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उत्तराखंड की देवभूमि परिवार योजना क्यों है खास, जानें क्या है इसका उद्देश्य ?

उत्तराखंड में देवभमि परिवार योजना लागू कर दी गई है। इस योजना के तहत प्रदेश के हर परिवार को एक यूनिक फैमिली आईडी मिलेगी। जिसमें परिवार के सभी सदस्यों का पूरा ब्योरा होगा। इस योजना के लागू होने के बाद से लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्यों ये योजना खास है और इसे शुरू क्यों किया गया है ?
उत्तराखंड की देवभूमि परिवार योजना क्यों है ये खास ?
देवभूमि परिवार योजना ऐसे समय में लागू की गई है जब उत्तराखंड राज्य में मूल निवास भू प्रबंधन डेमोग्राफिक चेंज जैसे महत्वपूर्ण विषय चारों तरफ पुरजोर तरीके से उठाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार ने “देवभूमि परिवार योजना” लाकर एक मास्टर स्ट्रोक के तौर पर बड़ा दांव खेला है। नियोजन विभाग के माध्यम से धरातल पर उतारी जा रही ही इस योजना को प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
देवभूमि परिवार योजना को लेकर काम कर रहे न्यूटन विभाग के अपर सांख्यिकी अधिकारी संदीप पांडे ने हमें बताया कि नियोजन विभाग ने प्रदेश के तकरीबन 8 लाइन डिपार्टमेंट जो कि सीधे तौर से पब्लिक से जुड़े रहते हैं उनके माध्यम से 1.15 करोड़ लोगों का डाटा कलेक्ट किया गया है जिसमें से सबसे ज्यादा खाद्य आपूर्ति विभाग जो की राशन कार्ड इत्यादि बनाते हैं उनसे 95 लाख लोगों का डाटा लिया गया है और इस पूरे उत्तर को एक देवभूमि परिवार उत्तराखंड पोर्टल के जरिए सिंक किया गया है। यह डाटा तकरीबन 28.5 लाख परिवारों का है।
क्या है इस योजना का उद्देश्य ?
नियोजन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के आठ मैं तुम्हें विभागों से लिए गए 1.15 करोड़ लोगों के डाटा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मदद से राज्य सरकार की 12 विभागों द्वारा चलाई जाने वाली तकरीबन 64 योजनाओं के लाभार्थियों में फिल्टर किया गया है। अपार संघ की अधिकारी संदीप पांडे ने बताया कि 28.5 लाख परिवारों का यह डाटा उन्हें योजनाओं के लाभार्थियों के रूप में फिल्टर आउट करेगा उन्होंने यह भी बताया कि लगातार अन्य योजनाओं को भी इस डाटा के साथ सिंक किया जा रहा है। अभी तक केवल स्टेट गवर्नमेंट की योजना को इस डाटा के साथ सिंक किया गया है और जल्द ही सेंट्रल गवर्नमेंट की तमाम योजनाओं को भी इसमें जोड़ा जाएगा तो वही इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक इस पोर्टल के हर तरह के डाटा को एनालाइज करके लॉन्च कर दिया जाएगा।
Bageshwar
SC ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक हटाई, 29 पट्टाधारकों को दी राहत

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में खड़िया खनन पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट ने 29 वैध खनन पट्टा धारकों को तुरंत खनन शुरू करने की मंजूरी देते हुए कहा कि हाई कोर्ट कानूनी रूप से संचालित पट्टों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा सकता है।
SC ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक हटाई
सुप्रीम कोर्ट ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक को गलत बताते हुए हटा दिया। हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक को गलत बताया। दअसल मामला एसएलपी (C) 23540/2025 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था जिसमें 17 फरवरी 2025 को उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बागेश्वर जिले में सोपस्टोन खनन गतिविधियों पर रोक जारी रखी गई थी। सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ -जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि सिर्फ नौ पट्टों में ही अनियमितताएं मिली थीं जबकि 29 पट्टाधारक पूरी तरह कानूनी रूप से खनन कर रहे थे। ऐसे में सभी पर एक समान रोक लगाना उचित नहीं है।

खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा: SC
कोर्ट ने ये भी माना कि खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से राज्य की अर्थव्यवस्था और स्थानियों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 29 पट्टाधारकों को अपने माइनिंग प्लान और पर्यावरण मंजूरी के अनुसार मशीनों के उपयोग की भी अनुमति दी ।
कोर्ट ने अपने पुराने आदेश (16 सितंबर 2025) का उल्लेख करते हुए याद दिलाया कि वह पहले ही पट्टाधारकों को पहले से निकाले और जमा किए गए सोपस्टोन को बेचने की अनुमति दे चुका है। बशर्ते वे पूरा रिकॉर्ड दें और तय रॉयल्टी का भुगतान करें।
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बड़ी खबर: देहरादून के निजी संस्थान में चल रही एसएससी की ऑन लाइन परीक्षा में पकड़ा गया नकलची, जाँच में जुटी पुलिस

बड़ी खबर: देहरादून के निजी संस्थान में चल रही एसएससी की ऑन लाइन परीक्षा में पकड़ा गया नकलची, जाँच में जुटी पुलिस।
देहरादून : देहरादून के एमकेपी इण्टर कॉलेज कैम्पस में किराए के हॉल में चल रहे महादेव डिजिटल जोन के नाम से ऑन लाईन परीक्षा केंद्र पर आज एसएससी के एग्जाम में एक परीक्षार्थी के पास ब्लूटूथ डिवाइस पकड़ी गई है।यह कार्यवाई ऑन लाइन एग्जाम कराने के लिए सरकार द्वारा अधिकृत एजेन्सी की टीम ने की है।जिसके बाद नकल करने वाले छात्र को पुलिस के हवाले कर दिया गया। मोके पर पहुची पुलिस छात्र से पूछताछ कर साक्ष्य जुटाने में लगी है।हालांकि एग्जाम अभी भी जारी है ,यह एग्जाम डेढ़ घंटे का होता है। अभी तक आज सुबह से इस सेन्टर पर दो पाली की परीक्षा सम्पन्न हो चुकी है जबकि तीसरी पाली की परीक्षा के लिए परीक्षार्थी सेन्टर पर पहुंचे है।
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कार्बेट नेशनल पार्क में वाहन पंजीकरण मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई, 10 दिनों के अंदर मांगी रिपोर्ट

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिम कार्बेट नेशनल पार्क में जिप्सी संचालन और नए पंजीकरण में स्थानीय वाहन स्वामियों को लॉटरी प्रक्रिया से बाहर रखने के मामले में सुनवाई की। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कॉर्बेट पार्क के डायरेक्टर से पूछा कि स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिप्सी पंजीकरण प्रकिया में नए जिप्सी संचालकों के लिए कौन से मानक तय किए गए हैं?
कार्बेट नेशनल पार्क में वाहन पंजीकरण मामले पर हाईकोर्ट की सुनवाई
हाईकोर्ट ने निदेशक से 10 दिनों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व के आदेश पर जिम कार्बेट नेशनल पार्क निदेशक कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने की।
मामले के अनुसार स्थानीय निवासी चक्षु करगेती, सावित्री अग्रवाल व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि कॉर्बेट पार्क में जिप्सी के लिए लॉटरी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए जो गाइडलाइन बनाई गई है, उसमें स्थानीय लोगों को पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा जा रहा है। स्थानीय लोगों की ओर से कहा गया कि सभी परमिट होल्डर जिनके पास वैध परमिट हैं और शर्तों को पूरा कर रहे हैं। उन सब को लॉटरी प्रक्रिया से बाहर रखा जा रहा है। स्थानियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि लॉटरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का आभाव है।
स्थानियों ने लॉटरी पंजीकरण में पारदर्शिता के अभाव का लगाया आरोप
स्थानियों ने दायर याचिका में कहा कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में विशेष कैटिगरी की जिप्सी स्वामी को पंजीकृत किया जा रहा है। और 2 वर्ष पुराने पंजीकृत जिप्सियों को प्रतिभाग करने से रोका जा रहा है। जबकि इन सभी वाहन स्वामियों को पिछले वर्ष आरटीओ से परमिट प्राप्त हुआ है। साथ ही कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। लॉटरी प्रक्रिया में प्रतिभाग न करने की वजह से जिप्सी संचालक बेरोजगार हो गए हैं। नए बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है, जबकि वे भी स्थानीय लोग हैं, उनको भी रोजगार दिया जाए. इसके जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन को परमिट दिया गया मानकों के अनुरूप दिया गया है। जो मानक पूर्ण नहीं करते हैं उन्हें लिस्ट से बाहर किया गया है।
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