Uttarkashi
उत्तरकाशी में भालुओं का आतंक, घर में एक साथ घुसे तीन भालू, CCTV में कैद हुई वीडियो, देखें

Uttarkashi News : उत्तरकाशी में भालुओं का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन भालुओं के हमले और भालू के आबादी क्षेत्र में देखे जाने की खबरें उत्तरकाशी सामने (Uttarkashi News) आ रही हैं। जिस से लोगों में डर का माहौल है।
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Uttarkashi में घर में एक साथ घुसे तीन भालू
उत्तरकाशी में भालुओं की दहशत का आंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो खुले आम गांवों में घूम रहे हैं। आलम ये है कि अब ये घरों तक पहुंच रहे हैं। ताजा मामला भटवाड़ी ब्लॉक का है। जहां टकनौर क्षेत्र के मल्ला गांव में एक साथ तीन भालू एक घर में घुस गए। भालू और उसके दो बच्चों की तस्वीरें सीसीटीवी में कैद हो गई।
काफी देर तक घर के आंगन में टहलते रहे भालू
सीसीटीवी में कैद वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि भालू और उसके दो बच्चे घर में घुस आए। इधर-उधर टहलने के बाद वो पालतू जानवरों के बर्तन में खाना ढूंढने लगे। इस वीडियो में भालू के बच्चे आंगन में लड़ते हुए भी नजर आ रहे हैं। काफी देर तक वो आंगन में ही चहलकदमी करते रहे।
लोगों में दहशत का माहौल
भालुओं के हमले और लगातार रिहायशी इलाकों में आने की खबरों से लोगों में दहशत का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भालू की दहशत को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से किसी प्रकार के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले भी इस क्षेत्र में भालू के हमले में दो महिलाओं की मौत हो चुकी है।
आए दिन भालू हमला कर रहे हैं लोकिन वन विभाग सोया हुआ है। बता दें कि उत्तरकाशी से भालू के हमले की आए दिन खबरें (Uttarkashi News) आ रही हैं। जिस कारण पूरे जिले में लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं।
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उत्तरकाशी में पेड़ों के कटान को लेकर बड़ा फैसला, रक्षा सूत्र बांधने का दिखा असर
देहरादून: उत्तरकाशी में बीते कई दिनों से पर्यावरण प्रेमियों द्वारा पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधने के शांत और अनोखे विरोध का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। उत्तरकाशी–गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण के लिए प्रस्तावित 6 हजार पेड़ अब नहीं काटे जाएंगे। परियोजना में किए गए बदलावों के कारण हजारों पेड़ कटने से बच जाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों में राहत की भावना है।
पर्यावरणप्रेमियों के विरोध का असर, नहीं कटेंगे 6,000 पेड़
गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय और बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने शुरू में 6000 से अधिक पेड़ काटने की मांगी की थी। सामरिक दृष्टि से महत्व रखने वाले इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से मंजूरी भी मिल गई थी।
लेकिन इसके बाद पर्यावरणविदों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों का कटान न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकता है, बल्कि इस आपदा-प्रवण क्षेत्र में खतरा और बढ़ जाएगा।
हजारों लोग पेड़ों के पास पहुंचे और हर पेड़ पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें बचाने की मुहिम शुरू की। लोगों ने एक स्वर में कहा कि हाईवे जरूर बने, लेकिन प्रकृति की कीमत पर नहीं।

ईको सेंसिटिव ज़ोन में है हाईवे—लोगों की चिंता बढ़ी
जिस क्षेत्र में ये हाईवे चौड़ीकरण हो रहा है, वह पूरा इलाका ईको सेंसिटिव ज़ोन में आता है। यही वह क्षेत्र है जहां हाल के वर्षों में भीषण प्राकृतिक आपदाएँ देखी गई हैं।
BRO और रक्षा मंत्रालय इस मार्ग को चौड़ा कर सेना की चीन सीमा तक पहुंच को सुगम बनाना चाहते हैं। चौड़ी सड़क बनने से सेना की आवाजाही तेज और सुरक्षित हो जाएगी।
लेकिन स्थानीय लोगों का कहना था कि पर्यावरण को होने वाला नुकसान भविष्य में और बड़ी आपदाओं को जन्म दे सकता है, इसलिए संतुलन बनाना जरूरी है। विरोध बढ़ने के साथ ही सरकार और एजेंसियों को मानकों में बदलाव पर विचार करना पड़ा।
हाईवे की चौड़ाई बदली—अब सिर्फ 1,413 पेड़ होंगे काटे
गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण के मानकों में संशोधन किया गया है। पहले इस सड़क की चौड़ाई 12 मीटर प्रस्तावित थी, जिसे अब घटाकर 11 मीटर कर दिया गया है। केंद्रीय सड़क मंत्रालय और BRO के अनुसार, इस बदलाव के बाद अब 6822 पेड़ों की जगह केवल 1413 पेड़ ही काटे जाएंगे।
सड़क की चौड़ाई सिर्फ एक मीटर घटाने से हजारों पेड़ों को जीवनदान मिल गया है। ये निर्णय पर्यावरण संरक्षण और सामरिक आवश्यकता के बीच संतुलन स्थापित करने का उदाहरण भी बन गया है।
90 किलोमीटर लंबे मार्ग पर होगा काम, 1000 पेड़ होंगे ट्रांसप्लांट
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन इस परियोजना के तहत 90 किलोमीटर सड़क का निर्माण करेगा। यह मार्ग बड़ैथी से शुरू होकर भैरव घाटी तक जाएगा।
BRO कमांडर राजकिशोर सिंह ने बताया कि सड़क की चौड़ाई कम होने से पेड़ कटने की संख्या काफी कम हो गई है। इसके अलावा 1,000 से अधिक पेड़ों को ट्रांसप्लांट भी किया जाएगा, ताकि अधिकतम हरियाली को बचाया जा सके।
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संसद में गूंजा उत्तरकाशी पेड़ काटने का मामला, उत्तराखंड के सांसद नहीं उठा पाए लेकिन छत्तीसगढ़ की सांसद ने उठाया मुद्दा, देखें वीडियो

Gangotri National Highway Update : गंगोत्री नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण का मुद्दा इन दिनों उत्तराखंड में चर्चाओं में है। इसके चर्चाओं में होने की वजह हाईवे के चौड़ीकरण के लिए काटे जा रहे पेड़ हैं। हाईवे चौड़ीकरण के लिए छह हजार पेड़ काटे जाने हैं जिसका विरोध पर्यावरणविद कर रहे हैं।
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संसद में गूंजा उत्तरकाशी में पेड़ काटने का मामला
राज्यसभा में Gangotri National Highway के चौड़ीकरण के लिए काटे जा रहे पेड़ों के इस मामले को जहां उत्तराखंड के सांसद नहीं उठा पाए तो वहीं छत्तीसगढ़ से कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने इसे उठाया। उन्होंने इसे लेकर सरकार से तीखे सवाल भी किए हैं।
आपको बता कें कि NH34 पर भैरोघाटी से झाला 20.600 किमी और क्षेत्रफल 41.9240 हेक्टेयर के लिए गैर वानकी का कार्य करने को मंजूरी दी गई है। इसके बदले 76.924 हेक्टेयर भूमि पर वनीकरण प्रतिपूर्ति के रूप में किया जाएगा।
क्या है उत्तरकाशी पेड़ काटने का पूरा मामला ?
आपको बता दें कि उत्तरकाशी जिले के इको-सेंसेटिव जोन क्षेत्र में हाईवे के चौड़ीकरण के लिए हजारों पेड़ों को हटाए जाने की तैयारी हो रही है। यूं तो ये इलाका इको-सेंसेटिव जोन है जिसमें बड़े निर्माण और पेड़ कटान पर पूरी तरह रोक है। लेकिन इसके बाद भी उत्तरकाशी से गंगोत्री तक सड़क चौड़ीकरण के लिए छह हजार से भी ज्यादा पेड़ों को काटे जाने और ट्रांसलोकेट किए जाने की परमिशन दे दी गई है। जिसके बाद स्थानीय लोग और पर्यावरणविद इसका विरोध कर रहे हैं। पेड़ों को काटने से बचाने के लिए रक्षा सूत्र बांध रहे हैं और पेड़ों को काटे जाने से रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

Gangotri National Highway Update : कांग्रेस सांसद ने सरकार को घेरा
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने आरोप लगाए हैं कि उत्तराखंड के इको-सेंसेटिव जोन में 6,000 पेड़ काटने की अनुमति दे दी गई है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पीएम मोदी एक पेड़ मां के नाम लगाओ कहते हैं और वहीं दूसरी तरफ विकास के नाम पर इतने पेड़ काट दिए जाते हैं।
आश्वासन के बाद भी दे दी Gangotri National Highway चौड़ीकरण के लिए अनुमति
कांग्रेस सांसद ने कहा कि संसद में रक्षा मंत्री ने इसे लेकर आश्वासन भी दिया था। लेकिन इसके बाद भी Gangotri National Highway चौड़ीकरण के लिए अनुमति दे दी गई। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हिमालय में सड़कों का चौड़ीकरण असफल हो रहा है। चौड़ीकरण के कारण आए दिन सेना और यात्री भूस्खलन की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में सरकार कैसा विकास कर रही है ? उन्होंने सरकार से सवाल पूछा है कि एक तरफ कहा जा रहा है कि ये सड़क सेना के लिए बेहद ही जरूरी है लेकिन वहीं दूसरी तरफ सेना सड़क कई दिनों, कभी एक महीने तक बंद रहती है। सरकार किसकी शह पर ऐसा विकास कर रही है ?

क्या होता है इको सेंसटिव जोन ?
आपको बता दें कि पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र इको सेंसटिव जोन कहा जाता है। ऐसा क्षेत्र जहां पर नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले नुकसान से बचाने और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए कुछ गतिविधियां प्रतिबंधित नहीं बल्कि विनियमित यानी कि regulate होती हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो इको सेंसटिव जोन में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली सभी गतिविधियों पर कड़ी पाबंदी होती है।
पेड़ और पहाड़ कटेंगे तो लैंडस्लाइड बढ़ेंगे – रंजीत रंजन
उत्तरकाशी में पेड़ काटे जाने के मामले को धराली से जोड़ते हुए कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि छह और सात दिसंबर की रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लोग पेड़ों को बचाने के लिए रक्षा सूत्र बांध रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये वही जगह है जहां इसी साल धराली की भीषण आपदा आई थी और 150 लोगों के शव आज भी मलबे में दबे होने की बात कही जा रही है।
उन्होंने कहा कि ये सोचने वाली बात है कि चारधाम ऑल वेदर रोड के नाम पर उच्च हिमालय में इतने सारे पेड़ और पहाड़ काटे जा रहे हैं तो भूस्खलन की घटनाएं बढ़ेंगी। इस बारे में लगातार कई सामाजिक कार्यकर्ता आवाज उठा रहे हैं और खुद बीजेपी के नेता मुरली मनोहर जोशी भी सरकार को पत्र लिख चुके हैं।
1. गंगोत्री नेशनल हाईवे पर पेड़ काटने का विवाद क्या है?
यह विवाद Uttarkashi के इको-सेंसिटिव जोन में हाईवे चौड़ीकरण के लिए 6,000 से ज्यादा पेड़ काटने की अनुमति मिलने को लेकर है, जिसका स्थानीय लोग और पर्यावरणविद विरोध कर रहे हैं।
2. हाईवे चौड़ीकरण के लिए कितने पेड़ काटे जा रहे हैं?
Uttarkashi में भैरोघाटी से झाला तक NH-34 पर 6,000 से अधिक पेड़ों को काटने या ट्रांसलोकेट करने की अनुमति दी गई है।
3. पर्यावरणविद इस परियोजना का विरोध क्यों कर रहे हैं?
Uttarkshi का यह इलाका इको-सेंसिटिव जोन है, जहां बड़े निर्माण और पेड़ कटान पर सख्त प्रतिबंध हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि इससे भूस्खलन, पर्यावरणीय नुकसान और खतरे बढ़ सकते हैं।
4. सांसद रंजीत रंजन ने संसद में क्या मुद्दा उठाया?
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि इको-सेंसिटिव जोन में इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटने की अनुमति क्यों दी गई, जबकि उत्तराखंड के सांसद इस मुद्दे को नहीं उठा सके।
5. इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) क्या होता है?
यह ऐसा संरक्षित क्षेत्र है जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण या प्रतिबंध रहता है। यहां बड़े निर्माण, खनन और बड़े पैमाने पर पेड़ कटान की अनुमति नहीं होती।
6. सरकार का इस परियोजना पर क्या पक्ष है?
सरकार का कहना है कि सड़क चौड़ीकरण सेना की आवाजाही और कनेक्टिविटी के लिए जरूरी है, और बदले में 76.924 हेक्टेयर भूमि पर वनीकरण किया जाएगा।
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Uttarkashi में शादी से लौट रही कार खाई में गिरी, हादसे में एक की मौत

Uttarkashi : उत्तरकाशी में देर रात बड़ा हादसा हो गया। यहां शादी में शामिल होकर वापस लौट रहे मेहमानों की कार हादसे का शिकार हो गई। धरासू-जोगत मोटर मार्ग पर खड़ाखाल के पास कार खाई में गिर गई। इस हादसे में एक महिला की मौके पर मौत हो गई।
Uttarkashi में शादी से लौट रही कार खाई में गिरी
उत्तरकाशी में शादी से लौट रही कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। मिली जानकारी के मुताबिक धरासू-जोगत मोटर मार्ग पर खड़ाखाल के पास कार अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। हादसे में एक महिला की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि अन्य कार सवार गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की जानकारी पर पहुंची पुलिस मौके पर पहुंची और राजस्व विभाग की टीम ने रेस्क्यू अभियान चलाकर शव बरामद किया। इसके साथ ही पांच घायल लोगों को खाई से बाहर निकालकर सीएचसी चिन्यालीसौड़ पहुंचाया।.
हादसे में एक की मौत 5 घायल
धरासू थानाध्यक्ष मनोज असवाल हादसे के बारे में बताया कि बुधवार शाम को धरासू-जोगत मोटर मार्ग पर खड़ाखाल के पास एक कार अनियंत्रित होक खाई में गिर गई। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस और राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू शुरू किया। उन्होंने बताया कि हादसे में महिला ममता देवी पत्नी विनोद सिंह उम्र 40 वर्ष की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि विनय सिंह, मोहन सिंह, प्यार सिंह, सुरेंद्र सिंह, राजेश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए।
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