Dehradun
परिवहन विभाग ने सड़क हादसों से लिया सबक, आईआरटीई को110 किमी सड़क के अध्ययन और गति सीमा तय करने की सौंपी जिम्मेदारी।

देहरादून – पिछले दो माह से पर्वतीय मार्गों पर लगातार हो रहे सड़क हादसों से सबक लेते हुए अब परिवहन विभाग सड़कों की गतिसीमा तय करेगा। हादसों पर लगाम लगाने के लिए परिवहन मुख्यालय ने सड़क यातायात शिक्षा संस्थान(आईआरटीई) फरीदाबाद को ट्रायल के तौर पर 110 किमी सड़क के अध्ययन और गति सीमा तय करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

इसके लिए मुख्यालय और आईआरटीई के मध्य एमओयू साइन हो गया है। अभी तक राज्य में वाहनों की गति सीमा तय करने के लिए कोई भी विशेषज्ञ एजेंसी नहीं है। आरआईटीई इसके लिए काम करती है। यह संस्थान ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच 110 किलोमीटर की सड़क पर ट्रैफिक दबाव, सड़क की चौड़ाई, ढलान, सुरक्षा उपायों, पूर्व के हादसों के आधार पर अध्ययन करेगी।
अध्ययन के बाद इस सड़क पर अलग-अलग जगहों पर जरूरत के हिसाब से वाहनों की गति सीमा तय होगी। परिवहन मुख्यालय ट्रायल के तौर पर आईआरटीई से गति सीमा तय करने के बाद इसे सख्ती से लागू कराएगा। इसमें सुबह, दोपहर, शाम, देर शाम व रात को वाहन संचालन की अलग-अलग गति सीमा तय की जाएगी।
ट्रायल सफल होने के बाद प्रदेशभर की सड़कों पर इसी तरह गति सीमा का अध्ययन किया जाएगा। गौरतलब है कि राज्य के पर्वतीय मार्गों पर पिछले दो माह में काफी संख्या में हादसे हुए हैं, जिनमें वाहन पलटने से लेकर खाई में गिरकर 15 लोगों की मौत के बड़े हादसे भी शामिल हैं।
आईआरटीई की ओर से राज्य के परिवहन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में परिवहन विभाग के अफसरों को सड़कों पर गति सीमा तय करने के सभी मानक समझाए जाएंगे। इससे ये लाभ होगा कि भविष्य में परिवहन विभाग के अधिकारी ही सभी मानकों के हिसाब से वाहनों की गति सीमा तय कर सकेंगे। वहीं, मुख्यालय के स्तर से गति सीमा में बदलाव का नियम तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा। कुछ सड़कों पर गति सीमा भविष्य के आयोजनों को देखते हुए भी तय की जाएगी।
संयुक्त परिवहन आयुक्त, उत्तराखंड सनत कुमार सिंह ने कहा कि वाहनों की गति सीमा तय करने के लिए जल्द ही आईआरटीई 110 किमी सड़क का श्रेणीकरण कर देगी। जहां जो गति सुरक्षित होगी, वही लागू की जाएगी। भविष्य में अन्य सड़कों पर भी इसे सख्ती से लागू किया जाएगा।
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देहरादून एडीजी लॉ एंड आर्डर की अधिकारियों के साथ बैठक, ड्रिंक एंड ड्राइव को लेकर नियम सख्त

देहरादून में 12 मुख्य मार्ग नो वेंडिंग जाने घोषित
वर्ष 2024 एवं वर्ष 2025 में पुलिस द्वारा कार्यवाही का शीर्षकवार तुलनात्मक विवरणः-
गोष्ठी के बाद एडीजी द्वारा दिया गए अधिकारीयों को आदेश
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सचिव ग्राम्य विकास धीराज गर्व्याल ने दिए सीमान्त गाँवों के विकास एवं पलायन रोकथाम हेतु ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश

सीमान्त गाँवों के विकास एवं पलायन रोकथाम हेतु ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश
सचिव ग्राम्य विकास ने सभी जनपदों के अधिकारियों के साथ की विस्तृत समीक्षा
देहरादून :सचिव ग्राम्य विकास धीराज गर्व्याल ने आज सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना, मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की। साथ ही आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।
बैठक में सचिव ग्राम्य विकास ने स्पष्ट किया कि कार्ययोजना बनाते समय आजीविका सृजन गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाए। प्रत्येक चिन्हित विकासखंड में कम से कम एक मदर पोल्ट्री यूनिट की स्थापना, तथा स्थानीय स्तर पर मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, सामुदायिक पर्यटन, प्रसंस्करण आदि गतिविधियों को प्रोत्साहित करने पर विशेष जोर दिया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा हेतु चेन-लिंक फेंसिंग के प्रस्ताव भी शामिल करने के निर्देश दिए गए ताकि पलायन रोकने और रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने में मदद मिल सके।
स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए योजनाओं को प्रस्तावित करने के निर्देश भी दिए गए। साथ ही जनपदों में संचालित ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों के विपणन एवं उनकी नियमित मॉनिटरिंग पर भी बल दिया गया।
सीमांत जनपद चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चम्पावत एवं उधम सिंह नगर की योजनाओं की अलग से प्रगति समीक्षा की गई। सचिव ने निर्देश दिया कि बार्डर एरिया के गावों के लिए क्लस्टर आधारित ग्राम संतृप्तीकरण कार्ययोजना तैयार की जाए, जिसमें मूलभूत सुविधाओं के साथ आजीविका-सृजन एवं स्वरोजगारपरक गतिविधियाँ सम्मिलित हों।
वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम के तहत प्रत्येक सीमांत गाँव को सड़क, 4G टेलीकॉम कनेक्टिविटी, टीवी कनेक्टिविटी एवं ग्रिड विद्युत से संतृप्त करने के निर्देश दिए गए। चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जनपदों को वीवीपी-1 के गांवों की संतृप्तीकरण कार्ययोजना शीघ्र पोर्टल पर भेजने के लिए कहा गया। प्रत्येक वीवीपी गांव के लिए समेकित पर्यटन विकास योजनाएँ भी तैयार की जाएंगी।
सचिव ने सूचित किया कि सभी योजनाओं के प्रस्ताव समय पर प्राप्त करने हेतु ऑनलाइन पोर्टल को एक सप्ताह के भीतर क्रियाशील करने के निर्देश एसपीएमयू एवं आईटीडीए को दिए गए।
बैठक में अपर सचिव ग्राम्य विकास अनुराधा पाल, संयुक्त विकास आयुक्त संजय कुमार सिंह, उपायुक्त ए.के. राजपूत, डॉ. प्रभाकर बेबनी सहित एसपीएमयू एवं आईटीडीए के अधिकारी मौजूद रहे। सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
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103 नर्सिंग अधिकारी व 30 डेंटल हाईजिनिस्ट के पदों पर निकली भर्ती, चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड ने जारी किया भर्ती विज्ञापन

103 नर्सिंग अधिकारी व 30 डेंटल हाईजिनिस्ट के पदों पर निकली भर्ती
चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड ने जारी किया भर्ती विज्ञापन
देहरादून: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को शीघ्र ही 103 नये नर्सिंग अधिकारी मिलेंगे। नर्सिंग अधिकारियों (महिला/पुरूष) के बैकलॉग के इन पदों पर सीधी भर्ती के लिये राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड ने भर्ती विज्ञापन जारी कर दिया है। जिसके लिये ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 22 दिसम्बर, 2025 को निर्धारित की गई है। नर्सिंग अधिकारियों के बैकलॉग के इन पदों को भरे जाने से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के चिकित्सा इकाईयों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत होगी वहीं मरीजों की देखभाल में और अधिक सुधार होगा।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की सक्रियता एवं विभागीय मॉनिटिरिंग के चलते स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग अधिकारियों (महिला/पुरूष) के बैकलॉग के 103 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिस हेतु उत्तराखंड चिकित्सा चयन बोर्ड ने भर्ती विज्ञापन जारी कर दिया है। चयन बोर्ड ने उक्त भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 02 दिसम्बर 2025 से शुरू करने तथा अंतिम तिथि 22 दिसम्बर 2025 निर्धारित की है। सीधी भर्ती में नर्सिंग अधिकारी (महिला) डिप्लोमाधारी के लिये 63 पद निर्धारित किये गये हैं। इसके अलावा नर्सिंग अधिकारी (महिला) डिग्रीधारक के लिये 31 पद, नर्सिंग अधिकारी (पुरूष) डिप्लोमाधारक 05 व नर्सिंग अधिकारी (पुरूष) डिग्रीधारक के लिये 04 पद हैं। इसस पहले राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग अधिकारियों के रिक्त 587 पदों पर भर्ती निकाली है। इस प्रकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग में नर्सिंग अधिकारियों के कुल 690 पदों पर शीघ्र भर्ती की जायेगी। जिसके उपरांत चयनित नर्सिंग अधिकारियों को राजकीय मेडिकल कॉलेजों व प्रदेशभर के विभिन्न चिकित्सा इकाईयों में नियुक्ति दी जायेगी। जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक मजबूत होंगी साथ ही मरीजों की देखभाल में भी खास सुधार होगा।
डेंटल हाईजिनिस्ट के 30 पदों पर भी निकली भर्ती
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत डेण्टल हाईजिनिसट के रिक्त 30 बैकलॉग के पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विभाग द्वारा राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को उक्त पदों पर सीधी भर्ती के लिये अधियाचन भेजा गया था। जिसके क्रम में चयन बोर्ड ने आज (बुधवार) को भर्ती विज्ञापन जारी कर दिया है। विज्ञापित 30 पदों में अनारक्षित वर्ग के 04, अनुसूचित जाति 14, अनुसूचित जनजाति 03 तथा अन्य पिछड़ा वर्ग 9 पदों पर भर्ती की जायेगी। जिसके लिये चयन बोर्ड ने अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। जिसके तहत अभ्यर्थी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर 03 दिसम्बर 2025 से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। उक्त भर्ती के लिये आवेदन की अंतिम तिथि 23 दिसम्बर 2025 निर्धारित की गई है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में भी नर्सिंग अधिकारियों के 103 पदों पर भर्ती होगी। इस प्रकार दोनों विभागों में नर्सिंग अधिकारियों के कुल 690 पदों पर भर्ती होगी। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग में डेण्टल हाईजिनिस्ट के 30 पदों पर भी भर्ती शुरू कर दी है।
नर्सिंग अधिकारी व डेंटल हाईजिनिस्ट आने से अस्पतालों में रोगियों की देखभाल की गुणवत्ता बढ़ेगी, उपचार सेवाएँ सुदृढ़ होंगी और आमजन को समयबद्ध बेहतर चिकित्सा सुविधाएं सुलभ हो सकेंगी। – डॉ. धन सिंह रावत, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड।
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