये सम्मेलन 13 से 15 दिसंबर 2025 तक देहरादून में आयोजित किया जा रहा है और इसका संचालन जनसंपर्क सोसायटी ऑफ इंडिया (PRSI) द्वारा किया जा रहा है।

DG सूचना बंशीधर तिवारी को मिला ये बड़ा सम्मान
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी को बेहतर सुशासन और प्रशासनिक उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया। बंशीधर तिवारी वर्तमान में सूचना महानिदेशक के साथ-साथ अपर सचिव मुख्यमंत्री और देहरादून–मसूरी विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के उपाध्यक्ष के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।

ये सम्मान आगे भी बेहतर कार्य करने के करेगा प्रेरित
बता दें कि उन्हें प्रशासनिक दक्षता, प्रभावी जनसंपर्क और सुशासन के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए ये सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान प्राप्त करने के बाद बंशीधर तिवारी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे सम्मान से न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि जिम्मेदारियां भी और अधिक बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि ये सम्मान उन्हें आगे भी बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।
Uttarakhand
Uttarakhand : गैर-मौसमी व एग्जॉटिक सब्जियों की खेती पर फोकस, सगंध पौध क्लस्टर्स का होगा विस्तार

जैविक उत्पादों के ऑनलाइन प्रचार और वैल्यू चेन मजबूत करने के निर्देश
देहरादून : Uttarakhand के कृषि और बागवानी क्षेत्र को अधिक सशक्त, आधुनिक और बाजारोन्मुख बनाने की दिशा में महानिदेशक कृषि एवं उद्यान विभाग वंदना सिंह ने कई अहम पहल की हैं। इसी क्रम में उन्होंने विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए आगामी कार्ययोजना को ज़मीनी जरूरतों के अनुरूप ढालने पर जोर दिया।
जायका परियोजना की समीक्षा, जमीनी हकीकत के अनुसार बदलाव के निर्देश
सबसे पहले महानिदेशक ने जायका–Uttarakhand एकीकृत बागवानी विकास परियोजना की समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि परियोजना की कार्ययोजना को फील्ड स्तर की वास्तविक गतिविधियों के अनुसार संशोधित किया जाए।
उन्होंने कहा कि जिन जनपदों में परियोजना के तहत क्लस्टर्स प्रस्तावित हैं, वहां इसी माह आवश्यक स्टाफ की तैनाती सुनिश्चित की जाए।
साथ ही योजना के अंतर्गत गैर-मौसमी (ऑफ-सीजन) और एग्जॉटिक सब्जियों की खेती के लिए पौध तैयार करने तथा सरकारी बागानों में पर्याप्त रोपण सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए।

राज्य की नर्सरियों के पुनर्जीवन की तैयारी पूरी
बैठक में नोडल अधिकारी ने जानकारी दी कि राज्य की नर्सरियों के पुनर्जीवन के लिए तैयार किया गया मास्टर प्लान लगभग पूरा हो चुका है। इसके अलावा नर्सरी विकास अधिकारियों के कार्य विभाजन और ड्यूटी चार्ट की प्रक्रिया भी इसी माह पूरी कर ली जाएगी।
इस अवसर पर राज्य में आलू बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए तैयार विस्तृत योजना का प्रस्तुतीकरण भी किया गया। महानिदेशक ने इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए चिन्हित नर्सरियों में आलू विकास अधिकारी की तैनाती हेतु इसी सप्ताह आदेश जारी करने के निर्देश दिए।
सगंध पौध क्लस्टर्स और वैल्यू चेन पर विशेष जोर
इसके बाद महानिदेशक वंदना सिंह ने सगंध पौध केंद्र (कैप), सेलाकुई का निरीक्षण किया। उन्होंने केंद्र निदेशक डॉ. नृपेन्द्र चौहान को महक क्रांति के तहत सगंध पौध क्लस्टर्स में कार्य तेज करने, क्लस्टर्स का दायरा बढ़ाने और वैल्यू चेन को मजबूत करने के निर्देश दिए।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग के नव-नियुक्त कर्मचारियों—जैसे नर्सरी अधिकारी और माली—को उच्च गुणवत्ता की पौध सामग्री तैयार करने के लिए कैप द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। उन्होंने दिसंबर माह में प्रगतिशील सगंध कृषकों के साथ कैप में बैठक आयोजित करने के भी निर्देश दिए।
टिश्यू कल्चर से अखरोट पौध और च्यूरा उत्पादों पर काम
कैप स्थित टिश्यू कल्चर लैब के निरीक्षण के दौरान महानिदेशक ने अखरोट की पौध सामग्री को टिश्यू कल्चर तकनीक से विकसित करने के लिए केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान के सहयोग से कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने च्यूरा आधारित उत्पादों की वैल्यू चेन विकसित करने पर भी विशेष ध्यान देने को कहा।
जैविक उत्पादों के ऑनलाइन प्रचार पर जोर
वहीं महानिदेशक ने उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद की समीक्षा बैठक भी की। इस बैठक में परिषद के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
उन्होंने मजखाली प्रशिक्षण केंद्र की गतिविधियों की जानकारी लेते हुए कृषि सखियों को जैविक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया।
महानिदेशक ने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अनुसंधान और विकास कार्यों को उत्तराखंड में लागू करने के लिए सहयोग स्थापित करने, जैविक उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने और परिषद के आय स्रोत विकसित करने के निर्देश दिए। साथ ही GI टैग प्राप्त उत्पादों के अधिकृत उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ाने पर भी बल दिया।
जमीनी स्तर पर किसानों से संवाद
कार्यक्रम के अंत में महानिदेशक ने देहरादून जनपद के ग्राम सीरियों और गुंदियावाला का भ्रमण किया, जहां उन्होंने जैविक खेती करने वाले किसानों से सीधे संवाद कर उनके अनुभव और समस्याएं जानीं।
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