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राजकीय कार्यों में लापरवाही एवं उदासीनता पड़ी भरी, जिलाधिकारी ने इन अधिकारियों के सितम्बर माह के वेतन रोकने के दिए निर्देश।
उधम सिंह नगर/रुद्रपुर- सीएम हैल्पलाइन पोर्टल एवं सीपी ग्राम्स पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही पड़ी भारी।
जनपद के नोडल अधिकारी सीएम हैल्प लाईन व मुख्य विकास अधिकारी विशाल मिश्रा ने बताया कि सीएम हैल्पलाइन पोर्टल एवं मुख्यमंत्री कार्यालय (एलएमएस) व भारत सरकार द्वारा संचालित सीपी ग्राम्स पोर्टल पर कतिपय विभागों को लम्बित शिकायतों के निस्तारण हेतु समय-समय पर शिकायतों का समयबद्धता एवं गुणवत्तापूर्वक निराकरण किये जाने के निर्देश निर्गत किये गये थे।
मुख्य विकास अधिकारी मिश्रा ने बताया कि प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में रूचि न लिये जाने को सम्बन्धित अधिकारियों के राजकीय कार्यों में लापरवाही एवं उदासीनता बरतने तथा अपने दायित्वो का सही से निर्वहन न करने के चलते जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी (303 लम्बित शिकायतें), जिला पूर्ति अधिकारी (290 लम्बित शिकायतें), जिला पंचायतराज अधिकारी (549 लम्बित शिकायतें), मुख्य शिक्षा अधिकारी (257 लम्बित शिकायतें), चिकित्सा अधीक्षक कर्मचारी राज्य बीमा औषधालय (168 लम्बित शिकायतें), सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी रूद्रपुर (157 लम्बित शिकायतें), अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण खण्ड ऊधम सिंह नगर (103 लम्बित शिकायतें), का माह सितम्बर का वेतन आहरण पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है।
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देहरादून जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस का परचम, सुखविंदर कौर बनीं अध्यक्ष

देहरादून: देहरादून जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनावों के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। इस चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है। सुखविंदर कौर ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर 17 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की…जबकि अभिषेक सिंह ने 18 मतों के साथ उपाध्यक्ष पद अपने नाम किया।
कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर
सुखविंदर कौर की जीत के साथ ही कांग्रेस समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ जीत का जश्न मनाया। वहीं, उपाध्यक्ष पद पर अभिषेक सिंह की जीत ने कांग्रेस की स्थिति और मजबूत कर दी है।
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बड़ी खबर: धामी सरकार में सुबोध उनियाल को मिली नई और अहम जिम्मेदारी

देहरादून: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें संसदीय कार्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। नई जिम्मेदारी के तहत सुबोध उनियाल अब विधानसभा में सरकार के कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
सुबोध उनियाल पहले से ही प्रदेश में अपने सक्रिय कार्य और लंबे अनुभव के लिए जाने जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी नियुक्ति से सरकार की विधायी कार्यप्रणाली और अधिक मजबूत एवं प्रभावी होगी।
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उत्तराखंड में आफत बनकर बरसी बारिश: देहरादून में 74 साल का रिकॉर्ड टूटा, बस्तियां तबाह, लोग बेघर

उत्तराखंड, देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों मौसम कहर बनकर टूटा है। लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदी-नाले उफान पर हैं और सड़कों का हाल तालाबों जैसा हो गया है। कई इलाकों में सड़कों पर नदी जैसा मंजर दिख रहा है, जहां तेज बहाव में इंसान और मवेशी तक बहते नजर आ रहे हैं। वहीं, सैकड़ों घर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं और लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं।
देहरादून में टूटा 74 साल का रिकॉर्ड
देहरादून में बीते दिनों 74 सालों की सबसे भारी बारिश दर्ज की गई। इस बारिश ने शहर की तस्वीर ही बदल दी। तमसा, बिंदाल, रिस्पना और सॉन्ग जैसी प्रमुख नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे शहर के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। रिस्पना नदी के उफान से भगत सिंह कॉलोनी, राजीव नगर और दीपनगर में कई घरों को खाली कराना पड़ा। तेज बहाव में कुछ मकान बह गए और कई पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
स्थानीय लोगों की आपबीती
दीपनगर की निवासी काजल बताती हैं कि उनका घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ उन्हें पूरी रात जागकर बितानी पड़ती है। राखी नाम की स्थानीय महिला कहती हैं कि उनका घर ढह चुका है और अब वे पड़ोसियों के सहारे रहने को मजबूर हैं।
बच्चों की शिक्षा पर भी असर
दीपनगर में रहने वाले छात्र आयुष और सुभान बताते हैं कि जब नदी का जलस्तर बढ़ता है तो तेज आवाज़ें कई दिनों तक कानों में गूंजती रहती हैं। वे रातभर नहीं सो पाते और सुबह स्कूल जाना पड़ता है। लगातार डर के माहौल में जीने से पढ़ाई पर भी असर पड़ा है।
राजनीतिक उपेक्षा पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनावों के दौरान नेता मलिन बस्तियों में वोट मांगने जरूर आते हैं, लेकिन आपदा के समय कोई हालचाल लेने तक नहीं पहुंचता। अब जब लोगों के सिर से छत तक छिन गई है, तब भी प्रशासन और जनप्रतिनिधि दूर हैं।
निष्कर्ष:
यह सवाल अब बड़ा बन गया है कि क्या गरीब केवल वोट बैंक तक ही सीमित रह गए हैं? और क्या प्रशासन इस आपदा से प्रभावित लोगों को जल्द राहत प्रदान करेगा? उत्तराखंड में भारी बारिश से पैदा हुई स्थिति प्रशासनिक संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की कड़ी परीक्षा ले रही है।
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