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हिमाचल में बड़ा बस हादसा! खाई में गिरी HRTC बस 8 की मौत, दर्जनों घायल, चीख-पुकार से कांपा मंडी

मंडी (हिमाचल प्रदेश) – मंडी जिले के सरकाघाट क्षेत्र में दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। हिमाचल परिवहन निगम की बस सड़क से फिसलकर करीब 60 मीटर गहरी खाई में जा गिरी…जिसमें चार महिलाओं समेत आठ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में बस के चालक-परिचालक समेत 21 यात्री घायल हुए हैं…जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
ये हादसा सुबह करीब 9:45 बजे हुआ, जब बस सरकाघाट से दुर्गापुर वाया जमणी जा रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रास्ते में एक बाइक सवार को बचाने के चक्कर में चालक ने जैसे ही बस सड़क से हल्की सी बाहर निकाली, सड़क का डंगा धंस गया। बस अनियंत्रित होकर तीन पलटे खाकर खेतों में जा गिरी। हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। कुछ यात्री बस से बाहर छिटक गए….जबकि बाकी मलबे में फंस गए।
स्थानीय लोगों ने संभाला मोर्चा
मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने चादर और कंबल को स्ट्रेचर बनाकर घायलों को सड़क तक पहुंचाया। घायलों को निजी गाड़ियों और एंबुलेंस से तुरंत सिविल अस्पताल सरकाघाट पहुंचाया गया। गंभीर घायलों को मेडिकल कॉलेज नेरचौक, बिलासपुर एम्स और हमीरपुर रेफर किया गया। हादसे में पांच यात्रियों को अलग-अलग अस्पतालों में मृत घोषित किया गया।
मृतकों की पहचान
इस दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वालों में कलासी देवी (60), बर्फी देवी, सुमन कुमार (33), गीता देवी (65), डोमा देवी (70), प्रकाश, बलवीर (60) और अंतरिक्ष (17) शामिल हैं। सभी मृतक सरकाघाट क्षेत्र के आस-पास के गांवों के रहने वाले थे।
जांच शुरू, लापरवाही का मामला दर्ज
एसपी मंडी साक्षी वर्मा ने बताया कि हादसे के कारणों की जांच की जा रही है। फिलहाल बस चालक पर लापरवाही से वाहन चलाने का केस दर्ज किया गया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि बस को पास देते वक्त सड़क का डंगा धंस गया..जिससे बस पलट गई।
सरकार और प्रशासन की पहल
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा शोक जताते हुए मृतकों की आत्मा की शांति और परिजनों को धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की है। पीएमओ ने भी राहत की घोषणा करते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने का ऐलान किया है।
उपमुख्यमंत्री का दौरा
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने दोपहर में एम्स बिलासपुर पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना और परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने उचित सहायता का भरोसा दिलाया और कहा कि सरकार घायलों के इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।
एक और हादसा चंबा में
इसी दिन चंबा जिले के मंडून गांव में सड़क हादसे में एक शिक्षक की मौत हो गई। अनियंत्रित वाहन टीन की छत पर जा गिरा, जिसमें बुंदेडी निवासी शिक्षक खेम राज की जान चली गई। पुलिस ने हादसे की पुष्टि की है।
ये हादसे प्रदेश की जर्जर सड़कों और सुरक्षा के इंतजामों पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं….कब सुधरेंगे हालात?
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Hindi Diwas 2025: हिंदी दिवस पर लीजिए खुद की परीक्षा, दीजिए इन 10 प्रश्नों के जवाब

Hindi Diwas 2025 (janmanchTV): हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस बड़े गर्व और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन न केवल हिंदी भाषा की समृद्ध विरासत को सम्मान देने का अवसर है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, पहचान और भावनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ दिन भी है।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में अपनाया था। इसी ऐतिहासिक निर्णय की स्मृति में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1953 में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। तब से लेकर आज तक यह दिन हर साल हिंदी के सम्मान में मनाया जाता है।
हिंदी – हमारी आत्मा की आवाज़
हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और अस्मिता का प्रतीक है। यह वह माध्यम है, जिससे करोड़ों भारतीय अपने विचार, भावनाएं और पहचान व्यक्त करते हैं।
हिंदी की वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं — 13 स्वर और 39 व्यंजन।
यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।
इसे ‘खड़ी बोली’ भी कहा जाता है।
हिंदी साहित्य की रोशनी
हिंदी साहित्य में छायावाद युग एक महत्वपूर्ण दौर रहा है, जिसके चार स्तंभ माने जाते हैं…..
जयशंकर प्रसाद
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
सुमित्रानंदन पंत
महादेवी वर्मा
वहीं रामधारी सिंह ‘दिनकर’ को हिंदी का राष्ट्रकवि कहा जाता है, जिनकी कविताओं ने देशभक्ति की भावना को एक नई ऊंचाई दी।
कितने लोग बोलते हैं हिंदी?
2011 की जनगणना के अनुसार, देश की लगभग 44% आबादी हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलती है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ को “हिंदी बेल्ट” कहा जाता है, जहां हिंदी का प्रभाव सबसे अधिक है।
Hindi Diwas 2025 प्रश्न
क्या आप हिंदी के बारे में ये सवालों के जवाब जानते हैं?
प्रश्न उत्तर
1. हिंदी दिवस कब मनाया जाता है? – 14 सितंबर
2. हिंदी वर्णमाला में कुल कितने अक्षर होते हैं? – 52 (13 स्वर + 39 व्यंजन)
3. हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब मिला? – 14 सितंबर 1949
4. पहली बार हिंदी दिवस कब मनाया गया? – 1953
5. हिंदी किस लिपि में लिखी जाती है? – देवनागरी लिपि
6. हिंदी के राष्ट्रकवि कौन हैं? – रामधारी सिंह दिनकर
7. हिंदी भाषा का पर्यायवाची शब्द क्या है? – खड़ी बोली
8. भारत में कितने लोग हिंदी बोलते हैं? – करीब 44% आबादी
9. हिंदी बेल्ट में कौन-कौन से राज्य आते हैं? – UP, Bihar, MP, Rajasthan, Delhi, etc.
10. छायावाद युग के चार प्रमुख कवि कौन हैं? – प्रसाद, निराला, पंत, महादेवी
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नेपाल में उग्र हालात: भारतीय विदेश मंत्रालय ने नागरिकों से की नेपाल यात्रा से बचने की अपील

काठमांडू: नेपाल में इन दिनों हालात बेहद नाजुक और अशांत हो गए हैं। राजधानी काठमांडू समेत देश के कई हिस्सों में सरकार के खिलाफ उग्र विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। बीते दो दिनों से जारी यह आंदोलन अब हिंसक रूप ले चुका है। सड़कों पर हजारों की संख्या में छात्र और युवा उतर आए हैं, जो मौजूदा व्यवस्था और नेताओं के खिलाफ नाराज़गी जताते हुए आगजनी और तोड़फोड़ कर रहे हैं।
मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद से देश की राजनीतिक स्थिति और ज्यादा अस्थिर हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, उनके इस्तीफे के बाद कई अन्य मंत्री भी पद छोड़ चुके हैं और कुछ नेता देश से बाहर निकलने की कोशिश में हैं। इसी बीच, प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और कई पूर्व नेताओं के घरों में आग लगा दी।
कांतिपुर मीडिया समूह के मुख्यालय से उठता धुआं, हिंसा की भयावहता को दिखा रहा है। जानकारी के अनुसार, मंगलवार को हुए प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मीडिया समूह की इमारत को आग के हवाले कर दिया।
सेना ने संभाला मोर्चा, कर्फ्यू जारी
देश की राजधानी काठमांडू में हालात काबू में लाने के लिए नेपाली सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। सेना और सुरक्षाबलों को हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात कर दिया गया है। साथ ही, बुधवार से कर्फ्यू लागू कर दिया गया है जो अगले आदेश तक जारी रहेगा।
नेपाल सेना ने एक बयान जारी कर नागरिकों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि कुछ असामाजिक तत्व स्थिति का गलत फायदा उठा रहे हैं, और देश की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भारतीय नागरिकों को वापस लाया जा रहा, एडवाइजरी भी जारी
नेपाल की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। उत्तर प्रदेश के सोनौली बॉर्डर से भारतीय नागरिकों को SSB की मदद से भारत वापस लाया जा रहा है। केवल मेडिकल या आपात स्थिति में ही नेपाली नागरिकों को भारत में प्रवेश दिया जा रहा है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यात्रा परामर्श (Travel Advisory) जारी कर भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे नेपाल की अनावश्यक यात्रा से फिलहाल बचें। जो भारतीय नेपाल में पहले से मौजूद हैं, उन्हें घर के अंदर रहने और पूरी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। साथ ही, काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने आपातकालीन संपर्क नंबर भी जारी किए हैं:
+977-980 860 2881 (WhatsApp पर उपलब्ध)
+977-981 032 6134 (WhatsApp पर उपलब्ध)
प्रदर्शनकारियों की मांग: नया संविधान, नया नेतृत्व
प्रदर्शन कर रहे युवाओं और छात्रों का कहना है कि वे नेपाल में “नई पीढ़ी का शासन” चाहते हैं। एक छात्र प्रदर्शनकारी सुभाष ने कहा कि हम भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहते हैं, हमें पुराने नेताओं से कोई उम्मीद नहीं। हम नए नियम-कानून और एक मजबूत नेतृत्व की मांग कर रहे हैं। हमने पुराने नेताओं को खदेड़ दिया, अब वक्त है एक नई शुरुआत का।
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी का घर भी जला चुके हैं।
भारत सरकार की सतर्क निगाह
नेपाल के हालात पर भारत सरकार भी लगातार नजर बनाए हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल और पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर लौटने के बाद नेपाल की स्थिति को लेकर कैबिनेट समिति की आपात बैठक की। माना जा रहा है कि भारत, नेपाल में अपने नागरिकों की सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति को लेकर सजग है।
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चीन की हिरासत में तिब्बती धर्मगुरु तुलकू पाल्देन वांग्याल की मौत !

धर्मशाला/गोंजो: तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के गोंजो काउंटी में स्थित चोग्याल मठों के प्रमुख लामा तुलकू पाल्देन वांग्याल की कथित तौर पर चीनी हिरासत में मौत हो गई है। 53 वर्षीय वांग्याल पिछले कई वर्षों से जेल में बंद थे, जहां उन्हें लगातार प्रताड़ित किए जाने की खबरें सामने आती रही थीं। उनकी मृत्यु की पुष्टि करते हुए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) ने इसे गहरा दुखद बताया और इसे तिब्बती धार्मिक नेताओं पर चीनी सरकार द्वारा किए जा रहे दमन का एक और ज्वलंत उदाहरण करार दिया है।
CTA द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि वांग्याल ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण, समुदाय में एकता की भावना और तिब्बती पहचान की रक्षा के लिए जीवनभर कार्य किया। उनकी यही निष्ठा उन्हें चीनी अधिकारियों की नजरों में संदेहास्पद बना गई, जिसके चलते उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और अंततः करीब आठ वर्षों तक जेल में रखा गया।
CTA ने यह भी आरोप लगाया कि जेल में उनके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया और उन्हें गंभीर मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं।
चीन पर लगाया सांस्कृतिक दमन का आरोप
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने इस घटना को तिब्बत में धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लगातार होते दमन का हिस्सा बताया है। प्रशासन का कहना है कि चीन एक सुनियोजित नीति के तहत तिब्बती धार्मिक नेताओं और उनकी विचारधारा को कुचलने का प्रयास कर रहा है।
CTA ने कहा, “तुलकू पाल्देन वांग्याल की मृत्यु यह दर्शाती है कि तिब्बत में अब भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक आस्था और सामान्य मानवाधिकारों पर कड़े प्रतिबंध लागू हैं। यह सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि तिब्बती समाज के लिए एक गहरा आघात है।”
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की मांग
CTA ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस घटना का संज्ञान लेने की अपील की है और चीन को तिब्बत में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वांग्याल की मौत अकेली घटना नहीं है, बल्कि यह दशकों से चल रहे तिब्बती दमन चक्र की एक और कड़ी है।
तुलकू पाल्देन वांग्याल के योगदान को याद करते हुए CTA ने उन्हें तिब्बती जनता का सच्चा सेवक और आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बताया।
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