Rudraprayag
उत्तराखंड: त्रियुगीनारायण में बढ़ा विवाह आयोजन उत्साह, 2025 तक बुकिंग पूरी !
गुप्तकाशी: उत्तराखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल त्रियुगीनारायण में इस वर्ष विवाह आयोजनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। शिव-पार्वती के विवाह स्थल के रूप में प्रसिद्ध त्रियुगीनारायण में स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी राज्यों से भी लोग अपने पुत्र-पुत्रियों का विवाह कराने के लिए पहुंच रहे हैं। इसी वजह से यहां 30 अप्रैल 2025 तक के विवाह आयोजनों की बुकिंग पूरी हो चुकी है।
इस वर्ष त्रियुगीनारायण मंदिर में अब तक 150 से अधिक विवाह आयोजन संपन्न हो चुके हैं, जिसमें नवंबर माह में एक रिकार्ड सौ से अधिक विवाह संपन्न हुए। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से 11 किमी की दूरी पर स्थित त्रियुगीनारायण का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हैं। यहां की अखंड ज्योति और विवाह वेदी के दर्शन लाखों श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
विवाह आयोजनों से स्थानीय बाजार को मिल रहा है लाभ
श्रद्धालुओं के साथ ही विवाह आयोजनों से स्थानीय बाजार को भी गति मिल रही है। त्रियुगीनारायण व्यापार संघ के अध्यक्ष महेंद्र सेमवाल ने बताया कि मंदिर में विवाह आयोजनों से स्थानीय व्यापारियों को नियमित ग्राहक मिल रहे हैं, जिससे उनका कारोबार बढ़ा है।
सरकार से मूलभूत सुविधाओं की मांग
हालांकि, त्रियुगीनारायण मंदिर को वर्ष 2017 में वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी, लेकिन सात साल बाद भी यहां पर्याप्त मूलभूत सुविधाएं नहीं जुट पाई हैं। स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने शासन-प्रशासन से सोनप्रयाग-त्रियुगीनारायण मोटर मार्ग के सुधारीकरण और मंदिर क्षेत्र में सुविधाओं को बेहतर करने की मांग की है।
आगे की बुकिंग्स और आयोजन
अगामी मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, बैसाखी और अक्षय तृतीया जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर विवाह आयोजनों की बुकिंग पहले ही हो चुकी है। आगामी वर्ष के शुरुआती चार महीनों के लिए भी 25 से अधिक विवाह आयोजनों की बुकिंग हो चुकी है।
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रूद्रप्रयाग में आपदा प्रभावितों से मिले सीएम धामी, प्रभावितों के साथ खाना खाया

सीएम धामी आज लोकपर्व इगास (बूढ़ी दिवाली) के पावन अवसर पर रुद्रप्रयाग पहुंचे। जहां उन्होंने आपदा प्रभावित परिवारों से भेंट की और उनका कुशलक्षेम जाना। इस दौरान माताओं-बहनों से मिलकर उन्हें फल और उपहार भेंट किए। साथ ही उनके साथ बैठकर भोजन भी किया।
रूद्रप्रयाग में आपदा प्रभावितों से मिले सीएम धामी
सीएम धामी ने आपदा प्रभावितों से मिलकर कहा कि ये क्षण मेरे जीवन के अत्यंत भावुक और हृदय को द्रवित करने वाले रहे। एक पुत्र की भांति माताओं से मिले आशीर्वाद और बहनों के अटूट विश्वास से भरी उम्मीदों ने देवभूमि उत्तराखंड के सर्वस्पर्शी और सर्वांगीण विकास हेतु आजीवन समर्पित रहने के लिए नई ऊर्ज़ा से भर दिया।
आपदा प्रभावितों के साथ किया भोजन
सीएम धामी ने आपदा प्रभावितों से कहा कि “मैं सभी माताओं-बहनों को विश्वास दिलाता हूँ कि आपका दु:ख मेरा अपना दु:ख है और आपके जीवन में मुस्कान लाना ही मेरे जीवन का सबसे बड़ा ध्येय है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य की सेवा करते हुए जो स्नेह, विश्वास और अपनापन आप सबके बीच से मिलता है, वही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है, वही शक्ति है जो हर पल उत्तराखंड और जन-जन की सेवा के लिए समर्पित रहने की प्रेरणा देती है।
Rudraprayag
उत्तराखंड: ऊखीमठ में आज से शुरू होगी बाबा केदार की शीतकालीन पूजा

रुद्रप्रयाग: स्थानीय वाद्य यंत्रों की सुरमई धुनों, आर्मी बैंड की तालों और हजारों भक्तों की गूंजती जयकारों के बीच बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शुक्रवार देर सायं अपने द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी पहुंची। बाबा केदार की डोली के आगमन पर गुप्तकाशी में श्रद्धा और उल्लास का माहौल छा गया। श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा और भक्ति गीतों के साथ डोली का भव्य स्वागत किया।
बाबा केदार की यह दिव्य डोली भैया दूज के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ की ओर रवाना हुई थी। पहले दिन डोली का रात्रि प्रवास रामपुर में हुआ…जहां शुक्रवार प्रातः विशेष पूजा-अर्चना और आरती के साथ डोली ने आगे का सफर शुरू किया। यात्रा मार्ग में फाटा, ब्यूंग, नारायणकोटी सहित कई पड़ावों पर भक्तों ने बाबा की आरती उतारी और आशीर्वाद लिया।
गुप्तकाशी पहुंचने पर डोली का स्वागत पुष्प वर्षा, ढोल-दमाऊं और शंखनाद के साथ किया गया। विश्वनाथ मंदिर परिसर में बाबा की डोली की अगवानी के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। गुप्तकाशी की गलियाँ जय बाबा केदार! हर-हर महादेव! के नारों से गूंज उठीं। आज सुबह डोली अपने अंतिम पड़ाव ऊखीमठ के लिए रवाना होगी…जहां ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की भोग मूर्ति विराजमान की जाएगी।
ऊखीमठ पहुंचने के बाद अगले छह माह तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना यहीं की जाएगी। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु अब शीतकाल के दौरान ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में दर्शन कर सकेंगे। यह मंदिर न केवल केदारनाथ धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल है, बल्कि इसे पंचकेदारों के संयुक्त दर्शन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
शीतकालीन यात्रा के चलते ऊखीमठ और आसपास के क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिल रहा है। ओंकारेश्वर मंदिर के पास स्थित प्रसिद्ध स्थल चोपता और चंद्रशिला ट्रेक के कारण श्रद्धालु और पर्यटक दोनों बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल बाबा केदार के दर्शन करते हैं, बल्कि रुद्रप्रयाग जनपद के अन्य मठ-मंदिरों और प्राकृतिक स्थलों का भी आनंद लेते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त पंचकेदारों के दर्शन नहीं कर पाते वे ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में एक साथ सभी के दर्शन कर सकते हैं। इसी आस्था के कारण शीतकाल के दौरान यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से सराबोर रहता है। भक्तों की आस्था, भक्ति और उत्साह से केदारघाटी इन दिनों पूरी तरह केदारमय हो गई है। हर तरफ सिर्फ एक ही स्वर गूंज रहा है।
Kedarnath
केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद, अब शीतकालीन गद्दीस्थल पर होंगे दर्शन

केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत विधि-विधान के साथ केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुभ मुहूर्त में बाबा केदार के धाम केदारनाथ के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। सुबह 8:30 बजे बाबा की पंचमुखी डोली जैसे ही मंदिर से बाहर निकली तो पूरी केदारपुरी “हर हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान सीएम धामी के साथ ही हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।
शुभ मुहूर्त में यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद
आज भाईदूज के पावन पर्व पर मां यमुना के धाम यमुनोत्री धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं। धाम के कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की डोली खरसाली गांव के लिए रवाना हो गई है। शीतकाल में अगले छह महीने मां यमुना खरसाली गांव में दर्शन देंगी।
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