Dehradun
उत्तराखंड में शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने की नई पहल , SCERT ने ई सृजन एप किया तैयार…..

देहरादून : डिजिटल तकनीक की अहमियत को अब हर कोई समझने लगा है, और इसी दिशा में उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने शैक्षिक व्यवस्था में डिजिटल तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। शिक्षा विभाग ने अब राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को डिजिटल तकनीक सीखने के लिए अनिवार्य निर्देश जारी किए हैं। इस कदम के तहत, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने एक ई सृजन एप तैयार किया है, जिससे शिक्षक अपनी डिजिटल तकनीक से संबंधित क्षमता को बेहतर बना सकेंगे।
डिजिटल तकनीक से जोड़ने की पहल
उत्तराखंड के सरकारी विद्यालयों में अब डिजिटल तकनीक का उपयोग और भी बेहतर तरीके से किया जाएगा। राज्य शिक्षा विभाग ने शिक्षक और प्रधानाचार्यों को अनिवार्य रूप से डिजिटल तकनीक से जुड़ने के लिए निर्देशित किया है। अब इन शैक्षिक कार्यों से जुड़े सभी शिक्षक और प्रधानाचार्यों को एक विशेष कोर्स करना होगा, जो डिजिटल तकनीक के उपयोग और इसके फायदे के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। यह कोर्स 31 मार्च तक पूरा करना अनिवार्य होगा, और SCERT द्वारा तैयार किए गए ई सृजन एप के माध्यम से इसे किया जा सकेगा।
कोर्स और प्रमाण पत्र
इस डिजिटल प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद, शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को एक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। इसके साथ ही, उन्हें अपने द्वारा किए गए कोर्स के प्रमाण पत्र की एक प्रति प्रधानाचार्य को देनी होगी, और प्रधानाचार्य को इसे खंड शिक्षा अधिकारियों को प्रस्तुत करना होगा। यह कदम शैक्षिक कार्य में डिजिटल तकनीक के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
शैक्षिक कार्य में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का समावेश
इस पहल के पीछे शिक्षा विभाग की मंशा है कि शिक्षकों को आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का ज्ञान दिया जाए, ताकि वे पठन-पाठन में डिजिटल तकनीक का उपयोग कर सकें। यह कदम न केवल शिक्षकों की कार्यकुशलता को बढ़ाएगा, बल्कि छात्रों के लिए भी शिक्षा को और अधिक आकर्षक और प्रभावी बना सकेगा।
उच्च शिक्षा में CSR फंड का अहम योगदान
इस बीच, उच्च शिक्षा विभाग में भी कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने CSR फंड को शैक्षिक कार्यों में अहम भूमिका निभाने का सुझाव दिया है। उन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित शिक्षण संस्थानों को गोद लेकर इन्हें विकसित करने की योजना बनाई है, ताकि राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके। मंत्री ने CSR संगठनों से अपील की है कि वे राज्य के विकास में योगदान देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के साथ मिलकर काम करें।
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Dehradun
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में लिया भाग

देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने रविवार को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ सोशल साइंस इंस्टीट्यूशंस के 24वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में प्रतिभाग किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश से आए प्रख्यात विद्वानों ने विभिन्न सत्रों में सामाजिक कल्याण, अर्थशास्त्र, रोजगार, उद्योग, कृषि, तकनीकी, पर्यावरण और नगरीकरण जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय असंतुलन और असमान विकास जैसी चुनौतियों के स्थायी समाधान और नई दिशा की तलाश में है। ऐसे समय में यह सम्मेलन केवल एक अकादमिक विमर्श नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना, साझी जिम्मेदारी और पर्यावरणीय जागरूकता का सशक्त आह्वान है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि पूरक बनाना ही सच्चा सतत विकास है।
राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज केवल वैज्ञानिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है। अनियोजित शहरीकरण, अंधाधुंध वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अति-दोहन इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने के लिए केवल नीतियाँ या तकनीक पर्याप्त नहीं होंगी, बल्कि हमें जीवनशैली में परिवर्तन, जनसहभागिता और प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहकर नीतियां बनानी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे पर्वतीय राज्यों के लिए पर्यावरणीय चुनौतियाँ और भी संवेदनशील हैं। भूस्खलन, मृदा क्षरण, नदियों का कटाव और वन्य जीवों के आवासों में कमी जैसे मुद्दे अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता से भी जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी, वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान का समन्वय तथा जनजागरूकता और शिक्षा तीनों को एक साथ जोड़ना आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा कि शहरीकरण आर्थिक प्रगति का वाहक है, परंतु अनियोजित शहरीकरण असमानता, प्रदूषण और संसाधनों की कमी का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि हमें “स्मार्ट सिटीज” के साथ-साथ “ग्रीन सिटीज” की भी परिकल्पना करनी होगी, जहाँ भवन ऊर्जा-कुशल हों, परिवहन स्वच्छ हो और हरित आवरण पर्याप्त हो। सतत विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना है।
राज्यपाल ने युवाओं से कहा कि वे केवल भविष्य के विद्यार्थी नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माता हैं। उनके विचार, शोध और संवेदना ही हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत की दिशा तय करेंगे। उन्होंने आयोजन समिति की सराहना करते हुए कहा कि यह सम्मेलन ज्ञान, संवाद और नीति-चिंतन का उत्कृष्ट मंच बना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहाँ हुए मंथन से निकले विचार हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास के लिए नई दिशा प्रदान करेंगे।
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Accident
उत्तरखड़: सड़क पर दौड़ रही थी टैक्सी, ड्राइवर को अचानक आया अटैक, पर्यटकों की अटकी सांसे

मसूरी: पर्यटन नगरी मसूरी के नजदीक सोमवार को एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जब धनौल्टी से लौट रहे एक टैक्सी चालक को अचानक दिल का दौरा पड़ गया। घटना उस वक्त हुई जब चालक कार चला रहा था, जिससे गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और वह सड़क किनारे पैराफिट से टकरा गई। हादसे में चालक की मौके पर ही मौत हो गई…हालांकि गाड़ी में सवार चार पर्यटक पूरी तरह सुरक्षित बच गए।
यह दुर्घटना टिहरी बाईपास मार्ग पर लक्ष्मणपुरी क्षेत्र में नगर पालिका परिषद के कूड़ा कलेक्टिंग सेंटर के पास हुई। हादसे के तुरंत बाद चालक को 108 एंबुलेंस के जरिए उप जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक की पहचान हरिद्वार निवासी कपिल अरोड़ा (उम्र करीब 40 वर्ष), पुत्र स्व. अनिल अरोड़ा के रूप में हुई है। कपिल स्विफ्ट डिज़ायर टैक्सी (यूके08-टीए-6149) चला रहे थे और धनौल्टी से देहरादून होते हुए हरिद्वार लौट रहे थे।
आखिरी पलों में दिखाई सूझबूझ
कार में सवार पश्चिम बंगाल से आए पर्यटकों ने बताया कि चलती गाड़ी में ही कपिल को चक्कर जैसा महसूस हुआ। इसके बाद उन्होंने किसी तरह खुद को संभालते हुए गाड़ी को साइड में लगाने की कोशिश की, जिससे कार पैराफिट से टकरा गई। अगर चालक ने सूझबूझ न दिखाई होती, तो कार सीधे गहरी खाई में गिर सकती थी और एक बड़ा हादसा हो सकता था।
पर्यटक सुरक्षित, भेजे गए हरिद्वार
कार में सवार सभी पर्यटक पश्चिम बंगाल के निवासी हैं, जिनमें पुरबस्त हल, डाइसेल, पूरतराड़ निवासी राजेल मुखर्जी (उम्र 45 वर्ष), ढंगन निवासी अनकटी नाथ, पुत्र आलोक नाथ और शेम नाथ गराई शामिल हैं। सभी को मसूरी पुलिस द्वारा सुरक्षित बाहर निकाला गया और उन्हें अन्य वाहन से हरिद्वार भेज दिया गया।
पुलिस ने शुरू की जांच
मसूरी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। मृतक के परिजनों को सूचना दे दी गई है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह मामला स्वाभाविक मृत्यु (दिल का दौरा) का प्रतीत होता है, हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी।
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