Chamoli
उत्तराखंड: चमोली में बारिश और ओलावृष्टि से मचा कोहराम, थराली में मलबे में दबे कई वाहन…

चमोली: उत्तराखंड में बुधवार को दोपहर बाद हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि से जहां लोगों को गर्मी से राहत मिली, वहीं चमोली जिले के थराली में बड़ा नुकसान हुआ। थराली के रामलीला मैदान के पास गदेरा उफान पर आ गया, जिससे पहाड़ी से भारी मलबा नीचे आया। इस मलबे में कई वाहन दब गए। हालांकि, गनीमत रही कि वाहनों में उस समय कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई।
इसके अलावा, कर्णप्रयाग ग्वालदम राष्ट्रीय राजमार्ग भी नासिर बाजार के पास मलबे की चपेट में आकर अवरुद्ध हो गया था। हालांकि, बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन) की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इसे खोल लिया है। वहीं, थराली देवाल मोटरमार्ग भी मलबे की वजह से बंद हो गया है, जो गुरुवार तक खुलने की संभावना जताई जा रही है।
पुलिस और प्रशासन की टीम आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर नुकसान का आकलन कर रही है। इसके अलावा, बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की खड़ी फसल को भी भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
मौसम विभाग ने पहले ही उत्तराखंड के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि का येलो अलर्ट जारी किया था, जो पूरी तरह सटीक साबित हुआ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना की जानकारी मिलने पर जिलाधिकारी से अपडेट लिया और जल्द से जल्द राहत कार्यों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
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उत्तराखंड में मौसम की चेतावनी से बढ़ी चिंता, गैरसैंण सत्र के बीच चमोली समेत कई जिले अलर्ट

देहरादून: उत्तराखंड के लिए आने वाला सप्ताह मौसम के लिहाज से काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। मौसम विभाग की हालिया भविष्यवाणी ने राज्य सरकार और प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। खासकर तब, जब पूरी सरकार इस समय चमोली जिले के गैरसैंण में डेरा डाले हुए है, जहां मंगलवार 19 अगस्त से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले पांच दिनों तक चमोली समेत कई जिलों में भारी बारिश की संभावना है। यह चेतावनी उस समय आई है, जब पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से कई रास्ते पहले ही बाधित हैं और भू-स्खलन की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
गैरसैंण में सत्र, चमोली में भारी बारिश का अलर्ट
सरकार ने सत्र को गैरसैंण में ही कराने का निर्णय लिया, जबकि मौसम को देखते हुए अंतिम समय तक स्थान परिवर्तन की अटकलें बनी रहीं। अब जबकि सभी मंत्री, अधिकारी और विधानसभा सचिवालय का अमला गैरसैंण पहुंच चुका है, मौसम की चेतावनी ने व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन जिलों में अगले 24 घंटे संवेदनशील
मौसम विभाग के अनुसार, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, नैनीताल और बागेश्वर जिलों में अगले 24 घंटों के दौरान कुछ स्थानों पर तेज बारिश की संभावना है। हालांकि, इन क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की भी संभावना जताई गई है।
कुमाऊं में ज़्यादा असर, चमोली भी चपेट में
बुधवार से उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जैसे संवेदनशील जिलों को भी भारी बारिश की सूची में शामिल किया गया है। मौसम विभाग का मानना है कि इस बार कुमाऊं मंडल के जिलों पर मौसम का अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा। कई स्थानों पर तेज बारिश और भू-स्खलन से जनजीवन बाधित हो सकता है।
जल स्रोत उफान पर, नदियों का बढ़ा जलस्तर
डॉ. सीएस तोमर, निदेशक, उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि
“राज्य में जिस तरह से सिस्टम डेवलप हो रहा है, उससे अगले एक हफ्ते के दौरान कई जगहों पर तेज बारिश हो सकती है। कुछ क्षेत्रों में यह बारिश आम लोगों को खासा प्रभावित कर सकती है।”
वर्तमान में नदियों का जलस्तर सामान्य से अधिक है और कई जल स्रोत पहले ही उफान पर हैं। इन स्थितियों में खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में तेज बारिश से हालात और गंभीर हो सकते हैं।
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गैरसैंण पहुँचे मुख्यमंत्री धामी, 22 अगस्त तक चलेगा विधानसभा मानसून सत्र

गैरसैंण (चमोली): उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र जल्द ही गैरसैंण में शुरू होने जा रहा है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज भराड़ीसैंण पहुंचे, जहां हेलीपैड पर जिलाधिकारी संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने उनका स्वागत किया। मौके पर पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में यह सत्र 22 अगस्त तक चलेगा, लेकिन इस बार सत्र के साथ मौसम भी चुनौती पेश कर सकता है। मौसम विभाग ने 22 अगस्त तक लगातार बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे सत्र के दौरान आवाजाही और व्यवस्थाओं पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
लंबी यात्रा, बढ़ी चुनौती
बारिश के चलते सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सड़क मार्ग से गैरसैंण पहुँचना मुश्किल हो सकता है। पहाड़ी मार्गों पर भूस्खलन और फिसलन की स्थिति ने पहले ही कई क्षेत्रों में यातायात को प्रभावित किया है। ऐसे में सरकार के “लावा-लश्कर” यानी प्रशासनिक अमले को समय पर गैरसैंण पहुंचाना एक चुनौती बन सकता है।
सत्र की तैयारियां पूरी
हालांकि, विधानसभा सचिवालय की ओर से सत्र की सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम ने गैरसैंण की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। विधानसभा सचिवालय की पहली टीम पहले ही रवाना हो चुकी है, जबकि दूसरी टीम रविवार को रवाना होगी। मुख्य सत्र के लिए लॉजिस्टिक और तकनीकी व्यवस्थाएं भी पूरी कर ली गई हैं।
गैरसैंण की पृष्ठभूमि में हो रहा यह सत्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि प्रशासनिक और लॉजिस्टिक स्तर पर भी बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है — खासतौर पर मौजूदा मौसम की चुनौतियों को देखते हुए।
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भूस्खलन से बाधित बदरीनाथ हाईवे, प्रशासन राहत कार्य में जुटा

चमोली: चमोली जिले में ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग एक बार फिर भूस्खलन की चपेट में आ गया है। गौचर से कर्णप्रयाग के बीच हुए भारी भूस्खलन के चलते हाईवे पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं।
प्रशासन की ओर से हाईवे को जल्द से जल्द सुचारू करने के प्रयास जारी हैं। भारी मशीनरी के माध्यम से मलबा हटाने का काम चल रहा है और अधिकारियों का कहना है कि कुछ ही समय में रास्ता फिर से खोल दिया जाएगा। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
हालांकि दोपहर के बाद बारिश थम गई थी और अधिकांश हिस्सों में हाईवे चालू कर दिया गया था, लेकिन चमोली की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां भूस्खलन की आशंका लगातार बनी रहती है। विशेषकर पीपलकोटी और भनेरपानी जैसे इलाकों में अभी भी सक्रिय भूस्खलन हो रहा है। इन क्षेत्रों में प्रशासन ने निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं, ताकि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा सके।
राज्य के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है, जिससे आपदा जैसे हालात बन गए हैं। मौसम विभाग भी लगातार अलर्ट जारी कर रहा है। एहतियात के तौर पर कई जिलों में स्कूलों की छुट्टियां घोषित की गई हैं।
जिला प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क मोड में है। सभी जिलाधिकारियों को लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्रों में जेसीबी और अन्य जरूरी संसाधन पहले से तैनात रखने के निर्देश दिए गए हैं। रिस्पॉन्स टाइम कम करने पर भी जोर दिया जा रहा है।
इसके अलावा, नदी-नालों के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, राहत सामग्री और दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखने, और प्रशासनिक टीमों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
स्थिति पर प्रशासन की नजर बनी हुई है, और आम जनता से अपील की गई है कि अनावश्यक यात्रा से बचें और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें।
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