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देहरादून में बढ़ रहा डेंगू और चिकनगुनिया का खतरा, स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जरूरी निर्देश…

देहरादून : मौसम बदलते ही देहरादून समेत उत्तराखंड के कई जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले बढ़ने लगे हैं। अप्रैल महीने में देहरादून जिले में अब तक 19 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं। हाल ही में 55 सैंपल लिए गए जिनमें से 3 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें एक मरीज देहरादून, एक हरिद्वार और एक सहारनपुर से है। अब तक कुल 968 सैंपल लिए जा चुके हैं। अच्छी बात यह है कि अभी तक किसी मरीज की मौत डेंगू से नहीं हुई है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने डेंगू की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक की और सभी जिलों में माइक्रो प्लान तैयार करने को कहा। उन्होंने निर्देश दिए कि डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाए और दूसरे विभागों के साथ मिलकर काम किया जाए।
मंत्री ने कहा कि राज्य के सभी निजी अस्पतालों को डेंगू के मामलों की जानकारी भारत सरकार के आईडीएसपी पोर्टल पर दर्ज करनी होगी। इसकी निगरानी संबंधित जिलों के सीएमओ करेंगे। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया कि राज्य की निजी पैथोलॉजी लैब केवल केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत जांच किट का ही उपयोग करें।
देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर, नैनीताल और पौड़ी को संवेदनशील जिले मानते हुए वहां जन-जागरूकता अभियान तेज करने को कहा गया है। हॉटस्पॉट क्षेत्रों में वॉलंटियर टीमों को भेजा जाएगा, ताकि समय पर रोकथाम की जा सके।
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सीएम धामी ने 49वें कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेले का किया उद्घाटन, विभिन्न विकास परियोजनाओं की घोषणा

टिहरी गढ़वाल: सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनपद टिहरी गढ़वाल पहुंचकर नौ दिवसीय 49वें कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेले का ध्वजारोहण कर मेले के शुभारम्भ की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने विकास प्रर्दशनी का उद्घाटन, विभिन्न विभागों द्वारा स्थापित स्टालों का निरीक्षण तथा अमर शहीदों की मूर्तियों एवं स्वतंत्र संग्राम शहीद स्मारक पर मल्यार्पण किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ढालवाला में अवशेष बाढ़-सुरक्षा कार्यों का निर्माण कार्य (लगभग 400 मीटर), कुम्भ मेला, 2027 के अन्तर्गत मुनिकीरेती में खारास्रोत गदेरे में सतह पार्किंग एवं एप्रोच रोड़ का निर्माण, नरेन्द्रनगर में दैवीय आपदा से क्षतिग्रस्त नहरों का पुनर्निर्माण कार्य,नगर पंचायत तपोवन में सामुदायिक भवन का निर्माण,नरेन्द्रनगर में सब रजिस्ट्रार कार्यालय की स्थापना, बाल्मिकी बस्ती में 6 आवासों का पुनर्निर्माण, पावकी देवी (दोगी) में सामुदायिक भवन का निर्माण, नरेन्द्रनगर कुम्हार खेड़ा में सामुदायिक भवन का विस्तार, कुम्हार खेड़ा सामुदायिक भवन तक मार्ग का पक्की करण, नगर पालिका मुनि की रेती-ढालवाला में पन्त की दुकान से चीनी गोदाम तक मार्ग का पुनर्निर्माण, श्रीदेव सुमन उप जिला अस्पताल में एनेस्थिशिया वर्क मशीन (ऑटोमेटिक वैंटीलेटर) की स्वीकृति, नरेंद्रनगर में एक ANM ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना, भुवनेश्वरी देवी मंदिर हार्डीसेरा एवं पावली देवी मंदिर सौंदर्यीकरण के लिए उचित धनराशि की स्वीकृति, गुल्लरबोगी में पार्किंग निर्माण, ह्वेल नदी में मानसेरा, भगोड़ी, भैंतोला तोक में चेक डैम का निर्माण की मांग को मुख्यमंत्री घोषणाओं में सम्मिलित करने की बात कही।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी को मेले की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मां कुंजापुरी का आशीष एवं कृपा दृष्टि हम सब पर बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक मेला लोक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है। 1974 से निरंतर आयोजित किया जा रहा यह मेला व्यापार, क्षेत्रीय विकास और पर्यटन को गति प्रदान करने वाला है। भारत की पहचान, उसकी सनातन संस्कृति और जीवन मूल्यों पर छिपी हुई है। हमारी संस्कृति केवल रीति रिवाज का विषय नहीं है एक सकारात्मक दिशा देने वाले विचारधारा है, जो हमें नए-नए तरीके से प्रेरित करने का काम करती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी जी के नेतृत्व में भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत और धरोहर को संवारने एवं सहजने का कार्य बेहतर तरीके से किया जा रहा है। उनके मार्गदर्शन में राज्य सरकार उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध होकर धार्मिक स्थलों के संरक्षण एवं अपनी पहचान को बनाए रखने के लिए निरंतर काम कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन सबसे बड़ी समस्या है, इसे रोकने, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण योजना पर कार्य किया जा रहा है। हाउस ऑफ हिमालय ब्रांड के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को देश-विदेश में व्यापक पहचान मिल रही है। फार्म मशीनरी बैंक, फिल्म नीति, एप्पल मिशन, होमस्टे आदि नीतियों के माध्यम स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में उत्तराखंड पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता कानून को लागू किया है। इसके साथ ही सशक्त नकल विरोधी कानून लाकर पिछले 4 सालों में 26 हजार से अधिक युवाओं को पारदर्शिता के साथ नियुक्तियां प्रदान की गई है। धर्मांतरण निवारण और अवैध अतिक्रमण ध्वस्तीकरण जैसे कार्यों का उल्लेख किया, जिससे राज्य को नया मुकाम और पहचान मिली है। राज्य सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने के लिए अग्रसर है।
प्रदेश के वन, तकनीकी शिक्षा, भाषा एवं निर्वाचन एवं संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मां कुंजापुरी मेला हमारी संस्कृति, परंपरा को आगे बढ़ाने के साथ ही देश प्रदेश की संस्कृति से रूबरू होने के लिए बड़ा मंच उपलब्ध कराता है। यह मेला सभी के सहयोग से निरंतर खेल एवं विकास के ओर आगे बढ़ रहा है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, नगर पंचायत अध्यक्ष तपोवन विनीता बिष्ट, ब्लॉक प्रमुख नरेंद्रनगर दीक्षा राणा, मेयर नगर निगम ऋषिकेश शंभू पासवान, जिलाध्यक्ष भाजपा उदय रावत, नगर पंचायत अध्यक्ष गजा कुंवर सिंह चौहान, डीएम टिहरी नितिका खण्डेलवाल, एसएसपी आयुष अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।
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राज्यपाल गुरमीत सिंह ने रानीचौरी में कृषि-पर्यावरण-पर्यटन चिंतन शिविर का किया शुभारंभ

देहरादून: वीरचंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के वानिकी महाविद्यालय, रानीचौरी में भारत में कृषि-पारिस्थितिकी-पर्यटनः अवसर, चुनौतियाँ और आगे की राह सम्बन्धी दो दिवसीय चिंतन शिविर का राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।

अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि आज देवभूमि उत्तराखण्ड की इस पवित्र भूमि पर, जहाँ प्रकृति और पुरुषार्थ दोनों का अद्भुत संगम है- “कृषि-पारिस्थितिकी-पर्यटनः अवसर, चुनौतियाँ और आगे की राह” जैसे महत्वपूर्ण विषय पर 14वें विचार-मंथन सत्र का उद्घाटन करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक अकादमिक चर्चा नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाला नेक प्रयास है, जो अपनी जड़ों में कृषि, आत्मा में पर्यावरण और हृदय में पर्यटन की संस्कृति को संजोए हुए है।
राज्यपाल ने कहा
की देवभूमि उत्तराखण्ड में आज पर्यटन केवल मनोरंजन का माध्यम न रहकर सतत विकास का साधन बन रहा है। अब तक पर्यटन कुछ क्षेत्रों तक सीमित रहा है और भीड़-भाड़ से पर्यावरणीय दबाव बढ़ा है, परंतु इको-टूरिज्म और कृषि-पर्यटन जैसी पहलें इस प्रवृत्ति को एक नई दिशा दे रही हैं। ये न केवल प्रकृति और संस्कृति की रक्षा सुनिश्चित करती हैं, बल्कि किसानों व स्थानीय समुदायों को आत्मनिर्भरता और गरिमामय आजीविका का अवसर भी प्रदान करती हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की जड़ें कृषि में हैं। आज भी लगभग 45 प्रतिशत लोग कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों पर निर्भर हैं। यह केवल आजीविका नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है। कृषि हमारे ग्रामीण समाज की आत्मा है और पर्यावरण उसकी सांस है। दोनों का संगम ही “एग्री-इको-टूरिज्म” का सार है, जहाँ खेत की हरियाली, पर्वत की शांति और संस्कृति की सरलता एक साथ अनुभव की जाती है।

राज्यपाल ने कहा कि भारत के पास अपार संभावनाएँ और प्राकृतिक संसाधन हैं, लेकिन यहां पर इको-टूरिज्म का विकास अभी प्रारंभिक अवस्था में है। सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इको-टूरिज्म और एडवेंचर टूरिज्म पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। पर्यटन मंत्रालय ने हाल ही में ‘‘ग्रामीण पर्यटन की राष्ट्रीय नीति’’ भी जारी की है। जो ग्रामीण पर्यटन नीति इनके विकास में सहायक सिद्ध हो सकती है।
उन्होंने कहा कि कृषि-पर्यावरण पर्यटन एक ऐसा व्यावसायिक मॉडल है, जो किसानों की आय बढ़ाने, ग्रामीण रोजगार सृजित करने, आजीविका सुधारने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की क्षमता रखता है। यह पारंपरिक खेती को एक गतिशील व्यावसायिक उद्यम में बदलने का अवसर प्रदान करता है, जो कृषि, प्रकृति और संस्कृति तीनों को एक साथ जोड़ता है। उत्तराखण्ड इस दिशा में एक स्वाभाविक लाभ वाला राज्य है। यहाँ की भौगोलिक विविधता, बागवानी, जैविक खेती, पर्वतीय कृषि प्रणाली और पारंपरिक गांव एग्री-इको-टूरिज्म के लिए आदर्श हैं।

इस अवसर पर राज्यपाल ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार को बधाई देते हुए कहा कि इको-टूरिज्म और कौशल-विकास पाठ्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों में नवाचार और उद्यमिता की भावना जागृत कर रहा है। इसी प्रकार आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या और डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा द्वारा प्रारंभ किए गए एग्री-टूरिज्म प्रबंधन डिप्लोमा कार्यक्रम भी इस दिशा में प्रेरणादायक हैं। ये प्रयास दर्शाते हैं कि भारत के कृषि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा के केंद्र नहीं, बल्कि ग्रामीण परिवर्तन की प्रयोगशालाएँ बन रहे हैं।

राज्यपाल ने भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए), वीर चंद्र सिंह गढ़वाली विश्वविद्यालय और इस सत्र में सहभागी सभी विशेषज्ञों को इस आयोजन की सफलता के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर उन्होंने भरसार, गैरसैंण, पौड़ी, प्रतापनगर, मैलचौरी महाविद्यालय के 2722.64 लाख रुपये की योजनाओं का शिलान्यास/लोकार्पण/जीर्णाेद्धार भी किया। इस अवसर पर रानीचौरी भरसार महाविद्यालय के अधिष्ठंता कार्यालय का सभागार कक्षा का लोकार्पण भी किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा वर्चुअल माध्यम से अपना संबोधन व्यक्त किया गया। कुलपति वी.सी.एस.जी. विश्वविद्यालय डॉ. परविन्दर कौशल ने इस कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी और उपस्थित लोगों का स्वागत किया। इस अवसर पर टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय व प्रतापनगर विक्रम नेगी, सचिव रविनाथ रमन, जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल नितिका खण्डेलवाल, एसएसपी आयुष अग्रवाल, सीडीओ वरुणा अग्रवाल विभिन्न महाविद्यालय के डीन व प्रोफेसर उपस्थित थे।
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राष्ट्रीय जूडो में उत्तराखण्ड पुलिस की शानदार परफॉर्मेंस: 8 पदक जीतकर लौटे खिलाड़ी, पुलिस महानिदेशक ने दी बधाई

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने 10वें ऑल इंडिया पुलिस जूडो क्लस्टर 2025 में शानदार प्रदर्शन कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खेल भावना और अनुशासन का लोहा मनवाया। यह प्रतियोगिता 07 से 16 अक्टूबर, 2025 तक श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में आयोजित हुई…जिसमें देशभर के लगभग 30 राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टीमों ने हिस्सा लिया।
पुलिस मुख्यालय देहरादून में मंगलवार को पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने पदक विजेता खिलाड़ियों से मिलकर उन्हें बधाई दी। उन्होंने खिलाड़ियों को भविष्य की प्रतियोगिताओं में और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए निरंतर अभ्यास, मेहनत और समर्पण बनाए रखने के निर्देश दिए। इस अवसर पर पुलिस महानिरीक्षक नीलेश आनन्द भरणें और उप पुलिस महानिरीक्षक धीरेन्द्र गुंज्याल भी मौजूद रहे।
पदक विजेता:
पंचक स्लाट – अभिषेक वर्मा, गायत्री नेगी, ईशू भारती
कराटे – मोहित कापड़ी
ताईक्वान्डो – नितेश सिंह
वूशू – लविश कुमार, शुभम चौधरी, सागर
कुल मिलाकर उत्तराखंड पुलिस ने 3 स्वर्ण, 1 रजत और 4 कांस्य पदक जीतकर अपनी कड़ी मेहनत और उत्कृष्ट कौशल का परिचय दिया। खिलाड़ियों की इस उपलब्धि से प्रदेश पुलिस के खेल क्षेत्र में मान और गौरव बढ़ा है।
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