Dehradun
उच्च शिक्षा विभाग और चिवनिंग एवं इंफोसिस स्प्रिंगबोर्ड के मध्य MoU हस्ताक्षर, सीएम धामी बोले शोध और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा।

देहरादून – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग के साथ ब्रिटिश उच्चायोग एवं इन्फोसिस स्प्रिंगबोर्ड के एम.ओ.यू. होने से राज्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित होगा। इससे राज्य के उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों को नया अनुभव मिलेगा। यह राज्य को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य सरकार उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए निरंतर नई योजनाओं का संचालन कर रही है। उच्च शिक्षा की पढ़ाई के बाद युवा खाली न बैठें, इसके लिए अनेक कार्ययोजनाओं पर कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उच्च शिक्षण संस्थानों में कौशल विकास का प्रशिक्षण एवं सेमिनार का आयोजन भी किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के भी निशुल्क कोर्स चलाये जाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ छात्रो को नवाचार से भी जोड़ा जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में संस्कार और नवाचार अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सतत रूप से राज्य के मानवीय संसाधनों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है और इस दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में 35 विश्वविद्यालय हैं। 5 लाख से अधिक विधार्थी राज्य में उच्च शिक्षा ग्रहण कर कर रहें हैं। राज्य में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों को टॉप रैंकिंग में लाने के लिए कार्य कर रही है। बच्चों के शैक्षिक स्तर को भी बढ़ाया जा रहा है। अगले वर्ष तक राज्य के पांच विश्वविद्यालय देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालय में शामिल हो, इस दिशा में कार्य किये जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि चिवनिंग उत्तराखण्ड स्कॉलरशिप का उद्देश्य दूरस्थ क्षेत्र के गरीब मेधावी छात्रों को विशेष रूप से छात्राओं को वैश्विक अवसर प्रदान करते हुए उनमें नेतृत्व क्षमता का विकास करना है। उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय एवं शासकीय महाविद्यालयों में अध्ययनरत एवं चिवनिंग स्कॉलरशिप के लिए अर्हता धारित करने वाले 05 छात्रों को प्रतिवर्ष स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन के लिए ब्रिटेन के किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में भेजा जाएगा। इससे उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को न सिर्फ वैश्विक मापदण्डों के अनुसार कार्य करने का अनुभव होगा, बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता का भी विकास होगा। इस स्कॉलरशिप के अंगर्तत अध्ययन हेतु चयनित छात्र-छात्राओं को ब्रिटेन में 01 वर्ष के अध्ययन के पश्चात अपने राज्य के विकास के लिए कार्य करना अनिवार्य होगा। इस प्रस्तावित सहयोग एवं समझौते के तहत इसका बराबर व्ययभार चिवनिंग एवं राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
स्प्रिंगबोर्ड इंफोसिस अपने वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर सी.एस.आर. के तहत शिक्षकों के लिए आई०टी० आधारित निशुल्क प्रशिक्षण मॉड्यूल एवं छात्रों हेतु निशुल्क कोर्स उपलब्ध कराएगा। पाठ्यक्रमों का चयन एन.ई.पी. अंतर्गत ऐक्षिक कोर्स के रूप में भी किया जाएगा। इसका प्रयोग कर शिक्षक अपने संस्थान के छात्रों के लिए माइक्रोसाइट्स बना सकते हैं और विशेष रूप से चयनित सामग्री प्रदान कर सकते हैं। इसके माध्यम से छात्रों हेतु लेटेस्ट इमर्जिंग टेक्नॉलॉजी के कोर्स सुलभ होंगे, जिनकी निरंतर मॉनीटरिंग और छात्र प्रगति को डैशबोर्ड के माध्यम से देखा जा सकता है।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति डॉ. देवेंद्र भसीन, सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगौली, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अंजू अग्रवाल, उप निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. ममता, सहायक निदेशक उच्च शिक्षा डॉक्टर दीपक कुमार पांडे एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।
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अमर्यादित वस्त्र पहनकर जाएंगे तो रोक देंगे! Uttarakhand के इस मंदिर में लागू हुआ नया नियम

मसूरी: मसूरी से लगभग 10 किलोमीटर दूर, 7,267 फीट की ऊंचाई पर स्थित प्रसिद्ध सिद्धपीठ भद्रराज मंदिर में श्रद्धालुओं को अब मर्यादित वस्त्र पहनकर ही प्रवेश मिलेगा। मंदिर समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है कि छोटे कपड़े, स्कर्ट, ऑफ पेंट, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट और कटी-फटी जींस जैसे अमर्यादित वस्त्र पहनकर आने वालों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने बताया कि यह निर्णय भक्तों की भावनाओं और मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिए लिया गया है। उन्होंने बताया कि अगर कोई श्रद्धालु अमर्यादित वस्त्र पहनकर मंदिर आता है, तो समिति की ओर से उन्हें धोती उपलब्ध कराई जाएगी…ताकि वे पूजा-अर्चना सम्मानपूर्वक कर सकें।
हर साल बड़ी संख्या में भक्त भगवान भद्रराज के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को समर्पित है। इसी महीने 16 और 17 अगस्त को भद्रराज मंदिर में विशेष मेले का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं।
मंदिर समिति बिन्हार जौनपुर मसूरी, पछवादून ने सभी भक्तों से अपील की है कि मंदिर की परंपरा और पवित्रता बनाए रखने के लिए मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं, ताकि आस्था के इस स्थान की गरिमा हमेशा बनी रहे।
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rain alert: उत्तराखंड में मौसम बिगड़ा, जानिए कब तक चलेगा दौर

📌 Introduction:
उत्तराखंड में rain alert जारी कर दिया गया है। मौसम विभाग ने देहरादून, टिहरी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल और बागेश्वर जिलों के लिए भारी बारिश की चेतावनी दी है। पहाड़ी इलाकों में बारिश के कारण भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है, जिससे प्रशासन और स्थानीय लोग अलर्ट पर हैं।
H2: Uttarakhand Rain Alert and Heavy Rainfall Update
प्रदेश में कई इलाकों में लगातार हो रही बारिश से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले एक हफ्ते तक रुक-रुक कर तेज बारिश की संभावना बनी हुई है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव और पहाड़ी रास्तों पर फिसलन जैसी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
H2: Landslide Risk Amid Rain Alert
लगातार बारिश से खासकर पहाड़ी जिलों में landslide risk बढ़ गया है। प्रशासन ने लोगों को सलाह दी है कि ज़रूरी न हो तो यात्रा से बचें और खासकर भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहें। पर्यटकों से भी अपील की गई है कि मौसम अपडेट देखते रहें और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
H3: Rain Alert: Dehradun and Hill Districts on Watch
गुरुवार सुबह से देहरादून में झमाझम बारिश हो रही है, जिससे मौसम सुहावना जरूर हो गया है, लेकिन कई जगहों पर जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्या सामने आ गई है। भारी बारिश का सिलसिला अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकता है।
H3: Administration Issues Safety Advisory During Rain Alert
प्रशासन ने राहत टीमों को तैनात कर दिया है और लगातार हालात पर नजर रखी जा रही है। लोगों को सलाह दी गई है कि किसी भी इमरजेंसी में हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें और अफवाहों से बचें।
✅ FAQs:
Q1: उत्तराखंड में rain alert कब तक रहेगा?
मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले एक हफ्ते तक भारी बारिश का दौर जारी रह सकता है।
Q2: rain alert के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?
बेवजह यात्रा से बचें, खासकर भूस्खलन संभावित इलाकों में। मौसम अपडेट पर नज़र रखें और प्रशासन की सलाह मानें।
Q3: किन जिलों में सबसे ज्यादा खतरा है?
देहरादून, टिहरी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल और बागेश्वर जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
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Harela parv: 7 लाख पेड़! उत्तराखंड के हरेला पर्व ने रचा रिकॉर्ड, जानिए कैसे ?

देहरादून (Harela parv): उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा और प्रकृति से गहरा जुड़ाव रखने वाला हरेला पर्व अब सिर्फ परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक व्यापक जनआंदोलन बन चुका है। इस साल हरेला पर पूरे उत्तराखंड में कुछ ऐसा हुआ….जिसने इतिहास रच दिया और हर व्यक्ति को हरियाली के प्रति अपने दायित्व की याद दिला दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू हुए “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई ऊँचाइयों पर पहुँचाते हुए इसे “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” जैसे गहरे और संवेदनशील संदेश से जोड़ा।
देहरादून में खुद पौधारोपण कर मुख्यमंत्री ने इस मुहिम की शुरुआत की। खास बात यह रही कि इसे केवल सरकारी कार्यक्रम तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि हर गाँव, शहर, स्कूल और मोहल्ले को इस हरित महोत्सव का हिस्सा बनाया गया। प्रदेश के सभी 13 जिलों में हजारों जगहों पर एक साथ पौधे लगाए गए।
7 लाख से ज्यादा पौधे लगाए
आंकड़ों की मानें तो इस अभियान के तहत अब तक पूरे उत्तराखंड में 7 लाख से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं। यह किसी एक पर्व पर उत्तराखंड में हुआ सबसे बड़ा पौधारोपण अभियान बन गया है। लेकिन इस पहल की सबसे बड़ी ताकत सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि उसमें छुपी आस्था, ज़िम्मेदारी और लोगों की भागीदारी में है।
जन-जन की भागीदारी से बना उत्सव
हरेला पर्व के इस विशेष अभियान में वन विभाग, जिला प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, महिला समूह और युवाओं ने खुलकर हिस्सा लिया। हर हाथ में कुदाल और हर दिल में हरियाली के सपने के साथ लोगों ने पौधे लगाए, और इस पर्व को सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प में बदल दिया।
हरियाली, उम्मीद और आस्था का प्रतीक
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हरेला अब केवल सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि प्रदेशवासियों की सामूहिक चेतना का उत्सव बन चुका है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि राज्य सरकार विकास और आस्था, दोनों के बीच संतुलन बनाकर चल रही है और पर्यावरण संरक्षण उसकी प्राथमिक नीतियों में शामिल है।
जो पौधे आज लगाए जा रहे हैं…वे सिर्फ पेड़ नहीं हैं, बल्कि आने वाले कल के लिए हरियाली, उम्मीद और सतत विकास के बीज भी हैं। यही बीज एक हरित, स्वच्छ और संवेदनशील उत्तराखंड की नींव रखेंगे, जहाँ प्रकृति के साथ सच्चा प्रेम ही असली विकास का रास्ता दिखाता है
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