Festival
धनतेरस पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त ?, जानें कैसे करें लक्ष्मी-कुबेर की पूजा

आज देशभर में धूमधाम से धनतेरस देशभर में मनाया जा रहा है। सुबह से ही बाजारों में रौनक दिखने लगी है। इस बार धनतेरस बेहद ही खास मुहूर्त में है। आज ब्रह्म योग और बुधादित्य योग का शुभ संयोग बन रहा है। जो आर्थिक प्रगति और भाग्यवृद्धि के लिए अत्यंत अनुकूल माने गए हैं। खास बात ये है कि इस काल में की गई पूजा पूर्ण रूप से सफल मानी जाती है।
धनतेरस पर खरीददारी का शुभ मुहूर्त
आज खरीददारी के तीन मुहूर्त हैं। पहला शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 50 मिनट से लेकर 10 बजकर 33 मिनट, दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक जबकि तीसरा शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 16 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक है
धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त ?
धनतेरस पर आज पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 59 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 56 मिनट तक है। इसके साथ ही सिंह लग्न में पूजा का शुभ समय देर रात एक बजकर 27 मिनट से लेकर कल सुबह तीन बजकर 41 मिनट तक है।
ऐसे करें लक्ष्मी और कुबेर की पूजा
धनतेरस के अवसर पर सुबह उठकर विधि-विधानपूर्वक मंदिर साफ कर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करें। आज शाम के समय एक दीपक को तेल से भरकर प्रज्वलित करें। इसके बाद, फूल-माला, धूप, कपूर आदि से विधि-विधान से मां लक्ष्मी और कुबेर भगवान की पूजा करें। इसके बाद अपने घर के द्वार पर अन्न के ढेर पर एक दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि दीपक रातभर जलते रहना चाहिए। इसे बुझने ना दें।
Delhi
चारों तरफ इगास की धूम, सासंद बलूनी संग गृह मंत्री शाह ने मनाया इगास

दिल्ली : आज उत्तराखंड में दिवाली के ग्यारह दिन बाद फिर पहाड़ का उल्लास जाग उठा है। घरों की सफाई हो रही है, लोग सजावट में जुटे हुए हैं। कहीं फूलों की माला बन रही है तो रसोई में मीठे पकवान बन रहे हैं। सभी लोकपर्व इगास बग्वाल की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
गांवों से लेकर दिल्ली तक इगास की धूम
पहाड़ के छोटे-छोटे गांवों से लेकर राजधानी दिल्ली तक इगास की धूम देखने को मिल रही है। इगास बग्वाल यानी बूढ़ी दिवाली का पर्व पूरे उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया जाता है। जो हर साल दीवाली के ठीक 11 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को मनाया जाता है। कुमाऊं में इसे बूढ़ी दिवाली और गढ़वाल में इसे इगास बग्वाल के नाम से जाना जाता है।
इगास के अवसर पर कई स्थानों पर हो रहे कार्यक्रम
इगास के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पिछले वर्षों की भांति ही इस बार भी इगास के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। उत्तराखंड ही नहीं दिल्ली तक में इगास की धूम देखने को मिल रही है। गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने दिल्ली में इगास कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, पंडित धीरेंद्र शास्त्री समेत कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं। सभी ने इगास पूजन कार्यक्रम में भाग लिया।
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भाई दूज 2025: इस शुभ समय करें भाई को तिलक, मिलेगा शुभता और समृद्धि का वरदान! जानें मुहूर्त और महत्व

भाई दूज 2025: भाई दूज का पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भैया दूज का यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है।
भाई दूज 2025: रक्षाबंधन की ही तरह प्रेम, स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक भाई दूज का पर्व इस वर्ष 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है, जिसे बहनें अपने भाई की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए तिलक करके मनाती हैं।
पौराणिक कथा: जब यमराज पहुँचे थे बहन यमुना के घर
भाई दूज का पर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक संबंध की कहानी भी है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यमराज और यमुना भगवान सूर्य के पुत्र-पुत्री हैं। यमुना ने कई बार अपने भाई यमराज को भोजन के लिए आमंत्रित किया, लेकिन व्यस्तताओं के कारण वे नहीं जा सके। अंततः एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज यमुना के घर पहुँचे। यमुना ने उनका तिलक कर आतिथ्य किया और भाई से हर साल इस दिन आने का वचन लिया।
तब से ही यह पर्व “भैया दूज” या “यम द्वितीया” के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन बहन के हाथों से तिलक कराने वाले भाई की अकाल मृत्यु नहीं होती।
भाई दूज 2025: शुभ मुहूर्त और तिलक विधि
ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री (हरिद्वार) के अनुसार:
भैया दूज की तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर 2025, बुधवार, रात 8:16 बजे
तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार, रात 10:46 बजे
उदया तिथि के अनुसार, पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
तिलक करने का सबसे शुभ मुहूर्त:
दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक (कुल 2 घंटे 15 मिनट)
इसी समय पर भाई का तिलक करें ताकि पूर्ण फल प्राप्त हो।
तिलक की विधि – ऐसे मिलेगा वरदान
सबसे पहले आटे से एक चौक या रंगोली बनाएं।
अपने भाई को इस चौक पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठाएं।
तिलक के साथ अक्षत, दूर्वा, मिठाई और नारियल अर्पित करें।
भाई को तिलक कर आरती उतारें, फिर उन्हें मिठाई खिलाएं और आशीर्वाद लें।
ऐसा करने से भाई की उम्र लंबी होती है और बहन को भी सौभाग्य, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
भाई-बहन का ये अटूट रिश्ता है श्रद्धा और प्रेम का पर्व
भाई दूज सिर्फ रस्म नहीं है, यह उस भावना का उत्सव है, जहां बहन बिना कहे भाई की सलामती की दुआ मांगती है और भाई, जीवनभर उसकी रक्षा का संकल्प लेता है। यह पर्व हमें पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
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दीपों से जगमगा उठे चारधाम, बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं ने मनाया भव्य दीपोत्सव l

बीकेटीसी ने दिवाली के अवसर पर बदरीनाथ और केदारनाथ में दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें श्रद्धालुओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

देशभर में दिवाली की धूमधाम के बीच, उत्तराखंड के चारधाम में भी विशेष धार्मिक आयोजनों की रौनक देखने को मिली। बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में भगवान राम की नगरी अयोध्या में 5.26 लाख दीप जलाकर ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ बनने की ख़ुशियाँ मनाई गईं।
बदरीनाथ धाम में दीपोत्सव:
दीपावली के दिन, बदरीनाथ धाम में 11,000 दीपों से मंदिर परिसर को सजाया गया। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया, जिसमें माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ-साथ भगवान बदरी विशाल के खजाने की भी पूजा की गई। इस दौरान 56 भोग का प्रसाद अर्पित किया गया और घी के दीपों से मंदिर प्रांगण को सजाया गया। सुरक्षा की विशेष व्यवस्था के बीच, श्रद्धालुओं ने भगवान से सुख-समृद्धि की कामना की।
केदारनाथ में दीपोत्सव:
केदारनाथ धाम में भी दीपावली के अवसर पर विशेष आयोजन किए गए। मंदिर को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया और रंग-बिरंगे दीपों से मंदिर परिसर को रोशन किया गया। बीकेटीसी, तीर्थ पुरोहितों और हकहकूकधारियों के सहयोग से यह दीपोत्सव कार्यक्रम 20 से 23 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा।
चारधाम के कपाट बंद की तिथियाँ:
चारधाम यात्रा के समापन की तिथियाँ निम्नलिखित हैं:
गंगोत्री धाम: 22 अक्टूबर 2025, सुबह 11:36 बजे
केदारनाथ धाम: 23 अक्टूबर 2025, सुबह 8:30 बजे
यमुनोत्री धाम: 23 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:30 बजे
बदरीनाथ धाम: 25 नवंबर 2025
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