Dehradun
आईटीबीपी के महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने मुख्य सचिव से की भेंट, सीमांत गांवों में बसे स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने पर बनी सहमति।

देहरादून – आईटीबीपी उत्तराखंड के सीमांत गांवों में बसे स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और आईटीबीपी के महानिरीक्षक संजय गुंज्याल के बीच इस प्रस्ताव पर सहमति बनी।

गुंज्याल ने राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने मुख्य सचिव के साथ बॉर्डर आउट पोस्ट के विभिन्न मुद्दों और समस्याओं की जानकारी दी। उन्होंने मुख्य सचिव से सीमांत जिले पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली के जिलाधिकारियों से शीघ्र अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि एनओसी जारी होने पर भूमि हस्तांतरण के मामले तेजी से निपटाए जा सकेंगे।
मुख्य सचिव ने उन्हें हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। मुख्य सचिव ने आग्रह किया कि सीमांत गांवों में बसे लोगों को आईटीबीपी के चिकित्सक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं। इस पर गुंज्याल ने सहमति जताई और आश्वस्त किया कि सीमांत गांवों के स्थानीय नागरिकों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
बैठक में विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य सुविधाएं देने पर जोर दिया गया। साथ ही टेलीमेडिसिन के माध्यम से दुर्गम इलाकों को हेल्थ केयर से जोड़ने पर चर्चा की गई। गुंज्याल ने बताया कि आईटीबीपी स्थानीय किसानों से प्रोक्योरमेंट करने का भी प्रयास कर रही है।
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उत्तराखंड में धान खरीद में धांधली का आरोप, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर साधा निशाना

देहरादून: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने उत्तराखंड सरकार पर धान की सरकारी खरीद को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार केवल आंकड़े जारी कर अपने आप को ठीक ठहरा रही है जबकि मंडियों में धान की दुर्गति साफ नजर आ रही है।

यशपाल आर्य ने बताया कि किसानों को न तो बाढ़ मुआवजा मिला है न ही एमएसपी पर धान की खरीदी और न ही आढ़त या खाद जैसी सुविधाओं का सही लाभ मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि कच्चे आढ़तियों को एमएसपी पर धान खरीदने का लाइसेंस मिलने के बावजूद वे किसानों से धान नहीं खरीद रहे हैं। साथ ही तुलवाई और परिवहन का खर्च भी किसानों को सरकार की ओर से दिया जा रहा है…लेकिन फिर भी किसानों का नुकसान हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसान मंडियों में लंबी कतारें लगने के बजाय निजी गोदामों में धान बेचने को मजबूर हैं। व्यापारियों द्वारा भारी कटौती और फर्जी नमी जांच के कारण किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। यूपी से सस्ते धान को ऑनलाइन पोर्टल में डाला जा रहा है..जिससे स्थानीय किसानों को नुकसान हो रहा है।
यशपाल आर्य ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए जाएं और धान की खरीदी समय से, पारदर्शिता के साथ सुचारू रूप से सुनिश्चित की जाए।
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उत्तराखंड: चेन स्नेचिंग का आरोपी गिरफ्तार, सोशल मीडिया रील देखकर बनाई थी योजना

देहरादून: देहरादून पुलिस ने बल्लूपुर के पास से 22 वर्षीय शिवम को गिरफ्तार किया है…जिसने पटेल नगर में दुपट्टा मार्केट के पास एक महिला की सोने की चेन झपटने की वारदात को अंजाम दिया था। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि अपने ऊपर चढ़े उधार की भरपाई के लिए उसने यह घटना की योजना बनाई।
पुलिस के अनुसार आरोपी ने सोशल मीडिया पर चेन स्नेचिंग की रील देखकर ही वारदात की तैयारी की। घटना के दौरान उसने अपनी मोटरसाइकिल की नम्बर प्लेट हटा दी और पहचान छिपाने के लिए हेलमेट भी नहीं उतारा।
कोतवाली पटेल नगर प्रभारी चंद्रभान अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने छीनी गई चेन को बेचने की कोशिश की, लेकिन बिल न होने के कारण असफल रहा। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और मुखबिर की सूचना के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया और बरामद चेन उसके घर से जब्त कर ली।
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दिसंबर से उत्तराखंड में बाहरी वाहनों से वसूला जाएगा ग्रीन टैक्स

देहरादून: उत्तराखंड सरकार दिसंबर से राज्य में आने वाले बाहरी राज्यों के वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूलने जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि इसका मकसद राज्य में प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देना है।
राज्य के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया कि राज्य की सीमाओं पर लगे स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे वाहनों के पंजीकरण नंबर रिकॉर्ड करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले सीमाओं पर 16 कैमरे लगे थे, जिन्हें अब बढ़ाकर 37 कर दिया गया है।
सिंह ने बताया कि परिवहन विभाग ने ग्रीन टैक्स वसूली के लिए एक विक्रेता कंपनी नियुक्त की है। कैमरों द्वारा रिकॉर्ड किए गए डेटा को सॉफ्टवेयर के जरिए इस कंपनी को भेजा जाएगा। कंपनी, उत्तराखंड में पंजीकृत सरकारी और दोपहिया वाहनों को अलग करके, एनपीसीआई के डेटाबेस में वाहन मालिक के वॉलेट नंबर खोजेगी और टैक्स राशि स्वचालित रूप से वाहन मालिक के खाते से कटकर परिवहन विभाग के खाते में जमा कर दी जाएगी।
विभिन्न वाहनों के लिए टैक्स दरें इस प्रकार तय की गई हैं:
छोटे वाहन: ₹80
छोटे मालवाहक वाहन: ₹250
बस: ₹140
ट्रक: ₹120 से ₹700 (वजन के आधार पर)
परिवहन विभाग का कहना है कि इस प्रणाली से ग्रीन टैक्स वसूली सरल, पारदर्शी और प्रभावी होगी।
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