Dehradun
मैदानी जिलों में घना कोहरा छाने की संभावना, IMD ने जारी किया अलर्ट….

देहरादून, उत्तराखण्ड: उत्तराखण्ड में मानसून की विदाई के बाद मौसम शुष्क बना हुआ है। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानी इलाकों तक चटख धूप खिल रही है, लेकिन साथ ही सुबह के समय घना कोहरा और पहाड़ी क्षेत्रों में पाला भी परेशानियों का कारण बन रहा है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिन में मैदानी क्षेत्रों में घने कोहरे की चेतावनी जारी की है, खासकर ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले के कुछ हिस्सों में।
अगले एक सप्ताह में बारिश की कोई संभावना नहीं है, और प्रदेश का तापमान भी धीरे-धीरे गिरावट की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, ज्यादातर क्षेत्रों में पारा अब भी सामान्य से अधिक बना हुआ है। देहरादून में अधिकतम तापमान 28.2 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 13.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 2-3 डिग्री अधिक है।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, वर्तमान में प्रदेश में शुष्क मौसम बने रहने की संभावना है और अगले कुछ दिनों में वर्षा की उम्मीद नहीं है। इसके साथ ही लगातार शुष्क मौसम की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है, जिससे हवा में धुंध और प्रदूषण की चादर फैली हुई है। गुरुवार को भी प्रदेश में शुष्क मौसम देखा गया, हालांकि देहरादून और अन्य मैदानी क्षेत्रों में सुबह धुंध और कुहासा छाया रहा।
मौसम की स्थिति:
- देहरादून: अधिकतम 28.2°C, न्यूनतम 13.3°C
- ऊधमसिंह नगर: अधिकतम 26.0°C, न्यूनतम 13.6°C
- मुक्तेश्वर: अधिकतम 21.0°C, न्यूनतम 5.7°C
- नई टिहरी: अधिकतम 20.9°C, न्यूनतम 8.8°C
घना कोहरा और वायरल बिमारियों का खतरा
बदलते मौसम के साथ-साथ पशुओं में भी वायरल बीमारियां फैलने लगी हैं। राजकीय पशु अस्पताल में रोजाना सर्दी, बुखार और खांसी के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। पशु चिकित्सक पशुपालकों को सलाह दे रहे हैं कि वे अपने पालतू जानवरों को ठंडी चीजों की बजाय गुड़, आलू, अंडे और मीट दें। बदलते मौसम में कुत्ते-बिल्लियों में निमोनिया, हाइपोथर्मिया जैसी बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
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Accident
मसूरी में सड़क हादसा: NH-707 पर पलटा ट्रक, घंटों जाम से जूझते रहे लोग

मसूरी: रविवार सुबह मसूरी से केंपटी की ओर जा रहा एक ट्रक राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर अचानक अनियंत्रित होकर लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी के पिछले गेट के सामने पलट गया। हादसे के बाद ट्रक सड़क के बीचों-बीच पलट गया, जिससे मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया और दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इससे आम लोगों और पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
घटना की सूचना मिलते ही मसूरी पुलिस मौके पर पहुंची। एसआई छत्रपाल सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किया। ट्रक में सवार दोनों व्यक्ति—चालक खिलेंद्र, निवासी घोसीपुरा, जिला अमरवा (उत्तर प्रदेश) और उसका सहयोगी युद्धवीर, निवासी निलोथी नागलोई (दिल्ली)—सकुशल हैं और उन्हें केवल मामूली चोटें आई हैं।
सड़क से ट्रक को हटाने के लिए देहरादून से क्रेन मंगवाई गई। क्रेन की मदद से ट्रक को किनारे कर यातायात को बहाल किया गया। पुलिस ने बताया कि कुछ देर के लिए मार्ग बाधित रहा, लेकिन स्थिति को नियंत्रण में ले लिया गया है।
पुलिस द्वारा घटना की जांच की जा रही है और ट्रक के मालिक व घायलों के परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है।
एसआई छत्रपाल सिंह ने अपील की है कि पहाड़ी मार्गों पर वाहन चलाते समय विशेष सतर्कता बरती जाए ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।
Dehradun
मसूरी में जिंदगी फंसी जाम में: इलाज से पहले टूटी सांसें, नहीं पहुंच पाया वक्त पर अस्पताल

मसूरी: दिल्ली से मसूरी घूमने आए छह पर्यटकों के दल में शामिल 62 वर्षीय बुजुर्ग की इलाज से पहले ही मौत हो गई। बताया गया कि अचानक तबीयत बिगड़ने पर जब परिजन उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे, तब पौन घंटे तक सड़क जाम में फंसे रहे। समय पर इलाज न मिलने से उनकी मौत हो गई।
मृतक की पहचान दिल्ली निवासी कमल किशोर टंडन के रूप में हुई है, जो अपने रिश्तेदारों के साथ लाइब्रेरी क्षेत्र में ठहरे थे। परिवार के सदस्य अर्जुन कपूर ने बताया कि बृहस्पतिवार को बारिश और ठंड के कारण कमल किशोर की तबीयत अचानक बिगड़ गई — संभवतः हार्ट अटैक आया था।
परिवार ने तत्काल एंबुलेंस के लिए कॉल किया, लेकिन देहरादून से एंबुलेंस आने में समय लगने के कारण वे खुद उन्हें वाहन में लेकर अस्पताल के लिए रवाना हुए। लेकिन किंग्रेग मार्ग, गांधी चौक और मोतीलाल नेहरू रोड पर भारी ट्रैफिक जाम में पौन घंटे तक फंसे रहे। जब तक वे अस्पताल पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
परिजनों का आरोप है कि मसूरी जैसे पर्यटन स्थल पर आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल सुविधा का अभाव है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी होटलों में बेसिक मेडिकल किट उपलब्ध होनी चाहिए और प्रशासन को स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
परिजनों ने यह भी बताया कि पुलिस ने उनकी मदद की, लेकिन जाम इतना ज़्यादा था कि स्थिति नियंत्रण में नहीं आई। स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटन सीज़न में भारी वाहनों को किंग्रेग से ऊपर नहीं आने देना चाहिए। कोतवाल संतोष कुंवर का कहना है कि सभी चौराहों पर पुलिसकर्मी तैनात हैं, लेकिन उन्हें इस विशेष घटना की जानकारी नहीं है
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Dehradun
उत्तराखंड बना बारिश का पसंदीदा ठिकाना, हिमाचल, कश्मीर और दिल्ली से ज्यादा होती है वर्षा

देहरादून: ऐसा लगता है कि मेघों को उत्तराखंड बेहद पसंद है। मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तुलना में हर साल अधिक बारिश दर्ज की जाती है।
राज्य में वार्षिक औसत वर्षा 1477.6 मिमी है, जो कि हिमाचल (1245.1 मिमी), जम्मू-कश्मीर व लद्दाख (1232.3 मिमी), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (765.3 मिमी), पंजाब (565.5 मिमी) और दिल्ली-हरियाणा-चंडीगढ़ क्षेत्र (527.1 मिमी) से कहीं अधिक है।
राज्य की राजधानी देहरादून में तीन जून को 23.2 मिमी, चार को 7.8 मिमी और पांच जून को 0.4 मिमी बारिश दर्ज की गई। इस लगातार हो रही बारिश के कारण गर्मी से कुछ हद तक राहत महसूस की गई है।
मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, उत्तराखंड में मानसून के दौरान औसतन 1162.7 मिमी बारिश होती है, जिसमें जुलाई और अगस्त सबसे ज्यादा भीगे हुए महीने रहते हैं। उन्होंने बताया कि बंगाल की खाड़ी की शाखा उत्तराखंड में अधिक प्रभावी होती है, जिससे यहां अधिक बारिश होती है।
मौसम विभाग ने 1989 से 2018 के बीच दैनिक वर्षा आंकड़ों का विश्लेषण कर बताया कि कई जिलों में वर्षा के पैटर्न में बदलाव आया है।
नैनीताल, रुद्रप्रयाग, चमोली और बागेश्वर में वार्षिक वर्षा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है।
वहीं पौड़ी जिले में मानसून और वार्षिक वर्षा में कमी दर्ज की गई है।
पिछले 26 वर्षों में उत्तराखंड में केवल तीन बार औसत से अधिक बारिश हुई है वर्ष 2000, 2007 और 2010 में। वहीं छह बार न्यूनतम और 18 बार सामान्य बारिश रिकॉर्ड की गई।
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