Uttarakhand
उत्तरकाशी: सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य जल्द पूरा होगा, मार्च 2025 तक आरपार !

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में चल रही चारधाम सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग के बारे में एक सकारात्मक अपडेट सामने आया है। अधिकारियों के अनुसार, मार्च 2025 तक सिलक्यारा सुरंग का निर्माण पूरा हो जाएगा। फिलहाल, पोलगांव बड़कोट छोर से सुरंग की खोदाई का काम लगभग 180 मीटर शेष है, जो आगामी तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, सिलक्यारा छोर से गत वर्ष हुए भूस्खलन में गिरा मलबा अब तक पूरी तरह से नहीं हटाया जा सका है, जिससे निर्माण में कुछ देरी हो रही है।
सुरंग की खोदाई में हुई देरी
यमुनोत्री हाईवे के पास स्थित इस 4.5 किमी लंबी सुरंग का निर्माण लगभग 853.79 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। इस सुरंग का निर्माण इस साल मार्च तक पूरा हो जाने की योजना थी, लेकिन पिछले साल 12 नवंबर को सिलक्यारा छोर पर भूस्खलन की वजह से सुरंग का निर्माण कार्य दो महीने तक ठप रहा। भूस्खलन में 41 श्रमिक सुरंग के अंदर फंस गए थे, जिन्हें बचाने में 17 दिन का समय लग गया था।
निर्माण कार्य में पुनः तेजी
भूस्खलन के बाद सुरंग निर्माण का काम जनवरी में पुनः शुरू किया गया। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 23 जनवरी को कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल को सुरंग निर्माण फिर से शुरू करने की अनुमति दी। सुरंग में जमा पानी की निकासी का काम शुरू करते हुए बड़कोट छोर से खोदाई का काम फरवरी में फिर से शुरू किया गया। जब भूस्खलन हुआ था, तब सुरंग की खोदाई का काम 480 मीटर शेष था, जिसमें से अब तक करीब 300 मीटर का काम पूरा किया जा चुका है। अब, तीन महीने में इस शेष खोदाई का काम पूरा किया जाएगा, और फिर मुख्य सुरंग की खोदाई आरपार हो जाएगी।
ड्रिफ्ट टनल का निर्माण भी अंतिम चरण में
भूस्खलन के मलबे को हटाने के लिए ड्रिफ्ट टनल (निकासी सुरंग) का काम भी तेजी से चल रहा है। सुरंग में तीन ड्रिफ्ट टनल बनाई जा रही हैं, जिसमें से एक ड्रिफ्ट टनल पूरी तरह से आरपार हो चुकी है। दूसरी ड्रिफ्ट टनल का निर्माण मात्र 5-6 मीटर शेष है और इसे एक-दो दिन में आरपार कर लिया जाएगा। इसके बाद तीसरी और अंतिम ड्रिफ्ट टनल का निर्माण किया जाएगा, जिससे मलबा हटाने की प्रक्रिया को और तेज किया जा सकेगा।
एनएचआईडीसीएल के निदेशक का बयान
एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने कहा, “सिलक्यारा छोर से दूसरी ड्रिफ्ट टनल आरपार हो चुकी है, और बड़कोट छोर से 180 मीटर की खोदाई का काम तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा। मार्च 2025 तक यह सुरंग पूरी तरह से आरपार हो जाएगी, जिसके बाद सुरंग की फिनिशिंग व अन्य कामों की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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Dehradun
कैबिनेट की बैठक हुईं समाप्त, अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड और UCC पर बड़ा बदलाव!

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी। इस बैठक में कुल पांच प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण फैसले उत्तराखंड के समाज और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े हुए हैं।
पहला बड़ा फैसला यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) से संबंधित था। कैबिनेट ने यूसीसी के तहत होने वाले शादी रजिस्ट्रेशन की समय सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब लोग जनवरी 2026 तक इस रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा कर सकेंगे। यह कदम उन लोगों के लिए राहत का कारण बनेगा, जिन्हें रजिस्ट्रेशन में समय की कमी महसूस हो रही थी।
दूसरा अहम फैसला उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा कल्याण बोर्ड के गठन से जुड़ा था। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी, जिसके तहत अगर उत्तराखंड में ईसाई या अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपनी शिक्षण संस्थाएं (स्कूल) खोलना चाहते हैं, तो उन्हें अब इस बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इससे राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और विभिन्न समुदायों के बीच समानता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके अलावा, 19 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में कई अन्य प्रस्तावों और विधेयकों पर चर्चा की जाएगी। इन प्रस्तावों में राज्य की सेवा नियमावली से संबंधित प्रस्ताव भी शामिल हैं, जिन पर कैबिनेट ने आज अपनी मुहर लगाई है।
आज की बैठक में लिए गए फैसलों से स्पष्ट हो गया कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा, समाज और कानून व्यवस्था में सुधार लाना है। इन फैसलों का असर आने वाले दिनों में उत्तराखंड के विकास पर महत्वपूर्ण पड़ सकता है।
Kotdwar
बादल फटने से किश्तवाड़ में लैंसडौन की दो महिलाओं की मौत, शोक में डूबा परिवार

लैंसडौन (कोटद्वार) – गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने के कारण हुई एक दर्दनाक घटना में लैंसडौन की दो महिलाएं, दीपा अग्रवाल और उनकी जेठानी नीता अग्रवाल की जान चली गई। दीपा का शव पहले ही बरामद हो चुका था, जबकि उनकी जेठानी का शव बाद में मलबे से निकाला गया।
लैंसडौन स्थित व्यापार मंडल के सचिव मोहित गुप्ता ने बताया कि उनका परिवार मचैल माता मंदिर में दर्शन करने गया था। दीपा (50) अपने पति संदीप अग्रवाल, बेटे दक्ष (16), जेठ अशोक और जेठानी नीता के साथ मचैल माता के दर्शन के बाद मंदिर में आयोजित लंगर में बैठा हुआ था, तभी अचानक बादल फटने से मची बाढ़ की चपेट में आ गए। इस भयानक सैलाब में दीपा और नीता दोनों ही बह गईं, जबकि अशोक और उनका बेटा दक्ष किसी तरह अपनी जान बचा पाए।
मोहित गुप्ता ने पुष्टि की कि दोनों महिलाओं के शव मलबे से बरामद हो चुके हैं, और उनके शव उनके परिवार के पास लाए जा रहे हैं। इस दुखद घटना से लैंसडौन और ऊधम सिंह नगर में शोक की लहर दौड़ गई है। दीपा और नीता की मौत ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, और रिश्तेदार, दोस्त, और गांववाले अब दुखी परिवार को ढांढस बंधाने उनके घर पहुंच रहे हैं।
मृतकों के परिवार में भारी शोक है और यह घटना पूरे इलाके में एक गहरे आघात के रूप में सामने आई है। दोनों परिवारों में मातम पसरा हुआ है और लोग उन्हें इस कठिन समय में सहारा देने की कोशिश कर रहे हैं।
Uttarakhand
आपदा में सब कुछ तबाह, लेकिन मां राजराजेश्वर की मूर्ति ने किया चमत्कार…जानिए कैसे!

मां राजराजेश्वर
उत्तरकाशी – उत्तरकाशी ज़िले के धराली गाँव में आई भीषण आपदा के 12 दिन बाद सर्च अभियान के दौरान एक चमत्कारिक घटना सामने आई है। शनिवार को मलबे की खुदाई के दौरान गलाणथोक की कुलदेवी राजराजेश्वरी माता की चांदी की मूर्ति, उनकी कटार, और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ पूरी तरह सुरक्षित अवस्था में मिलीं। यह दृश्य देखकर आपदा से जूझ रहे ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं और पूरा क्षेत्र आस्था के भाव में डूब गया।
ग्रामीणों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब माँ राजराजेश्वरी की मूर्ति किसी आपदा में सुरक्षित मिली हो। गलाणथोक के निवासी राजेश पंवार के अनुसार, 1970 और 1980 के दशक में गाँव में भीषण आग लगी थी, तब भी सिर्फ माँ का स्थान ही आग की चपेट में आने से बचा था। इस बार भी जब आपदा ने पुराने गाँव के भवनों को पूरी तरह जमींदोज कर दिया, तब भी माँ की मूर्ति एक पेड़ के नीचे दबे होने के बावजूद बिल्कुल सुरक्षित अवस्था में बरामद हुई।
आपको बता दें कि 5 अगस्त को धराली में अचानक आई भीषण आपदा ने पूरे गाँव को तबाह कर दिया था। गलाणथोक में स्थित वर्षों पुराना भवन और उसमें स्थापित कुलदेवी का मंदिर मलबे में दब गया था। ग्रामीणों को उम्मीद नहीं थी कि देवी की मूर्ति और अन्य धार्मिक प्रतीक दोबारा मिल पाएंगे। लेकिन जब रेस्क्यू टीम ने लगभग 5 से 10 फीट नीचे खुदाई की, तो पहले एक बड़ा पेड़ मिला, जिसे हटाने के बाद माँ राजराजेश्वरी की चांदी की मूर्ति, उनके कटार, पंचमुखी शिव की मूर्ति और पाँच पांडवों की मूर्तियाँ सुरक्षित रूप से प्राप्त हुईं।
रेस्क्यू टीम द्वारा जब यह सूचना ग्रामीणों तक पहुंचाई गई, तो बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुँच गए। माँ के दर्शन करते ही लोगों की आंखें भर आईं और वातावरण भक्ति और भावुकता से सराबोर हो गया।
इस समय धराली में सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। मलबे में फंसे लापता लोगों की तलाश के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही, आपदा प्रभावित लोगों के पुनर्वास और आजीविका सुदृढ़ीकरण की दिशा में भी कार्य चल रहा है। बीते दिनों धराली में उच्चस्तरीय समिति ने गाँव के लोगों से बातचीत कर पुनर्वास प्रक्रिया को गति देने की दिशा में सुझाव एकत्र किए।
देवी मूर्तियों का सुरक्षित मिलना जहाँ ग्रामीणों के लिए एक आशा की किरण है, वहीं यह घटना जनमानस में आस्था और श्रद्धा का प्रतीक भी बन गई है।
- Accident2 years ago
सिल्क्यारा टनल हादसा: सीएम धामी ने की प्रेसवार्ता दी रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी।
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देहरादून पहुँचे बीजेपी के राष्टीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, सीएम धामी ने किया स्वागत।
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उत्तर प्रदेश बोर्ड : 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के लिए 05 जनवरी 2021 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं छात्र….
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नायब सिंह सैनी को बनाया गया हरियाणा का नया सीएम, सैनी ने पीएम मोदी का जताया आभार…पूर्व सीएम के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा हुई तेज।
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राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को दी मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं…..
- Breakingnews5 years ago
23 जनवरी को पीएम मोदी जाएंगे कोलकाता , ‘पराक्रम दिवस’ समारोह को करेंगे संबोधित…..
- Breakingnews2 years ago
बरातियों से भरी मैक्स सड़क से 70 मीटर नीचे खेतों जा गिरी, 2 की मौत 10 घायल।
- Accident2 years ago
धू-धूकर जली स्कूल बस, 35 बच्चे थे सवार, बाल-बाल बची जान….देखे जलती बस का विडियो